राजनीति संगठन, अनुशासन और आत्मविश्वास का प्रतीक – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ September 30, 2025 / September 30, 2025 by संदीप सृजन | Leave a Comment आरएसएस की स्थापना का बीज 1925 में बोया गया, जब देश ब्रिटिश साम्राज्यवाद की चपेट में था। डॉ. हेडगेवार, एक चिकित्सक होने के साथ-साथ एक दूरदर्शी समाज सुधारक थे जिन्हें विनायक दामोदर सावरकर की हिंदुत्व पुस्तक ने गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने महसूस किया कि हिंदू समाज की एकता की कमी ही देश को गुलाम बनाए रखने का कारण है। इसलिए, विजयादशमी के शुभ अवसर पर नागपुर के एक छोटे से मैदान में मात्र 15-20 युवाओं के साथ पहली शाखा शुरू की गई। Read more » अनुशासन और आत्मविश्वास का प्रतीक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राजनीति आपातकाल में प्रतिबंध के बावजूद और सशक्त होकर उभरा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ June 27, 2025 / June 27, 2025 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार ‘ नवीन ‘ आपातकाल नाम सुनते ही शरीर में एक अलग ही झनझनाहट शुरू हो जाती है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे चर्चित और विवादित रहे आपातकाल को 50 वर्ष बीत चुके हैं। हर वर्ष जून मास आते ही घाव पुनः गहरे हो जाते है। आपातकाल के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका भी काफी प्रभावी रही […] Read more » Despite the ban during the emergency the Rashtriya Swayamsevak Sangh emerged stronger आपातकाल के 50 वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राजनीति सबका स्वागत करता है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ June 6, 2025 / June 6, 2025 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment – लोकेन्द्र सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सबके लिए खुला संगठन है। इसके दरवाजे किसी के लिए बंद नहीं है। कोई भी संघ में आ सकता है। कोई विपरीत विचार का नेता, सामाजिक कार्यकर्ता या विद्वान व्यक्ति जब संघ के कार्यक्रम में शामिल होता है, तब उन लोगों को आश्चर्य होता है, जो संघ को एक ‘क्लोज्ड डोर ऑर्गेनाइजेशन’ समझते हैं। जो […] Read more » राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राजनीति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के “पंच परिवर्तन” के निहितार्थ April 29, 2025 / April 29, 2025 by डॉ.बालमुकुंद पांडेय | Leave a Comment डॉ.बालमुकुंद पांडेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ( आरएसएस ) की यह पहल ,संघ के चतुर्दिक् दृष्टिकोण, व्यक्ति निर्माण,सांगठनिक उद्देश्य ,समाज निर्माण और राष्ट्र- राज्य निर्माण के प्रति अटूट विश्वास , श्रद्धा एवं अटूट प्रतिबद्धता का प्रतिफल एवं समाज में इसकी सकारात्मक उपादेयता का प्रतीक है । संघ इस वर्ष ,2025 में ‘ शताब्दी वर्ष ‘ मनाने जा […] Read more » राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राजनीति विश्व शांति एवं समृद्धि के लिए हिंदुओं को एक करने का प्रयास करता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ March 26, 2025 / March 26, 2025 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment वैश्विक स्तर पर आज कुछ देशों के बीच प्रत्यक्ष युद्ध चल रहा है (रूस – यूक्रेन के बीच एवं इजराईल – हम्मास के बीच) तो कुछ देशों की बीच शीत युद्ध की स्थिति निर्मित होती दिखाई दे रहे है (ईरान – इजराईल के बीच, रूस – यूरोपीयन देशों के बीच, अमेरिका – हूतियों के बीच, अमेरिका – कुछ अफ्रीकी देशों के बीच) तथा कुछ देशों के बीच व्यापार युद्ध छिड़ता हुआ दिखाई दे रहा है (अमेरिका – चीन, अमेरिका – मेक्सिको, अमेरिका – कनाडा, आदि के बीच)। कुल मिलाकर आज वैश्विक स्तर पर स्पष्टत: शांति का अभाव दिखाई दे रहा है। वैश्विक स्तर पर इन विपरीत परिस्थितियों के बीच सनातनी हिंदुओं द्वारा भारत के प्रयागराज में एक महाकुम्भ का आयोजन शांतिपूर्वक एवं अति सफलता से सम्पन्न किया जाता है। इस महाकुम्भ में पूरे विश्व से सनातनी हिंदू एवं अन्य धर्मों के अनुयायी 66 करोड़ से