प्रवक्ता न्यूज़ समाज क्या आत्महत्या समस्या का समाधान है या नयी समस्या का सर्जक December 10, 2018 / December 10, 2018 by अनिल अनूप | Leave a Comment अनिल अनूपहाल ही में शाहाबाद (कुरुक्षेत्र) में एक व्यक्ति ने फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली और मरने से पहले उसने अपने घर की दीवारों और फेसबुक पर लिखा कि मेरी मौत के लिए मेरी पत्नी जिम्मेवार है। अपनी पत्नी के साथ हुई अनबन को इसका कारण बताया गया। हिसार में एक दंपति ने ट्रेन […] Read more » क्या आत्महत्या समस्या का समाधान है या नयी समस्या का सर्जक नातेदारी परिवार मित्रता विवाह संबंध व्यावसायिक
धर्म-अध्यात्म “मर्यादा पुरुषोत्तम राम को अमरता प्रदान करने वाले विश्व वन्दनीय ऋषि वाल्मीकि” October 24, 2018 / October 24, 2018 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on “मर्यादा पुरुषोत्तम राम को अमरता प्रदान करने वाले विश्व वन्दनीय ऋषि वाल्मीकि” मनमोहन कुमार आर्य, आज महर्षि वाल्मीकि जी का जन्म दिवस है। हम यह भूल चुके हैं कि हमारी धर्म व संस्कृति के गौरव मर्यादा पुरुषोत्तम राम को हम जितना जानते हैं उसका आधार वैदिक ऋषि वाल्मीकि जी का महाकाव्य ‘‘रामायण” है। भारत व अन्यत्र श्री राम के विषय में जो भी ग्रन्थ रचे गये वह […] Read more » अहंकार क्रोध जीवन परिवार मनुष्य काम महत्वाकांक्षा महर्षि वाल्मीकि लोभ समाज सूर्य महर्षि दयानन्द स्वार्थ
राजनीति समाज जीते जी सम्मानों से बहुत परहेज करते थे अटल जी August 23, 2018 / August 23, 2018 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment सौरभ मालवीय महाराष्ट्र की पुणे नगरपालिका द्वारा 23 जनवरी, 1982 को आयोजित गौरव सम्मान समारोह में अटल बिहारी वाजपेयी को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर समारोह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘किन शब्दों में मैं अपने भावों को व्यक्त करूं. व्यक्त न करने का कारण या न कर पाने का कारण ये नहीं […] Read more » Featured चौथा धर्म और पांचवां पंचायत. जीते जी सम्मानों से बहुत परहेज करते थे अटल जी तीसरा पूजा गृह दूसरी पाठशाला नेताजी सुभाषचन्द्र बोस परिवार भव्य राष्ट्र राष्ट्र जीवन
धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वर का न्याय आदर्श न्याय है जिसमें सभी मनुष्यों के शुभाशुभ कर्मों का सुख व दुःख रूपी फल मिलता हैः डा. नवदीप कुमार’ July 3, 2018 / July 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज धामावाला, देहरादून ऋषि दयानन्द के कर कमलों से स्थापित आर्यसमाज है जिसकी स्थापना सन् 1879 में हुई थी। विश्व की प्रथम शुद्धि इसी आर्यसमाज में हुई थी। मुहम्मद ऊमर नामक एक मुस्लिम बन्धु वैदिक धर्म की विशेषताओं एवं महत्व को जानकर स्वेच्छा से आर्य बने थे और उन्होंने अलखधारी नाम ग्रहण […] Read more » Featured आदर्श न्याय ईश्वर तेजस्वी देशभक्त परिवार ये उपाय बनायेंगे आपके बच्चे को कुशाग्र/बुद्धिमान विद्यार्थी राष्ट्र समाज सुख व दुख सुन्दर
कला-संस्कृति समाज परिवार व समाज की एकता का पर्व दिवाली October 17, 2017 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिन्दुस्थानी भारत के त्यौहारों की विशेषता यह है कि यह सामाजिक एकता के अनुपम आदर्श हैं। इसी भाव के साथ प्राचीन काल से यह पर्व हम सभी मनाते चले आ रहे हैं। वर्तमान में पर्वों का यह शाश्वत भाव आज भी प्रचलन में है। हम देखते हैं कि आजीविका के लिए घर से दूर […] Read more » दिवाली परिवार समाज की एकता
जन-जागरण समाज परिवार को पतन की पराकाष्ठा न बनने दे March 24, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग वर्तमान दौर की एक बहुत बड़ी विडम्बना है कि पारिवारिक परिवेश पतन की चरम पराकाष्ठा को छू रहा है। अब तक अनेक नववधुएँ सास की प्रताड़ना एवं हिंसा से तंग आकर भाग जाती थी या आत्महत्याएँ कर बैठती थी वहीं अब नववधुओं की प्रताड़ना एवं हिंसा से सास उत्पीड़ित है, परेशान है। वे […] Read more » Featured पतन की पराकाष्ठा परिवार
