नए वर्ष का स्वागत हम इस सोच और संकल्प के साथ करें कि हमें कोरोना महामारी को अलविदा कहते हुए कुछ नया करना है, नया बनना है, नये पदचिह्न स्थापित करने हैं। बीते वर्ष की पीड़ाओं, दर्द एवं प्रकोप पर नजर रखते हुए उन पर नियंत्रण पाने का संकल्प लेना है। हमें यह संकल्प करना और शपथ लेनी है कि आने वाले वर्ष में हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जो हमारे उद्देश्यों, उम्मीदों, उमंगों और आदर्शों पर प्रश्नचिह्न टांग दे। हमें नये साल में अपनी जीवनशैली को नया रंग और आकार देना है। कोरोना महामारी ने हमारे जीने के तौर-तरीके को अस्तव्यस्त कर दिया है। नववर्ष का स्वागत करते हुए हमारे द्वारा यह कामना करना अस्वाभाविक नहीं थी कि हमारे नष्ट हो गये आदर्श एवं संतुलित जीवन के गौरव को हम फिर से प्राप्त करेंगे और फिर एक बार हमारी जीवन-शैली में पूर्ण भारतीयता का सामंजस्य एवं संतुलन स्थापित होगा। किंतु कोरोना के जटिल नौ माह के बीतने एवं नये साल की अगवानी पर हालात का जायजा लें, तो हमारे राष्ट्रीय, सामाजिक, पारिवारिक और वैयक्तिक जीवन में जीवन-मूल्य एवं कार्यक्षमताएं खंड-खंड होते दृष्टिगोचर होते हैं। हर व्यक्ति जीवन को उन्नत बनाना चाहता है, लेकिन उन्नति उस दिन अवरुद्ध होनी शुरु हो जाती है जिस दिन हम अपनी कमियों एवं त्रुटियों पर ध्यान देना बन्द कर देते हैं। यह स्थिति आदमी से ऐसे-ऐसे काम करवाती है, जो आगे चलकर उसी के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं। रही-सही कसर पूरी कर देती है हमारी त्रुटिपूर्ण जीवनशैली। असंतुलित जीवन है तो आदमी सकारात्मक चिंतन कर नहीं सकता। विचारणीय बात यह है कि किस उद्देश्य से जीवन जीया जाए? यह प्रश्न हर व्यक्ति के सामने होना चाहिए कि मैं क्यों जी रहा हूं? जीवन के उद्देश्य पर विचार करेंगे तो एक नई सचाई सामने आएगी और जीवन की शैली का प्रश्न भी सामने आएगा। हम मनुष्य जीवन की मूल्यवत्ता और उसके तात्पर्य को समझें। वह केवल पदार्थ भोग और सुविधा भोग के लिए नहीं बल्कि कर्म करते रहने के लिये है। मनुष्य जन्म तो किन्हीं महान उद्देश्यों के लिए हुआ है। हम अपना मूल्य कभी कम न होने दें। प्रयत्न यही रहे कि मूल्य बढ़ता जाए। लेकिन यह बात सदा ध्यान में रहे कि मूल्य जुड़ा हुआ है जीवनमूल्यों के साथ। अच्छी सोच एवं अच्छे उद्देश्यों के साथ। हायमैन रिकओवर ने कहा कि अच्छे विचारों को स्वतः ही नहीं अपनाया जाता है। उन्हें पराक्रमयुक्त धैर्य के साथ व्यवहार में लाया जाना चाहिए। हमारे घर-परिवारों में ऐसे-ऐसे खान-पान, जीने के तौर-तरीके और परिधान घर कर चले हैं कि हमारी संस्कृति और सांस्कृतिक पहचान ही धूमिल हो गई है। इंटरनेट एवं छोटे-परदे की आँधी ने समूची दुनिया को एक परिवार तो बना दिया है, लेकिन इस संस्कृति में भावना का रिश्ता, खून का रिश्ता या पारिवारिक संबंध जैसा कुछ दिखता ही नहीं है। यही नहीं इस जीवनशैली से अकर्मण्यता एवं उदासीनता भी पसर रही है। सभी अपने स्वार्थों के दीयों में तेल डालने में लगे हैं। संकीर्ण सोच के अँधेरे गलियारों में औंधे मुँह पड़े संबंध और मानवीय रिश्ते सिसक रहे हैं। भले ही हमारे देश की सांस्कृतिक परंपराएँ और आदर्श जीवन-मूल्य समृद्ध एवं सुदृढ़ रहे हैं किन्तु कोरोना महाव्याधि के प्रकोप की हवाओं ने हमारे जन-मानस में भावी जीवन के सन्दर्भ में भय एवं आशंकाओं का धुंधलका घोलकर हमारे रहन-सहन और आचार-विचार को असंतुलित किया है, और इससे हमारी संयुक्त परिवार, आदर्श जीवनशैली एवं प्रेरक संस्कृति की परंपरा बिखर रही है। ऐसे परिवार ढूँढ़ने पर भी मुश्किल से मिलते हैं, जो शांति और संतोष के साथ आनंदित जीवन जीते हैं। अर्थोपार्जन से जुड़ी गतिविधियों का हिसाब तो जीडीपी में आ जाता है, लेकिन देशवासियों का जो समय गैरआर्थिक गतिविधियों में लगता है, उसका अंदाजा लेने की कोई कोशिश नहीं की गई है। घरेलू महिलाओं के कामकाज एवं श्रम का मूल्यांकन कभी होता ही नहीं, यदि ऐसा आकलन हो तो जीडीपी में उनका योगदान कम नहीं है। जन्मदिवस पर केक काटने और मोमबत्तियाँ जलाने और बुझाने की जगह अब हम दीपक कोरोना महामारी को भगानेे के लिये जलाते हैं, ताली भी उसी के विरुद्ध अपने संकल्प को दृढ़ करने के लिये बजाते हैं। रीति-रिवाजों के ही साथ नृत्य-संगीत की भी बात की जा सकती है। जन्मदिवस पर, विवाह समारोहों पर, खुशी के अन्य अवसरों पर मन की प्रसन्नता की अभिव्यक्ति कहां कर पा रहे हैं? हमारे यहाँ सारे विश्व को देने व सिखाने के लिए दीपक जलाने, ताली बजाने, लोकगीत, लोकनृत्य, शास्त्रीय संगीत, शास्त्रीय नृत्य आदि की अति समृद्ध परंपरा है, जिनसे हमने विश्व को रू-ब-रू किया है। गरभा, भाँगड़ा, घूमर, भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी एवं भारतीय नृत्यों को प्रोत्साहन दें। यह देश तानसेन व बैजूबावरा का देश है। इस देश को कर्ण कटु एवं तेज-कर्कश संगीत उधार लेने की आवश्यकता क्यों है? हमारे नृत्य-संगीत सत्यम-शिवम्-सुंदरम के साक्षात् स्वरूप हैं। हमारी जीवनशैली में इनके लिये समय का नियोजन जरूरी है, क्योंकि ये हमारी समृद्धि, स्वास्थ्य एवं विकास के प्रेरक है। समस्या यही है कि हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, जीवन हमारा असन्तुलित एवं त्रुटिपूर्ण बना हुआ है। इस जीवन की सबसे बड़ी बाधा है जीवन में कार्यों एवं परम्पराओं के लिये समय का असंतुलित बंटवारा, असंतोष की मनोवृत्ति और अतृप्ति। जब मन की चंचलता बनी हुई है, तो मनोबल नहीं बढ़ सकता। मनोबल की साधना ही नहीं है तो संकल्पबल मजबूत कैसे होगा? मन में तो तरह-तरह की तरंगे उठ रही हैं। क्षण भर के लिए भी मन स्थिर होने के लिए तैयार नहीं है। तृप्ति कहीं नहीं है। देश के नम्बर एक औद्योगिक घरानों में गिने जाने वाले टाटा, बिड़ला, रिलायंस अब सब्जी-भाजी बेच रहे हैं। बड़े शहरों में इनके डिपार्टमेंटल स्टोर हैं। जिनमें तेल, लूण और रोज के काम में आने वाले सारी चीजें शामिल हैं। छोटे दुकानदार की रोजी-रोटी तो अब वे लोग हथिया रहे हैं। तृप्ति है कैसे? शांति, संतोष और तृप्ति का एक ही साधन है और वह है योग। श्रीकृष्ण अर्जुन से इसीलिए कहा हैं कि अब तुम तृप्त होकर योगी बन जाओ। इसी तृप्ति में जीवन की समृद्धि का स्रोत समाहित है, इसलिये दैनिक जीवन में योग का समावेश जरूरी है। प्राचीन ऋषियों ने भी एक सूत्र दिया था-संतोषः परमं सुखं। संतोष परम सुख है और असंतोष का कहीं अंत नहीं है। जब तक इस सूत्र पर अमल होता रहा, स्थिति नियंत्रण में रही। जैसे ही संतोष की डोर कमजोर होना शुरू हुई, स्थिति तनावपूर्ण होती गई। यह बात व्यक्ति ही नहीं, समाज, राष्ट्र एवं विश्व व्यवस्था पर भी लागू होती है। महामात्य चाणक्य को राजनीति का द्रोणाचार्य माना जाता है। उनका दिया हुआ सूूत्र है-शासन को इन्द्रियजयी होना चाहिए। बात शासन से पहले व्यक्ति की है। व्यक्ति का जीवन ही राष्ट्र का निर्माण है। इसलिये प्रयास वहीं ंसे शुरु होने चाहिए और नया वर्ष एक अवसर है इस प्रयास के संकल्पों का। नया वर्ष हर बार नया संदेश, नया संबोध, नया सवाल, नया लक्ष्य लेकर आता है कि बीते वर्ष में हमने क्या खोया, क्या पाया? पर जीवन की भी कैसी विडम्बना! हर वर्ष एक दिन के लिए ही हम स्वयं को स्वयं के द्वारा जानने की कोशिश इस संकल्प के साथ करते हैं कि ऐसा हम तीन सौ पैंसठ दिन करेंगे, लेकिन वर्ष की दूसरी तारीख ही हमें अपने संकल्प, अपनी शपथ से भटका देती है। नए वर्ष को सचमुच सफल और सार्थक बनाने के लिए हमें कुछ जीवन-मंत्र धारण करने होंगे। यूं तो हमारे धर्म-ग्रंथ जीवन-मंत्रों से भरे पड़े हैं। प्रत्येक मंत्र दिशा-दर्शक है। उसे पढ़कर ऐसा अनुभव होता है, मानो जीवन का राज-मार्ग प्रशस्त हो गया। उस मार्ग पर चलना कठिन होता है, पर जो चलते हैं वे बड़े मधुर फल पाते हैं। कठोपनिषद् का एक मंत्र है-‘उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।’ इसका अर्थ किया गया है-उठो, जागो और नया रचो। ‘नए वर्ष का मंत्र यानी हमारा संकल्प’ हमारा ध्यान अच्छाइयों की ओर आकृष्ट करता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए उद्योग करने को प्रोत्साहित करता है। इसे जीवन की किसी भी दिशा में प्रयुक्त किया जा सकता है। बस, वही क्षण जीवन का सार्थक है जिसे हम पूरी जागरूकता के साथ जीते हैं और वही जागती आंखांे का सच है जिसे पाना हमारा मकसद है। सच और संवेदना की यह संपत्ति ही नए वर्ष में हमारी सफलता को सुनिश्चित कर सकती है। अतः आइए इस विश्वास और संकल्प को सचेतन करें कि अब कोरोना महामारी जैसे संकट नहीं रहेंगे। बिना किसी को मिटाये निर्माण की नई रेखाएं खींचें। यही साहसी सफर शक्ति, समय और श्रम को सार्थकता देगा।
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में द्वदश भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में प्रथम भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में एकादश भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में दशम भाव में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
कार्य व्यवसाय
कार्य व्यवसाय की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ बहुत बढिया रहेगा। वर्ष के शुरुआत में सप्तम स्थान पर गुरु एवं शनि की संयुक्त दृष्टि प्रभाव से व्यापार में बहुत उन्नति का योग बन रहा है। यदि आप कुछ नया करने जा रहे हैं . क्षेत्र से जुडे अनुभवी व्यक्तियों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा।
व्यापार में आपको भाईयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। यदि आप साझेदारी व्यवसाय कर रही हैं तो इच्छित लाभ प्राप्त होगा और आप अपने साझेदार से संतुष्ट रहेंगी। दशमस्थ शनि के प्रभाव से नौकरी करनेवाली महिलाओं की पदोन्नति हो सकती है। 13 अप्रैल के बाद व्यवसाय में उन्नति के लिए निवेश करेंगी।
आर्थिक दृष्टि
आर्थिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ बढि¦या रहेगा। एकादशस्थ गुरु के प्रभाव से घनागम में निरंतरता बनी रहेगी परन्तु दूसरे भाव में राहु के प्रभाव से आप इच्छित बचत कम ही कर पाएंगी। 13 अप्रैल के बाद चतुर्थ स्थान पर गुरु ग्रह के दृष्टि प्रभाव से आपको भूमि, भवन, वाहन इत्यादि वस्तुओं का सुख प्राप्त होगा। परिवार में मांगलिक कार्य सम्पन्न होंगे उसमें भी आपका घन व्यय होगा। इस समय के अंतराल में कोई बड़ा निवेश न करें, या किसी को उघार पैसा न दें नहीं तो वापसी की उम्मीद कम है। 17 मार्च के बाद लग्न स्थान का राहु शारीरिक बीमारी दूर करने में भी धन व्यय करा सकता है।
पारिवारिक दृष्टि
पारिवारिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ सामान्य रहेगा। अघिक व्यस्तता के कारण आप अपने परिजनों को अघिक समय नहीं दे पायेंगे। दूसरे भाव में राहु अचानक परिवार में विषम परिस्थिति उत्पन्न कर सकता है परन्तु आप अपने विवेक से उसे भी अनुकूल बना लेंगे। जिससे आपका पारिवारिक माहौल अनुकूल बना रहेगा। आपके भाईयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। वर्षारम्भ में आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा में बढो़तरी होगी परन्तु 13 अप्रैल के बाद अघिक यात्राओं व कुछ अन्य परेशानियों के चलते सामाजिक गतिविघियों में बढ चढ कर भाग नहीं ले पायेंगे।
संतान
संतान की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल रहेगा। पंचम स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपके बच्चों की उन्नति होगी। नवविवाहित महिलाओं को संतान रत्न की प्राप्ति के अच्छे योग बन रहे हैं। बच्चे की शिक्षा में भी सुघार होगा और उन्नति के भी अवसर मिलते रहेंगे।
यदि आपकी दूसरी संतान विवाह के योग्य हैं तो उसका विवाह संस्कार हो जाएगा। 13 अप्रैल के बाद समय थोड़ा प्रभावित हो सकता है।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ सामान्य रहेगा। मानसिक रूप से आप सन्तुष्ट रहेंगी। प्रत्येक कार्य को आप सकारात्मक रूप से करेंगी। यदि पहले से कोई बीमारी नहीं है तो वर्ष का प्रारम्भ आपके लिए अनुकूल रहेगा। परन्तु 13 अप्रैल के बाद गुरु ग्रह का गोचर द्वादश स्थान में होगा एवं लग्नस्थ राहु पर शनि की दृष्टि प्रभाव से छोटी- बीमारियों से स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
राहु के अग्नि तत्व राशि में होने के कारण पाचन तन्त्र या गैस संबंघित परेशानी हो सकती है। ऐसे में स्वास्थ्य का ख्याल रख्नना बहुत जरुरी होगा। यदि पहले से कोई लम्बी बीमारी से ग्रसित हैं तो परहेज की आवश्यकता है।
प्रतियोगी परीक्षा
यह वर्ष आपके लिए प्रतियोगी परिक्षाओं में सफलता की दृष्टि से अनुकूल रहेगा। पंचम स्थान पर गुरु की दृष्टि विद्यार्थियों के लिए शुभ हैं. , यदि उच्च शिक्षा हेतु उच्च शिक्षण संस्थान में प्रवेश पाना चाहती हैं तो वर्ष के प्रारम्भ में ही अच्छे संस्थान में प्रवेश मिल सकता है। अप्रैल के बाद छठे स्थान पर गुरु एवं शनि की संयुक्त दृष्टि प्रभाव से प्रतियोगी परिक्षाओं में सफलता के सामान्य योग हैं। बेरोजगार महिलाओं को रोजगार की प्राप्ति के संकेत हैं। व्यापार में उन्नति होगी एवं आपका उत्पाद मशहूर होगा।
यात्रा
यात्रा की दृष्टि से यह वर्ष अनुकूल रहेगा। वर्ष के प्रारम्भ में सप्तम स्थान पर गुरु एवं शनि ग्रह की संयुक्त दृष्टि प्रभाव से व्यवसायिक महिलाओं की व्यवसाय से संबंघित यात्राएं होती रहेंगी। यह यात्रा आपके लिए लाभप्रद
होगी। छोटी यात्राएं तो होती ही रहेंगी परन्तु 13 अप्रैल के बाद द्वदश स्थान का गुरु आपको विदेश यात्रा करा सकता है। चतुर्थ स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से अपने घर से दूर रहने वाले व्यक्तियों की अपनी जन्म भूमि की यात्रा हो सकती है।
धार्मिक कार्य
धार्मिक कार्य के लिए यह वर्ष अच्छा रहेगा। एकादश स्थान में गुरु ग्रह के गोचरीय प्रभाव से आपका मन पूजा-पाठ के प्रति ज्यादा आकर्षित होगा। परमात्मा की भाक्ति या मन्त्र पाठ में ज्यादा रूचि लेंगे। 13 अप्रैल के बाद गुरु ग्रह का गोचर द्वादश स्थान में होगा। उस समय आप दान पुण्य अघिक करेंगे.
