राजनीति भगवा से फतवा तक November 18, 2024 / November 18, 2024 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment वीरेन्द्र सिंह परिहार स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे ने जब शिवसेना की स्थापना की तो उस समय उनका लक्ष्य भले मराठी अस्मिता रही हो लेकिन आगे चलकर उनके ही दौर में वह हिन्दुत्व की ध्वजा वाहक हो गई। 1990 के आसपास से ही शिवसेना और भाजपा का जो गठजोड़ बना, वह लम्बे समय तक चला। चूँकि […] Read more » From saffron to fatwa शिवसेना
राजनीति वंशवादी राजनीति के शिकंजे में छटपटाता लोकतंत्र December 6, 2021 / December 6, 2021 by प्रो. रसाल सिंह | Leave a Comment -प्रो. रसाल सिंहसंविधान दिवस (26 नवम्बर) के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी मार्के की बात कही हैI उन्होंने कहा है कि वंशवादी दल अपना लोकतान्त्रिक चरित्र खो चुके हैंI इन दलों में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है और ये लोकतंत्र की रक्षा करने में सक्षम नहीं हैंI दरअसल, […] Read more » Democracy in the grip of dynastic politics अकाली दल (बादल) आर कांग्रेस तेलंगाना राष्ट्र समिति और वाई एस द्रविड़ मुनेत्र कषगम नैशनल कॉन्फ्रेंस नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी में कांग्रेस राष्ट्रीय जनता दल वंशवादी राजनीति शिवसेना समाजवादी पार्टी
राजनीति राजनीति को शर्मसार करती महाराष्ट्र की घटनाएं September 15, 2020 / September 15, 2020 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त भूचाल आया हुआ है। जिस प्रकार से बीएमसी ने अवैध बताते हुए नोटिस देने के 24 घंटो के भीतर ही एक अभिनेत्री के दफ्तर पर बुलडोजर चलाया और अपने इस कारनामे के लिए कोर्ट में मुंह की भी खाई उससे राज्य सरकार के लिए भी एक असहज स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे बचने के लिए भले ही शिवसेना कहे कि यह बीएमसी का कार्यक्षेत्र है और सरकार का उससे कोई लेना देना नहीं है लेकिन उस दफ्तर को तोड़ने की टाइमिंग इस बयान में फिट नहीं बैठ रही।क्योंकि बीएमसी द्वारा इस कृत्य को ऐसे समय में अंजाम दिया गया है जब कुछ समय से उस अभिनेत्री और शिवसेना के एक नेता के बीच जुबानी जंग चल रही थी। लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पूरी मुंबई अवैध निर्माण अतिक्रमण और जर्जर इमारतों से त्रस्त है। अतिक्रमण की बात करें तो चाहे मुंबई के फुटपाथ हों चाहे पार्क कहाँ अतिक्रमण नहीं है? और जर्जर इमारतों की बात करें तो अभी लगभग दो महीने पहले ही मुंबई में दो जर्जर इमारतों के गिरने से कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और कितने ही घायल हो गए। बरसात के मौसम में मुंबई का डूबना तो अब खबर भी नहीं बनती लोग इसके आदि हो चुके हैं। फिर भी कोरोना काल और मानसून के इस मौसम में एक विशेष बिल्डिंग के निर्माण में कानून के पालन को निश्चित करने में बीएमसी की तत्परता ने पूरे देश को आकर्षित कर दिया। दरअसल यहाँ बात एक अभिनेत्री की नहीं बल्कि बात इस देश के किसी भी नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की है। बात किसी तथाकथित अवैध निर्माण को गिरा देने की नहीं है बल्कि बात तो सरकार की अपने देशवासियों के प्रति दायित्वों की है। हमारे यहाँ कहा जाता है, प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां तु हिते हितं।” अर्थात प्रजा के सुख में राजा का सुख है प्रजा के हित में राजा का हित है। भारत एक ऐसा देश है जो सदियों ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा और जिसकी पीढ़ियों ने इस आज़ादी के लिए संघर्ष किया। आज जब उस आज़ाद देश में एक ऐसा अपराधी जो मोस्ट वांटेड है उसकी प्रॉपर्टी सीना ताने खड़ी रहती है लेकिन एक टैक्सपेयर की बिल्डिंग तोड़ दी जाती है। जब कोर्ट द्वारा उस अपराधी की 80 साल पुरानी जर्जर एवं अवैध बिल्डिंग को नेस्तनाबूद करने के एक साल पुराने आदेश के बावजूद मानसून का हवाला देकर उसे हाथ तक नहीं लगाया जाता। जब 30 सितंबर तक कोरोना के चलते किसी भी तोड़ फोड़ पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाई जाने के बावजूद एक महिला की बिल्डिंग पर बुलडोजर चला दिया जाता है। जब सरकार विरोधी रिपोर्टिंग करने के कारण कुछ पत्रकारों को जेल में डाल दिया जाता है।