समाज बृद्धावस्था बोझ नहीं, परिवार व समाज के उद्धारक बनें March 10, 2017 / March 10, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 1 Comment on बृद्धावस्था बोझ नहीं, परिवार व समाज के उद्धारक बनें दादा दादी , नाना नानी के संरक्षण में बच्चों में आत्मविश्वास और सुरक्षित होने की भावना बढ़ती है। जिन घरों में गृहणियां बाहर नहीं जातीं , वहां भी वरिष्ठ सदस्यों की प्रासंगिकता रहती है। पति पत्नी एक मर्यादा में रहते हैं। बात बात में आपे से बाहर नहीं होते।बुढ़ापे को बेकार मत समझिए। इसे सार्थक दिशा दीजिए। तन में बुढ़ापा भले ही आ जाए, पर मन में इसे मत आने दीजिए। आप जब 21 के हुए थे तब आपने शादी की तैयारी की थी, अब अगर आप 51 के हो गए हैं तो शान्ति की तैयारी करना शुरू कर दीजिए। सुखी बुढ़ापे का एक ही मन्त्र हैं। दादा बन जाओ तो दादागिरी छोड़ दो और परदादा बन जाओ तो दुनियादारी करना छोड़ दो। Read more » Featured परिवार बृद्धावस्था बोझ नहीं समाज के उद्धारक
साक्षात्कार स्वामी सानंद: परिवार और यूनिवर्सिटी ने मिल गढ़ा गंगा व्यक्तित्व April 21, 2016 by अरुण तिवारी | Leave a Comment प्रस्तुति: अरुण तिवारी प्रो जी डी अग्रवाल जी से स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद जी का नामकरण हासिल गंगापुत्र की एक पहचान आई आई टी, कानपुर के सेवानिवृत प्रोफेसर, राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय के पूर्व सलाहकार, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रथम सचिव, चित्रकूट स्थित ग्रामोदय विश्वविद्यालय में अध्यापन और पानी-पर्यावरण इंजीनियरिंग के नामी सलाहकार के रूप […] Read more » Featured गंगा व्यक्तित्व परिवार यूनिवर्सिटी स्वामी सानंद
समाज व्यक्ति और परिवार November 18, 2015 by अनिल गुप्ता | 2 Comments on व्यक्ति और परिवार भारत में तलाक की बढ़ती वारदातों के पीछे समाज में पश्चिम का अंधानुकरण मुख्य कारण है!पश्चिम के समाज में और हमारे समाज के संरचनात्मक सोच में बड़ा अंतर है! पश्चिम के अनुसार व्यक्ति का परिवार से, परिवार का समाज से, परिवार से नगर का, नगर से राज्य का, राज्य से राष्ट्र का, और राष्ट्र से […] Read more » Featured परिवार व्यक्ति व्यक्ति और परिवार
विविधा संस्कृतियों को बचाने के लिए संयुक्त परिवार जरूरी May 16, 2015 by आदर्श तिवारी | 1 Comment on संस्कृतियों को बचाने के लिए संयुक्त परिवार जरूरी –आदर्श तिवारी- महान समाजशास्त्री लूसी मेयर ने परिवार को परिभाषित करते हुए बताया कि परिवार गृहस्थ्य समूह है. जिसमें माता –पिता और संतान साथ –साथ रहते है. इसके मूल रूप में दम्पति और उसकी संतान रहती है. मगर ये विडंबना ही है कि, आज के इस परिवेश में दम्पति तो साथ रह रहें, लेकिन इस […] Read more » Featured परिवार संयुक्त परिवार संस्कृति संस्कृतियों को बचाने के लिए संयुक्त परिवार जरूरी
जन-जागरण विविधा क्षत-विक्षत होता परिवार ? May 14, 2015 / May 14, 2015 by निर्भय कर्ण | Leave a Comment -15 मई- अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस- -निर्भय कर्ण- नेपाल में आए महाभूकंप ने न जाने कितने परिवारों को क्षत-विक्षत कर दिया, एक-दूसरे को एक-दूसरे से अलग कर दिया। जिन परिवारों की दुनिया अकेली हो गयी है यदि उनसे परिवार का मतलब पूछ लिया जाए तो उनके आंखों से बरबस ही आंसू निकल पड़ते हैं और बोल […] Read more » Featured एकल परिवार क्षत-विक्षत होता परिवार ? परिवार मिश्रित परिवार
जन-जागरण जरूर पढ़ें आधुनिकता बनाम परिवार May 2, 2015 by गंगानन्द झा | 1 Comment on आधुनिकता बनाम परिवार -गंगानन्द झा- परिवार की हमारी पारम्परिक अवधारणा और संरचना को आधुनिकता के ज्वार के कारण काफी तनाव का सामना करना पड़ रहा है । मनुष्य एक ही साथ व्यक्ति तथा समूह के अवयव की सत्ता रखा करता है । हमारी परम्परा में परिवार के सदस्य अपने को प्रथमतः परिवार के अवयव के रूप में पाया […] Read more » Featured आधुनिक समय आधुनिकता बनाम परिवार परिवार