उपाय
महामृत्युंजय यन्त्र अपने घर में स्थापित करें और नित्य उसका पूजन करें।
देव, ब्राह्मण, बुजुर्ग, गुरु व मंदिर के पूजारी की सेवा, सुश्रूषा करें।
पीली दाल, केला व बेसन की मिठाई मंदिर में दान करें एवं गुरुवार का व्रत करें।
वार्षिक राशिफल वॄषभ राशि २०२२
ग्रह गोचर
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में एकादश भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में द्वादश भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में दशम भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में नवम भाव में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
कार्य व्यवसाय
कार्य व्यवसाय की दृष्टि से यह वर्ष अच्छा रहेगा। वर्ष के प्रारम्भ में दशम भाव में गुरु ग्रह के गोचरीय प्रभाव से आप अपने कार्यक्षेत्र में अच्छा लाभ प्राप्त करेंगे. व्यवसाय को एक नया मोड़ मिलेगाड, जिससे आपको व्यापार में अघिक लाभ प्राप्त होगा। नौकरी करने वाले व्यक्तियों की पदोन्नति भी हो सकती है।
13 अप्रैल के बाद एकादश स्थान स्थित गुरु आपके व्यापार से आय बढ़ा सकते हैं। उस समय आपको प्रभावशाली व्यक्तियों का सहयोग प्राप्त होगा। 29 अप्रैल के बाद चतुर्थ स्थान पर शनि ग्रह की दृष्टि नौकरी करने वाले व्यक्तियों का स्थानान्तरण करा सकती है।
आर्थिक
आर्थिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल रहेगा। धन आगमन तो होता रहेगा परन्तु आप अपनी भौतिक सुख सुविधा पर अघिक खर्च करेंगे. चतुर्थ एवं द्वितीय स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपको भूमि, भवन, वाहन एवं रत्नादि वस्तुओं की प्राप्ति हो सकती है।
13 अप्रैल के बाद एकादश स्थान में गुरु ग्रह के गोचरीय प्रभाव से आपके रूके हुए पैसे मिल सकते हैं साथ ही आपके धनागम में वॄद्धि होगि। पुराने चले आ रहे ऋण इत्यादि से मुक्ति मिल सकती है। आप अपनी संचित पूँजी बढ़ा पाएंगे। भाई-बहन या पुत्र के विवाह पर धन खर्च होगा।
पारिवारिक दृष्टि
पारिवारिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल रहेगा। चतुर्थ स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपके परिवार में सुख शान्ति का वातावरण बना रहेगा। आपको माता-पिता सहित पूरे परिवार का सहयोग प्राप्त होगा। आपके व्यक्तित्व में निखार आयेगा। बातचीत का ढंग व व्यवहार दोनों में बदलाव आएगा।
13 अप्रैल के बाद आपको प्रेम प्रसंग में भी सफलता प्राप्त होगी। आपके जीवनसाथी के साथ सम्बन्घ मघुर होंगे। तृतीय स्थान में गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा में वॄद्दि होगी।
संतान
संतान की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ सामान्य रहेगा। आपके बच्चे अपने परिश्रम के बल पर आगे बढायेंगे वे अपने बौद्धिक बल पर अपने लक्षय को प्राप्त करेंगी। 13 अप्रैल के बाद पंचम स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से नवविवाहित व्यक्तियांे को संतान की प्राप्ति हो सकती है।
आपके बच्चों की उन्नति होगी। प्रथम संतान के विषय में शुभ समाचार प्राप्त होंगे। शिक्षा के क्षेत्र में भी अच्छी प्रगति होने के शुभ योग बने हैं। यदि आपका बच्चा विवाह के योग्य है तो उसका विवाह संस्कार हो सकता है।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ कोई विशेष शुभ नहीं रहेगा। लग्न स्थान का राहु आपके स्वास्थ्य में उतार चढ़ाव की स्थिति बना सकते हैं। मानसिक रूप से आप कभी-कभी असन्तुष्ट भी रहेंगे परन्तु गुरु ग्रह का गोचर शुभ स्थान में होने के कारण आपके स्वास्थ्य में अनुकूलता भी प्राप्त होती रहेगी।
यदि पहले से कोई बीमारी नहीं है तो यह समय अच्छा रहेगा। कभी-कभी मौसम जनित बीमारियों से परेशान हो रही हैं तो जल्दी ही आप अच्छे हो जाएंगे। अपना स्वास्थ्य अनुकूल रखने के लिए शाकाहारी भोजन करें। कोई भी दीर्घकालिक बीमारी का खतरा नहीं हैं.
प्रतियोगी परीक्षा
प्रतियोगी परीक्षा के लिए यह वर्ष बहुत अच्छा रहेगा। षष्ठ स्थान स्थित गुरु एवं शनि की दृष्टि प्रभाव से परीक्षा में सफलता प्राप्त होगी। बेरोजगार व्यक्तियों को नौकरी मिल सकती है।
13 अप्रैल के बाद व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए समय बहुत अच्छा है। विद्यार्थियों की शिक्षा के प्रति रूचि बढेगी। इस समय यदि आप पढाई में मन को एकाग्र करें तो सफलता मिल सकती है।
यात्रा
यात्रा की दृष्टि से यह वर्ष अच्छा रहेगा। नवम स्थान का शनि आपको लम्बी यात्रा करा सकता है। 13 अप्रैल के बाद आपकी निकट स्थल की यात्राएं अघिक होंगी।
व्यावसाय संबंघित यात्राए भी होंगी। मार्च के बाद द्वाद्श स्थान में राहु ग्रह के गोचरीय प्रभाव से विदेश यात्रा के प्रबल योग बन रहे हैं।
धार्मिक
धार्मिक कार्यों के लिए यह वर्ष अनुकूल रहेगा। घर्म स्थान का शनि आपकी आध्यात्मिक शक्ति को बढाएगा, जिससे धार्मिक कार्यो के प्रति आपकी रुचि और बढेगी. धार्मिक गतिविधियों में आप बढ चढ के भाग लेंगे। 13 अप्रैल के बाद पंचम स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपके अंदर भगवान के प्रति श्रद्गा एवं विश्वास और बढ़ाएगा। जिससे आप निस्वार्थ भाव से भगवान की पूजा, पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान इत्यादि संपन्न करेंगे.
उपाय
अमावस्या तिथि को किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं।
वर्ष के प्रारम्भ में दुर्गा बीसा यंत्र घारण करें तथा दुर्गा कवच का पाठ करें।
प्रत्येक दिन राहु मन्त्र का पाठ करें एवं शनिवार के दिन राहु ग्रह की वस्तु का दान करें।
वार्षिक राशिफल मिथुन राशि २०२२
ग्रह स्थिति
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में दशम भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में एकादश भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में नवम भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में अष्टम भाव में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
कार्य व्यवसाय
कार्य व्यवसाय की दृष्टि से यह वर्ष मिला-जुला रहेगा। कार्य में सफलता प्राप्ति के लिए आपको लगातार अथक प्रयास करना पडेगा। अष्टमस्थ शनि के प्रभाव से कुछ विरोधियों द्वारा आपके कार्यों में रूकावटें डाली जा सकती है परन्तु सामान्य काम काज पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
13 अप्रैल के बाद वरिष्ठ अघिकारियों का सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी करने वाले व्यक्तियों की पदोन्नति हो सकती है। भूमि से सम्बन्घित कार्य करनेवाली महिलाओं को लाभ प्राप्त होगा। जो व्यक्ति परामर्शदाता, अध्यापक अथवा अपना काम करते हैं उनको अच्छा लाभ प्राप्त होगा।
आर्थिक पक्ष
आर्थिक दृष्टि से यह वर्ष सामान्य फलदायक रहेगा। यदि आप निष्ठा के साथ प्रयास करते हैं तो आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। एकादश स्थान पर शनि की दृष्टि से आय में निरंतरता बनी रहेगी। 13 अप्रैल के बाद द्वितीय एवं चतुर्थ स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से भूमि, भवन, वाहन के साथ-साथ रत्न आभूषण इत्यादि की प्राप्ति के योग बनेंगे।
अपने परिवार के सदस्यों तथा रिश्तेदारों के मांगलिक कार्यों में धन का व्यय होगा। यदि कोई बड़ा निवेश करना पड़े तो उस क्षेत्र से जुडे अनुभवी व्यक्तियों की सलाह अवश्य लें। पैतृक संपत्ति के मामले में कोई वाद-विवाद आदि में पड़ने से बचें।
पारिवारिक दृष्टि
पारिवारिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ सामान्य रहेगा। परिवार में किसी के साथ आपका वैचारिक मतभेद भी हो सकता है। तृतीय स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि से आपको सामाजिक पद व प्रतिष्ठा की प्राप्ती होगी। 13 अप्रैल के बाद पारिवारिक दृष्टि से समय अनुकूल होने लगेगा।
बड़ों सदस्यों का सहयोग प्राप्त होगा। जिससे आपका आत्म विश्वास बढ़ेगा और परिवार के प्रति आपका आकर्षण भी ब्ढ़ेगा। माता-पिता के लिए यह समय काफी अच्छा रहेगा। परन्तु ससुराल पक्ष के लिए व उनके साथ संबंघों के लिए सामान्य है।
संतान
संतान की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ बहुत अनुकूल रहेगा। पंचम स्थान पर शनि एवं गुरु की संयुक्त दृष्टि प्रभाव से नवविवाहित महिलाओं को संतान रत्न की प्राप्ति होगी। आपके बच्चे उन्नति करेंगी। उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु अच्छे संस्थान में उनका प्रवेश हो जाएगा।
यदि आपका पहला बच्चा विवाह के योग्य है तो उसका विवाह संस्कार हो जाएगा। 13 अप्रैल के बाद समय थोड़ा प्रभावित होगा। उस समय भी वे अपनी शिक्षा व रोजगार प्राप्ति के प्रयासों में सफल होंगी। दूसरे बच्चे के लिए यह वर्ष सामान्य रहेगा।
स्वास्थ्य
वर्ष के प्रारम्भ में स्वास्थ्य अच्छा रहेगा लेकिन स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रह सकती है। नवमस्थ गुरु की पंचम दृष्टि लग्न पर होगी उसके प्रभाव से शारीरिक आरोग्यता की प्राप्ति व कार्यक्षमताओं में वॄद्दि के प्रबल संकेत है। मानसिक शांति, प्रसन्नता एवं सकारात्मक सोच में वॄदि होगी। अप्रैल के बाद आपका स्वास्थ्य थोड¦ा प्रभावित हो सकता है।
अष्टम स्थान का शनि अचानक ही स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। अत: उस समय स्वास्थ्य संबंघी गतिविघियों के प्रति ध्यान देना आवश्यक होगा।
खाने पीने कि वस्तुओं में सावघानी बरतें। शारीरिक दुर्बलता, थकान तथा पेट संबंघी समस्याएं उत्पन्न होने की भी संभावनाएं हैं। नियमित रूप से व्यायाम करना लाभदायक होगा।
शिक्षा सबंधी
विद्यार्थियों के लिए वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल है। पंचम स्थान पर शनि एवं गुरु का संयुक्त दृष्टि प्रभाव विद्यार्थियों के लिए बहुत अच्छा योग है। शिक्षा के क्षेत्र में वह अच्छी उन्नति करेंगी। उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए अच्छे संस्थान में उनका प्रवेश मिल सकता है।
13 अप्रैल के बाद छठे स्थान पर गुरु ग्रह के दृष्टि प्रभाव से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले व्यक्तियों को सफलता प्राप्त होगी। जो व्यक्ति नौकरी की तलाश में हैं उनको अप्रैल के बाद नौकरी मिल सकती है।
यात्रा
नवमस्थ गुरु के प्रभाव से लम्बी यात्रा का प्रबल योग बन रहा है। इन यात्राओं से भाग्योन्नति भी होगी। इस यात्रा के दौरान आपको किसी के साथ मित्रता भी हो सकती है।
वर्षारम्भ में द्वाद्श स्थान का राहु आपको विदेश यात्रा का योग बनाएगा। यात्रा करते समय या वाहन चलाते समय सावघानी अत्यघिक जरूरी है। क्योंकि अष्टम स्थान में शनि के गोचरीय प्रभाव से वाहन दुर्घटना या किसी अन्य प्रकार की हानि हो सकती है।
पूजा-पाठ
आपकोई विशेष पूजा-पाठ यज्ञ, अनुष्ठान, हवन इत्यादि धार्मिक गतिविघियों में रुचि लेंगे तथा मानसिक रूप से संतुष्ट रहेंगे। पंचम स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपके मन में आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ाएगा, जिससे परमात्मा के प्रति भक्ति का भाव उत्पन्न होगा।
उपाय
प्रत्येक मंगलवार के दिन हनुमान जी को चोला चढाएं और हनुमान चालिसा का पाठ करें.
प्रतिदिन राहु मन्त्र का पाठ करें।
शनिवार के दिन काली वस्तु का दान करें।
कर्क राशि वार्षिक राशिफल २०२२
ग्रह स्थिति
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में नवम भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में दशम भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में अष्टम भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में सप्तम भाव में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
व्यवसाय
व्यवसाय की दृष्टि से यह वर्ष सामान्य शुभ फलदायक रहेगा। वर्षारंभ में कुछ कठिनाईयां रह सकती हैं इसके अतिरिक्त मई, जून व जुलाई के महीनों में भी कुछ समस्याएं अनायास ही उत्पन्न हो सकती हैं परंतु आप अपने परिश्रम व आत्मविश्वास तथा कार्यों में आप अपनी दक्षता के बल पर सफलता प्राप्त करेंगी। सप्तम स्थान में शनि ग्रह के प्रभाव से आप अपने कार्यों को अंजाम तक पहुंचाने में सफल होंगी।
कार्यक्षेत्र में गुप्त शत्रुओं द्वारा रुकावट डाली जा सकती है। इसलिए सावघानी से अपनी बौद्धिक शक्ति के अनुसार कार्य करते रहें। नौकरी करने वाली व्यक्तियों को अपने कार्य स्थल पर मान सम्ंमान प्राप्त होगा।
आर्थिक दृष्टि
आर्थिक दृष्टि से यह वर्ष का सामान्य रहेगा। एकादश स्थान का राहु आपको अचानक धन लाभ कराने का योग बना रहे हैं। जिससे पुराने चले आ रहे कर्जे इत्यादि से मुक्ति मिल सकती है।
वर्ष का उतरार्द्ध आपकी आर्थिक उन्नति के लिए अच्छा रहेगा। गुरु ग्रह का गोचर अनुकूल होने के कारण आपके धनागमन में वॄद्धि होगी जिससे आप इच्छित बचत कर सकते हैं। मांगलिक व सामाजिक कार्यों तथा बच्चों की शिक्षा पर आप धन का व्यय करेंगे।
पारिवारिक
पारिवारिक रूप से वर्ष का प्रारम्भ सामान्य रहेगा। चतुर्थ स्थान पर गुरु एवं शनि की संयुक्त दृष्टि प्रभाव से आपके परिवार में सुख शान्ति का वातावरण बना रहेगा। माता का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा।
वर्ष के उतरार्द्ध में संतान संबंघी चिंताएं समाप्त होंगी तथा सामाजिक प्रतिष्ठा में बढोत्तरी होगी। सामाजिक गतिविघियो में आप बढ़ चढ़ कर भाग लेंगे। आपके छोटे भाई बहनों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा ।
संतान
संतान की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ सामान्यत: अनुकूल नहीं रहेगा। संतान के स्वास्थ्य, शिक्षा तथा रोजगार के क्षेत्रों में आनेवाली रुकवाटों के चलते आपकी चिंताएं बढेंगी।
वर्ष के उतरार्द्ध में आपके बच्चों के लिए बेहतर समय का आगमन होगा तथा संतान संबंघी चिंताएं पूर्णतया समाप्त होंगी व नवविवाहित व्यक्तियों को संतान रत्न की प्राप्ति हो सकती है। आपके बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के क्षेत्त्र में भी सुधार होने लगेगा।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य के दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ सामान्यत: अनुकूल नहीं रहेगा। अष्टमस्थ गुरु के प्रभाव से मौसम जनित बीमारियों से थोडी परेशानी हो सकती है। अपने खान पान के साथ-साथ आपनी दिनचर्या सुघारें व सुबह सुबह शुद्ध हवा में व्यायाम के साथ योगाभ्यास भी करें। किसी आर्थिक मुद्दे को लेकर या किसी विरोघी के कारण दिमागी तनाव न पालें।
वर्ष के उतरार्द्ध में स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। लग्न स्थान पर शुभ ग्रह के प्रभाव से आपके मन में अच्छे विचार आएंगे। धार्मिक कृत्यों में अघिक रूचि बढेगी जिससे आप मानसिक रूप से संतुष्ट रहेंगे।
प्रतियोगी परीक्षा
वर्ष के प्रारम्भ में प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की दृष्टि से सामान्य ही रहेगा। लगातार अथक परिश्रम की आवश्यकता है।
यदि आप उच्च शिक्षा हेतु उच्च संस्थान में प्रवेश पाना चाहते हैं तो वर्ष के प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिल जाएगी। जिन जातक की नौकरी अभी नहीं लगी है उन व्यक्तियों को कुछ समय के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।
यात्रा
यात्रा की दृष्टि से यह वर्ष ठीक ठाक रहेगा। वर्ष के प्रारम्भ में सप्तम स्थान का शनि व्यापारिक व्यक्तियो को व्यवसाय से संबंघित यात्राए करा सकते है।
द्वादश स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से आप विदेश यात्रा कर सकते हैं। वर्ष के उतरार्द्ध में आप अपनी जन्मभूमि के साथ-साथ धार्मिक यात्राए भी करेंगे।
धार्मिक
धार्मिक कार्यों के लिए वर्ष का प्रारम्भ अच्छा नहीं रहेगा। अष्टम स्थान का गुरु धार्मिक कार्यों में बाधा उत्पन्न करते है। मानसिक निराशा के कारण पूजा-पाठ में एकाग्रता नहीं रहेगी। वर्ष के में आपका मन धार्मिक कार्यों में आकृष्ट होगा। आप अपने गुरुजनों का सम्मान करेंगे. उनके दिये गये उपदेशों का पालन करेंगे और गरीबों की सहायता करेंगे.
देव, ब्राह्मण, बुजुर्ग, गुरु व मंदिर के पूजारी की सेवा सुश्रूषा करें।
केला या पीली वस्तु का दान करें । वीरवार का व्रत करें एवं बेसन के लड्डू दान करें।
प्रति दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
सिंह राशि वार्षिक राशिफल २०२२
ग्रह स्थिति
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में अष्टम भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में नवम भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में सप्तम भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में षष्ठम भाव में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
कार्य व्यवसाय
कार्य व्यवसाय की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल रहेगा। सप्तमस्थ गुरु के प्रभाव से आपको व्यवसाय में अच्छी सफलता प्राप्त होगी। आमदनी के नये- नये स्रोत मिलने की संभावना है। यदि आप साझेदारी में कोई कार्य कर रही हैं तो आपको इच्छित लाभ प्राप्त होगा और आप अपने साझेदार से संतुष्ट रहेंगीं। नौकरी करने वालांे को अपने कार्य स्थल पर ही मान-सम्मान बढेगा।
वर्ष के उतरार्द्ध में समय थोड़ा प्रभावित हो सकता है। उस समय गुप्त शत्रुओं द्वारा आपके कार्यों में रूकावटें डाली जा सकती है। परन्तु षष्टस्थ शनि के प्रभाव से आपके कार्य व्यवसाय में उसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.
आर्थिक दृष्टि
आर्थिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ उत्तम रहेगा। धनागमन में निरन्तरता बनी रहेगी। जिससे आप इच्छित बचत करने में सफल रहेंगी। 13 अप्रैल के बाद चतुर्थ स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपको भूमि भवन वाहन इत्यादि का सुख प्राप्त होगा।
अपने परिवार के सदस्यों तथा संबंघियों के, मांगलिक कार्यों में आपका धन खर्च होगा। यदि कोई बड़ा निवेश करना चाहती हैं, तो उसके लिए भी समय अनुकूल है। अष्टमस्थ गुरु पर शनि की दृष्टि के कारण आपको अनायास धन प्राप्ति के योग बनेंगे। ससुराल पक्ष से भी धन लाभ हो सकता है।
पारिवारिक
पारिवारिक रूप से वर्ष का प्रारम्भ सामान्यत: अच्छा रहेगा। आपके भाईयों का सहयोग प्राप्त होगा। सप्तमस्थ गुरु के प्रभाव से आपके जीवनसाथी के साथ संबंघ मघुर होंगे। यदि आप अविवाहित हैं तो आपका विवाह संस्कार हो सकता है। तृतीय स्थान पर गुरु एवं शनि की संयुक्त दृष्टि के कारण समाजिक प्रतिष्ठा में बढोतरी होगी।
13 अप्रैल के बाद चतुर्थ एवं द्वितीय स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से आपके परिवार में सुख शान्ति का वातावरण बना रहेगा। परिवार में किसी सदस्य की वृद्धि का योग बन रहा है। आपके ससुराल पक्ष के लोग आप से प्रसन्न रहेंगे और उनके साथ आपका संबंघ मघुर बने रहेंगे।
संतान
संतान के लिए यह वर्ष सामान्य रहेगा। वर्षारम्भ में सप्तम स्थान का गुरु आपके बच्चों के पराक्रम में वृद्धि उत्पन्न करेंगे। आपके दूसरे बच्चे के लिए समय विशेष अनुकूल है।
वर्ष के उतरार्द्ध में संतान के स्वास्थ्य के मामले में सतर्क रहें। अष्टम स्थान का गुरु आपकी संतान को मानसिक अशान्ति दे सकते हैं जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित हो सकती है।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ अत्यघिक अनुकूल रहेगा। लग्न स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपके मन में अच्छे विचार आएंगे व आपका खान पान एवं दिनचर्या भी अच्छी रहेगी।
वर्ष के उतरार्द्ध में आपका समय प्रभावित हो सकता है। अत: उस समय आपको अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
करियर
करियर एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए यह वर्ष अत्यघिक अनुकूल रहेगा। छठे स्थान में शनि के प्रभाव से आप प्रतियोगी में सफलता प्राप्त करेंगी। विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए समय अनुकूल है।
जो व्यक्ति इलेक्ट्रोनिक या हार्डवेयर से संबंघित कार्य कर रहे हैं। उनको अपने करियर में अच्छी सफलता मिलेगी। यह वर्ष रोजगार प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ है। इस वर्ष आप अपने सारे प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ कर आगे निकलेंगे.
