गांधी जी और हिन्दू होने की परेशानियां
Updated: December 25, 2011
समूची दुनिया के वैचारिकता के इतिहास को उठा कर देख लें, या विचारों की श्रेष्ठता को लेकर खून-खराबा के दौर को याद करें तो आपको…
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“बाल ठाकरे के वर्चस्व की विदाई का शोकगीतः माई नेम इज़ खान”
Updated: December 25, 2011
आखिरकार शाहरूख की फिल्म ‘माई नेम इज़ खान’ रिलीज हो ही गई। देश के अन्य हिस्सों की तरह मुंबई में भी यह हाउसफुल गई। हर…
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ठाकरे के दरबार में पवार!
Updated: December 25, 2011
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने शिवसेना के सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे के आवास ”मातोश्री” की चौखट चूमकर साबित कर दिया है कि देश में…
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चल रही ज्ञान पर एकाधिकार की साजिशः सुलभ
Updated: December 25, 2011
कथादेश के संपादक हरिनारायण को बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिलभारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान बिलासपुर। कथाकार एवं संस्कृतिकर्मी ह्रषिकेश सुलभ का कहना है कि भूमंडलीकरण के युग…
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पानी के लिए लोग होंगे पानी-पानी – संतोष सारंग
Updated: December 25, 2011
आज विश्व की लगभग एक अरब आबादी को जल के लिए तरसना पड़ रहा है। भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, ब्राजील जैसे तमाम विकासशील देशों में लाखों…
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सियासत की अपनी अलग इक जुबां है…
Updated: December 25, 2011
राजनीति को नि:संदेह मानवता, देश तथा समाज के कल्याण हेतु सर्वोत्तम माध्यम कहा जा सकता है। बशर्ते कि राजनीति पूरी तरह ईमानदाराना, पारदर्शी, विकासोन्मुख तथा…
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लोकतंत्र में धनकुबेर बनते नौकरशाह
Updated: December 25, 2011
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तीन आईएएस अफसरों सहित कई अन्य सरकारी मुलाज़िमों के ठिकानों पर इन्कम टैक्स के छापों में अब तक करीब 500 करोड़…
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शाहरुख खान एक्टविस्ट नहीं है राजदीप सरदेसाई
Updated: December 25, 2011
हिन्दी फिल्मों के बादशाह शाहरूख खान की नई फिल्म ‘माई नेम इज़ खान’ आज सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो गई। शाहरूख का कसूर है कि उन्होंने…
Read moreव्यंग्य/ एक सफल कार्यक्रम
Updated: December 25, 2011
पहली बार हिमालय के हिमपात के मौसम और अपनी गुफा को अकेला छोड़ गौतम और भारद्वाज मुनि दिल्ली सरकार के राज्य अतिथि होकर राजभवन में…
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पर्यावरणवादियों के तर्कशास्त्र के परे
Updated: December 25, 2011
पर्यावरण के प्रति उत्तर-आधुनिकों का रवैया मिथकीय और विज्ञान विरोधी है। पर्यावरण को ये लोग पूंजीवाद के आम नियम से पृथक् करके देखते हैं। कायदे…
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गांधी जी, संघ और हम
Updated: February 12, 2010
‘बापू हम शर्मिन्दा हैं…’ शीर्षक से उनके बलिदान-दिवस पर जैसी एकांगी, तथ्यों के विपरीत टिप्पणियाँ एक दैनिक समाचारपत्र में प्रकाशित हुई हैं, उन्हें पढ़कर किसी…
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कविता : अब हैरान हूँ मैं ….
Updated: December 25, 2011
जीवन की इस भीड़ भरी महफ़िल में, एक ठहरा हुआ सा वीरान हूँ मै, क्यों आते हो मेरे यादों के मायूस खंडहरों में , अब…
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