जब सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी कुछ सामग्री पोस्ट करने के कारण किसी दल विशेष के कार्यकर्ता एक पुर्व नौसेना अधिकारी पर हिंसक आक्रमण करते हैं। तो एक आम आदमी की नज़र में अभिव्यक्ति की आज़ादी, लोकतांत्रिक मूल्यों, संविधान के प्रति आस्था, न्यायालय के आदेशों का सम्मान जैसे शब्दों की नींव ही हिल जाती है। आज जब उस देश में एक महिला के लिए सत्तारूढ़ दल के एक नेता द्वारा आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया जाता है तो जिन महिला अधिकारों महिला सशक्तिकरण महिला अस्मिता जैसे शब्दों का प्रयोग तथाकथित लिबरलस द्वारा किया जाता है उन शब्दों का खोखलापन उभर कर सामने आ जाता है। राजनैतिक दृष्टि से भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे यह कदम अपरिपक्वता ही दर्शाते हैं। क्योंकि कंगना को भी पूरी तरह सही नहीं कहा जा सकता। जिस प्रकार की भाषा और जिन तेवरों का प्रयोग वो महाराष्ट्र और वहाँ की सरकार के लिए लगातार कर रही थीं वो निश्चित ही अपमानजनक थे। हो सकता है वो जानबूझकर किसी मकसद से ऐसा कर रही हों। लेकिन सत्ता में रहते हुए गुंडागर्दी करना किसी भी परिस्थिति में जायज नहीं ठहराए जा सकते।महाराष्ट्र सरकार की गलती यही रही कि वो कंगना की चाल में फंस गई और कंगना ने पब्लिक की सहानुभूति हासिल कर ली। जबकि महाराष्ट्र सरकार अगर राजनैतिक दूरदृष्टि और समझ रखती तो कंगना की इस राजनीति का जवाब राजनीति से देती अपशब्दों और हिंसा से नहीं। इस प्रकार की हरकतों से शिवसेना ने अपना कितना नुकसान किया है उसे शायद अंदाज़ा भी नहीं है। कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाना, सुशांत केस में महाराष्ट्र पुलिस की कार्यशैली, और अब कंगना के बयानों पर हिंसक प्रतिक्रिया। कहते हैं लोकतंत्र में जनभावनाओं को समझना ही जीत की कुंजी होती है लेकिन शिवसेना लगातार अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है। 1966 में बनी एक पार्टी जिसकी पहचान आजतक केवल एक क्षेत्रीय दल के रूप में है। वो पार्टी जो अपने ही गढ़ महाराष्ट्र में भी एक अल्पमत की सरकार चला रही है। ऐसी पार्टी जो आजतक महाराष्ट्र से बाहर अपनी जमीन नहीं खड़ी कर पाई। एक ऐसी पार्टी जिसकी लोकसभा में उपस्थित मात्र 3.3% है, अपनी इन हरकतों से कहीं महाराष्ट्र में भी अपनी बची कुची जमीन ना गंवा बैठे। Read more » Incidents of Maharashtra shaming politics Kangana Ranaut uddhav thackeray अवैध निर्माण अतिक्रमण पुर्व नौसेना अधिकारी पर हिंसक आक्रमण महाराष्ट्र की घटनाएं शिवसेना
राजनीति शिवसेना, कंगना और महाराष्ट्र सरकार September 10, 2020 / September 10, 2020 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी अभिनेत्री कंगना रनोट ने मुंबई में रहने को लेकर एक प्रश्न खड़ा किया था कि अब मुंबई सेफ नहीं है। कंगना के ट्वीट में सवाल किया था कि मुंबई धीरे धीरे ‘पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर’ क्यों लगने लगी है, यह प्रश्न कितना सही है अथवा नहीं, इस पर चर्चा होनी ही […] Read more » Kangana and Government of Maharashtra Shiv Sena कंगना और महाराष्ट्र सरकार शिवसेना
राजनीति विधि-कानून सिनेमा सुशांत, शिवसेना, सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई और सरकार पर संकट ! August 20, 2020 / August 20, 2020 by निरंजन परिहार | 1 Comment on सुशांत, शिवसेना, सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई और सरकार पर संकट ! सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जांच भले ही सीबीआई को सौंप दी हो लेकिन अभी भी राजनीति रुकने का नाम नहीं ले रही। दिल्ली और बिहार से लेकर मुंबई तक इस मामले में राजनीति देखने व सुनने को मिल रही है। पूरे मामले में साफल लगता रहा कि […] Read more » शिवसेना सीबीआई और सरकार पर संकट सुप्रीम कोर्ट सुशांत सुशांत सिंह राजपूत की मौत
राजनीति लोकतंत्र तो आहत हुआ, सरकार भले बने November 28, 2019 / November 28, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – अपने अनूठी एवं विस्मयकारी राजनीतिक ताकत से शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने की असमंजस्य एवं घनघोर धुंधलकों के बीच जिस तरह का आश्चर्यकारी वातावरण निर्मित किया, वह उनके राजनीतिक कौशल का अद्भुत उदाहरण है। महाराष्ट्र में राजनीतिक नाटक का जिस तरह पटाक्षेप हुआ है उससे यही सिद्ध हुआ है […] Read more » Democracy democracy hurted in maharashtra politics एनसीपी महाराष्ट्र में राजनीतिक नाटक राजनीतिक नफा-नुकसान लोकतंत्र शिवसेना शिवसेना कांग्रेस एवं एनसीपी