यात्रा
इस वर्ष यात्राएं बहुत होंगी। 13 अप्रैल के बाद द्वादश स्थान पर गुरु एवं शनि की संयुक्त दृष्टि प्रभाव से आप विदेश यात्रा करेंगे.
यात्राओं से आपको अच्छा लाभ प्राप्त होगा 29 मार्च के बाद नवम स्थान का राहु आपको लम्बी यात्रा भी करा सकता है।
धार्मिक
धार्मिक कार्य के लिए यह वर्ष अच्छा रहेगा। वर्ष के प्रारम्भ में पूजा-पाठ के प्रति आपका आकर्षण बढ़ेगा। आप अपने जीवनसाथी के साथ मिलकर हवनादि कार्य संपन्न करेंगे। तीर्थ यात्रा करेंगे। 13 अप्रैल के बाद द्वादश स्थान पर गुरु एवं शनि की संयुक्त दृष्टि प्रभाव से आप दान पुण्य भण्डारा इत्यादि अच्छे कर्मों पर अघिक पैसा खर्च करेंगे। जिससे आपको आत्मिक सुख का अनुभव होगा। अनाथशाला या गरीब बच्चे कि शिक्षा पर भी आपका धन खर्च हो सकता है।
उपाय
सूर्योदय से पहले उठकर सूर्य नमस्कार करें या सूर्य को जल चढ़ायें.
अपने घर में श्रीयन्त्र की स्थापना करें और उसके सामने घी का दीपक जलाएं।
कन्या वार्षिक राशिफल २०२२
ग्रह स्थिति
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में सप्तम भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में अष्टम भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में षष्टम भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में पंचम भाव में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
व्यवसाय
व्यवसाय की दृष्टि से यह वर्ष सामान्य फलदायक रहेगा। वर्षारम्भ में आप अपने कार्यों को अंजाम तक पहुंचाने में कठिनाई का अनुभव नहीं करेंगी। आपके कार्य क्षेत्र में गुप्त शत्रु रुकावट डालने में असमर्थ रहेंगे। नौकरी पेशा वाली महिलाओं को अपने कार्य स्थल पर ही मान-सम्ंमान प्राप्त होगा।
वर्ष के उतरार्द्ध में आपको व्यवसाय में अच्छा लाभ प्राप्त होगा। आमदनी के नये- नये स्रोत मिलने की उम्मीद है। इस अवघि कोई नया कार्य प्रारंभ करने में सफलता प्राप्त करेंगे। आपको अनुभवी और वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग मिलेगा। साझेदारी में भी आपको इच्छित लाभ प्राप्त होगा और आप अपने साझेदार से संतुष्ट रहेंगे.
आर्थिक दृष्टि
आर्थिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ बढि¦या रहेगा। द्वितीय स्थान पर गुरु एवं शनि की संयुक्त दृष्टि प्रभाव से आप इच्छित बचत कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं। रत्न आभूषण इत्यादि की प्राप्ति हो सकती है। घनागम में निरंतरता बनी रहेगी। जिससे पुराने चले आ रहे कर्जे इत्यादि से मुक्ति मिल सकती है।
इस वर्ष आप मांगलिक कार्यों में भी धन का व्यय करेंगी। 13 अप्रैल के बाद गुरु का गोचर और अनुकूल हो रहा है। उस समय मित्र या जीवनसाथी के माध्यम से धन लाभ हो सकता है।
पारिवारिक
पारिवारिक मामलों के लिए यह वर्ष बहुत अनुकूल रहेगा। द्वितीय स्थान पर गुरु एवं शनि के संयुक्त दृष्टि प्रभाव से आपके परिवार में सुख शान्ति का वातावरण बना रहेगा। आपके परिवार में किसी सदस्य की वृद्धि होगी। यह वृद्धि विवाह या जन्म के माध्यम से हो सकती है।
वर्षारम्भ में आपके घर मांगलिक कार्य संपन्न होने का योग बन रहा है। 13 अप्रैल के बाद समय और अनुकूल हो रहा है। यदि आप अविवाहित हैं तो इस समय के अंतराल आपका विवाह संस्कार हो सकता है। अपने जीवन साथी या मित्र के साथ आपके मघुर संबंघ होगे। आपके भाईयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। तृतीय स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
संतान
संतान के लिए यह वर्ष सामान्य फलदायक रहेगा। वर्षारम्भ में आपको अपनी संतान को लेकर कुछ चिन्ताएं हो सकती हैं। उसका स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है जिसका नकारात्मक प्रभाव उसकी शिक्षा पर भी पड़ सकता है।
परन्तु 13 अप्रैल के बाद समय काफी अच्छा हो जाएगा। आपके दूसरे बच्चे के लिए समय अच्छा होगा। उसको अपने कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगा। यदि वह उच्चा शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं तो अच्छे संस्थान में उनका प्रवेश हो जाएगा। यदि वह विवाह योग्य है तो उसका विवाह भी हो सकता है।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य के लिहाज से वर्ष का प्रारम्भ सामान्य रहेगा। छठे स्थान का गुरु छोटी- बीमारियों से स्वास्थ्य प्रभावित कर सकता है। ऐसे में स्वास्थ्य का ख्याल रखना जरुरी होगा।
13 अप्रैल को गुरु ग्रह का गोचर सप्तम स्थान में होगा। उस के बाद आपका स्वास्थ्य घीरे घीरे अनुकूल हो जाएगा। लग्न पर गुरु की दृष्टि होने से मानसिक प्रसन्नता, संतोष, आरोग्यता, आत्मविश्वास, योग व व्यायाम आदि में रुचि आदि शुभ फल प्राप्त होंगे।
प्रतियोगी परीक्षा
प्रतियोगी परीक्षा के लिए यह वर्ष सामान्य फलदायक रहेगा। करियर में सफलता प्राप्ति के लिए परिश्रम करने की आवश्यकता है। जो विद्यार्थी विदेश या दूर जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं उनके लिए समय अनुकूल है।
13 अप्रैल के बाद से समय काफी अनुकूल हो रहा है। उस समय के अंतराल में यदि किसी प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेना चाहते हैं तो उसके लिए समय अनुकूल है, उसमें आपको सफलता मिलेगी। यदि आप कोई व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण कर रही हैं तो उसमें भी सफलता प्राप्त होगी।
यात्रा
यात्रा की दृष्टि से यह वर्ष सामान्यत: अनुकूल रहेगा। वर्ष के प्रारम्भ में द्वादश स्थान पर गुरु की दृष्टि आपको विदेश यात्रा करा सकता है। राहु केतु के प्रभाव से छोटी यात्राओं के साथ-साथ आपको लम्बी यात्राएं भी होती रहेंगी. अघिकांश यात्रा अचानक होंगी।
नौकरी करने वालों का 17 मार्च के बाद स्थानान्तरण हो सकता है। 13 अप्रैल के बाद सप्तमस्थ गुरु के प्रभाव से व्यापारिक व्यक्ति व्यवसाय से संबंघित यात्रा करेंगी। इस यात्रा से आपको अच्छा लाभ प्राप्त होगा।
धार्मिक कार्य
धार्मिक कार्यों के लिए वर्ष का प्रारम्भ सामान्य रहेगा। घर्म स्थान का राहु आपका मन तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र की ओर ज्यादा आकृष्ट करता है। 13 अप्रैल से गुरु ग्रह का गोचर अच्छा हो रहा है। उस समय आपको आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ेगा। जिससे आपके अंदर भक्ति का भाव उत्पन्न होगा। अपने गुरुजनों का सम्मान करेंगे.
माता-पिता, गुरु, साघु, संन्यासी और अपने से बड़े व्यक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
मंदिर या घार्मिक स्थानों पर केला या बेसन के लड्डू वितरित करें।
प्रत्येक दिन सूर्य को अर्ध्य दें।
दुर्गा बीसा यन्त्र अपने गले में घारण करें।
तुला राशि वार्षिक राशिफल २०२२
ग्रह स्थिति
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में षष्ठ भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में सप्तम भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में पंचम भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में चतुर्थ भाव में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
व्यवसाय
व्यवसाय की दृष्टि से यह वर्ष सामान्य फलदायक रहेगा। वर्षारम्भ में कार्य व्यवसाय से अच्छा लाभ प्राप्त होगा। परन्तु 13 अप्रैल के बाद समय थोड़ा प्रभावित हो रहा है। उस समय षष्ठस्थ गुरु के प्रभाव से आपके व्यवसाय में उतार-चढाव का योग बन रहा है। यदि आप कुछ नया करने जा रहे हैं तो उस क्षेत्र से जुड़े अनुभवी व्यक्तियों की सलाह जरूर लें।
कार्य स्थल पर अपने परिवार की महिलाओं को सम्मिलित न करें। इस समय के अंतराल में किसी के साथ मिल कर व्यापार करना अच्छा नहीं रहेगा। नौकरी पेशा वाले व्यक्ति को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा सकता है। वर्ष के उतरार्द्ध में राहु गुरु एवं शनि का गोचर प्रतिकूल होने के कारण कोई नया कार्य प्रारम्भ न करें। यदि करते हैं, तो उसमें इच्छित लाभ प्राप्त नहीं होगा और आपका पैसा भी फंस सकता है।
आर्थिक दृष्टि
आर्थिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल रहेगा। एकादश स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से धनागमन में निरन्तरता बनी रहेगी। परन्तु वर्ष का उतरार्द्ध आर्थिक स्थिति के लिए बहुत अच्छा नहीं रहेगा। कुछ ऐसे खर्च आ जाएंगे जिससे आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है। अत: उस समय आपको शीघ्र पैसा कमाने वाले तरीकों पर अंकुश लगाना होगा।
जो जोखिम भरे कार्य में निवेश करने से बचें अन्यथा आपको हानि हो सकती है। राहु एवं केतु के प्रभाव से शारीरिक बीमारी दूर करने में भी आपका धन खर्च होगा। आप किसी को उघार पैसा न दें नहीं तो वापसी की उम्मीद कम है और अपने खर्च पर भी अंकुश लगाएं नहीं तो आपका अनावश्यक खर्च बढ़ सकता है।
पारिवारिक
पारिवारिक दृष्टि से यह वर्ष मिला-जुला रहेगा। वर्षारम्भ में अघिक व्यस्तता के कारण परिजनों को अघिक समय नहीं दे पाएंगी। पंचमस्थ गुरु के प्रभाव से नवविवाहित व्यक्तियो को संतान सुख की प्राप्ति होगी। आपके ब बडे भाईयों का सहयोग प्राप्त होगा।
परन्तु वर्ष के उतरार्द्ध में परिवार में कुछ विषम परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है। परिवार में किसी के साथ आपका वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो सकता है। अत: उस समय सहनशीलता व घैर्य से काम लें नहीं तो स्थिति और प्रतिकूल हो जाएगी।
संतान
संतान के लिए वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल रहेगा। पंचम स्थान में शनि एवं गुरु की युति प्रभाव से आपके बच्चों की शिक्षा के प्रति रूचि बढेगी। यदि उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं तो उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अच्छे संस्थान में प्रवेश हो जाएगा।
आपके बच्चों की उन्नति होगी। यदि वह विवाह के योग्य हैं, तो उनका विवाह संस्कार भी हो जाएगा। 13 अप्रैल के बाद समय थोड़ा प्रभावित रहेगा। उस समय उनके स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल रहेगा। लग्न स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से आप मानसिक रूप से सन्तुष्ट एवं शारीरिक रूप से पुष्ट रहेंगे। आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि होगी तथा रोग प्रतिरोघक शक्ति बढ़ेगी।
वर्ष के उतरार्द्ध में गुरु शनि एवं राहु ग्रह का गोचर एक साथ प्रतिकूल होने के कारण आपका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। छठे स्थान का गुरु जलीय राशि में होने के कारण कफ या मोटापा संबंघित परेशानी दे सकता है।
प्रतियोगी परीक्षा
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए यह वर्ष अनुकूल रहेगा। विद्यार्थियों के लिए वर्ष का प्रारम्भ बहुत बढिया रहेगा। पंचम स्थान का गुरु उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को अच्छे संस्थान में प्रवेश करा सकता है।
वर्ष के उतरार्द्ध में षष्टस्थ गुरु पर शनि की दृष्टि प्रभाव से आपको प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त हो सकती है। आपके शत्रु आपसे पराजित होंगे। जिससे आपको करियर में सफलता प्राप्त होगी। जो व्यक्ति रोजगार की तलाश में है उनको नौकरी मिल सकती है।
यात्रा
यात्रा की दृष्टि से यह वर्ष सामान्य रहेगा। वर्ष के प्रारम्भ में नवम स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से आप लम्बी यात्रा करेंगी। तीर्थ यात्रा का भी योग बन रहा है। 17 मार्च के बाद सप्तम स्थान का राहु आपको व्यवसाय से संबंघित यात्रा भी करा सकता है। यह यात्रा अचानक हो सकती है।
वर्ष के उतरार्द्ध में आप विदेश यात्रा करेंगी। विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह समय बहुत अनुकूल है।
धार्मिक
धार्मिक कार्यों के लिए वर्ष का प्रारम्भ सामान्य रहेगा। वर्षारम्भ में पारिवारिक सुख शान्ति एवं समॄद्धि प्राप्ति के लिए अपने घर में हवन पूजा इत्यादि शुभ कर्म करेंगी।
उपाय
प्रत्येक दिन हनुमान चालिसा का पाठ करें या मंगलवार के दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाएं.
माता-पिता, गुरु, साघू, संन्यासी और अपने से बड़े व्यक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
मंदिर या घार्मिक स्थानों पर केला या बेसन के लड्डुओं का वितरण करें।
वृश्चिक राशि वार्षिक राशिफल २०२२
ग्रह स्थिति
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में पंचम भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में षष्टम भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में चतुर्थ भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में तृतीय भाव में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
व्यवसाय
व्यवसाय की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ सामान्य फलदायक रहेगा। साझेदारी आदि कार्यों में अघिक रुचि न लें अन्यथा लाभ की अपेक्षा हानि होगी। आपके कार्यक्षेत्र में गुप्त शत्रुओं द्वारा रुकावट डाली जा सकती है। इसलिए बिना किसी पर विश्वास किये आप अपने बौद्धिक शक्ति के अनुसार कार्य करते रहें। इस अवघि में आपका अपने प्रति विश्वास ही आपको विजय दिलाएगा। आप अपने परिश्रम के बल पर व्यापार व कार्यक्षेत्त्र में सफलता प्राप्त करेंगे.
13 अप्रैल के बाद का समय अनुकूल होगा। दशम स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से नौकरी करने वाले व्यक्तियों को अपने कार्य स्थल पर ही मान सम्मान के साथ उच्चाघिकारियों का सहयोग प्राप्त होता रहेगा। कार्य कुशलता एवं द्क्षता के बल पर आप अपनी समस्याओं का समाघान निकाल लेंगे।
आर्थिक दृष्टि
आर्थिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ सामान्यत: अनुकूल रहेगा। वर्षारंभ में आपको भूमि, भवन, वाहन इत्यादि के क्रय में घन का व्यय करने का योग बन रहा है। किसी पारिवारिक सदस्य के स्वास्थ्य पर भी घन का व्यय होगा।
13 अप्रैल के बाद एकादश पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से घनागम में निरन्तरता बढेगी। जिससे पुराने चले आ रहे कर्ज इत्यादि से मुक्ति मिल सकती है। घर परिवार में मांगलिक कार्यों पर भी धन का व्यय होगा।
पारिवारिक
पारिवारिक एवं सामाजिक दृष्टि से यह वर्ष अनुकूल रहेगा। वर्षारंभ में तृतीयस्थ शनि के प्रभाव से आपके पराक्रम तथा कार्यक्षताओं का विकास होगा। वर्षारम्भ में चतुर्थस्थ गुरु के प्रभाव से आपका घरेलू वातावरण अनुकूल रहेगा। आपके शत्रु आपसे भयभीत रहेंगे। सामाजिक उन्नति या समाज कल्याण के लिए आपकोई कार्य संपन्न करेंगी।
13 अप्रैल के बाद समय और बढिया हो जाएगा। उस समय आपके भाइयो का पूण सहयोग प्राप्त होगा। परिवार का सहयोग प्राप्त होगा। आपको मानसिक संतुष्टि प्राप्त होगी। आपके परिवार में मांगलिक कार्य संपन्न होंगे।
संतान
संतान की दृष्टि से यह वर्ष सामान्यत: अनुकूल रहेगा। आपके बच्चे अपने परिश्रम के बल पर आगे बढ़ेगे। वो अपने बौद्धिक बल पर अपने लक्षय को प्राप्त करेंगी। यदि उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं तो अच्छे संस्थान में प्रवेश हो जाएगा। वर्ष का प्रारम्भ आपके दूसरे बच्चे के लिए अच्छा रहेगा।
13 अप्रैल को गुरु ग्रह का गोचर पंचम स्थान में हो रहा है। जिसके प्रभाव से यदि आपका संतान विवाह के योग्य हैं तो उसका विवाह सस्ंकार हो सकता है और सभी प्रकार से आपकी संतान का विकास होगा।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष सामान्य रहेगा। यदि पहले से कोई बीमारी नहीं है तो यह वर्ष अच्छा रहेगा। सामाजिक गतिविघियों की व्यस्तताओं के चलते आप अपने स्वास्थ्य पर समुचित ध्यान नहीं दे पाएंगे। वर्षारम्भ में लग्न का केतु आपको मानसिक परेशानी दे सकता है। सप्तम स्थान का राहु आपकी जीवनसाथी के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है जिससे आपको मानसिक अशांति रहेगी।
13 अप्रैल के बाद लग्न स्थान पर गुरु की दृष्टि सभी परेशानियों को दूर कर आरोग्ता प्रदान करेंगी और उसके बाद समय बहुत अच्छा रहेगा।
शिक्षा
विद्यार्थियों के लिए यह वर्ष सामान्यत: अनुकूल रहेगा। यदि आप नौकरी पाने के लिए या किसी बडे¦ संस्थान में प्रवेश पाने के लिए किसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं, तो वर्ष के उतरार्द्ध में आपको अवश्य सफलता प्राप्त होगी।
छठे स्थान में राहु के प्रभाव से आपके सारे शत्रु आपका लोहा मानेंगे। जिन व्यक्तियों को अभी तक नौकरी नहीं मिली है उनको इस समय के अंतराल नौकरी मिल जाएगी।
यात्रा
यात्रा की दृष्टि यह वर्ष अच्छा रहेगा। तृतीयस्थ शनि के प्रभाव से छोटी यात्राओं के साथ-साथ आप लम्बी यात्रा भी करेंगी। वार्षारम्भ में द्वादश पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से आपके विदेश यात्रा होने के प्रबल योग बन रहे हैं.
