धर्म-अध्यात्म “अविद्या से रहित तथा विद्यायुक्त एकमात्र ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश” October 27, 2018 / October 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महाभारत काल के बाद से पूरे विश्व के अध्यात्म एवं सामाजिक जगत में घोर अविद्या फैली हुई है। मनुष्य को अपनी आत्मा सहित ईश्वर के सत्यस्वरूप का ज्ञान नहीं है। उसे अपने परिवार व समाज के प्रति भी अपने कर्तव्यों का ज्ञान नहीं है और न उसे यह पता है किससे क्या […] Read more » ईश्वर ईश्वर का स्वरूप ईश्वर के कार्य ईश्वर के गुण ईश्वरीय ज्ञान उपनिषद कर्म और स्वभाव दर्शन मनुस्मृति वेद
धर्म-अध्यात्म “वैदिक धर्म सर्वश्रेष्ठ क्यों है?” October 19, 2018 / October 19, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, संसार में अनेक मत मतान्तर प्रचलित हैं। सभी अपने आप को मत, पन्थ आदि न कह कर ‘‘धर्म” कहते हैं। क्या यह सभी धर्म हैं? यदि ये सभी धर्म होते तो इनकी सभी मान्यतायें, सिद्धान्त व परम्परायें एक समान होती व सत्य होती। जल का जो धर्म है वह उसका तरल होना, […] Read more » “वैदिक धर्म सर्वश्रेष्ठ क्यों है?” ईश्वर उपासना परोपकार पुरुषार्थ प्रार्थना यज्ञ स्तुति
धर्म-अध्यात्म -वैदिक साधनप आश्रम तपोवन के शरदुत्सव के दूसरे दिन सायंकालीन का सत्संग-“ऋषि ऋत्मभरा बुद्धि को प्राप्त समाधि अवस्था में वेद मंत्रों के रहस्यों को जानने वाला होता है : आचार्य उमेशचन्द्र कुलश्रेष्ठ” October 6, 2018 by अभिलेख यादव | 2 Comments on -वैदिक साधनप आश्रम तपोवन के शरदुत्सव के दूसरे दिन सायंकालीन का सत्संग-“ऋषि ऋत्मभरा बुद्धि को प्राप्त समाधि अवस्था में वेद मंत्रों के रहस्यों को जानने वाला होता है : आचार्य उमेशचन्द्र कुलश्रेष्ठ” मनमोहन कुमार आर्य, वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के शरदुत्सव के दूसरे दिन सांयकालीन व रात्रिकालीन सत्संग का आरम्भ भजनों से हुआ। प्रथम आर्य भजनोपदेशक श्री आजाद सिंह लहरी ने एक भजन सुनाया जिसके बोल थे ‘ओ३म् नाम का सुमिरन कर ले कह दिया कितनी बार तुझे’। इसके बाद सहारनपुर से पधारे भजनोपदेशक श्री रमेश […] Read more » आर्यसमाज ईश्वर मन्दिर यशस्वी श्री शैलेश मुनि सत्यार्थी सृष्टि
धर्म-अध्यात्म “आध्यात्मिकता रहित भौतिक सुखों से युक्त जीवन अधूरा व हानिकारक है” September 28, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “आध्यात्मिकता रहित भौतिक सुखों से युक्त जीवन अधूरा व हानिकारक है” मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य मननशील प्राणी है। मनुष्य अन्नादि से बना भौतिक शरीर मात्र नहीं है अपितु इसमें एक अनादि, नित्य, अविनाशी, अमर, अल्पज्ञ, जन्म-मरण धर्मा, शुभाशुभ कर्मों का कर्ता व भोक्ता जीवात्मा भी है जो इस शरीर का स्वामी है। आश्चर्य है कि अधिकांश शिक्षित व भौतिक विज्ञानी भी अपनी आत्मा के स्वरूप व […] Read more » ईश्वर धार्मिक राजधर्म सच्चिदानन्दस्वरूप सर्वव्यापक सामाजिक
धर्म-अध्यात्म “मनुष्य वही है जो सदा सत्य का आचरण करता है” September 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य क्या वास्तव में मनुष्य है? यह प्रश्न इसलिये करना पड़ रहा है कि किसी देश व समाज के जो नियम होते हैं, उनका वर्तमान समय में पालन देखने को नहीं मिल रहा है। वैदिक शिक्षा है कि मनुष्य को सत्य बोलना चाहिये तथा असत्य नहीं बोलना चाहिये। सत्य बोलना धर्म के […] Read more » ईश्वर देश मनुष्य सत्य समाज व न्यायालय
धर्म-अध्यात्म समाज -आर्यसमाज धामावाला, देहरादून का साप्ताहिक सत्संग-“माता-पिता व पितरों की सेवा से सन्तानों द्वारा उनका ऋण चुकता होता है : आचार्य वीरेन्द्र शास्त्री” September 24, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज, धामावाला, देहरादून सन् 1879 में महर्षि दयानन्द जी द्वारा स्थापित आर्यसमाज है जहां उन्होंने विश्व में पहली बार एक मुस्लिम मत के बन्धु मोहम्मद उमर व उसके परिवार को उसकी इच्छानुसार वैदिक धर्म में दीक्षित कर उसे अलखधारी नाम दिया था। आज रविवार के सत्संग में यहां आरम्भ में अग्निहोत्र हुआ […] Read more » आचार्य वीरेन्द्र शास्त्री जी आर्यसमाज ईश्वर याज्ञवल्क्य श्राद्ध श्री वीरेन्द्र शास्त्री
