पर्व - त्यौहार समाज उमंग का पर्व है होली March 16, 2016 by डॉ. सौरभ मालवीय | 1 Comment on उमंग का पर्व है होली डॊ. सौरभ मालवीय होली हर्षोल्लास, उमंग और रंगों का पर्व है. यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इससे एक दिन पूर्व होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहा जाता है. दूसरे दिन रंग खेला जाता है, जिसे धुलेंडी, धुरखेल तथा धूलिवंदन कहा जाता है. लोग एक-दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल लगाते […] Read more » Featured उमंग का पर्व उमंग का पर्व है होली होली
कला-संस्कृति पर्व - त्यौहार समाज होली: राक्षसी शक्तियों के दहन का पर्व March 15, 2016 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव होली एक प्राचीन त्योहार है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मुख्य रुप से यह बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। भारत और चीन में इसे, इसी परिप्रेक्ष में मनाने की परंपरा है। आज इस पर्व को मूल-अर्थों में मनाना ज्यादा प्रासंगिक है। क्यूंकी नैतिकता-अनैतिकता के सभी मानदण्ड खोटे होते जा रहे हैं। […] Read more » featival Holi राक्षसी शक्तियों के दहन का पर्व होली
कविता साहित्य एक हो जावें – पर्व होली का मनावें March 14, 2016 / March 14, 2016 by विमलेश बंसल 'आर्या' | Leave a Comment एक हो जावें, पर्व होली का मनावें, कुहुक रही हैं कोयल डालियाँ। फ़ाग गवावें, कृपा ईश्वर की पावें, झूम रही हैं जौ की बालियाँ।। एक हो जावें….. मासों में अंतिम मास फाल्गुन विदाई का। देने संदेशा आया, प्रेम और भलाई का। जगें जगावें, भेद हर दिल के मिटावें, पावन बनावें हृदय प्यालियाँ।। एक हो जावें […] Read more » Holi festival Poem on Holi होली होली पर्व
वर्त-त्यौहार होलीःराक्षसी शक्तियों के दहन का पर्व March 7, 2015 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on होलीःराक्षसी शक्तियों के दहन का पर्व प्रमोद भार्गव होली एक प्राचीन त्योहार है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मुख्य रुप से यह बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। भारत और चीन में इसे, इसी परिप्रेख्य में मनाने की परंपरा है। आज इस पर्व को मूल-अर्थों में मनाना ज्यादा प्रासंगिक है। क्यांेकि नैतिकता-अनैतिकता के सभी मापदण्ड खोटे होते जा रहे […] Read more » राक्षसी शक्तियों के दहन का पर्व होली
दोहे तब हर पल होली कहलाता है। March 6, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment जब घुप्प अमावस के द्वारे कुछ किरणें दस्तक देती हैं, सब संग मिल लोहा लेती हैं, कुछ शब्द, सूरज बन जाते हैं, तब नई सुबह हो जाती है, नन्ही कलियां मुसकाती हैं, हर पल नूतन हो जाता है, हर पल उत्कर्ष मनाता है, तब मेरे मन की कुंज गलिन में इक भौंरा रसिया गाता है, […] Read more » होली
वर्त-त्यौहार होली है असत्य पर सत्य की विजय का पर्व February 23, 2015 / February 24, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग भारत संस्कृति में त्योहारों एवं उत्सवों का आदि काल से ही काफी महत्व रहा है। होली भी एक ऐसा ही त्योहार है, जिसका धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं की रोशनी में होली के त्योहार का विराट् समायोजन बदलते परिवेश में विविधताओं का संगम बन गया है। […] Read more » असत्य पर सत्य की विजय का पर्व होली