सप्तमस्थ राहु आपका व्यावसाय संबंघित यात्रा प्रभावित कर सकता है। 13 अप्रैल के बाद आप पूरे परिवार के साथ तीर्थ यात्रा कर पुण्यार्जन करेंगी।
घार्मिक कार्य
धार्मिक कार्य के लिए यह वर्ष अत्यघिक अनुकूल रहेगा। वर्षारम्भ में पारिवारिक सुख शान्ति एवं समॄद्दि प्राप्ति के लिए अपने घर में हवन पूजा इत्यादि शुभ कर्म करेंगी। वर्ष के उतरार्द्ध में नवम स्थान पर गुरु एवं शनि की संयुक्त दृष्टि प्रभाव से आपके अंदर ईश्वर के प्रति भक्ति भाव बढ़ेगा.
प्रत्येक दिन सूर्य को जल दें। (तांबे की लोटे में लाल चावल डाल कर सूर्य को अर्धय दें।)
अपने घर में श्रीयन्त्र की स्थापना कर उसके सामने घर का दीपक जलाएं.
राहु ग्रह की वस्तु का दान करें या दुर्गा बीसा यन्त्र कवच अपने गले में घारण करें।
धनु राशि वार्षिक राशिफल २०२२
ग्रह स्थिति
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में चतुर्थ भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में पंचम भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में तृतीय भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में द्वितीय भाव में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
कार्य व्यवसाय
कार्य व्यवसाय की दृष्टि से यह वर्ष अच्छा फलदायक रहेगा। वर्षारम्भ में सप्तम स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपको बड़े अघिकारी, वरिष्ठजन या अनुभवी व्यक्तियों का अच्छा सहयोग प्राप्त होगा जिससे आपको अपने कार्य व्यवसाय में लाभ प्राप्त होगा।
आप अपने परिश्रम के बल पर व्यापार व कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करेंगी। 13 अप्रैल के बाद दशम स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से नौकरी वाले व्यक्तियों की पदोन्नती के साथ इच्छित स्थान पर स्थानान्तरण भी हो सकता है।
आर्थिक दृष्टि
आर्थिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ सामायत: अनुकूल रहेगा। वर्षारंभ में एकादश स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से घनागम में निरन्तरता बना रहेगा। जिससे पुराने चले आ रहे कर्ज इत्यादि से मुक्ति मिल सकती है।
घर परिवार में मांगलिक कार्य सम्पन्न होंगे। जिसमें आपका धन खर्च हो सकता है। 13 अप्रैल के बाद गुरु का गोचर चतुर्थ स्थान में होगा। उस समय आपको संचित घन की प्राप्ति होगी जैसे- भूमि, भवन, वाहन इत्यादि अष्टम स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से गुप्त घन की प्राप्ति होगी।
पारिवारिक
पारिवारिक दृष्टि से यह वर्ष अनुकूल रहेगा। तृतीय स्थान पर गुरु ग्रह के गोचरीय प्रभाव से आपके पराक्रम तथा कार्यक्षमताओं का विकास होगा। सामाजिक उन्नति या समाज कल्याण के लिए आप कोई कार्य संपन्न करेंगे.
वर्ष के उतरार्द्ध में चतुर्थस्थ गुरु पर शनि की दृष्टि प्रभाव से आपका घरेलू वातावरण अनुकूल रहेगा। माता-पिता सहित पूरे परिवार का सहयोग आपको प्राप्त होगा। जिससे आपको मानसिक संतुष्टि प्राप्त होगी। आपके परिवार में मांगलिक कार्य संपन्न होंगे। जिसमें आपकी अहम भूमिका होगी।
संतान
संतान की दृष्टि से यह वर्ष सामान्य रहेगा। वर्षारम्भ में आपके बच्चे अपने परिश्रम के बल पर आगे बढ़ेगे। आपके दूसरे बच्चे के लिए यह वर्ष विशेष अच्छा है। यदि वो उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं तो अच्छे संस्थान में प्रवेश हो जाएगा।
17 मार्च के बाद राहु ग्रह का गोचर पंचम स्थान में होगा। उस समय उनके स्वास्थ्य तथा शिक्षा आदि के विषय में सतर्क रहें। गर्भवती स्त्रियों को विशेष रूप से सावघान रहने की आवश्यकता रहेगी। अत: गणेश जी का मन्त्र पाठ इनके लिए लाभ प्रद रहेगा।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य के दृष्टि से यह वर्ष अनुकूल रहेगा। यदि पहले से कोई बीमारी नहीं है तो यह वर्ष अच्छा रहेगा। सामाजिक गतिविघियों की व्यस्तताओं के चलते आपको अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं रहेगी और आप समय पर अपना खानपान नहीं कर पाएंगी। जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है।
आप अपने दैनिक जीवन व भोजन में अनुशासन बनाये रखें व लापरवाही न करे। पंचमस्थ राहु पेट संबंघी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है अत: शुद्ध शाकाहारी भोजन ही करें।
प्रतियोगी परीक्षा
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए वर्ष का प्रारम्भ अच्छा रहेगा, षष्टस्थ राहु के प्रभाव से आप प्रतियोगी परीक्षाओं में सबसे आगे रहेंगी। कुछ अनुभवी व्यक्तियों मिलकर आप अपनी कार्यशैली में अधिक सुधार लाएंगी।
आपके सारे शत्रु पराजित होंगे। परन्तु मार्च के बाद राहु ग्रह का गोचरीय प्रभाव पंचम भाव पर होगा। जिसके प्रभाव से विद्यार्थियो को अध्ययन कार्यों में बाधा उपस्थित होगी।
यात्रा
यात्रा की दृष्टि से यह वर्ष अच्छा रहेगा। वर्षारम्भ में छोटी यात्राओं के साथ-साथ आपकी लम्बी यात्राएं भी होंगी।
13 अप्रैल के बाद अपने घर से दूर रहने वाले व्यक्तियों की अपने जन्म भूमि की यात्रा हो सकती है। द्वादश स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से विदेश यात्रा हो सकती है।
धार्मिक
धार्मिक कार्य के लिए यह वर्ष अनुकूल है। वर्षारम्भ में नवम स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से आपकोई विशेष पूजा-पाठ संपन्न करेंगी। राहु के गोचर के बाद यन्त्र, मन्त्र, तन्त्र के प्रति आपकी रुचि बढ़ सकती है।
प्रत्येक दिन सूर्य को जल दें।
दुर्गाबीसा यंत्र गले में घारण करें तथा नित्यप्रति दुर्गा कवच का पाठ करें।
शनिवार के दिन सतनाजा, सुजी का हलवा, चाय तथा काले कंबल का दान करें व राहु के मंत्र का 108 बार जप करें।
मकर राशि वार्षिक राशिफल २०२२
ग्रह स्थिति
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में तृतीय भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में चतुर्थ भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में द्वितीय भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में लग्न में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
व्यवसाय दृष्टि
व्यावसायिक दृष्टि से यह वर्ष उत्तम रहेगा। वर्ष के प्रारम्भ में दशम स्थान पर गुरु एवं शनि की संयुक्त दृष्टि प्रभाव से आपकोई नया व्यापार शुरू कर सकते हैं। व्यापार में अनुभवी महिलाओं की सहायता भी आपको प्राप्त होगी।
नौकरी करने वाले व्यक्तियों का पदोन्नति अवश्य होगी। वर्ष के उतरार्द्ध में कार्य व्यवसाय के लिए समय और अनुकूल हो रहा है। सप्तम स्थान पर गुरु एवं शनि की संयुक्त दृष्टि व्यापारिक व्यक्तियों को इच्छित लाभ प्राप्त होगा। आपको साझेदार का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा।
आर्थिक दृष्टि
आर्थिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ बढिया रहेगा। द्वितीत स्थान पर गुरु के प्रभाव से आपके धनागमन में निरंतरता व इच्छित बचत से आर्थिक स्थिति सुदृढ¦ होगी तथा रत्न आभूषण इत्यादि का भी सुख प्राप्त होगा।
इस वर्ष भूमि भवन आदि अचल सम्पत्ति की अचानक प्राप्ति का योग बन रहा है। परिवार में मांगलिक कार्यों तथा पुत्र के स्वास्थ्य पर घन का व्यय होगा।
पारिवारिक
पारिवारिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ अच्छा रहेगा। वर्षारम्भ में द्वितीयस्थ गुरु के प्रभाव से आपके परिवार में किसी सदस्य की वृद्धि होगी। आपके परिवार में एक दुसरे के प्रति समर्पण की भावना बनने के कारण परिवार में सुख शान्ति का वातावरण बना रहेगा।
मार्च के बाद चतुर्थस्थ राहु के कारण आपके माता-पिता के स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है। अत: उनका विशेष ध्यान रखें.
संतान
संतान के लिए वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल नहीं है। वर्ष के प्रारम्भ में पंचमस्थ राहु के प्रभाव से आपके बच्चे का स्वास्थ्य अचानक ही प्रभावित हो सकता है।
मार्च के बाद समय अच्छा हो जाएगा। वर्ष का उतरार्द्ध गर्भाघान के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त है। यदि आपका दूसरा बच्चा विवाह के योग्य है तो उसका विवाह संस्कार हो सकता है।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष सामान्य रहेगा। लग्नस्थ शनि पर राहु की दृष्टि प्रभाव से आप मामूली बीमारियों के कारण परेशान हो सकती हंै परन्तु मार्च के बाद स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
किसी आर्थिक मुद्दे को लेकर या किसी विरोघी के कारण दिमागी तनाव न पालें। चिड़चिड़ा न बनें अन्यथा आपकी सेहत पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा.
प्रतियोगी परीक्षा
करियर एवं प्रतियोगी परीक्षा के लिए यह वर्ष सामान्यत: अच्छा रहेगा। छठे स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आप प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करेंगी।
उच्च शिक्षा के अभिलाषी जातकों के लिए समय सामान्य है। पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण स्वयं की उन्नति पर विशेष ध्यान दे पाना अथवा उसके लिए समय निकाल पाने में थोड़ी कठिनाई होगी।
यात्रा
यात्रा की दृष्टि यह वर्ष सामान्य रहेगा। तृतीय स्थान पर गुरु ग्रह के गोचरीय प्रभाव से यात्राए होती रहेंगी। अप्रैल के बाद आपके लम्बी यात्रा भी हो सकती है।
वर्ष के उतरार्द्ध में सप्तम स्थान पर गुरु एवं शनि की संयुक्त दृष्टि प्रभाव से व्यावसायिक व्यक्तियांे की व्यवसाय से संबंघित यात्राएं होंगी। चतुर्थ स्थान का राहु आपको अपने घर से दूर ले जा सकता है। नौकरी में स्थानान्तरण होगा।
धार्मिक
धार्मिक कार्य के लिए वर्ष का प्रारम्भ सामान्य रहेगा परन्तु 13 अप्रैल के बाद नवम स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपकोई विशेष पूजा अनुष्ठान संपन्न करेंगी जैसे अखंड रामायण का पाठ, माता की चैकी, माता का जागरण या अन्य कोई हवन इत्यादि।
प्रत्येक दिन सूर्य को जल दें।
अपने घर में श्रीयन्त्र की स्थापना कर उसके सामने घी का दीपक जलाएं।
दुर्गा कवच का पाठ करें।
शनिवार के दिन काली वस्तुओं व छाया दान करें।
कुम्भ राशि वार्षिक राशिफल २०२२
ग्रह स्थिति
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में द्वितीय भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में तृतीय भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में प्रथम भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में द्वादश में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
कार्य व्यवसाय
कार्य व्यवसाय की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल रहेगा। सप्तम भाव पर गुरु ग्रह के दृष्टि प्रभाव से आप व्यवसाय व कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त करेंगी। जिससे आपके आय में वृद्धि होगी। इस समय आपका भाग्य सामान्य रूप से आपके साथ है।
वर्ष के उतरार्द्ध में द्वादशस्थ शनि के प्रभाव से आपके कार्यों में गुप्त शत्रुओं द्वारा रुकावटें डाली जा सकती हैं। नौकरी करने वालों की उन्नति होगी परन्तु स्थानान्तरण के साथ-साथ कुछ कठिनाईयों के योग भी बन रहे हैं। अपने कार्य स्थल पर पूर्ण निष्ठा के साथ घैर्यपूर्वक कार्य करते रहें।
आर्थिक दृष्टि
आर्थिक दृष्टि से यह वर्ष सामान्य रहेगा। कुछ कठिनाईयों के बावजूद धनागमन में निरंतरता बनी रहेगी परन्तु घन के व्यय पर नियन्त्रण कर पाना कठिन होगा। 13 अप्रैल के बाद गुरु ग्रह का गोचर द्वितीय स्थान में होगा। उस समय आपको कुछ राहत अवश्य मिलेगी।
रत्न आभूषण इत्यादि की प्राप्ति भी हो सकती है। चतुर्थ स्थान का राहु अचानक सम्पत्ति लाभ के योग बना रहा है परन्तु कानूनी उलझनों के भी संकेत हैं। सम्पत्ति के क्रय के मामले में जल्दबाजी न करें।
पारिवारिक दृष्टि
पारिवारिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ उत्तम रहेगा। 13 अप्रैल के बाद द्वितीय स्थान का गुरु परिवार में सुख शान्ति के वातावरण हेतु अनुकूल है। परिवार में एक दूसरे के प्रति परस्पर सहयोग की भावना उत्पन्न होगी। इस वर्ष किसी सदस्य की बढ़ोतरी हो सकती है। आपको परिवार का सहयोग प्राप्त होगा। वर्ष के आरम्भ में आपकी माता को कष्ट हो सकता है।
17 मार्च के बाद आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा में वॄद्धि होगी। आप अपने पराक्रम व प्रभाव से अपने शत्रु तथा प्रतिद्वंदियों पर नियन्त्रण करने में सफल होंगी तथा अपनी समस्याओं से निजात पाते हुए समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रख पायेंगे।
संतान संतान की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ अच्छा रहेगा। पंचम स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपके बच्चों की उन्नति होगी। शिक्षा के प्रति उनकी रूचि बढ़ेगी यदि वह विवाह के योग्य हैं तो उसका विवाह संस्कार भी हो सकता है।
आपके दूसरे बच्चे के लिए भी समय अनुकूल है। उनको अपने कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। 13 अप्रैल के बाद समय और अनुकूल हो जाएगा। नवविवाहित दंपत्तियों को संतान रत्न की प्राप्ति हो सकती है।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष अघिक अनुकूल नहीं है परन्तु वर्ष के प्रारम्भ में लग्नस्थ गुरु के प्रभाव से आपके स्वास्थ्य में गिरावट नहीं आयेगी व मानसिक रूप से सन्तुष्ट रहेंगी तथा प्रत्येक कार्य को सकारात्मक रूप से करने का प्रयास करेंगी परन्तु फिर भी शारीरिक थकान, कमजोरी आदि रह सकती है।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए आप खानपान पर विशेष ध्यान देंगे . यदि मौसम जनित कोई बीमारी होती है तो शीघ्र ही आप अच्छे हो जायेंगे.
प्रतियोगी परीक्षाओं में
यह वर्ष आपके लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की दृष्टि से सामान्य ही रहेगा। यदि उच्च शिक्षा हेतु उच्च शिक्षण संस्थान में प्रवेश पाना चाहते हंै तो आपके लिए वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल है। पंचम स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से छात्रों के लिए समय अच्छा हैं।
गुरु ग्रह के गोचर के बाद षष्ठ स्थान पर गुरु एवं शनि के संयुक्त दृष्टि प्रभाव से प्रतियोगी परीक्षाओं को प्रतियोगी में सफलता प्राप्त होगी। जिन जातकों की नौकरी अभी नहीं लगी है उन व्यक्तियों इस समयांतराल में नौकरी मिल सकती है।
यात्रा
यात्रा की दृष्टि से यह वर्ष अनुकूल रहेगा। वर्ष के प्रारम्भ में द्वादश स्थान का शनि आपको विदेश यात्रा करा सकते हैं। 17 मार्च के बाद आपके छोटी यात्राएं अघिक होंगी तथा व्यवसाय से संबंघित यात्राएं भी होंगी।
13 अप्रैल के बाद अष्टम स्थान पर गुरु एवं शनि ग्रह के संयुक्त दृष्टि प्रभाव से समुद्र यात्रा का प्रबल योग बन रहा है। वाहनादि चलाते समय सावघानी बहुत जरूरी है।
धार्मिक कार्य
धार्मिक कार्यों के लिए वर्ष का प्रारम्भ अच्छा रहेगा। नवम स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपकी आध्यात्मिक ज्ञान और पूजा-पाठ के प्रति रुचि बढ़ेगी। दान पुण्य करेंगे.
शनिवार के दिन व्रत करें, लोहे का तवा दान करें एवं शनि मन्त्र का जाप करें। छाया दान भी करें तथा गरीबों को भोजन करायें।
मंगलवार के दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाएं एवं प्रत्येक दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
स्फटिक श्रीयन्त्र अपने घर में स्थापित कर नित्य प्रति घीए का दीपक जलाएं।
बुघवार को चींटियों को दाना डालें।
अपने से बड़े व्यक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
मीन राशि वार्षिक राशिफल २०२२
ग्रह स्थिति
इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में प्रथम भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में Ðितीय भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में Ðादश भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में एकादश में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक शुक्र अस्त रहेंगे।
व्यापारिक दृष्टि
व्यापारिक दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ मिला जुला रहेगा। इस समय के अन्तराल में कोई नया कार्य प्रारम्भ न करें। पहले से चले आ रहे व्यापार को और अच्छे ढंग से चलाएं। नौकरी करने वालों का अस्थायी रूप से स्थानान्तरण हो सकता है।
13 अप्रैल के बाद सप्तम स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आप अपने व्यापार में कुछ विशेष करेंगी जिससे आपको अच्छा लाभ होगा। लग्न स्थान स्थित गुरु से आप नये-नये विचारों के बल पर व्यापारिक उन्नति प्राप्त करने में सफल हो सकेंगी।
आर्थिक दृष्टि
आर्थिक दृष्टि से यह वर्ष समान्यत: अनुकूल रहेगा। केवल वर्षारम्भ में द्वादश्स्थ गुरु के चलते धन का व्यय अघिक होगा परन्तु 13 अप्रैल के समय अच्छा हो रहा है। एकादशस्थ शनि घनागम में निरंतरता बनाए रखेंगे जिससे आपके पुराने चले आ रहे कर्जे इत्यादि से मुक्ति मिल सकती है।
आपका रुका हुआ धन मिल सकता है। आपके बड़े भाई या मित्रों से भी लाभ प्राप्त हो सकता है। निवेश के लिए यह समय विशेष अनुकूल है। यदि इस आपने निवेश किया तो आपको इच्छित बचत हो सकती है।
पारिवारिक दृष्टि
पारिवारिक दृष्टि से यह वर्ष मिला-जुला रहेगा। वर्षारम्भ में अघिक व्यस्तता के कारण परिजनों को अघिक समय नहीं दे पाएंगी। जिसके कारण किसी के साथ आपका वैचारिक मतभेद हो सकता है।
गुरु ग्रह के गोचर के बाद समय कुछ अनुकूल होगा परन्तु परिवार में फिर कुछ तनाव की स्थिति रह सकती है अत: घैर्य से काम लें। नवविवाहित दंपतियों को संतान रत्न की प्राप्ति हो सकती हैं।
संतान
संतान की दृष्टि से यह वर्ष अनुकूल है। नवविवाहित दंपतियोंको संतान रत्न की प्राप्ति हो सकती हैं। 13 अप्रैल को गुरु ग्रह का गोचर लग्न स्थान में होगा। उस समय आपके बच्चे अपने परिश्रम के बल पर आगे बढेंगे.