कविता जिन्दगी की कुछ सच्चाईयां September 22, 2018 / September 22, 2018 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on जिन्दगी की कुछ सच्चाईयां तू कल की फिकर में ऐ बन्दे ! आज की हंसी बर्बाद न कर हंस मरते हुए भी गाता है मोर नाचते हुए भी रोता है ये जिन्दगी का फंडा है दोस्त ! इसको हमेशा तू याद रखना दुखों वाली रात को भी नींद नहीं आती सुखो वाली रात को भी नींद नहीं आती ईश्वर […] Read more » आँख में आँसू ईश्वर जिन्दगी की कुछ सच्चाईयां फकीरों
धर्म-अध्यात्म ‘सत्यार्थ प्रकाश के प्रचार में शिथिलतायें दूर होनी चाहियें’ September 14, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश एक ऐसा ग्रन्थ रचा है जो ‘भूतो न भविष्यति’ कथन को सार्थक सिद्ध करता है। ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य वेदों का प्रचार व प्रसार करना था। सत्यार्थप्रकाश वेदों के प्रचार व प्रसार का सबसे अधिक सशक्त माध्यम है। सत्यार्थप्रकाश का प्रचार और […] Read more » ईश्वर ऋग्वेदादिभाष्य ऋषि दयानन्द जीवात्मा सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म “मोक्ष प्राप्ति तक मनुष्य जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त नहीं हो सकता” September 12, 2018 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on “मोक्ष प्राप्ति तक मनुष्य जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त नहीं हो सकता” मनमोहन कुमार आर्य, हम मनुष्य हैं और हमारा जन्म हुआ है। श्रीमद्भगवद्-गीता का प्रसिद्ध वचन है ‘जातस्य हि ध्रुवो मृत्यु धु्रवं जन्म मृतस्य च’ अर्थात् जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है और जिसकी मृत्यु होती है उसका पुनर्जन्म भी निश्चित है। इस सत्य वेदोक्त सिद्धान्त के अनुसार हम सब की भी भविष्य में […] Read more » ईश्वर मनुष्य महर्षि दयानन्द सत्यार्थप्रकाश
प्रवक्ता न्यूज़ ‘‘हितकारी प्रकाशन समिति, हिण्डोन सिटी द्वारा सम्मान के लिये हार्दिक धन्यवाद’’ September 6, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि-भक्त आर्य-श्रेष्ठ श्री प्रभाकरदेव आर्य जी विगत लगभग 25 वर्षों से दुलर्भ, हितकारी एवं जीवनोन्नति के आधार आर्य साहित्य के प्रकाशन का प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं। आप अब तक लगभग 200 मूल्यवान ग्रन्थों का प्रकाशन कर चुके हैं जिसमें ऋषि दयानन्द के ग्रन्थों सहित पं. हरिशरण सिद्धान्तालंकार कृत चारों वेदों का […] Read more » आत्मा आभूषण ईश्वर एवं नगद धनराशि धर्म माला वस्त्र समाज विषयक ज्ञान
धर्म-अध्यात्म गुरुकुल पौंधा-देहरादून में 21 नये ब्रह्मचारियों के उपनयन एवं वेदारम्भ संस्कार सोल्लास सम्पन्न” September 1, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, आर्ष गुरुकुल पौंधा-देहरादून में आज दिनांक 25 अगस्त, 2018 को 21 नये प्रवेशार्थी ब्रह्मचारियों के उपनयन एवं वेदारम्भ संस्कार सोल्लास सम्पन्न हुए। आचार्य के प्रतिष्ठित पद पर आर्यजगत के वेदों के विख्यात विद्वान डॉ. रघुवीर वेदालंकार उपस्थित थे। उन्होंने दोनों संस्कारों की उन सभी क्रियाओं को जो आचार्य और ब्रह्मचारियों के […] Read more » Featured अभिमान आलस्य ईश्वर चपलता डा. रघुवीर वेदालंकार डॉ. आचार्य देवव्रत मद माता पिता मोह स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती
धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वर, माता-पिता और आचार्य का जीवन में सर्वोपरि स्थान’ August 31, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य जीवन में सबसे महत्वपूर्ण क्या व कौन है, इसका विचार करने पर जो उत्तर मिलता है वह यह कि हमें अपने शरीर व स्वास्थ्य का ध्यान रखना है। इस शरीर को आसन-प्राणायाम-व्यायाम तथा आहार-निद्रा-ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए स्वस्थ रखना है। मनुष्य जीवन में सबसे महत्वपूर्ण ईश्वर है और उसके बाद […] Read more » Featured आर्याभिविनय ईश्वर उत्तम स्वास्थ्य ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ओषधि जीवात्मा धन एवं समृद्धि वस्त्र सत्यार्थप्रकाश सुख सृष्टि सेवा