राजनीति सत्ता की चाभी,पवार का पावर। November 28, 2019 / November 28, 2019 by सज्जाद हैदर | Leave a Comment वाह रे राजनीति का रूप, इसको समझने के लिए बड़ा से बड़ा लैब फेल हो जाएगा। कोई भी वैज्ञानिक राजनीति के क्षेत्र में किसी भी प्रकार का शोध करने की दशा में आजतक नहीं पहुँच पाया। यह राजनीति की अपनी बुद्धि प्रबलता ही है जिस पर बड़ा से बड़ा वैज्ञानिक शोध करने का साहस तक […] Read more » देवेन्द्र फड़नवीस देवेन्द्र फड़नवीस और अजित पवार पवार भाजपा ने गठबंधन महाराष्ट्र की राजनीति शरद पवार शिवसेना
राजनीति शिवसेना के ‘अयोध्या दांव’ के निहितार्थ November 29, 2018 / November 29, 2018 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी गत् 25 नवंबर की तारीख एक बार फिर पूरे देश के लिए तनाव की स्थिति पैदा करने वाली प्रतीत हो रही थी। खासतौर पर दलाल व बिकाऊ टीवी चैनल्स द्वारा चारों ओर ऐसा वातावरण पैदा किया जा रहा था गोया 6 दिसंबर 1992 की पुनरावृत्ति होने वाली हो। एक ओर तो उद्धव ठाकरे […] Read more » उद्धव ठाकरे जीएसटी डीज़ल-पैट्रोल नोटबंदी महंगाई महाराष्ट्र राम मंदिर निर्माण शिवसेना
राजनीति अब और गहराएगा राम मंदिर का मुद्दा April 25, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment आजादी के बाद 1949 में मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां पाई गई। एकाएक इन मूर्तियों के प्रकट होने पर मुस्लिमों ने विरोध जताया। दोनों पक्षों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। नतीजतन सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित कर ताला डाल दिया और दोनों संप्रदाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी। 1984 में विहिप ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करके वहां राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक समिति का गठन किया। इस अभियान का नेतृत्व भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाला। 1986 में जब केंद्र में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार थी तब फैजाबाद के तत्कालीन कलेक्टर ने हिंदुओं को पूजा के लिए विवादित ढांचे के ताले खोल दिए। इसके परिणामस्वरूप मुस्लिमों ने बावरी मस्सिद संघर्ष समिति बना ली। Read more » Featured अयोध्या उमा भारती भाजपा मुरली मनोहर जोशी राम मंदिर लालकृष्ण आडवाणी विनय कटियार विवादित ढांचा विध्वंस मामले विश्व हिंदु परिषद् शिवसेना
राजनीति ऐसे तो कैसे कांग्रेस मजबूत होगी राहुलजी! February 26, 2017 / February 26, 2017 by निरंजन परिहार | Leave a Comment राहुल गांधी की राजनीतिक समझ पर शक होने लगा है। मुंबई में करारी हार हुई है। महाराष्ट्र में शर्मनाक स्थिति में कांग्रेस का प्रदर्शन रहा। यूपी में गठबंधन के बावजूद कांग्रेस के पनपने के आसार कम हैं। कांग्रेस को अब कोई और उपाय करना होगा। Read more » Featured एनसीप कांग्रेस कांग्रेस के अंतर्कलह भाजपा भारतीय जनता पार्टी मनसे महाराष्ट्र नगर निकाय चुनाव महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना राज ठाकरे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शिवसेना शीला दीक्षित संजय निरुपम इस्तीफा
राजनीति क्या बदल गयी है शिवसेना ? February 20, 2017 / February 20, 2017 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment मृत्युंजय दीक्षित ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब भाजपा का शिवसेना के साथ गठबंधन अधिक दिनों तक नहीं चलने वाला है। आज की शिवसेना काफी बदल चकी है। आज के उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के सिद्धांतो को भी दरकिनार कर दिया है। स्व. बालासाहेब ठाकरेे ने शिवसेना की स्थापना […] Read more » Featured बीएमसी चूनाव शिवसेना
राजनीति मौत के सौदागर से लेकर रेनकोट स्नान तक किसका सर्वाधिक अपमान February 10, 2017 / February 10, 2017 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment नोटबंदी के बाद से अब तक यह सभी दल लगातार पीएम मोदी को डिगाने की साजिशें रच रहे हैें। संसद का पिछला सत्र पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया और पीएम मोदी के खिलाफ अपशब्दों की बौछार होती रही। लेकिन यह पीएम मोदी का 56 इंच का सीना ही है कि वह लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं। रेनकोट वाले बयान पर पीएम मोदी को माफी मांगने की कोई आवश्यकता नहीं है Read more » Featured अरविंद केजरीवाल नोटबंदी भाजपा मनमोहन सिंह मौत के सौदागर राज्यसभा में पीएम मोदी रेनकोट स्नान शिवसेना