आपके दूसरे बच्चे के लिए समय बहुत अच्छा है। यदि वह विवाह के योग्य है तो उसका विवाह भी हो सकता है।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ सामान्य रहेगा। द्वाद्श स्थान में गुरु का गोचर आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। यदि पहले से किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो यह समय अघिक कष्ट कारक हो सकता है।
13 अप्रैल के बाद समय बहुत अच्छा हो रहा है। लग्न स्थान के गुरु के प्रभाव से मन में अच्छे विचार आएंगे। आप शाकाहारी भोजन, सुचारु दिनचर्या, योग व ध्यान आदि क्रियाओं के महत्व को समझते हुए इन्हें अपने जीवन में अपनाकर मन की शुद्ध व शारीरिक आरोग्यता प्राप्त करेंगी।
प्रतियोगी परीक्षा
प्रतियोगी परीक्षा के लिए यह वर्ष अच्छा रहेगा, षष्ट स्थान पर गुरु की दृष्टि प्रभाव से आप सफलता प्राप्त रहेंगे। कुछ अनुभवी व्यक्तियों से मिलकर आप अपनी कार्यशैली में अधिक सुधार लाएंगी ।
वरिष्ठ व्यक्तियों का सहयोग प्राप्त होगा, आपके कार्यों में लाभ प्राप्त होगा। बेरोजगार व्यक्तियों को नौकरी मिलने की संभावना है। गुरु ग्रह के गोचर के बाद समय और अनुकूल हो रहा है।
यात्रा
यात्रा की दृष्टि से वर्ष का प्रारम्भ अनुकूल है। द्वादशस्थ गुरु विदेश यात्रा के अच्छा योग बना रहे हैं। इस समय के अंतराल में आप विदेश यात्रा करेंगे.
13 अप्रैल के बाद लम्बी व छोटी यात्रा के योग बन रहे हैं.
पूजा पाठ
नवम एवं पंचम स्थान पर गुरु ग्रह की दृष्टि प्रभाव से आपका आध्यात्मिक ज्ञान व पूजा-पाठ के प्रति आपका आकर्षण बढेगा आप अपने गुरुजनों का सम्मान करेंगी। उनके दिये गये उपदेशों का पालन करेंगी और गरीबों की सहायता करेंगे.
उपाय
माता-पिता, गुरु, साघू-सन्तों, संन्यासी और अपने से बड़े व्यक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
मंदिर या धार्मिक स्थानों पर केला या बेसन के लड्डू वितरित करें।
दुर्गा बीसा यन्त्र अपने गले में घारण करें तथा दुर्गा कवच का पाठ करें।
दुनिया के किसी भी बेमिसाल कर्मयोगी के लिए बहुप्रतिभा के धनी, दूरदर्शी, दृढ़संकल्पित, पारदर्शी, मैत्रीपूर्ण स्वभाव, राष्ट्रभक्ति, समाजसेवी, शिक्षा प्रेमी, समर्पित, अनुशासित, समयबद्धता, ईमानदार, साफगोई सरीखे सैकड़ों विशेषणात्मक शब्द बौने ही साबित होंगे। अंग्रेजी का फ्रेज- ए सेंट स्प्रेडिंग नॉलेज तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन पर एकदम सटीक बैठता है। 1944 में पहली जनवरी को यूपी – मुरादाबाद के ग्राम हरियाना में धर्मपरायण,समाजसेवी और अति सम्मानित श्री प्रेम प्रकाश जैन और श्रीमती माला देवी जैन के घर-आंगन में श्री जैन ने वरिष्ठ पुत्र के रूप में जन्म लिया। यूँ तो वह एक पुत्र और दो पुत्री के जैविक पिता हैं, लेकिन हकीकत में श्री जैन मौजूदा वक्त में 14,000 से भी अधिक बेटे और बेटियों के पिता हैं। अमेरिका, स्विज़रलैंड, इटली, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, बेल्जियम, थाईलैंड, इजराइल का दौरा कर चुके श्री जैन के पिताश्री ने 1966 में इंटर कॉलेज की स्थापना की। पिताश्री के संस्कारों को आत्मसात करते हुए श्री सुरेश जैन ने 2001 में तीर्थंकर महावीर इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी- टिमिट की स्थापना की, जो 2008-09 में मेडिकल कॉलेज के संग-संग तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में पुष्पित-पल्लवित हुआ। यह यूपी का प्रथम जैन अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय है। दिल्ली हाईवे पर इस यूनिवर्सिटी का 140 एकड़+ का विशालकाय कैंपस हरियाली से आच्छादित है। श्री जैन में अहंकार का भाव रंच मात्र भी नहीं है। कहते हैं, शिलाओं से टकराकर जिस प्रकार जल अपनी राह स्वयं ढूंढ लेता है- आप भी किंचित विचलित हुए बिना सेवा धर्म की नयी राहें ढूंढते सतत चलते रहे हैं। जैन धर्म के प्रमुख संदेश – सबसे प्रेम-सब की सेवा ही आपके जीवन का लक्ष्य रहा है। कैंपस में स्थित 1008 शैयाओं के अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित मल्टी स्पेशियलिटी तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल में ओपीडी फ्री है। प्रतिदिन करीब तीन हजार मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं। जरुरतमंदों को रियायती दरों पर इलाज के साथ-साथ भर्ती रोगियों को निःशुल्क भोजन की सुविधा उपलब्ध कराना आपकी परोपकारी भावना का ही प्रतीक है। आप विभिन्न स्थानीय, राजकीय और राष्ट्रीय स्तर की सेवा, धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं से विभिन्न पदों के माध्यम से जुड़े हैं। आपको परोपकारी सेवा कार्यो के लिए विभिन्न भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की ओर से समय-समय पर सम्मानित भी किया जाता रहा है। इसी समर्पण की भावना के मद्देनज़र यूपी के नगर विकास मंत्री श्री सुरेश खन्ना ने 2018 में उन्हें स्वच्छता के ब्रांड एम्बेसडर की अहम जिम्मेदारी सौंपी। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद और फर्स्ट लेडी श्रीमती सविता कोविंद की गरिमामयी मौजूदगी में 2018 में ही महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस के कर कमलों से प्रथम भगवान ऋषभदेव अवार्ड मिला। अतिथि देवो भव की परम्परा के तहत बड़े-बड़े जैन मुनियों के अलावा मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, मुख्य न्यायाधीश रहे श्री के. जी. बालकृष्णन, यूपी के तत्कालीन गवर्नर श्री रामनाईक, हरियाणा के गवर्नर रहे प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी लेफ्टिनेंट जनरल (सेवा निवृत्त)श्री ज़मीर उद्दीन शाह, संत श्री आचार्य सुधांशु जी महाराज, बॉलीवुड के नामचीन सिंगर्स- श्री सोनू निगम सरीखी हस्तियों का गर्मजोशी से सत्कार का सौभाग्य श्री जैन को मिल चुका हैं। दीक्षांत समारोह में आए यूपी के तत्कालीन गवर्नर श्री रामनाईक यूनिवर्सिटी की भव्यता को देखते हुए बोले, काश… मेरी भी स्टडी इस यूनिवर्सिटी में हुई होती तो शायद मैं और बड़े ओहदे पर होता। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी लेफ्टिनेंट जनरल (सेवा निवृत्त) श्री ज़मीर उद्दीन शाह ने टीएमयू कैंपस के भ्रमण के दौरान यूनिवर्सिटी का भव्य इंफ्रास्ट्रक्चर देखने के बाद कहा, टीएमयू ने जो करिश्मा 10 साल में कर दिखाया है, एएमयू को 100 बरस लग गए। यूपी के नगर विकास मंत्री श्री सुरेश खन्ना ने श्री जैन की दानवीर एवं त्यागी पुरुष श्री भामाशाह से तुलना करते हुए कहा, मैं श्री जैन के इस पावन पुरुषार्थ को नमन करता हूँ, क्योंकि भामाशाह ने महाराणा प्रताप के लिए खजाना खोला था तो श्री सुरेश जैन ने शिक्षा के लिए। युगों -युगों तक इस बात को याद किया जाएगा, धन का इस्तेमाल कैसे और किस प्रकार से हो। श्री जैन चाहते तो बहुत बढ़िया और आरामदायक जिंदगी बिता सकते थे। शिक्षा का दान सबसे बड़ा दान है। हरियाणा के तत्कालीन गवर्नर प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी टीएमयू आए तो फैकल्टी की मेधा के कायल होकर रह गए। यूनिवर्सिटी को वक्त – वक्त पर देश – प्रदेश के नामचीन राजनेताओं के आतिथ्य का भी सुअवसर मिला। सम्पन्नता का अर्थ है, व्यक्ति विशेष ने समाज को क्या और कितना दिया है, मात्र यह नहीं, उसके पास क्या और कितना है। इस परिभाषा की कसौटी पर श्री सुरेश जैन खरे उतरते हैं, क्योंकि उन्होंने समाज को शिक्षित-स्वस्थ-स्वावलंबी बनाने हेतु शिक्षा के अनगिनत मंदिरों के माध्यम से तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय रूपी ज्ञान तीर्थ की स्थापना की। तीर्थंकर महावीर के नाम को चरितार्थ करने वाले इस विश्वविद्यालय का नाम, उच्च-शिक्षा के साथ-साथ जैन संस्कृति के प्रचार- प्रसार और जैन छात्र-छात्राओं के पठन-पाठन में अपने अभूतपूर्व योगदान के लिए जैन इतिहास के पृष्ठों में सदैव एक धरोहर के रूप में लिखा जाएगा। जैन छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय के प्रत्येक पाठ्यक्रमों के प्रवेश में वरीयता प्रदान की जाती है। छात्र-छात्राओं को डेन्टल एवं मेडिकल के अतिरिक्त प्रत्येक पाठ्यक्रम के सम्पूर्ण पाठ्यक्रम हेतु शिक्षण और छात्रावास शुल्क में छूट प्रदान की जाती है। विश्वविद्यालय 2042 जैन छात्र-छात्राओं को 2019-20 तक 52.39 करोड़ की धनराशि छात्रवृत्ति के रूप में दे चुका है। टीएमयू हॉस्पिटल एवम् रिसर्च सेंटर को कोविड-19 लेवल 3 अस्पताल का भी दर्जा मिला हुआ है। कोरोना वारियर्स अब तक हजारों-हजार कोविड रोगियों के चेहरे पर मुस्कान लौटा चुके हैं। डॉक्टरों के संकल्प, समर्पण और जन सेवा के बूते सूबे के 58 प्राइवेट और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में टीएमयू कोविड हॉस्पिटल अव्वल रहा है। प्लाज्मा थेरेपी में भी इस हॉस्पिटल को उत्तर प्रदेश में दूसरा स्थान मिल चुका है। बॉलीवुड सेलिब्रेटी – श्री सोनू निगम, श्री सुखविंदर सिंह, श्री शान, श्री अरमान मलिक, श्री तलत अजीज सरीखे सिंगर्स अलग-अलग वीडियो जारी करके कोरोना देवदूतों के संग-संग आला प्रबंधन की भी हौसला अफजाई कर चुके हैं। यूपी के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ भी कुलाधिपति श्री सुरेश जैन और जीवीसी श्री मनीष जैन को साधुवाद दे चुके हैं। श्री योगी बोले- हॉस्पिटल के आला प्रबंधन का सहयोग काबिल -ए – तारीफ है। टीएमयू का आला प्रबंधन कोविड काल में पहले दिन से ही यूपी सरकार के साथ खड़ा है। बकौल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री जैन- शासन और प्रशासन के दिशा-निर्देश पर कोविड-19 हॉस्पिटल के आइसोलेशन और क्वारंटाइन वार्ड के प्रति डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ एकदम समर्पित है। हॉस्पिटल का जर्रा-जर्रा सेनेटाइज है। मेडिकल स्टाफ भी रात-दिन कोरोना रोगियों की सेवा में जुटा है। चांसलर का साफ मानना है, मानवता की सेवा ही देश की सच्ची सेवा है। इसे न केवल जैन समाज बल्कि सभी धर्मों में सर्वोपरि माना गया है। कोविड पॉजिटिव से उभर चुके लोगों से वह विनम्र अनुरोध करते हैं, वे प्लाज़्मा डोनेशन के लिए बढ़ चढ़कर आगे आएं, ताकि गंभीर कोविड रोगियों को नया जीवन मिल सके। वह बोले, दुनिया में जीत मानव की होगी, अंततः कोरोना हारेगा। शिक्षा को समर्पित श्री जैन 21वीं सदी के 21वें बरस के श्रीगणेश दिवस यानी पहली जनवरी को 78वें वर्ष में मंगल प्रवेश करेंगे। परम श्रद्धेय श्री जैन की दो पीढ़ियां उनके पद चिन्हों का अनुसरण कर रही हैं। आपके यशस्वी पुत्र श्री मनीष जैन ग्रुप वाइस चेयरमैन के पद पर सुशोभित हैं तो सुपौत्र श्री अक्षत जैन अमेरिका से इंटरनेशनल रिलेशन्स में डिग्री लेने के बाद यूनिवर्सिटी में मेंबर ऑफ़ गवर्निंग बॉडी-एमजीबी पद का निर्वहन कर रहे हैं। जीवीसी श्री मनीष जैन कहते हैं, मानव कल्याण के लिए तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल के दरवाजे 24 घंटे खुले हैं। हम केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ प्रशासनिक दिशा -निर्देशों के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन को प्रतिबद्ध हैं। यूनिवर्सिटी यूजीसी की जारी गाइड लाइंस का हमेशा अक्षरशः पालन करती है। टीएमयू ने कोविड काल में न केवल समय पर ऑनलाइन कोर्स मुकम्मल कराया बल्कि एग्जाम पहले कराने और रिजल्ट भी घोषित करने में भी यूपी ही नहीं बल्कि देश में रिकॉर्ड कायम किया है। अंततः इस विश्वविद्यालय के संस्थापक, युवा पीढ़ी के प्रेरणापुंज, समाजसेवी, कुशल प्रशासक, धर्म प्रेमी, कर्मयोगी, युगपुरूष, महान शिक्षाविद श्री सुरेश जैन का व्यक्तित्व दिग-दिगंत तक अनुकरणीय और अभिनंदनीय रहेग।
दुनिया में घातक महामारी कोराना का बेहद खतरनाक काल चल रहा है, खस्ताहाल काम धंधे, बेरोजगारी, बेहाल आर्थिक स्थिति व डर के चलते लोग बड़ी संख्या में बहुत ज्यादा तनावग्रस्त हैं। हालात यह हो गये हैं कि कोरोना के भय व बचाव के मारे लोग दिल खोलकर खुशियां तक मनाने के लिए तरस गये हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत में अब लोग कोरोना से बचाव के नियमों का सावधानी के साथ पालन करते हुए उसके ग्राफ को गिराने में सरकार का सहयोग कर रहे हैं और तेजी से अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या को सामान्य व खुशहाल बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। कोरानाकाल के दरम्यान ही वर्ष 2021 का आगमन शुरू हो रहा है, वैसे तो भारत के साथ-साथ विश्व के अधिकांश देशों में नववर्ष बेहद आधुनिक व पारंपरिक ढंग के सामंजस्य के साथ धूमधाम व चकाचौंध कर देने वाले तरीकों से अलग-अलग दिन हमेशा से मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष का नूतन वर्ष लोगों की तनाव मुक्त ज़िंदगी में खुशहालियों को भरने के लिए बेहद खास है। वैसे तो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नववर्ष प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी के दिन बहुत सारे देशों में बड़े पैमाने पर हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन हमारे प्यारे देश भारत में भी बहुत सारे लोग 31 दिसंबर व 1 जनवरी को बाजार की ताकत के बलबूते इस दिन को जमकर धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं। आज अंग्रेजी नूतनवर्ष की बेला पर मैं आप सभी से अपनी चंद पंक्तियों के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त करना चाहता हूँ-
“विदा हो रही है जख्म देने वाली साल, आ रहा है धूमधाम मचाने नूतन वर्ष यार, ठाना है रुख बदल देगें हवाओं का हम, एकजुट होकर मैदान में आयेगें जब हम, मेहनत के बलबूते बदल देगें दुनिया सारी, खत्म कर देंगे दुनिया से नकारात्मकता सारी, भरोसा है हमको मेहनत पर अपनी यारों, हौसले के बलबूते हम लोग आने वाले, नववर्ष 2021 में भर देगें खुशियों से दुनिया सारी, ईश्वर से दुआ है वो खत्म कर दे दुनिया से, नकारात्मकता नफरत व जहालत सारी, बस खुशहालियों से भर दे दुनिया को सारी ।।”
इन शब्दों में छिपी अपनी सकारात्मक भावना व उम्मीद के साथ में चाहता हूँ देश की सम्मानित जनता वर्ष 2020 के दंगा फसाद, धार्मिक उन्माद, लॉकडाउन के दौरान दर-दर भटकते भूखे-प्यासे मजबूर लोगों के दुखदर्द व कोरोना के दिये गये बेहद गहरे जख्मों को भूलकर अपने जीवन की नई शानदार शुरुआत करें। वैसे भी अधिकतर लोग चाहते है कि 1 जनवरी का नूतन वर्ष का यह प्रथम दिन एक बहुत अच्छी शुरुआत के साथ उज्जवल भविष्य की आशा में सकारात्मक ऊर्जा से बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाये। यह दिन ज़िंदगी में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हम सभी लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, हम सभी लोगों के लिए जाति-धर्म, सीमाओं के बंधन को तोड़कर नववर्ष नई-नई उम्मीद, नई आशाएं, नई खुशियां, जीवन में नई-नई उमंग, नये लक्ष्य व ज़िंदगी के लिए बेहद आवश्यक सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है। आज अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार नववर्ष 2021 का प्रथम दिन हम सभी लोगों को संकल्प लेना होगा कि वो बीते वर्ष 2020 की खट्टीमीठी व कड़वी यादों को दिलों में संजोकर जीवन पथ पर पूर्ण ऊर्जा के साथ अग्रसर होंगे, हम सभी देशवासियों को इस नूतन वर्ष का कोरोना के नियमों का पालन करते हुए तहेदिल से स्वागत करना चाहिए। अपने आराध्य सर्वशक्तिमान ईश्वर का आभार व्यक्त करना चाहिए कि हम सभी के जीवन में फिर नववर्ष उदित हो रहा है और हम सभी के जीवन में नव आशा, नव उत्साह, नव हर्ष हो, ज़िंदगी में नयी ताजगी नई उमंग हो, अपनों के प्रगति के पथ पर चलते हुए हर्ष हो, नववर्ष नई आशाओं से शोभित हो, सभी लोग कोरानाकाल में उत्पन्न बेहद गंभीर समस्याओं से मुक्त होकर जल्द से जल्द तनाव से मुक्त हो, आप सभी के जीवन में इन्हीं मंगलकामनाओं के साथ नई आशाएँ व नई अभिलाषाएँ के साथ नूतन वर्ष 2021 उदित हो।
।। जय हिन्द जय भारत।। ।। मेरा भारत मेरी शान मेरी पहचान ।।
—विनय कुमार विनायक मैं भगतसिंह बोल रहा हूं मैं नास्तिक क्यों हूं? मुझे नास्तिक कहनेवाले तुम आस्तिक कितने हो? किसी खास किस्म की लिबास पहने, किसी खास दिशा के ईश में आस्था, यदि आस्तिकता की परिभाषा है तब तो मेरा नास्तिक है बसंती चोला! मेरा ईश्वर मेरे अंदर, सबके अंदर मेरा ईश्वर सभी दिशा में, सभी वेश में, मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद, गिरजाघर में, धरती के जर्रा-जर्रा, हर कंकड़-पत्थर में, माटी के जीते जागते मूरत में रब है!
