राजनीति सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन में भारत बनेगा ग्लोबल सेंटर !

सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन में भारत बनेगा ग्लोबल सेंटर !

भारत सेमीकंडक्टर(अर्धचालक) प्रोडक्शन (उत्पादन) में अपने कदम आगे बढ़ा रहा है। यह वाकई अत्यंत ही काबिलेतारिफ है कि भारत सरकार हमारे देश को सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन…

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लेख हर घर बिजली का सपना पूरा हो रहा है

हर घर बिजली का सपना पूरा हो रहा है

ज्योति बिश्नोई और अंजली मालखटलूणकरणसर, राजस्थान विज्ञान ने मनुष्य को अनेकों वरदान दिए हैं, जिसमें बिजली की खोज प्रमुख है. ऊर्जा के इस शक्तिशाली स्रोत…

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लेख कट्टरपंथियों का प्रत्येक उपद्रव इस्लामिक राज व जजिया कर का बीजारोपण है

कट्टरपंथियों का प्रत्येक उपद्रव इस्लामिक राज व जजिया कर का बीजारोपण है

 – दिव्य अग्रवाल हरियाणा में मजहबी उपद्रव किसी एक प्रदेश की समस्या नहीं है अपितु यह समस्या धीरे धीरे पुरे भारत की होने वाली है।…

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राजनीति ‘स्टडी इन इंडिया’ से क्या हासिल होगा?

‘स्टडी इन इंडिया’ से क्या हासिल होगा?

– ललित गर्ग –आजकल की शासन व्यवस्थाएं लोक कल्याणकारी एवं संवेदनशील न होकर आर्थिक एवं राजनीतिक प्रेरित होती जा रही है। शिक्षा एवं चिकित्सा जैसी…

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लेख मित्रता का बीज बोएं, खुशियों का गुलदस्ता पाएं

मित्रता का बीज बोएं, खुशियों का गुलदस्ता पाएं

अन्तर्राष्ट्रीय फ्रेंडस दिवस- 6 अगस्त, 2023 पर विशेष – ललित गर्ग – एक दूसरे से जुड़े रहकर जीवन को खुशहाल बनाना और दिल में जादुई संवेदनाओं…

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राजनीति डेढ़ अरब की आबादी के लिये घातक है साम्प्रदायिक हिंसा

डेढ़ अरब की आबादी के लिये घातक है साम्प्रदायिक हिंसा

– ललित गर्ग –हरियाणा के जिला नूंह में धार्मिक शोभायात्रा पर पथराव के बाद भड़की साम्प्रदायिक हिंसा ने जो विकराल रूप लिया है वह भयावह…

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राजनीति छुआछूत की बीमारी की तरह फैलती है हिंसा

छुआछूत की बीमारी की तरह फैलती है हिंसा

हिंसा के शिकार लोगों को समझाना जरुरी है।  बदला लेने की मानसिकता नुक़सान करवाती है, ताकि वो फिर उसी हिंसक दुष्चक्र में न फंस जाएं।  कोई…

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राजनीति दृश्य देख विध्वंश का धरती भय से थर्राती है !

दृश्य देख विध्वंश का धरती भय से थर्राती है !

युद्ध किसी भी समस्या का कभी भी स्थाई समाधान नहीं होता है। युद्ध में केवल और केवल विध्वंस है,आग है,धमाका है,खून है, चीत्कारें हैं। युद्ध…

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कविता बात मुझे क्यों नहीं बताती ?

बात मुझे क्यों नहीं बताती ?

सुबह-सुबह से चें-चें चूँ-चूँ,खपरैलों पर शोर मचाती।मुर्गों की तो याद नहीं है,गौरैया थी मुझे जगाती। चहंग-चंहंग छप्पर पर करती,शोर मचाती थी आँगन में।उस की चपल…

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कविता   आओ ! थोड़ा मुस्कुरा लेते हैं 

  आओ ! थोड़ा मुस्कुरा लेते हैं 

        प्रभुनाथ शुक्ल देखो ! दुनिया कितनी बदल गई है ना सबको तो बस ! अपनी ही पड़ी है दूसरे की कोई…

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कविता हे मानव अपनी दुर्गति के लिए ईश्वर को कसूरवार नहीं ठहराना

हे मानव अपनी दुर्गति के लिए ईश्वर को कसूरवार नहीं ठहराना

—विनय कुमार विनायक हे मानव अपनी दुर्गति के लिए ईश्वर खुदा रब को कसूरवार नहीं ठहराना ईश्वर ने सद्गति का पूरा सरंजाम कर दिया है!…

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कविता बटुये में दाल

बटुये में दाल

प्रभुदयाल श्रीवास्तव दाल खदबदाएगी,खूब महक आएगी।मन मयूर नाचेगा,नाक बहक जाएगी।खुशियों से मत पूछो,क्या होगा हाल।शम्मी ने मोहन ने,रम्मी ने खाई है।अम्मा को बापू को,बहुत- बहुत…

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