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कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म

हनुमान जयंती:- पर सभी भक्तों के संकट हरते हनुमान जी

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आज की तारीख में राजधानी लखनऊ में लगने वाला बड़ा मंगल का मेला जहां गली गली में लोकप्रिय हो रहा है। वहीं यहीं का असर है कि यह मेला अब लखनऊ के सटे बाराबंकी में भी लगने लगा है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने एक बार कहा भी था कि ,”श्री महावीर जी मन के समान वेग वाले हैं । अतः मेरी हार्दिक इच्छा है कि उनका दर्शन लोगों को गली -गली में हो। मुहल्ले -मुहल्लें में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करके लोगों को दिखलायी जायें। स्थान- स्थान पर अखाड़ें हों जहां उनकी मूर्तियां स्थापित हो जायें।

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कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म

अंकोरवाट मन्दिर: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक

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ख्मेर शास्त्रीय शैली से प्रभावित स्थापत्य वाले इस मंदिर का निर्माण कार्य सूर्यवर्मन द्वितीय ने प्रारम्भ किया परन्तु वे इसे पूर्ण नहीं कर सके। मंदिर का कार्य उनके भानजे एवं उत्तराधिकारी धरणीन्द्रवर्मन के शासनकाल में सम्पूर्ण हुआ। मिश्र एवं मेक्सिको के स्टेप पिरामिडों की तरह यह सीढ़ी पर उठता गया है। इसका मूल शिखर लगभग 64 मीटर ऊँचा है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी आठों शिखर 54 मीटर उँचे हैं। मंदिर साढ़े तीन किलोमीटर लम्बी पत्थर की दिवार से घिरा हुआ था, उसके बाहर 30 मीटर खुली भूमि और फिर बाहर 190 मीटर चौडी खाई है।

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शख्सियत समाज

सरदार पटेल जयंती-राष्ट्रीय एकता दिवस

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अंग्रेज भारत को आजाद तो कर गए, लेकिन उन्होंने देश का बंटवारा भी कर दिया । पाकिस्तान के बनाने का निर्णय अंग्रेजों द्वारा अधिकृत लार्ड माउंटबेटन कर गए, लेकिन वे हिंदुस्तान को अखंड बनाने वाली 536 छोटी-बड़ी रियासतों को लेकर चुप्पी साध गए। उस समय नेहरू के लिए भी रियासतों को एक करना सबसे बड़ी और गंभीर चुनौती थी, जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल को सौंपी । इस तरह एक दृढ़ इच्छाशक्ति के कुशल संगठक, शानदार प्रशासक, पटेल के लिए 500 से ज्यादा राजाओं को आजाद भारत में शामिल करना आसान नहीं था। वे उन्हें नई कांग्रेस सरकार के प्रतिनिधि के रूप में इस बात के लिए राजी करने का प्रयास करना चाह रहे थे कि वे भारत की कांग्रेस सरकार के अधीन आ जाए। जिस तरह से उन्होंने हैदराबाद, जूनागढ़ जैसी रियासतों को एक किया वह काबिले तारीफ था।

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विधि-कानून समाज

जजों की नियुक्ति एक भ्रमजाल …!!

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मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति किरुबकरन ने एक अवमान मामले की सुनवाई में कहा है कि देश की जनता पहले ही न्यायपालिका से कुण्ठित है अत: पीड़ित लोग में से मात्र 10% अर्थात अतिपीडित ही न्यायालय तक पहुंचते हैं| सुप्रीम कोर्ट के जानमाने वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि भारत में न्याय मात्र 1% ही होता है| समय समय पर लोक अदालतें लगाकर समझौतों के माध्यम से मामले निपटाकर वाही वाही लूटी जाती है जबकि समझौते न्यायपालिका की सफलता न होकर विफलता है क्योंकि समझौते कमजोर पक्ष के हित की बलि देने पर ही संपन्न होते हैं

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