मैं भगतसिंह बोल रहा हूं मैं नास्तिक क्यों हूं? किसी खास किस्म की भाषा में किसी खास नाम के ईश्वर को यदि पूजने नवाजने की प्रथा है आस्तिकता तो मैं नास्तिक हूं मेरी धरती मेरी मां, पिता आसमां, आजादी का बंदा, मैं नानक परिंदा हूं मैं गुरु गोविंद सिंह का बाज हूं ऐसा कभी काशी के शिवालय के मुंडेर पर कभी जलियांवाला बाग़ में मेरा बसेरा, कभी कांधार के बामियानी बौद्ध मठ डेरा मैं तक्षशिला का पढ़ा लिखा हरा सुवा हूं कभी मस्जिद के गुंबद मीनार पर बैठा काबा काशी रोम तक फैला मेरा व्योम मेरी क्रांति में शांति का मसीहा बसता मेरा सपना तुम्हें आजाद बनाना था अपने भारत को स्वर्ण मंदिर बनाने का! किन्तु तुम आज भी आजाद नहीं हो धार्मिक मानसिक भाषाई गुलामी में जकड़े अपने पर कुतरे अधमरे पड़े हो!
मैं भगतसिंह बोल रहा हूं मैं नास्तिक क्यों हूं? मैं नास्तिक हूं क्योंकि तुम छद्म आस्तिक हो! तुम्हारी आस्था में मेरा ईश्वर नहीं है तुम्हारी पूजा में मेरी मां की थाली नहीं है तुम्हारा नमाज मेरे खुदा को आवाज नहीं देता है तुम्हारे रंगों में धरती मां की चूनर धानी नहीं है तुम्हारा चोला मेरे जैसा बसंती चोला नहीं है तेरा साफा केसरिया गुरु गोविंद सा बलिदानी जवांदानी देश धर्म की वाणी नहीं है तेरी चादर बुद्ध, महावीर, विवेकानंद सा गेरुआ त्याग की नहीं है तुम पूरी तरह से सफेदपोश बन चुके हो तुम्हारे रक्त का रंग एक सा लाल नही है लाल में लाल,हरा,सफेद रंग घोल कर बदरंग हो चुके हो! तुम्हारा लाल झंडा किसान को नही चीन को सलाम करता है तुम्हारे हरे रंग में धरती की हरियाली नहीं है तुम्हारे श्वेत रंग में सफेद कपोत की शांति नहीं है!
अस्तु मैं भगतसिंह बोल रहा हूं मैं तुम्हारे जैसा छद्म आस्तिक नहीं,मैं नास्तिक हूं! मैं गुरु नानक का परिंदा, गुरु गोविंद सिंह का बाज, तक्षशिला का तोता जलियांवाला बाग की आवाज हूं!
हमारा यह जन्म मनुष्य योनि मे हुआ था और हम अपनी जीवन यात्रा पर आगे बढ़ रहे हैं। हमें पता है कि कालान्तर में हमारी मृत्यु होगी। ऐसा इसलिये कि सृष्टि के आरम्भ से आज तक सृष्टि में यह नियम चल रहा है कि जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु अवश्य ही होती है। गीता में भी यह सिद्धान्त प्रतिपादित है जो कि वेद एवं वैदिक शास्त्रों से भी अनुमोदित है। मनुष्य को जीवन में सुख व दुःख की अनुभूतियां होती है। किसी को कम होती हैं तो किसी को अधिक। दो मनुष्यों के सुख व दुःख में समानता नहीं होती। इसके अनेक कारण होते हैं। हमें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिये। जो देते हैं वह अन्यों की तुलना में अपवादों को छोड़ कर स्वस्थ, सुखी एवं दीर्घायु होते हैं। हम संसार में यह भी देखते हैं कि अधिकांश लोगों को स्वास्थ्य के नियमों का ज्ञान नहीं है। अतः वह स्वास्थ्य के नियमों का पालन करें, ऐसी अपेक्षा उनसे नहीं की जा सकती। जो लोग स्वास्थ्य के नियमों को जानते हैं वह भी अनेक बार अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए स्वास्थ्य के नियमों का उल्लंघन करते हुए देखे जाते हैं। अतः हमें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिये और स्वस्थ जीवन के रहस्य को जानकर उससे जुड़े नियमों का निष्ठापूर्वक पालन करना चाहिये। इससे हम अपने जीवन में होने वाले दुःखों को काफी कम कर सकते हैं तथा सुखों को बढ़ा सकते हैं।
हमारे दुःखों का कारण आहार, निद्रा, ब्रह्मचर्य पर आधारित भी बताया जाता है और यह ठीक भी है। हमारा आहार पौष्टिक एवं सन्तुलित होने सहित समय पर कम मात्रा में होना चाहिये जिसमें हमें भोजन विषयक सिद्धान्तों का ध्यान रखना चाहिये। हमें उचित मात्रा में निद्रा भी लेनी चाहिये। कम या अधिक निद्रा लेने का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। निद्रा का आदर्श समय रात्रि दस बजे से प्रातः 4.00 बजे तक का है। ब्रह्मचर्य का अर्थ अपनी सभी इन्द्रियों सहित मन को वश में रखना होता है और उसे सार्थक, उपयोगी व हितकर तथा आवश्यक कार्यों में लगाने के साथ इसे नियमित रूप से सद्ग्रन्थों के स्वाध्याय एवं ईश्वर के चिन्तन व ध्यान में भी लगाना चाहिये। यदि हम संयम से रहते हैं और हमारी सभी इन्द्रियां वश में है तथा हम सुख भोग के शास्त्रीय नियमों का पालन करते हैं तो इसका अर्थ है कि हम ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं। हमने जो लिखा है वह ब्रह्मचर्य से सबंधित सामान्य बात व सिद्धान्त है। ब्रह्मचर्य पर अनेक वैदिक विद्वानों यथा डा. सत्यव्रत सिद्धान्तांकार, स्वामी ओमानन्द सरस्वती तथा स्वागी जगदीश्वरानद सरस्वती के ग्रन्थ उपलब्ध हैं। स्वामी दयानन्द के सभी ग्रन्थों में भी ब्रह्मचर्य संबंधी विचार विद्यमान है। वीर्य रक्षा भी ब्रह्मचर्य का एक आवश्यक अंग है। इन सबका अध्ययन कर इस विषय को गहराई से समझा जा सकता है। ऐसा करके हम अपने जीवन को सामान्य मनुष्यों से अधिक स्वस्थ रख सकते हैं।
हमें जीवन में जो सुख व दुःख मिलते हैं उसका एक कारण हमारे कर्म होते हैं। हमनें कर्मों को हमने इस जन्म में किया होता है और पूर्वजन्मों में भी किया हुआ है। जिन कर्मों का हम फल भोग चुके होते हैं इससे इतर जो बचे हुए शुभ व अशुभ कर्म होते हैं वह भी हमारे सुख व दुःख का कारण होते हैं। पूर्वजन्म के अभुक्त कर्मों को ही प्रारब्ध कहा जाता है। इसी से हमारे इस जन्म वा योनि का निर्धारण जगतपति ईश्वर करते हैं। इस जन्म में बाल्याकाल के बाद हम जो कर्म करते हैं वह भी स्वरूप से पाप व पुण्य या शुभ व अशुभ कर्म कहलाते हैं। इनमें से क्रियमाण कर्मों का फल तो हमें साथ साथ मिल जाता है, कुछ कर्मों का कुछ समय व्यतीत होने पर मिलता है तथा शेष बचे हुए कर्मों के कारण हमारा आगामी जन्म का प्रारब्ध बनता है उससे हमारा पुनर्जन्म व उसकी योनि व जाति निर्धारित होने के साथ आयु व सुख दुःख आदि भोग भी निर्धारित होते हैं। अतः सुखों की वृद्धि व दुःखों से बचने के लिये हमें शुभ व पुण्य कर्म ही करने चाहिये तथा अशुभ व पाप कर्मों का सेवन पूर्णतया बन्द कर देना चाहिये। शुभ व अशुभ कर्मों का ज्ञान हमें वेदादि शास्त्रों सहित ऋषि दयानन्द के सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों से भी होता है। सुख की प्राप्ति में हमारे स्वाध्याय सहित ईश्वरोपासना तथा अग्निहोत्र देवयज्ञ आदि पंचमहायज्ञों एवं परोपकार के कार्यों व सुपात्रों को दान आदि का भी महत्व होता है। ऐसा करके हम परजन्म में अपनी जाति, आयु व भोगों में उन्नति कर उत्तम परिवेश की मनुष्य जाति में जन्म प्राप्त कर सकते हैं और वहां रहते हुए हम वेदादि शास्त्रों के अनुकूल आचरण करते हुए मोक्षमार्ग के पथिक बनकर जन्म जन्मान्तरों में जन्म व मरण से अवकाश अर्थात् अवागमन से मुक्त होकर मोक्षावधि 31 नील 10 खरब 40 अरब वर्षों तक ईश्वर का सान्निध्य प्राप्त कर दुःखों से सर्वथा मुक्त तथा आनन्द से युक्त रह सकते हैं। यही मनुष्य जीवन प्राप्त कर आत्मा का लक्ष्य होता है। यही सबके लिए प्राप्तव्य होता है। हमारे प्राचीन सभी ऋषि, मुनि, योगी, ईश्वरोपासक, विरक्त, यज्ञ करने वाले मोक्ष मार्ग के पथिक ही हुआ करते थे। ऐसा करने से ही वस्तुतः मनुष्य जीवन कल्याण को प्राप्त होता है। इससे न केवल मनुष्य जीवन को लाभ होता है वहीं ऐसा अधिक होने पर समाज में सुख व शान्ति भी आती है।
हमें संसार को समझने के साथ अपनी आत्मा तथा परमात्मा के स्वरूप व गुण-कर्म-स्वभाव को भी जानना चाहिये और आत्मा की उन्नति में सहायक ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना आदि वैदिक कर्मों को करके सुखों की प्राप्ति करनी चाहिये। हमें यह ज्ञात होना चाहिये कि हमारा आत्मा एक चेतन सत्ता वाला अनादि व नित्य पदार्थ है। यह सूक्ष्म है जिसे हम आंखों से नहीं देख सकते। इसके अस्तित्व का ज्ञान जीवित मनुष्य व अन्य प्राणियों के शरीरों की क्रियाओं को देखकर होता है। आत्मा अविनाशी एवं जन्म-मरण धर्मा है। जन्म का कारण जीवात्मा के पूर्वजन्म के वह अभुक्त कर्म सिद्ध होते हैं जिनका उसे भोग करना होता है। यह सत्य वैदिक सिद्धान्त है कि जीवात्मा को किये अपने सभी शुभ व अशुभ जिन्हें पुण्य व पाप कर्म भी कहते हैं, अवश्य ही भोगने पड़ते हैं। परमात्मा सर्वव्यापक व सर्वान्तर्यामी सत्ता है। वह सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अनादि, अनुत्पन्न, सर्वाधार, जीवों को कर्म फल प्रदाता तथा सृष्टिकर्ता है। परमात्मा भी अनादि तथा नित्य सत्ता है। वह अनादि काल से, जिसका कभी आरम्भ नहीं है, इस विशाल सृष्टि को बनाता तथा इसका पालन करता चला आ रहा है। सृष्टि की अवधि पूर्ण होने पर वही इसकी प्रलय करता है और प्रलय की अवधि पूरी होने पर वही पुनः इस सृष्टि की उत्पत्ति करता है जिससे अनादि व नित्य चेतन जीव अर्थात् आत्मायें अपने अपने कर्मों के अनुसार सुख व दुःख का भोग कर सकें। मनुष्य को किन कर्मों का सेवन करना है, इसका पूरा ज्ञान व विज्ञान परमात्मा ने अपने नित्य ज्ञान चार वेदों में दिया हुआ है। यह वेद ज्ञान सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न चार ऋषि अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को दिया था। चार ऋषियों से लेकर अद्यावधि हुए ऋषियों व वैदिक विद्वानों ने वेदज्ञान की अद्यावधि रक्षा की है। वेदज्ञान का स्वाध्याय कर उसके अनुरूप जीवन व्यतीत करना तथा वेदों की रक्षा करना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है। जो इसके विपरीत आचरण करते हैं वह ईश्वरीय दण्ड के पात्र होते व हो सकते हैं। अतः सबको मर्यादाओं का पालन करते हुए वेदों की रक्षा करनी चाहिये और ईश्वरीय वेदाज्ञाओं का पालन कर अपने जीवन को सफल करना चाहिये।
मनुष्य जीवन का लक्ष्य जन्म व मरण अर्थात् आवागमन से मुक्त होना होता है। इसका संक्षिप्त वर्णन हम सत्यार्थप्रकाश के नवम समुल्लास से कर रहे हैं। पाठकों को चाहिये कि वह सत्यार्थप्रकाश और इसका नवम समुल्लास अवश्य पढ़े। इससे उन्हें मनुष्य जीवन की उन्नति विषयक अनेक सत्य रहस्यों का ज्ञान होगा। यह ऐसा ज्ञान है जो संसार के अन्य ग्रन्थों में इतनी उत्तमता से प्राप्त नहीं होता। ऋषि दयानन्द मुक्ति वा मोक्ष के विषय में बताते हुए कहते हैं कि मुक्ति किसको कहते है? उत्तर- जिस में छूट जाना हो उसका नाम मुक्ति है। प्रश्न- किससे छूट जाना? उत्तर- जिस से छूटने की इच्छा सब जीव (मनुष्य आदि प्राणी) करते हैं। प्रश्न- किससे छूटने की इच्छा करते हैं? उत्तर- जिससे छूटना चाहते हैं। प्रश्न- किससे छूटना चाहते हैं? दुःख से। प्रश्न- छूट कर किस को प्राप्त होते हैं और कहां रहते हैं? उत्तर- सुख को प्राप्त होते और ब्रह्म (सर्वव्यापक आनन्दस्वरूप ईश्वर) में रहते हैं। प्रश्न- मुक्ति और बन्ध किन-किन बातों से होता है? उत्तर- परमेश्वर की आज्ञा पालने, अधर्म, अविद्या, कुसंग, कुसंस्कार, बुरे व्यसनों से अलग रहने और सत्यभाषण, परोपकार, विद्या, पक्षपातरहित न्याय, धर्म की वृद्धि करने, परमेश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना अर्थात् योगाभ्यास करने, विद्या पढ़ने, पढ़ाने और धर्म से पुरुषार्थ कर ज्ञान की उन्नति करने, सब से उत्तम साधनों को करने और जो कुछ करें वह सब पक्षपातरहित न्यायधर्मानुसार ही करें। इत्यादि साधनों से मुक्ति और इन से विपरीत ईश्वराज्ञाभंग करने आदि काम करने से बन्ध होता है।
ऋषि दयानन्द ने मोक्ष व मुक्ति पर जो ज्ञानामृत प्रस्तुत किया है उसका एक छोटा अंश ही हमने उपर्युक्त पंक्तियों में प्रस्तुत किया है। इस समुल्लास का सभी जिज्ञासुओं को बार बार अध्ययन करना चाहिये जिससे उनके जीवन का सुधार हो सके और वह कल्याण मार्ग के पथिक बन सकें। हमने मनुष्य जीवन तथा उसके लक्ष्य मोक्ष की संक्षिप्त चर्चा इस लेख में की है। हम आशा करते हैं कि पाठकों के लिए यह लेखयह लाभप्रद होगा। ओ३म् शम्।
-मनमोहन कुमार आर्य आगामी 1 जनवरी, 2021 को हम नये आंग्ल वर्ष सन् 2021 में प्रवेश कर रहे हैं। इस अवसर पर लोग अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने के लिये इसका उत्सव के रूप में स्वागत करते और एक दूसरे से मिलकर, फेसबुक, व्हटशप, इमेल आदि पर शुभकामनायें सन्देश अपने प्रिय जनों को प्रेषित करते हैं। कार्यालयों में भी इस दिन लोग एक दूसरे से मिलकर ‘हैपी न्यू इयर’ बोलते हैं। आज की परिस्थितियों में विचार करने पर किसी प्रकार की प्रसन्नता के अवसर पर परस्पर शुभकामनायें देने में कोई अनौचित्य नहीं है। सभी के प्रति सद्भाव रखना वैदिक परम्परा है। हम प्रतिदिन सन्ध्या, यज्ञ व शान्तिपाठ आदि करते ही हैं। उसमें भी हमारी समाज व देश का उपकार करने तथा सबका हित व जीवन सफल होने की कामना की भावना निहित होती है। यह बात भी सत्य है कि आर्य हिन्दुओं का अपना संवत्सर व वर्ष पृथक है जो सृष्टि के आदिकाल से ही प्रवृत्त है। बाद में कुछ नई घटनाओं के जुड़ने से हमने सृष्टि संवत् सहित इससे जुड़े विक्रमी संवत्सर को मनाना भी आरम्भ किया है। हिन्दी नव संवत्सर चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन मनाया जाता है। इसे वर्ष का सबसे शुभ एवं महत्वपूर्ण दिन कह सकते हैं। हमारी परम्परा में शुक्ल पक्ष को शुभ माना जाता है और प्रायः सभी शुभ कार्य व विवाह एवं अन्य संस्कारों को शुक्ल पक्ष में करने का ही विधान है। वर्ष 2021 में नये विक्रमी संवत्सर वा वर्ष का आरम्भ 13 अप्रैल, 2021 को होगा। इस दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि तथा संवत् 2078 होगा। इसी दिन सृष्टि संवत् 1,96,08,53,122 आरम्भ होगा। हम 1 जनवरी से आरम्भ अंग्रेजी संवत्सर को मनाये तो हमें इसे भी भारतीय परम्पराओं में ढालकर ही मनाना चाहिये। इससे जो लाभ होता है वह विदेशी तौर तरीके व परम्पराओं से मनाने से नहीं होता। किसी भी पर्व को मनाने में हमारे मन में प्रसन्नता का भाव होना चाहिये और उसको मनाने का तरीका हमारी प्राचीन ज्ञान व तर्कपूर्ण परम्परायें भी होनी चाहियें। उनका त्याग उचित नहीं है।
नव वर्ष के प्रथम दिन हम इस संसार के रचयिता व पालक ईश्वर का ध्यान करें और उसके उपकारों को स्मरण कर उसको अपने जीवन तथा सभी शुभ कार्यों का समर्पण करें। इससे हमारा मन व आत्मा दृण व बलवान होता है तथा हम ईश्वर के उपकारों को स्मरण कर धन्यवाद करने से उसके प्रति कृतज्ञ होते हैं। इस कारण से हम पर कृतघ्नता का दोष या पाप नहीं लगता। जो लोग ऐसा न कर केवल घर व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की साज सजावट, अच्छे आकर्षक वस्त्र पहनने, अच्छा भोजन करने व पार्टी आदि करने सहित एक दूसरे को शुभकामनायें देते हैं वह अधूरी खुशी मनाते हैं और कुछ महत्वपूर्ण बातों की उपेक्षा कर देते हैं जिनका किया जाना आवश्यक होता है। हमें सभी शुभ अवसरों पर अपने बड़ों से आशीर्वाद प्राप्त करने सहित परमात्मा का भी विधिवत आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिये जिसके लिये उसकी स्तुति, प्रार्थना तथा उपासना करना आवश्यक होता है। उपासना ईश्वर के गुणों व उपकारों का ध्यान, उसकी स्तुति तथा प्रार्थना सहित देवयज्ञ अग्निहोत्र द्वारा वायु की शुद्धि एवं शुभकर्म, परोपकार तथा दूसरे निर्धन व साधनहीन लोगों को धन, भोजन व अन्न आदि का दान करके होती है। अतः नये आंग्ल वर्ष 2021 के प्रथम दिन 1 जनवरी को हमें अन्य कार्यों को करते हुए ईश्वर की सन्ध्या-उपासना सहित पुण्य कर्मों को करने पर भी ध्यान देना चाहिये। हम इस दिन अपने धर्म एवं संस्कृति को गौरव व जीवन्तता देने वाले महापुरुष राम, कृष्ण तथा दयानन्द जी के जीवन चरितों व गुणों का भी स्मरण करें और उनसे ईश्वर भक्ति, देशभक्ति तथा देश के शत्रुओं से देश व समाज को मुक्त कराने की प्रेरणा ग्रहण कर इसका संकल्प लें, तभी हमारा परिवार, समाज, देश, धर्म व संस्कृति सुरक्षित रह सकते हैं और हम व हमारी भावी पीढ़िया सुख व आनन्द से युक्त हो सकते हैं। अतः इस रूप में हमें नये वर्ष का स्वागत करने के साथ इस पर्व को 1 जनवरी तथा आगामी 13 अप्रैल, 2021 को मनाना चाहिये।
