राजनीति कॉरपोरेट घराने के एजेंट बन गए नक्सली November 16, 2011 / November 28, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अंजनी कुमार झा छत्तीसगढ़ में बड़ी-बड़ी कंपनियों के नक्सली संगठनों से रिश्तों के उजागर होने के बाद अब पुनः सरकार और जनता को सलवा जुडूम की प्रासंगिकता याद आ रही है। अवैध ढंग से धन देकर नक्सली बहुल क्षेत्रों में खनन और ऊर्जा कंपनियाँ भोले-भाले आदिवासियों और अन्य वर्गों का शोषण करती हैं। सर्वहारा वर्ग […] Read more » Corporate Families नक्सलवाद माओवाद
महत्वपूर्ण लेख राजनीति माओवाद, आधुनिकतावाद और हिसांचार : जगदीश्वर चतुर्वेदी November 3, 2011 / December 5, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment आधुनिकतावाद के दो प्रमुख बाईप्रोडक्ट है सामाजिक हिंसा और माओवाद। आधुनिकतावाद की खूबी है कि उसने हिंसा को सहज, स्वाभाविक और अपरिहार्य बनाया है फलतः हिंसा के प्रति घृणा की बजाय उपेक्षा का भाव पैदा हुआ है। हिंसा के हम अभ्यस्त होते चले गए हैं। घरेलू हिसा से लेकर वर्गीय हिंसा तक के व्यापक फलक […] Read more » modern india माओवाद
राजनीति माओवाद-ममता-महाश्वेता की दोगली राजनीति August 11, 2011 / December 7, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जगदीश्वर चतुर्वेदी माओवाद और कारपोरेट मीडिया का रोमैंटिक संबंध है। भारतीय बुर्जुआजी और माओवाद में सतह पर वर्गयुद्ध दिखाई देता है लेकिन व्यवहार में माओवादी संगठन और उनकी विचारधारा बुर्जुआजी की सेवा करते हैं। जो लोग यह सोचते हैं कि माओवादी क्रांतिकारी हैं और क्रांति के बिना नहीं रह सकते , वेमुगालते में हैं। माओवादियों […] Read more » politics ममता महाश्वेता माओवाद
आलोचना पुस्तक समीक्षा ‘हेलो बस्तर’ को पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं July 30, 2011 / December 7, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment कौशलेन्द्र “हेलो बस्तर” [राहुल पंडिता की पुस्तक पर एक विमर्श] ‘हैलो बस्तर’ की एकांगी समीक्षा की है राजीव रंजन प्रसाद ने सत्य का गला घोट दिया है राहुल पंडिता ने १- भूमकाल से माओवादी संघर्ष की तुलना नहीं की जा सकती. दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क है. दोनों के उद्देश्यों में फर्क है. दोनों के […] Read more » hello bastar नक्सलाद बस्तर माओवाद हेलो बस्तर
राजनीति फिर सुलगने लगा है लाल गलियारा! July 29, 2011 / December 7, 2011 by लिमटी खरे | Leave a Comment लिमटी खरे अस्सी के दशक के बाद भारत जिसे हिन्दुस्तान, इंडिया आदि के नाम से भी जाना जाता है को किसी की नजर लग गई है। यही कारण है कि इसके बाद देश में अलगाववाद, आतंकवाद, माओवाद, आतंकवाद, नक्सलवाद और न जाने कितने वाद हैं सभी के केंसर ने इसे घेर लिया है। देश के […] Read more » Naxalism नक्सलवाद माओवाद
पुस्तक समीक्षा साहित्य [पुस्तक समीक्षा:’हेलो बस्तर’] आदिवासियों का सवाल तो रह गया July 28, 2011 / December 8, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सुदीप ठाकुर बस्तर और माओवादी आंदोलन पर केन्द्रित राहुल पंडिता की पुस्तक ‘हेलो बस्तर’ की समीक्षा लिखकर राजीव रंजन प्रसाद ने इसे हकीकत से दूर बताया। इस विमर्श को आगे बढ़ाने को लेकर हम यहां 24 जुलाई 2011 को अमर उजाला में प्रकाशित सुदीप ठाकुर द्वारा लिखित इस पुस्तक की समीक्षा प्रकाशित कर रहे हैं। (सं.) पिछली […] Read more » Bastar आदिवासी बस्तर माओवाद हेलो बस्तर
