महिला-जगत समाज विलम्ब से विवाह वरदान या अभिशाप ? July 25, 2018 / July 25, 2018 by शालिनी तिवारी | Leave a Comment शालिनी तिवारी विवाह की अवधारणा: वि+वाह; यानी विशेष उत्तरदायित्व का निर्वहन करना. सनातन धर्म में विवाह को सोलह संस्कारों में से एक अहम् संस्कार माना गया है. पाणिग्रहण संस्कार को ही हम आम बोलचाल की भाषा में विवाह संस्कार के नाम से जानते हैं. वैदिक मान्यताओं के अनुसार, व्यक्ति के समस्त कालखंडों को चार भागों […] Read more » Featured दैव विवाह धर्म पैशाच विवाह: प्रजापत्य विवाह ब्रह्म विवाह मातृभाषा विलम्ब से विवाह वरदान या अभिशाप ? विवाह सभ्यता संस्कार संस्कारों संस्कृति स्त्री या पुरुष
समाज क्या मुरारी बापू द्वारा हिन्दू विवाह संस्कार के विरुद्ध किया गया कृत्य निंदनीय हैं ?? November 29, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | 4 Comments on क्या मुरारी बापू द्वारा हिन्दू विवाह संस्कार के विरुद्ध किया गया कृत्य निंदनीय हैं ?? प्रिय मित्रों/पाठों/विद्वान बंधुओं, पता नहीं क्यों, किन्तु सत्य हें की पूज्य मुरारी बापू ने बनारस के शमशान में फेरे करवा कर शादी करवाए | कल को तो मृत शरीर को भी श्मशान मे क्यो घर पर ही वेदी मे ही मुखाग्नि दे देगे | जब चिता अग्नि मे विवाह संस्कार हो सकता है तो घर […] Read more » Delhi Featured Marriage at crematorium Morari bapu ncr मोरारी बापू राष्ट्र की संत परंपरा विवाह शमशान में फेरे
समाज शाहबानो से शायरा बानो तक August 25, 2017 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment यह बड़ा ही शर्मनाक तथ्य है कि जो तीन तलाक पाकिस्तान जैसे कट्टरपंथी इस्लामिक देश में 1961 में प्रतिबंधित हो गया और पच्चीसों अन्य अरब-इस्लामिक देशों में दशकों से प्रतिबंधित है वही तीन तलाक भारत में आज भी शाहबानों से लेकर शायरा बानों तक कछुआ चाल से ही पहुँच पाया है. शायरा बानो वह मुस्लिम […] Read more » Featured FGM उत्तराधिकार गोद लेना तीन तलाक तीन तलाक के मुद्दे पर मोदी को मतदान तीन तलाक पर व्यवस्थित विधायी प्रबंध बोहरा समाज की महिलाएं मुस्लिम पर्सनल ला मुस्लिम बहुविवाह यूनिफार्म सिविल कोड विवाह शायरा बानो शाहबानो समान नागरिक संहिता संरक्षण सुप्रीम कोर्ट स्त्री खतना स्त्री-खतना Female Genital Mutilation हलाला
समाज उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण अनिवार्य August 5, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश में विवाह पंजीकरण को अनिवार्य घोषित कर सामाजिक सुधारों की दिशा में एक क्रांतिकारी निर्णय लिया है। इस निर्णय से महिला अधिकारों की रक्षा होगी, साथ ही इसका सीधा लाभ उन मुस्लिम महिलाओं को अधिक मिलेगा जिनके पति उनकी बिना स्वीकृति और सहमति […] Read more » Featured marriage registration उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ लिव इन रिलेशनशिप विवाह विवाह पंजीकरण सरकार
कला-संस्कृति विविधा समाज की प्राचीन और सर्वमान्य रीति विवाह May 16, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध”- मानव की शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक उन्नति के लिए जन्म से मृत्युपर्यन्त भिन्न-भिन्न समय पर अलग-अलग संस्कारों की व्यवस्था प्राचीन ऋषि-मुनियों ने की है। मानव-जीवन की उन्नति मेंं विशिष्ट महत्व रखने वाली सोलह संस्कारों में से एक तेरहवाँ और अतिमहत्वपूर्ण संस्कार विवाह है। विवाह एक धार्मिक संस्कार है, जो धर्म की रक्षा करता […] Read more » Featured विवाह समाज की प्राचीन और सर्वमान्य रीति विवाह सामाजिक रीति
समाज बेमेल विवाह November 24, 2014 by बीनू भटनागर | 1 Comment on बेमेल विवाह मेरा तो मानना है कि हर विवाह ही बेमेल विवाह होता है,क्योंकि कोई भी दो व्यक्ति एक सी सोच, एक सी विचारधारा, एक सी धार्मिक आस्था, एक से रहन सहन, एक से मिज़ाज, रूपरंग मे समकक्ष, आर्थिक स्थिति मे भी समान, शिक्षा मे भी समान हों, मिल पाना लगभग असंभव ही है।जीवन साथी मिलना कपड़े […] Read more » Mismatched Marriage बेमेल विवाह विवाह
कला-संस्कृति विवाह और इसकी कुछ विकृतियां June 14, 2014 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on विवाह और इसकी कुछ विकृतियां -मनमोहन कुमार आर्य- वैदिक व्यवस्था में मनुष्य के जीवन को चार आश्रमों में समयोजित किया गया है। यह आश्रम हैं, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास हैं जिनमें प्रत्येक आश्रम की अवधि सामान्यतः 25 वर्ष निर्धारित है। पहले आश्रम ब्रह्मचर्य में 8-12 वर्ष की अवस्था तक, अथवा कुछ पहले अपने बालक व बालिकाओं को माता-पिता को […] Read more » विवाह विवाह विकृति
समाज अविवाहित सहजीवन का विषाद ! विवाह का प्रसाद – हृदयनारायण दीक्षित May 19, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 7 Comments on अविवाहित सहजीवन का विषाद ! विवाह का प्रसाद – हृदयनारायण दीक्षित सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित सहजीवन को वैध ठहराया है। कोर्ट की अपनी सीमा है। उसने मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) की ही व्याख्या की है। उसने विवाह नामक संस्था को अवैध नहीं ठहराया लेकिन भारतीय शील, मर्यादा और संस्कृति के विरोधी बम हैं। टिप्पणीकार इसे आधुनिकता की जरूरत बता रहे हैं। लेकिन ऐसे अति आधुनिक (उनकी […] Read more » Marrige विवाह सहजीवन