ईश्वर ने सब मनुष्यों को अपने जीवन के सभी निर्णय लेने की स्वतन्त्रता दी है। सभी ऐसा करते भी हैं तथापि समाज के अग्रणीय पुरुष व विद्वान लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए उन्हें अपनी ओर से कुछ सुझाव भी देते हैं जिससे भम्रित बन्धुओं का मार्गदर्शन हो जाये। इस दृष्टि से वर्षान्त 31 दिसम्बर के दिन सायंकाल अपने अपने घरों को स्वच्छ कर उसे सजा कर उसमें प्रकाश आदि के लिए तेल के दिये व विद्युत के बल्ब आदि जला कर घर को सुसज्जित किया जा सकता है। अच्छे पकवान बना कर उनका परिवार सहित उपभोग किया जा सकता है। अपने इष्ट मित्रों को घर में बने पकवान व फल वितरित भी किये जा सकते हैं। निर्धनों व भिखारियों को भोजन व फल सहित वस्त्र भी वितरित किये जा सकते हैं। इस दिन अपनी पसन्द का संगीत भी कुछ देर सुना जा सकता है। दूरदर्शन पर ऐसे कार्यक्रम होने चाहियें जिसमें महापुरुषों के जीवन की प्रेरक घटनायें प्रस्तुत की जायें। इससे हमारा जीवन सुधरता व उन्नति को प्राप्त होता है। जीवन निर्माण में प्रेरणाओं का महत्व होता है। वह प्रेरणायें महापुरुषों के जीवन व शास्त्रों की वर्तमान में प्रासंगिक शिक्षाप्रद बातों का श्रवण व देखने से आंशिक रूप से पूरी होती हैं। हमें इस दिन अभद्र नृत्य व मदिरा पान आदि का व्यवहार कदापि नहीं करना चाहिये। ऐसा करने से हमारा शारीरिक एवं चारित्रिक पतन होता है। जो लोग करते हैं उनको जीवन के उत्तर काल वृद्धावस्था आदि में हानि व दुःख उठाने पड़ते हैं।
नववर्ष के प्रथम दिन गायत्री मन्त्र की मधुर धुन व शब्दों को भी आंखे बन्द कर सुना जा सकता है और उसके अर्थ पर विचार करते हुए अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने की परमात्मा से प्रार्थना की जा सकती है। नूतन वर्ष के प्रथम दिन हमें प्रातः 4.00 बजे व उसके कुछ समय बाद जल्दी जाग जाना चाहिये। कुछ देर ईश प्रार्थना व उसका ध्यान कर उससे शारीरिक, आत्मिक एवं सामाजिक उन्नति की प्रार्थना करनी चाहिये। अपनी रूचि के धार्मिक सद्ग्रन्थों का पाठ भी करना चाहिये। व्यायाम हमारे जीवन का आवश्यक अंग होना चाहिये और इस दिन तो अवश्य ही करना चाहिये जिससे जीवन में व्यायाम करने का संस्कार बने। हो सके तो इस दिन शाकाहारी जीवन व्यतीत करने सहित मांस व मदिरा छोड़ने का सत्संकल्प भी लेना चाहिये। इससे हमें जीवन भर लाभ होगा। हम अनेक रोगों से बच सकते हैं और दीर्घायु को प्राप्त हो सकते हैं। इससे हमें शारीरिक कष्ट भी कम होंगे और रोगों पर व्यय होने वाला धन भी बच सकता है। नये वर्ष में हमें ईश्वर के सत्यस्वरूप का पाठ कर उससे आत्मा की उन्नति, दुःखों की निवृत्ति तथा सुख व आनन्द की प्राप्ति की प्रार्थना करनी चाहिये। यही सार्वभौम ईश्वर की स्तुति व पूजा है। सबको राग-द्वेष तथा मत-मतान्तर के आग्रह से ऊपर उठकर इस कार्य को करना चाहिये। हमें अपने सभी मित्रों, परिवारजनों, कुटुम्बियों तथा साथ में काम करने वाले सभी बन्धुओं को हृदय से शुभकामनायें देनी चाहिये। नववर्ष के प्रथम दिन को पर्व के रूप में मनाने के लिये अपनी इच्छानुसार इसमें सात्विक परिवर्तन किये जा सकते हैं। यदि हम ऐसा करते हैं तो इससे देश व समाज का हित होगा और हमें भी लाभ होगा।
आंग्ल वर्ष का 1 जनवरी को आरम्भ किसी खगोलीय व ऋतु परिवर्तन जैसी घटना से जुड़ा हुआ नहीं है। इसके विपरीत वैदिक संवत्सर सृष्टि के आरम्भ के प्रथम दिन तथा वेदोत्पत्ति सहित महाराज युधिष्ठिर और महाराज विक्रमादित्य जी के राज्यारोहण के दिन से जुड़े हुए पर्व हैं। 1 जनवरी को देश के अधिकांश भागों में ठण्ड का प्रकोप रहता है जिससे पर्व मनाने में कठिनाई आती है वहीं वैदिक संवत के प्रथम दिन चैत्र मास में ऋतु अत्यन्त सुहावनी होती है। वसन्त ़ऋतु में नाना प्रकार के पुष्पों के दर्शन होने सहित वनस्पतियां सर्वत्र नये पत्तों को धारण किये हुए होती हैं। मौसम न अधिक ठण्डा और न अधिक गर्म होता है। भोजन के मुख्य अन्न गेहूं की फसल भी तैयार रहती है। किसान व श्रमिक प्रसन्न रहते हैं। ऐसा समय ही वस्तुतः नववर्ष मनाने के लिए आदर्श समय होता है। हमें लगता है कि हमें 1 जनवरी सहित चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भी नववर्ष मनाकर अपने बुद्धि कौशल का परिचय देना चाहिये। यदि हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष को उत्सव के रूप में आयोजित करने में उपेक्षाभाव रखते हैं तो यह उचित नहीं है। इससे हमारा पक्षपात व अज्ञानता प्रकट होता है। 1 जनवरी नववर्ष के रूप में विश्व में प्रचलित एवं मान्य दिवस है। सभी इसको प्रेम, श्रद्धा व उत्साह से मनायें। इस नववर्ष 2021 की हम सब पाठक मित्रों को शुभकामनायें देते हैं।
ललित गर्ग- जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव नतीजों में भारतीय जनता पार्टी ने न केवल शानदार जीत हासिल की बल्कि घाटी के लोगों का पार्टी में विश्वास बढ़-चढ़कर सामने आया, इसका श्रेय भाजपा के युवा नेता, केंद्रीय वित्त एवं कंपनी मामले राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर की दूरगामी सोच, परिपक्व राजनीति, आक्रामक तेवर एवं राष्ट्रवादी विचारधारा को जाता है। इसमें दो राय नहीं कि इन चुनावों में चुनाव प्रभारी की भूमिका में उन्होंने अपने तूफानी चुनाव प्रचार एवं भाषणों से प्रांत के लोगों का दिल जीता। ठाकुर अपनी इस नयी भूमिका में केवल सफल ही नहीं हुए बल्कि उन्होंने अपने नेताओं में भी जोश भर दिया। जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में सफल पारी खेल कर उन्होंने जहां प्रांत में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया वहीं लोगों के रुख को भांपकर गुपकार गठबंधन वाले दलों और खासकर इस गठजोड़ की अगुआई कर रहे नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के मनसूंबों पर पानी फेर दिया क्योंकि कश्मीर घाटी में ठीक-ठाक मतदान हुआ था, जहां के बारे में इन दलों ने माहौल बनाया था कि अनुच्छेद 370 और 35-ए खत्म किए जाने के कारण लोग इन चुनावों से दूर रहना पसंद कर सकते हैं। ऐसा कुछ नहीं हुआ। इन चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर घाटी के लोगों ने यही साबित किया कि उनका भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पूरा भरोसा है, इस तरह का माहौल बनाने में ठाकुर की भूमिका उल्लेखनीय रही है। वे इससे पहले लेह हिल काउंसिल चुनाव में दायित्व निभा चुके हैं एवं बिहार चुनाव में भी अपनी भूमिका अदा की। अनुराग ठाकुर के तेजी से बढते कद ने ना सिर्फ उनके राजनैतिक सहयोगियों को आश्चर्यचकित कर दिया है बल्कि पार्टी में उनके कद एवं पद को और ऊंची छलांग देने की संभावनाआंे को पंख दे दिये हंै। उनमें ऐसी क्षमताएं एवं राजनीतिक कौशल है कि वे हर दायित्व को बेखूबी निभा सकते हैं। अनुराग ठाकुर ने विवादों की बाजीगरी को हमेशा जारी रखा है और जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव में उनकी यह करिश्माई बाजीगरी कारगर बनकर सामने आयी। ठाकुर न सिर्फ राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी है बल्कि बेहद लोकप्रिय भी है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में पदाधिकारी के तौर, हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर, हिमाचल के सांसद के तौर पर या फिर केंद्र सरकार में मंत्री के तौर पर हर भूमिका में उन्होंने विवादों की आंच को अवसर में तब्दील करते हुए सकारात्मक वातावरण निर्मित किया। अनुराग ठाकुर की शख्सियत के दो अलग पहलू हैं जो अलग-अलग एकदम साफ नजर आते हैं। इनमें पहला है 12 साल में तेजी से उठता उनका राजनीतिक सफर का ग्राफ। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल की राजनीतिक विरासत को ना सिर्फ संभाला, बल्कि पावर पॉलिटिक्स के इस खेल में वे इस कदर माहिर बन गये कि एक के बाद एक लगातार चार लोकसभा चुनाव जीत लिए। गौरतलब है कि हमीरपुर संसदीय सीट कभी उनके पिता धूमल की कर्मभूमि थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर में आतंकवाद मुक्त प्रांत बनाने एवं लोकतांंित्रक प्रक्रिया को स्थापित करने शुरुआत की थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसे और आगे ले आए हैं। धारा 35 ए, अनुच्छेद 370 आदि के समापन एवं हाल ही में जिला विकास परिषद के चुनावों में उल्लेखनीय जनभागीदारी के बाद अब जम्मू-कश्मीर नए युग में प्रवेश कर चुका है। वहां सब सामान्य हो रहा है। इन नयी फिजाओं एवं लोकतांत्रिक हवाओं को तीव्र गति देने के लिये अनुराग ठाकुर की सक्रियता ने नये पदचिन्ह स्थापित किये हंै। उन्होंने विकास, आतंकवाद मुक्ति एवं शांति के लिये मतदान करने का आह्वान किया। जिसका व्यापक असर हुआ। राज्य में शिक्षा, रोजगार और विकास के नाम पर मतदान हुआ। अनुराग ठाकुर ने रोशनी घोटाले के मुद्दे को भी प्रभावी ढंग से उठाया। कश्मीरी युवाओं को मुख्यधारा में लाने के ठाकुर के प्रयासों का अनूठा प्रभाव बना, क्योंकि वहां के युवा बारूद की भाषा और राज्य के संसाधनों पर कुछ परिवारों के एकाधिकार से तंग आ चुके थे। हो सकता है कि गुपकार गठबंधन के नेता नए सिरे से अनुच्छेद 370 की वापसी की अपनी मांग पर जोर दें, लेकिन ठाकुर जैसे नेता उनकी कुचालों को नाकाम करने के लिये एक सफल यौद्धा की भांति मोर्चें पर डटे हैं। इसलिये गुपकार गठबंधन के नेता इस जमीनी हकीकत से दो-चार हों जाये कि ऐसा कभी नहीं होने वाला। इसलिए नहीं होने वाला, क्योंकि यह अस्थायी अनुच्छेद विभाजनकारी होने के साथ ही राष्ट्रीय एकता में बाधक भी था। इसके अतिरिक्त यह अलगाववाद को हवा देने के साथ-साथ कश्मीरियत को नष्ट-भ्रष्ट करने का भी काम कर रहा था। गुपकार गठबंधन को इसकी भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि उसके तमाम नकारात्मक प्रचार के बाद भी घाटी में भाजपा अपनी जड़ें जमाने में सफल रही। गुपकार गठबंधन के खिलाफ भाजपा की लड़ाई एवं घाटी में लोकतंत्र को बहाल करने के काम को जिस कुशलता, कर्मठता एवं सूझबूझ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अनुराग ठाकुर ने अंजाम दिया, उसे राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। घाटी के मोर्चें पर अपनी अनूठी पकड़ एवं कौशल के कारण अनुराग का मूल्यांकन समयोचित है, उनके काम एवं राजनीतिक चरित्र ऐसे रहे हैं कि उन पर जनता का विश्वास अटल हैं। वे अपनी हर जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम भी है और कर्मठ भी है। अनुराग ठाकुर भारतीय राजनीति के जुझारू एवं जीवट वाले युवानेता हैं, यह सच है कि वे हिमाचल के हैं यह भी सच है कि वे भारतीय जनता पार्टी के हैं किन्तु इससे भी बड़ा सच यह है कि वे राष्ट्र के है, युवानायक हैं एवं देश की वर्तमान राजनीति में वे अब एक दुर्लभ व्यक्तित्व हैं। वे तो कर्मयोगी हैं, देश की सेवा के लिये सदैव तत्पर रहते हैं, किसी पद पर रहे या नहीं, हर स्थिति में उनकी सक्रियता एवं जिजीविषा रहती है, एक राष्ट्रवादी सोच की राजनीति उनके इर्दगिर्द गतिमान रहती है। वे सिद्धांतों एवं आदर्शों पर जीने वाले व्यक्तियों की शंृखला के प्रतीक हैं। उनके जीवन से जुड़ी विधायक धारणा, आक्रामक तेवर और यथार्थपरक सोच ऐसे शक्तिशाली हथियार हंै जिसका वार कभी खाली नहीं गया। अनुराग ठाकुर इनदिनों वित्तराज्य मंत्री हैं और उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान अस्त-व्यस्त हो गयी अर्थव्यवस्था को अनूठे तरीके से संभालते हुए सर्वोच्च नेतृत्व का विश्वास जीता है। वे नरेन्द्र मोदी सरकार में एक सशक्त एवं कद्दावर मंत्री हैं। कई नए अभिनव दृष्टिकोण, राजनैतिक सोच और मोदी की कई आर्थिक योजनाओं को प्रभावी प्रस्तुति दी तथा विभिन्न विकास, आर्थिक परियोजनाओं के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन में सुधार किया, उनमें आशा का संचार किया। वे भाजपा के एक रत्न हैं। उनका सम्पूर्ण जीवन अभ्यास की प्रयोगशाला है। उनके मन में यह बात घर कर गयी थी कि अभ्यास, प्रयोग एवं संवेदना के बिना किसी भी काम में सफलता नहीं मिलेगी। उन्होंने अभ्यास किया, दृष्टि साफ होती गयी और विवेक जाग गया। उन्होंने हमेशा अच्छे मकसद के लिए काम किया, तारीफ पाने के लिए नहीं। खुद को जाहिर करने के लिए जीवन जी रहे हैं, दूसरों को खुश करने के लिए नहीं। उनके जीवन की कोशिश है कि लोग उनके होने को महसूस ना करें बल्कि उनके काम को महसूस करें। उन्होंने अपने जीवन को हर पल एक नया आयाम दिया और जनता के दिलों पर छाये रहे। उनका व्यक्तित्व एक ऐसा आदर्श राजनीतिक व्यक्तित्व हैं जिन्हें जोश, सेवा और सुधारवाद का अक्षय कोश कहा जा सकता है। आपके जीवन की खिड़कियाँ राष्ट्र एवं समाज को नई दृष्टि देने के लिए सदैव खुली रहती है। इन्हीं खुली खिड़कियों से आती ताजी हवा के झोंकों का अहसास भारत की कर रही है, उन्हें जो भी दायित्व दिया गया है, वे उस पर खरे उतरेंगे, इसमें कोई सन्देह नहीं हैं।