आलोचना पुस्तक समीक्षा सत्य का गला घोट दिया है राहुल पंडिता ने July 28, 2011 / December 8, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment हाल ही में बस्तर के आदिवासियों की समस्याओं और यहां चल रहे माओवादी आंदोलन पर राहुल पंडिता की पुस्तक ‘हेलो बस्तर’ प्रकाशित हुई है। राजीव रंजन प्रसाद ने इसकी समीक्षा लिखी और यह सर्वप्रथम प्रवक्ता डॉट कॉम पर प्रकाशित हुई। इस समीक्षा पर 10 टिप्पणियां आईं। सारगर्भित। एक टिप्पणीकार को छोड़कर शेष सभी ने राजीव […] Read more » Bastar बस्तर माओवाद राहुल पंडिता हेलो बस्तर
पुस्तक समीक्षा राजनीति “हेलो बस्तर” [राहुल पंडिता की पुस्तक पर एक विमर्श] – राजीव रंजन प्रसाद July 24, 2011 / December 8, 2011 by राजीव रंजन प्रसाद | 15 Comments on “हेलो बस्तर” [राहुल पंडिता की पुस्तक पर एक विमर्श] – राजीव रंजन प्रसाद माओवादियों ने बस्तर को आग के हवाले कर दिया है, जिसकी तपिश में भोले-भाले आदिवासी झुलस रहे हैं। माओवादी भले ही इन क्षेत्रों के विकास की बात करते हों लेकिन उनके पास विकास का वैकल्पिक मॉडल नहीं है, उलटे वे शिक्षण संस्थानों और सड़कों को बम से उड़ाकर बस्तर के विकास मार्ग को अवरूद्ध करते […] Read more » hello bastar आदिवासी बस्तर माओवाद राहुल पंडिता हेलो बस्तर
विश्ववार्ता दो साम्राज्यवादी ताकतों के बीच पिस रहा है नेपाल July 22, 2011 / December 8, 2011 by गौतम चौधरी | 1 Comment on दो साम्राज्यवादी ताकतों के बीच पिस रहा है नेपाल गौतम चौधरी नेपाल फिर से अशांति की ओर बढ रहा है। इस अशांति के लिए एक बार फिर नेपाली माओवादियों को ही जिम्मेवार ठहराया जा रहा है। विगत दिनों पार्टी के आंतरिक कलह को दूर करने के लिए नेपाली माओवादी पार्टी के महासचिव रामबहादुर थापा ने केन्द्रीय समिति की बैठक बुलायी थी लेकिन आपसी गुटबन्दी […] Read more » Naxalism चीन नेपाल माओवाद
राजनीति नक्सलवाद से निर्णायक लड़ाई का समय July 12, 2011 / December 9, 2011 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment समस्या के समाधान के लिए सही रणनीति जरूरी संजय द्विवेदी भारतीय राज्य के द्वारा पैदा किए गए भ्रम का सबसे ज्यादा फायदा नक्सली उठा रहे हैं। उनका खूनी खेल नित नए क्षेत्रों में विस्तार कर रहा है। निरंतर अपना क्षेत्र विस्तार कर रहे नक्सल संगठन हमारे राज्य को निरंतर चुनौती देते हुए आगे बढ़ रहे […] Read more » Naxalism नक्सलवाद माओवाद
राजनीति अब माओवादी भी लड़ेंगे भ्रष्टाचार से! July 6, 2011 / December 9, 2011 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment भटकाव भरे आंदोलन ऐसे भ्रम फैलाकर जनता की सहानुभूति चाहते हैं संजय द्विवेदी यह कहना कितना आसान है कि माओवादी भी अब भ्रष्टाचार के दानव से लड़ना चाहते हैं। लेकिन यह एक सच है और अपने ताजा बयान में माओवादियों ने सरकार से कहा है कि वह शांति वार्ता (नक्सलियों के साथ) का प्रस्ताव देने […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार माओवाद
राजनीति नक्सली हिंसा, उभरते प्रश्न ? June 23, 2011 / December 11, 2011 by मयंक चतुर्वेदी | 1 Comment on नक्सली हिंसा, उभरते प्रश्न ? डॉ. मयंक चतुर्वेदी आंध्र, छत्तीसगढ, झारखण्ड, बिहार, पश्चिमबंगाल, महाराष्टन् आदि राज्यों में माओवादी नक्सलियों का हिंसात्मक ताण्डव रूक-रूककर जिस तरह चल रहा है, उसने हमारे लोकतंत्रात्मक देश के सामने अनेक प्रश्न खडे कर दिये हैं। भारत के संविधान में स्पष्ट उल्लेख है कि यह गणराज्य जनता के लिए जनता द्वारा शासित है, जिसमें भारतीय जनता […] Read more » Naxalism नक्सलवाद माओवाद हिंसा