अधिक की संख्या में पवित्र त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इन 66 करोड़ धर्मावलम्बियों के बीच किसी भी प्रकार का असहयोग एवं किसी भी स्तर पर असहमति नहीं दिखाई देती है। जाति, पंथ, मत, प्रांत, भाषा आदि के नाम पर किसी भी प्रकार का विरोध दिखाई नहीं दिया, बस सभी धर्मावलंबी अपने आप को केवल और केवल सनातनी हिंदू कहते हुए दिखाई दिए हैं। ऐसा आभास हो रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा इस संदर्भ में पिछले 100 वर्षों से किए जा रहे प्रयास अब सफल होते दिखाई दे रहे हैं। अब लगभग पूरा विश्व ही यह मानने लगा है कि वैश्विक स्तर पर लगातार पनप रही अशांति का हल केवल भारतीय सनातन संस्कृति के संस्कारों के अनुपालन से ही सम्भव है। इसी संदर्भ में दिनांक 21 मार्च 2025 से 23 मार्च 2025 तक बंगलूरू में सम्पन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने “विश्व शांति और समृद्धि के लिए समरस और संगठित हिंदू समाज का निर्माण” विषय पर एक प्रस्ताव पास किया है। इस प्रस्ताव में यह कहा गया है कि “अनंत काल से ही हिंदू समाज एक प्रदीर्घ और अविस्मरणीय यात्रा में साधनारत रहा है, जिसका उद्देश्य मानव एकता और विश्व कल्याण है। तेजस्वी मातृशक्ति सहित संतो, धर्माचार्यों तथा महापुरुषों के आशीर्वाद एवं कर्तृत्व के कारण हमारा राष्ट्र कई प्रकार के उतार चढ़ावों के उपरांत भी निरंतर आगे बढ़ रहा है।” अर्थात सनातन संस्कृति के संस्कारों की आज के संदर्भ में परख करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह संस्कार हिंदू देवी देवताओं द्वारा समाज के भले के लिए ही लागू किये गए हैं और हजारों वर्षों से भारतीय हिंदू समाज इनका सफलतापूर्वक अनुसरण करता आया है। समय की कसौटी पर सदैव ही यह खरे उतरे हैं। अतः आज भी सनातन हिंदू संस्कारों की प्रासंगिकता बनी हुई हैं। इन्हीं संस्कारों के चलते भारत सदैव से ही “वसुधैव कुटुम्बकम” एवं “सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय” की भावना को आत्मसात करता आया है। भारत के लिए तो पूरा विश्व ही अपना परिवार है, फिर क्यों एक दूसरे से झगड़ा करना। बल्कि, भारत में तो विश्व के कोने कोने से अन्य धर्मावलंबी भी आकर आसानी से रच बस गए हैं एवं सनातन संस्कृति में समा गए हैं। जैसे, कुषाण, शक, हूण, पारसी, आदि। पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा राष्ट्र है जहां मुस्लिम अनुयायीयों के समस्त फिर्के पाए जाते हैं अन्यथा मुस्लिम देशों में भी समस्त फिर्के शायद ही पाए जाते हों। उक्त प्रस्ताव में इस संदर्भ में आगे कहा गया है कि “अपनी प्राचीन संस्कृति और समृद्ध परम्पराओं के चलते सौहार्दपूर्ण विश्व का निर्माण करने के लिए भारत के पास अनुभव जनित ज्ञान उपलब्ध है। हमारा चिंतन विभेदनकारी और आत्मघाती प्रवृतियों से मनुष्य को सुरक्षित रखते हुए चराचर जगत में एकत्व की भावना तथा शांति सुनिश्चित करता है।” चूंकि भारत में लगभग 1000 वर्षों तक अरब के आक्रांताओं एवं अंग्रेजों का शासन चलता रहा अतः उस खंडकाल में भारतीय जनमानस को अपनी महान संस्कृति का विस्मृति लोप हो गया था। उक्त प्रस्ताव में इस विचार को आगे बढ़ाते हुए कहा गया है कि “काल के प्रवाह में राष्ट्र जीवन में आए अनेक दोषों को दूर कर एक संगठित, चारित्र्य सम्पन्न और सामर्थ्यवान राष्ट्र के रूप में भारत को परम वैभव तक ले जाने हेतु परम पूजनीय डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने वर्ष 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य प्रारम्भ किया। संघकार्य का बीजारोपण करते हुए, डॉक्टर हेडगेवार ने दैनिक शाखा के रूप में व्यक्ति निर्माण की एक अनूठी कार्यपद्धति विकसित की, जो हमारी सनातन परम्पराओं व मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्र निर्माण का निःस्वार्थ तप बन गया। उनके जीवनकाल में ही इस कार्य का एक राष्ट्रव्यापी स्वरूप विकसित हो गया। द्वितीय सर संघचालक पूजनीय श्री गुरूजी (माधव सदाशिव गोलवलकर) के दूरदर्शी नेतृत्व में राष्ट्रीय जीवन के विविध क्षेत्रों में शाश्वत चिंतन के प्रकाश में कालसुसंगत युगानुकूल रचनाओं के निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। 