असम सरकार ने देश के पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक स्वरूप को बचाए रखने के लिए फिर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है ।अभी तक की कांग्रेसी और सेकुलर सोच रखने वाली राजनीतिक पार्टियों की परंपरा से हटकर असम सरकार ने निर्णय लिया है कि असम में सरकारी मदरसों को बंद किया जाएगा । बात साफ है कि ये सरकारी मदरसे देश के लोकतांत्रिक पंथनिरपेक्ष स्वरूप को भी नष्ट करने का कार्य कर रहे थे। क्योंकि उनसे सांप्रदायिक शिक्षा को प्रोत्साहित किया जा रहा था । जिससे एक वर्ग का अनावश्यक तुष्टिकरण हो रहा था और वह अन्य संप्रदायों को मसलने में सफल होता जा रहा था । इसी कार्य के लिए असम सरकार ने विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र आहूत किया है। जिसमें सरकारी मदरसों को मिलने वाली सहायता को निरस्त करने का विधेयक प्रस्तुत किया गया है। इसके लिए आसाम के शिक्षा मंत्री हिमांत विश्व शर्मा निश्चय ही बधाई और अभिनंदन के पात्र हैं । क्योंकि उन जैसी इच्छा शक्ति रखने वाले राजनीतिज्ञ इस समय देश में कम हैं, अधिकतर मुस्लिम तुष्टिकरण की बात करने वाले राजनीतिक लोग हैं । जिन्हें देश के भविष्य से कुछ लेना देना नहीं है । बहुत कम लोग ऐसे हैं जो श्री शर्मा जैसी सोच रखते हैं और वे देश के भविष्य को देखकर निर्णय लेते हैं। इस संबंध में आसाम के शिक्षा मंत्री श्री शर्मा ने ट्वीट करते हुए कहा स्पष्ट किया था कि “मैं आज मदरसे के प्रांतीयकरण को निरस्त करने के लिए विधेयक पेश करुँगा। एक बार विधेयक पारित होने के बाद असम सरकार द्वारा मदरसा चलाने की प्रथा खत्म हो जाएगी। इस प्रथा की शुरुआत स्वतंत्रता-पूर्व असम में मुस्लिम लीग सरकार द्वारा की गई थी।” ज्ञात रहे कि यदि यह कानून लागू होता है तो सरकार के इस फैसले से राज्य के सभी सरकारी मदरसों और अरबी कॉलेजों को मिलने वाली सरकारी सहायता तुरंत प्रभाव से बंद कर दी जाएगी। इस प्रकार के निर्णय से देश में चल रहा मुस्लिम तुष्टिकरण का दौर भी कम होने की संभावना है । निश्चय ही मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीतिज्ञों की प्रवृत्ति ने देश को बहुत अधिक क्षति पहुंचाई है। जिसे लेकर लंबे समय से देश के राष्ट्रवादी बुद्धिजीवियों की ओर से चिंता प्रकट की जा रही थी। अब इस चिंता को मिटाने की दिशा में यदि असम सरकार आगे आ रही है तो निश्चय ही असम सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय का देश के राष्ट्रवादी बुद्धिजीवियों की ओर से स्वागत किया जाना अपेक्षित है। देश के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों और राजनीतिज्ञों की मुस्लिम तुष्टीकरण की इस प्रकार की नीति से देश के संविधान का पंथनिरपेक्ष स्वरूप भी प्रभावित हुआ। असम सरकार के इस नए कानून से अगले शैक्षणिक सत्र से राज्य मदरसा बोर्ड को भंग कर दिया जाएगा और उसकी सभी शैक्षणिक गतिविधियों को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। अब आसाम सरकार को अपने इस कानून के माध्यम से हिंदुओं की इस शिकायत को भी दूर करने का अवसर मिलेगा कि देश की सरकारें मंदिरों के चढ़ावे आदि पर तो ध्यान रखती हैं जबकि दरगाहों और मस्जिदों को इस प्रकार के चढ़ावे आदि से छूट दी जाती है । आसाम की सरकार से हमारा कहना है कि वह राज्य की सभी मस्जिदों और दरगाहों पर आने वाले चढ़ावे आदि पर ध्यान रखे और उस पैसे को जनहित के कार्यों पर वैसे ही खर्च करे जैसे हिंदुओं के मंदिरों से आने वाले चढ़ावे को खर्च किया जाता है । मदरसों में मजहबी पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले शिक्षकों को सामान्य विषयों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसे लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री शर्मा ने कहा था, “यह राज्य की शिक्षा प्रणाली को धर्मनिरपेक्ष बनाएगा। हम स्वतंत्रता पूर्व भारत के दिनों से इस्लामी धार्मिक अध्ययनों के लिए सरकारी धन का उपयोग करने की प्रथा को समाप्त कर रहे हैं। मदरसों को सामान्य स्कूलों में परिवर्तित कर दिया जाएगा।” प्रदेश के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल निश्चय ही एक साहसिक नेतृत्व देने वाले मुख्यमंत्री सिद्ध हुए हैं। जिन्होंने इस महत्वपूर्ण राज्य में कई ऐतिहासिक काम कर अपने राष्ट्रवादी और मजबूत नेतृत्व का परिचय दिया है। इस संदर्भ में हमें आसाम के शिक्षामंत्री श्री हिमांशु विश्व शर्मा द्वारा अक्टूबर में दिए गए उस बयान पर भी ध्यान देना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा था कि असम में कुल 614 सरकारी और 900 निजी मदरसे हैं। सरकार इन संस्थानों पर प्रति वर्ष 260 करोड़ रुपए खर्च करती है। राज्य में लगभग 100 सरकारी संस्कृत टोल्स (संस्कृत विद्यालय) और 500 से अधिक निजी टोल्स हैं। सरकार प्रतिवर्ष मदरसों पर लगभग 3 से 4 करोड़ रुपए खर्च करती है और लगभग 1 करोड़ रुपए संस्कृत टोल्स पर खर्च करती है। आसाम के शिक्षा मंत्री ने बिना किसी लाग लपेट के स्पष्ट शब्दों में कहा कि राज्य सरकार ने स्थिति का मूल्यांकन करते हुए फैसला किया है कि राज्य को सार्वजनिक धन के उपयोग से कुरान को पढ़ाना या उसका प्रचार नहीं करना चाहिए। आज के संदर्भ में किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के लिए ऐसा निर्णय लेना साहसिक माना जाएगा। क्योंकि मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के चलते राजनीतिक लोगों के दिलोदिमाग पर तुष्टीकरण का पक्षाघात हुआ पड़ा है। जिसके कारण वह कुछ बोल नहीं पाते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य द्वारा संचालित मदरसों के कारण कुछ संगठनों द्वारा भगवद गीता और बाइबल को भी स्कूलों में पढ़ाने की माँग की गई थी, लेकिन सभी धार्मिक शास्त्रों के अनुसार स्कूलों को चलाना संभव नहीं है। एआईडीयूएफ जैसी पार्टियों के विरोध के बावजूद शर्मा ने कहा था कि राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय को नहीं बदला जाएगा। माना कि सभी धर्म ग्रंथों के आधार पर किसी भी राज्य सरकार का संचालन किया जाना संभव नहीं है परंतु इतना तो संभव है कि जो शिक्षाएं पंथनिरपेक्ष भारत के निर्माण में सहायक हों उन्हें वेद और अन्य वैदिक ग्रंथों से लेकर पाठ्यक्रम को सुरुचिपूर्ण और देशहितकारी बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। वेद की सारी शिक्षाएं पंथनिरपेक्ष शिक्षाएं हैं। वह किसी भी संप्रदाय को या किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक सोच को प्रोत्साहित नहीं करतीं। इसलिए हमारे महान पूर्वजों के विचारों को और उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को स्पष्ट करने वाले संस्कृत साहित्य को विद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाना निश्चय ही देश के संविधान की मूल आत्मा के अनुरूप होगा। संस्कृत भाषा पर भी प्रतिबंध लगाना इस निर्णय का सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष है। एक बुराई को समाप्त करके असम सरकार ने उसी के साथ एक अच्छाई को भी समाप्त कर दिया , यह नहीं होना चाहिए था । हो सकता है यह निर्णय केवल इसलिए लिया गया हो कि मुस्लिमों को ऐसा न लगे कि केवल उनके मदरसों को ही बंद करने के लिए ही ऐसा किया गया है । यदि ऐसा है तो इसे तुष्टीकरण का रूपांतरण मात्र कहा जाएगा। क्या ही अच्छा हो कि आसाम सरकार वैदिक और संस्कृत साहित्य की मानवतावादी शिक्षाओं को लागू कराए रखने हेतु साहसिक पहल करते हुए अन्य राज्य सरकारों के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करे।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रथम सरसंघचालक से लेकर अब तक के सभी यानि छहों संघ प्रमुखों के साथ जिन्होंने न केवल कार्य किया हो अपितु जीवंत संपर्क व तादात्म्य भी रखा हो ऐसे स्वयंसेवक संभवतः दो-पाँच भी नहीं होंगे। आदरणीय माधव गोविंद वैद्य ऐसे ही सौभाग्यशाली स्वयंसेवक थे। उनके देहांत पर अपने शोकसंदेश मे सरसंघचालक मोहनराव जी भागवत ने कहा – “अब बड़ी दुविधा होगी कि सलाह लेने किसके पास जायें?” यह कथन स्व. वैद्य जी के महत्व व भूमिका को स्पष्ट कर देता है। स्व. एमजी वैद्य का निजी, पारिवारिक और सामाजिक जीवन संघ के संस्कारों का प्रतिबिंब था। उनके पुत्र श्रीराम वैद्य जो की प्रचारक होकर वर्तमान मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विदेश कार्य को देखते है, नागपूर के महाविद्यालय मे शिक्षारत थे; ने एक बार अपने महाविद्यालय मे आवेदन देकर अपना शिक्षा शुल्क माफ करवा लिया। जब कुछ महीनों तक श्रीराम वैद्य ने अपने पिता से महाविद्यालय शुल्क हेतु राशि नहीं मांगी तो स्व. श्री वैद्य ने अपने बेटे से पूछा की कई दिन हो गए तुमने फीस हेतु पैसे नहीं मांगे तब राम वैद्य ने बताया की उन्होने महाविद्यालय प्रशासन से अपनी फीस माफ करवा ली है। इस बात पर स्व. एमजी वैद्य बड़े नाराज हुये और उन्होने आगे ऐसा करने हेतु मना किया और तुरंत महाविद्यालय को एक पत्र लिखा – “मैंने फीस की व्यवस्था पूर्व से ही बनाकर रखी हुई है और अब महाविद्यालय प्रशासन न केवल फीस माफी रद्द कर मेरे पुत्र से फीस ले बल्कि जो विलंब शुल्क बनता है वह भी साथ मे ले। शुचिता, आत्मसम्मान व शुद्ध आचरण के ऐसे विशिष्ट आग्रही थे आदरणीय मा. गो. वैद्य।
संघ जो की अपने प्रचार व आत्मप्रशंसा से मीलों दूर रहता ने देश मे हुई कई विशिष्ट घटनाओं व विशेषतः 1992 की बाबरी विध्वंस की घटना के पश्चात समाज मे अपनी भूमिका का स्पष्ट संदेश देने हेतु एक प्रचार विभाग के गठन की आवश्यकता आभास की। जब इस प्रचार विभाग का गठन हुआ तब मा. गो. वैद्य इस प्रचार विभाग के प्रथम प्रमुख यानि प्रवक्ता बने। सार्वजनिक जीवन वाले लोग व जनता से सीधे जुड़े हुये संगठन सामान्यतः प्रेस के लोगों के साथ बड़े ही विशाल हृदयता के साथ पेश आते हैं व उनके प्रति आग्रही व आकर्षण भाव को भी रखते हैं। स्व. श्री वैद्य इसके एकदम विपरीत थे। एक बार किसी बड़े राष्ट्रीय समाचार पत्र के पत्रकार ने स्व. श्री वैद्य से चर्चा हेतु समय मांगा, तो दोपहर 3 बजे का समय तय हो गया। हुआ कुछ यूं कि वह पत्रकार आधा घंटा विलंब से 3.30 पर पहुंचा तो श्री एमजी वैद्य ने मिलने से मना कर दिया और स्पष्ट कहा कि समय 3 बजे का तय था अतः अब चर्चा नहीं होगी। पत्रकार अवाक और हतप्रभ हो गया की सार्वजनिक जीवन मे प्रचार की भूख वाले लोगो के मध्य ऐसा भी कोई व्यक्ति या संगठन हो सकता है। खैर, दूसरे दिन हेतु पुनः मिलने का समय पांच बजे का तय हुआ। दूसरे दिन वह पत्रकार समय पूर्व चार बजे ही आ गया, तब श्री मा. गो. वैद्य चाय पीते हुये स्वच्छंद भाव से कुछ पढ़ रहे थे। पत्रकार ने कहा कि लीजिये आज मैं समय पूर्व ही आ गया हूँ और आप भी फ्री हैं तो चर्चा कर लेते हैं, किंतु श्री वैद्य तो किसी और ही मिट्टी के बने हुये थे, उन्होने दृढ़तापूर्वक उस पत्रकार से कहा कि जो समय नियत है उसी पर चर्चा होगी, आप या तो पांच बजे तक यहीं एक घंटा समय व्यतीत करें या जाकर पुनः पांच बजे आ जाएं। समय व जीवन प्रबंधन के ऐसे कठोर आग्रही थे वे। यह समय प्रबंधन उनकी जीवन शैली मे मृत्युपर्यंत झलकता रहा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जैसे अंतर्मुखी, अंतर्तत्वी व अन्वेषी संगठन के प्रवक्ता की भूमिका सरल नहीं थी, वह भी तब जब आपके पास प्रवक्ता की भूमिका की कोई पिछली परंपरा या आदर्श नहीं था। श्री मा. गो. वैद्य को संघ के प्रवक्ता के निरापद, सर्वदा सापेक्ष किंतु सदैव निरपेक्ष भूमिका निर्वहन करने का अग्निपथ मिला था। उस कालखंड मे देश विभिन्न झंझावातों मे घिरा था व राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय मीडिया प्रतिदिन संघ से बड़े ही उलझन भरे प्रश्न पूछता रहता था। श्री एमजी जानते थे की इस अग्निपथ पर यदि वे झुलसे तो वे अकेले नहीं अपितु समूचा संगठन चोटिल होगा। इस अग्निपथ पर न केवल वे चले बल्कि निर्बाध, निर्विघ्न, निर्विकार चले। अपनी ऊर्जावान दायित्व यात्रा को यशस्वी बनाया उन्होने और एक उदाहरण प्रस्तुत कर दिया। इसे श्री वैद्य की पुण्याई या परीक्षा भी कह सकते हैं कि संघ के इस कंटकाकीर्ण प्रचारप्रमुख का दायित्व उनके दूसरे प्रचारक पुत्र श्री मनमोहन वैद्य को वहन करने का अवसर मिला। कहना न होगा कि श्री एमजी वैद्य के पुत्र एम एम वैद्य
जो की संघ के प्रचारक भी हैं; ने भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुये इस दायित्व को सार्थक किया और आज वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह की भूमिका मे शोभायमान हैं।
अपने सख्त कवच व आभामंडल के मध्य बड़ी ही स्मित, मधुर सी मुस्कान सदैव श्री एमजी के मुखड़े पर सजी रहती थी। संभवतः यह मुस्कान ही उनके तनाव भरे दायित्व का समूचा ताप हर लेती थी। बड़ी विनोदप्रियता भी थी उनमे, वे कभी कभार यह भी कह देते थे कि मैं संघ का प्रचारक नहीं हूं, मैं प्रचारकों का बाप हूं। उनके दो पुत्र राम जी वैद्य व श्री मनमोहन वैद्य आज अपना घर, भाई-बहिन व रिश्ते नाते त्यागकर संघ के प्रचारक की अटल भूमिका मे हैं।
आरएसएस के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी व सरसंघचालक मोहनराव भागवत जी ने श्री मा. गो. के निधन पर जो आधिकारिक व्यक्तव्य दिया उसका शब्द शब्द उनके कृतित्व व कर्मणा मानस को साक्षीत्व देता है - ”श्रीमान माधव गोविंद उपाख्य बाबूराव वैद्य के शरीर छोड़ने से हम सब संघ के कार्यकर्त्ताओं ने अपना एक वरिष्ठ छायाछत्र खो दिया है। संस्कृत के प्रगाढ़ विद्वान, उत्तम पत्रकार, विधान परिषद के सक्रिय सदस्य, उत्कृष्ट साहित्यिक, ऐसी सारी बहुमुखी प्रतिभा के धनी, बाबूराव जी ने यह सारी गुणसंपदा संघ में समर्पित कर रखी थी। वे संघ कार्य विकास के सक्रिय साक्षी रहे।”
साहित्य सृजन हेतु वे अपनी व्यस्ततम दिनचर्या से भी किसी भी प्रकार समय निकाल ही लेते थे। उनकी पुस्तक “हिन्दुत्व” का हिंदी व मराठी में प्रकाशन हुआ। इसी तरह हिंदू संगठन, हिंदू हिंदुत्व, हिंदू राष्ट्र (मराठी), शब्दांच्या गाठीभेटी (मराठी ), राष्ट्र, राज्य आणि शासन (मराठी), ज्वलन्त प्रश्न- मूलगामी चिंतन , रविवार चा मेवा (मराठी), काश्मीर -समस्या व समाधान (मराठी व हिंदी), आपल्या संस्कृतीची ओळख (मराठी), अभिप्राय (मराठी), राष्ट्रीयत्वाच्या सन्दर्भात -हिन्दू, मुसलमान व ख्रिस्ती (मराठी), शब्ददिठी शब्दमिठी (मराठी), मेरा भारत महान (मराठी, हिन्दी व अंग्रेजी), काल, आज आणि उद्या (मराठी व हिन्दी), संघबंदी, सरकार आणि श्रीगुरुजी (मराठी), धर्मचर्चा, सुबोध संघ (मराठी व हिन्दी), ठेवणीतले संचित, विचार विमर्श, तरंग भाष्यामृताचे, रंग माझ्या जीवनाचे, मैं संघ में मुझमें संघ, (हिंदी आत्मवृत्त) आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। श्री मा. गो. वैद्य को महाराष्ट्र सरकार का 'महाकवि कालिदास संस्कृत साधना पुरस्कार, राष्ट्रसन्त तुकडोजी जीवनगौरव पुरस्कार, डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान, का 'बौद्धिक योद्धा' सम्मान, राजमाता विजयाराजे सिंधिया पत्रकारिता सम्मान, श्यामरावबापू कापगते स्मृति प्रतिष्ठान का 'जीवन गौरव व राष्ट्रसेवा' पुरस्कार, गणेश शंकर विद्यार्थी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार, महाराष्ट्र विधानमंडल का कृतज्ञता सम्मान, नागपुर श्रमिक पत्रकार संघ का लोकमान्य तिलक पत्रकारिता पुरस्कार, कविगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय का 'महामहोपाध्याय' सम्मान, मुंबई पत्रकार संघ का जीवन गौरव पुरस्कार जैसे कई अन्य सम्मान व पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।
आठ वर्ष की अबोध बालक की आयु से 97 वर्ष की आयु तक संघ की शाखा जाने वाले व्रती स्वयंसेवक रहे वे। संभवतः यही कारण रहा कि वे विपरीत ध्रुवों पर भी चैतन्य रहे। मिशनरी कालेज हिस्लाप मे उन्होने दीर्घ समय तक नौकरी की किंतु कभी भी नौकरी की आड़ मे अपनी वैचारिक प्रतिबद्धताओं पर आंच नहीं आने दी। बाद मे वे नरकेसरी प्रकाशन नागपूर के प्रमुख बने व “तरुण भारत” समाचार पत्र का संपादन करते हुये उसे शीर्ष पर पहुंचाया।
जो लग संघ की भीतरी व्यवस्थाओं को समझते हैं उनके लिए स्व. एमजी वैद्य एक आश्चर्यमिश्रित श्रद्धा का केंद्र थे क्योंकि गृहस्थ रहते हुये इतने निर्विकार भाव से संघकार्य करते रहना एक बड़ा ही दुष्कर, दुरूह व दुर्गम कार्य था जिसे उन्होने न केवल किया अपितु बड़े ही परिष्कृत व अनुकरणीय रीति, नीति पद्धति से किया। गृहस्थ होते हुये संघकार्य किस प्रकार करना इस विषय के वे “संदर्भग्रंथ” बन गए हैं।
11 मार्च 1923 को जन्में श्री वैद्य का जीवन गृहस्थ तपस्वी का, संघकार्य मे अटूट निष्ठा का व निस्पृह साधना का रहा। यह भी सुखद संयोग व आश्चर्य ही है कि 19, दिसंबर की दोपहर जब 97 वर्ष की आयु मे श्री एमजी वैद्य का देहांत हुआ तब उसी समय पर उनकी प्रस्तावना वाली एक ऐसी पुस्तक का विमोचन हो रहा था जिसमें परमपूजनीय ससंघचालक मोहनराव जी भागवत के 17 भाषण संकलित किए गए हैं।
उनके सभी प्रियजनों व अनुचरों को आशा थी की वे शतायु पूर्ण करेंगे किंतु हम सबकी यह आस प्रभु ने अधूरी रखी, इस बात का दुख है। अनंत प्रणाम व विनम्र श्रद्धांजलि।