ऐसे हुई श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति
– विनोद बंसल ईस्वी सन् 1528 से लेकर आज तक भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ने…
– विनोद बंसल ईस्वी सन् 1528 से लेकर आज तक भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ने…
भारतीय राजनीति जिस समय राम मंदिर निर्माण पर मौन थी और मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते हिंदू विरोध की राजनीति को अपना मौलिक संस्कार माने बैठी थी -उस समय राम जन्मभूमि के मुददे को गर्माना और हिन्ंदू के भीतर आत्मस्वाभिमान पैदा करने के लिए उसे राजनीतिक रूप से चेतनित करना आवश्यक हो सकता है, परंतु हिन्दू को मुसलमान के विरूद्घ आक्रामक बनाकर वर्गीय संघर्ष को जन्म देना उचित नहीं हो सकता।
भारत की अवधारणा एक ऐसे राष्ट्र की अवधारणा है जिसके लिए संघर्ष को निर्माण का…
अनेक अनोखे तर्क विमर्श में हैं जिनमें एक यह भी है कि अविवाहित और परिवार त्यागी व्यक्ति आखिर किस लिए भ्रष्टाचार करेंगे। अथवा देश में पहली बार हिन्दू धर्म की विजय पताका फहराने वाला सशक्त नेता सत्ता में है,उसका विरोध किया तो आजीवन बहुसंख्यक होने के बावजूद अल्पसंख्यक की भांति रहना होगा। नोट बंदी और डिजिटल इकॉनॉमी आम नागरिक के लिए भ्रष्टाचार के अवसर कम करने के उपाय हैं किंतु नॉन परफार्मिंग एसेट्स की रीस्ट्रक्चरिंग तो वह अनूठी सूझ है जो कॉर्पोरेट्स की सहूलियत के लिए गढ़ी गई है।
-डा.सौरभ मालवीय- “राष्ट्र सर्वोपरि” यह कहते नहीं बल्कि उसे जीते है…
तनवीर जाफरी उत्तरप्रदेश के मतदाताओं ने चुनावी पंडितों के सभी पूर्वानुमानों को झुठलाते हुए प्रदेश…
१० अक्तूबर को भारत नीति संस्थान के द्वारा दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली में ”…
हम महात्मा गांधी को राष्ट्र पिता कहते हैं, किंतु उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर भाषणबाजी…
गाँधी का जन्म हिंदू धर्म में हुआ, उनके पुरे जीवन में अधिकतर सिधान्तों की उत्पति हिंदुत्व से हुआ. साधारण हिंदू कि तरह वे सारे धर्मों को समान रूप से मानते थे, और सारे प्रयासों जो उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कोशिश किए जा रहे थे उसे अस्वीकार किया.
भारतीयता का अर्थ है भारत की समग्र परम्परा, भारत-वर्ष का सामाजिक, सांस्कृतिक इतिहास, भारत-वर्ष की…
शाब्दिक तौर पर राष्ट्रवाद एक आधुनिक ‘पद’ है। ऐसा माना जाता है कि आधुनिक राष्ट्र-राज्य की अवधारणा फ्रांस की क्रांति (1789) के बाद विकसित हुई। सामाजिक विकास या राजनैतिक सिध्दांत के तौर पर राष्ट्रवाद की संकल्पना…
भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम समुन्नत संस्कृतियों में से एक है। इसकी सुदीर्घ परंपरा में अनेक मनीषी विद्वानों, मंत्र द्रष्टा ऋषियों तथा तत्ववेत्ता मुनियों के..