पर्व - त्यौहार होली आई रे…. April 2, 2013 by परमजीत कौर कलेर | Leave a Comment परमजीत कौर कलेर अगर हमारी जिन्दगी में रंग न होते तो हमारी जिन्दगी नीरस होती…रंग बिरंगे रंग ही हमारी जिन्दगी में नयापन , ताजगी , रवानगी भरते हैं …सोचिए अगर रंग न होते तो हमारी जिन्दगी कैसी होती। लाल ,पीले, हरे ,गुलाबी , नीले रंग बिरंगे रंग ही है जो हमें हंसना खेलना सिखाते हैं […] Read more » होली
पर्व - त्यौहार होली:राक्षसी शक्तियों के दहन का पर्व March 23, 2013 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on होली:राक्षसी शक्तियों के दहन का पर्व प्रमोद भार्गव होली एक प्राचीन त्योहार है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मुख्य रुप से यह बुरार्इ पर अच्छार्इ की विजय का पर्व है। भारत और चीन में इसे, इसी परिप्रेख्य में मनाने की परंपरा है। आज इस पर्व को मूल-अर्थों में मनाना ज्यादा प्रासंगिक है। क्यूंकी नैतिकता-अनैतिकता के सभी मापदण्ड खोटे होते जा रहे हैं। […] Read more » राक्षसी शक्तियों के दहन का पर्व होली होली:राक्षसी शक्तियों के दहन का पर्व
पर्व - त्यौहार बहकें बहकी होली में … March 7, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment संजय बिन्नाणी रस, रंग, स्वाद, गंध और स्पर्श, पाँचों ही तत्वों की प्रमुखता हमारे जीवन में है। शरीर, स्वास्थ्य और आहार का आधार यही हैं। होली हमारी संस्कृति का ऐसा एकमात्र त्योहार है, जिसमें इन पाँचों तत्वों का ऐसा समावेश है कि किसी एक को भी बाद दिया तो होली का रंग फीका पड़ सकता […] Read more » Holi Holi festival बहकें बहकी होली में होली
पर्व - त्यौहार वैश्विक संस्कृति में रची बसी होली March 2, 2012 by राजेश कश्यप | Leave a Comment राजेश कश्यप होली विशेष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को रंगो का त्यौहार होली सबके लिए खुशियों व उमंगो की झोली भरकर लाता है। इस पर्व पर प्रेम और प्यार की बयार और प्रकृति का श्रृंगार देखते ही बनता है। यूं तो हमारा देश त्यौहारों का देश है। लेकिन यदि होली को त्यौहारों का त्यौहार कहा […] Read more » Holi होली
कला-संस्कृति सभ्य मन की अनग अभिव्यक्ति है होली – जयप्रकाश सिंह February 28, 2010 / December 24, 2011 by जयप्रकाश सिंह | 7 Comments on सभ्य मन की अनग अभिव्यक्ति है होली – जयप्रकाश सिंह भारतीय मनीषीयों ने ईवर की अनुभूति ‘रसो वै सः’ के रुप में की है । चरम अनुभति को रसमय माना है । यही मनीषी ईवर को सिच्चदानंद भी कहता है । यानी भारतीय मानस के लिए ईवर और आनंद की अनुभूतियां अलग अलग नहीं हैं । होली भारतीय चित द्वारा इसी रस की स्वीकृति और अभिव्यक्ति है । […] Read more » Holi जयप्रकाश सिंह होली
कविता मैं होली हूँ – सतीश सिंह February 28, 2010 / December 24, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on मैं होली हूँ – सतीश सिंह सदियों से मैं खुशियों की तस्वीर होली हूँ . अमराई की खुशबू हूँ, सबके दिल की धड़कन हूँ . रंगों का त्यौहार हूँ जो रंगों से कतराए उसके लिए शैतान हूँ जीवन के सफ़र में मैं बरगद की छावं हूँ अमराई की खुशबू हूँ, सबके दिल की धड़कन हूँ . फागुन की मेहरबानियाँ कछुए भी […] Read more » Holi Satish Singh मैं होली हूँ सतीश सिंह होली