100 वर्ष की इस यात्रा में संघ ने दैनिक शाखा द्वारा अर्जित संस्कारों से समाज का अटूट विश्वास और स्नेह प्राप्त किया। इस काल खंड में संघ के स्वयंसेवकों ने प्रेम और आत्मीयता के बल पर मान अपमान और राग द्वेष से ऊपर उठ कर सबको साथ लेकर चलने का प्रयास किया।” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह भी मानना है कि धर्म के अधिष्ठान पर आत्मविश्वास से परिपूर्ण संगठित सामूहिक जीवन के आधार पर ही हिंदू समाज अपने वैश्विक दायित्व का निर्वाह प्रभावी रूप से कर सकेगा। अतः हम सभी भारतवासियों का कर्त्तव्य है कि सभी प्रकार के भेदों को नकारने वाला समरसता युक्त आचरण, पर्यावरण पूरक जीवन शैली पर आधारित मूल्याधिष्ठित परिवार, स्वबोध से ओतप्रोत और नागरिक कर्तव्यों के लिए प्रतिबद्ध समाज का चित्र खड़ा करने के लिए हम समस्त भारतीय संकल्प लें। इसके आधार पर ही समाज के समस्त प्रश्नों का समाधान, चुनौतियों का उत्तर देते हुए भौतिक समृद्धि एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण समर्थ राष्ट्र जीवन खड़ा किया जा सकेगा। इसी कारण से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने सज्जन शक्ति के नेतृत्व में सम्पूर्ण समाज को साथ लेकर विश्व के सम्मुख उदाहरण प्रस्तुत करने वाला समरस और संगठित भारत का निर्माण करने हेतु संकल्प लिया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समस्त हिंदू समाज को एक करने के प्रयास भारत में तो सफल होते हुए दिखाई दे रहे हैं और इसका स्पष्ट सकारात्मक प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में पूरे देश में दिखाई भी दे रहा है। आर्थिक प्रगति की गति तेज हुई है, समस्त समाज के बीच सामाजिक समरसता का भाव जागृत हो रहा है, देश के नागरिकों विशेष रूप से युवाओं में पर्यावरण के प्रति सजगता बढ़ रही है, एक बार पुनः भारतीय समाज संयुक्त परिवार के प्रति आकर्षित हो रहा है – बल्कि, विश्व के अन्य कई देशों के नागरिकों में भी संयुक्त परिवार के विभिन्न प्रकार के लाभों की ओर ध्यान आकर्षित हो रहा है, स्वदेशी का भाव जागृत हो रहा है और नागरिकों में देश के प्रति अपने कर्तव्यों के भाव का जागरण हो रहा है। इन्हीं समस्त बिंदुओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पंच परिवर्तन (सामाजिक समरसता स्थापित करना, स्वबोध के भाव का जागरण, पर्यावरण पर ध्यान देना, नागरिक कर्तव्यों का बोध, कुटुंब प्रबोधन को बढ़ावा देना) के रूप में पिछले कुछ समय से समाज के बीच में ले जा रहा है। और, समाज को इन बिंदुओं पर जागृत करने का कार्य स्वयंसेवकों द्वारा सफलता पूर्वक किया जा रहा है। आगे आने वाले समय में इन बिंदुओं पर समाज के बीच कार्य को और भी गति दी जाएगी, ऐसी आशा की जा रही है। प्रहलाद सबनानी Read more » Rashtriya Swayamsevak Sangh tries to unite Hindus for world peace and prosperity राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राजनीति क्या है ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ? April 2, 2022 / April 2, 2022 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment डा. हेडगेवार जी की जयंती पर विशेष आ सिंधु-सिंधु पर्यन्ता, यस्य भारत भूमिका l पितृभू-पुण्यभू भुश्चेव सा वै हिंदू रीति स्मृता ll इस श्लोक के अनुसार “भारत के वह सभी लोग हिंदू हैं जो इस देश को पितृभूमि-पुण्यभूमि मानते हैं” वीर दामोदर सावरकर के इस दर्शन को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मूलाधार बनाकर संघ […] Read more » डा. हेडगेवार जी की जयंती राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
लेख देश के युवाओं में राष्ट्रीयता एवं सामाजिक समरसता का भाव जागृत करने में सफल रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ March 25, 2022 / March 25, 2022 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज पूरे विश्व में सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बन गया है। वैश्विक स्तर पर कई देशों में तो संघ की कार्य पद्धति पर कई शोध कार्य किए जा रहे हैं कि किस प्रकार यह संगठन अपने 97 वर्षों के लम्बे कार्यकाल में फलता फूलता रहा है एवं किस प्रकार यह समाज के […] Read more » The RASHTRIYA Swayamsevak Sangh has been able to instill a sense of nationalism and social harmony among the youth of the country. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राजनीति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुनिया का विलक्षण संगठन December 3, 2021 / December 3, 2021 by ललित गर्ग | Leave a Comment अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 5 दिसंबर, 2021 पर विशेष-ः ललित गर्ग:-सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 5 दिसंबर को प्रतिवर्ष दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। यह दिवस सभी व्यक्तिगत स्वयंसेवकों और स्वयंसेवकों के संगठनों को अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तरों पर उनके योगदान को दिखाने का एक बड़ा अवसर […] Read more » Rashtriya Swayamsevak Sangh Rashtriya Swayamsevak Sangh is the unique organization of the world अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 5 दिसंबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राजनीति महात्मा गाॅधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की रैली में 3 बार शामिल हुये July 28, 2020 / July 28, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्मराम यादव पीव भारत की आजादी के लिये अहिंसायुक्त आन्दोलनों के पैरोकार महात्मा गाॅधी हमेशा हिंसा का बहिष्कार कर हिंसक आन्दोलनों के सॅख्त खिलाफ रहे है। भारतीय जनता को सम्मान और प्राथमिक अधिकारों के लिये संघर्ष कर भारत को आजाद कराने के काॅग्रेस के योगदान को नहीं बिसराया जा सकता है। 27 सितम्बर 1925 को […] Read more » Mahatma Gandhi attended Rashtriya Swayamsevak Sangh rally Mahatma Gandhi attended Rashtriya Swayamsevak Sangh rally 3 times महात्मा गाॅधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राजनीति शुभ्र बंगाल मे संघ पर होते सतत हमले December 5, 2019 / December 5, 2019 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment पश्चिम बंगाल मे जैसे श्रंखलाबद्ध राजनैतिक वध किये जा रहें हैं वैसे तो केवल अंग्रेजों के शासनकाल मे ही कभी देखें गए थे। अंग्रेजों के समय व विभाजन के समय मुस्लिम पक्ष द्वारा घोषित डायरेक्ट एक्शन डे जैसे वातावरण को छोड़ दें तो पश्चिम बंगाल मे आज जैसा जहरीला, मार काट वाला व तनिक सी भी […] Read more » attacks on sangh in west bengal Muslim muslims in bengal ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ श्रंखलाबद्ध राजनैतिक वध संघ पर होते सतत हमले
राजनीति संघ के उदार दृष्टिकोण में नये भारत के सूत्र November 25, 2019 / November 25, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग –महामना मदनमोहन मालवीय की बगिया कहा जाने वाला काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इनदिनों संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय के एक नवनियुक्त सहायक प्राध्यापक डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर विरोध, धरना-प्रदर्शन एवं आन्दोलन की भूमि बन गया है जबकि यह कभी अपनी अकादमिक विशिष्टता के लिए ख्यात था। राष्ट्रव्यापी स्तर पर हो इस […] Read more » bhu and Dr. Firoz Jhan Dr. Firoz khan काशी हिन्दू विश्वविद्यालय डॉ. फिरोज खान नवनियुक्त सहायक प्राध्यापक डॉ. फिरोज खान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राजनीति विजय-उद्बोधन के विजयी स्वर October 11, 2019 / October 11, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग अस्तित्व को पहचानने, दूसरे अस्तित्वों से जुड़ने, राष्ट्रीय पहचान बनाने और अपने अस्तित्व को राष्ट्र एवं समाज के लिये उपयोगी बनाने के लिये इस वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस विजयादशमी का उत्सव एवं नागपुर में स्वयंसेवकों के बीच सरसंघचालक मोहन भागवतजी का उद्बोधन संघ के दृष्टिकोण से अवगत कराने का एक […] Read more » नागपुर में स्वयंसेवकों के बीच सरसंघचालक मोहन भागवतजी का उद्बोधन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विजयादशमी का उत्सव