राजनीति कहीं बदल न जाये लोकतन्त्र की परिभाषा March 21, 2016 by सुप्रिया सिंह | 1 Comment on कहीं बदल न जाये लोकतन्त्र की परिभाषा हमारा देश , भारत जो विश्वगुरु बनने का सपना देख रहा हैं और अपने आप को सबसे बङा , सबसे मजबूत लोकतन्त्र मानता हैं। लोकतन्त्र मतलब जहाँ जनता का , जनता के लिए , जनता द्वारा शासन होता हैं . कहने को तो यह परिभाषा लोकतन्त्र की एकदम सटीक और सार्थक अर्थ बताती हैं और […] Read more » definition of democracy may not change Featured लोकतन्त्र की परिभाषा
समाज समाज को खोखला करता तलाक का फैशन March 21, 2016 by अश्वनी कुमार, पटना | 1 Comment on समाज को खोखला करता तलाक का फैशन एक अनजानी मासूम अजनबी सी लाडली अपनी जन्मभूमि को छोड़ किसी पराये घर में पराये व्यक्ति के साथ रहने जाती है, जहाँ उसका अपना कोई नहीं होता सिवाय रिश्तों के| लेकिन हम मर्द उस एहसास को कभी महसूस नहीं कर पाते चाहे वो कितना भी पढ़ा-लिखा हो, कितना भी समझदार क्यूँ न हो? एक रिपोर्ट […] Read more » Featured increasing divorce cases in India खोखला करता तलाक तलाक तलाक का फैशन तलाक का बढ़ता प्रचलन समाज
कला-संस्कृति विविधा रंगों और मस्ती का महापर्व – होली March 20, 2016 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment भारतीय संस्कृति में होली के पर्व का अद्वितीय स्थान है। यह पर्व उमंग, उल्लास, उत्साह और जोश तथा मस्ती का पर्व है। होली का पर्व देश व समाज में सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने वाला पर्व है। होली का पर्व जलवायु परिवर्तन का भी संकेत देता है । होली का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार […] Read more » Featured festival of colours Holi रंगों और मस्ती का महापर्व होली
समाज क्या वृद्धाश्रम में हमारे बुजुर्ग खुश रहते हैं? March 19, 2016 / March 20, 2016 by जगदीश वर्मा ‘समन्दर’ | 4 Comments on क्या वृद्धाश्रम में हमारे बुजुर्ग खुश रहते हैं? जगदीश वर्मा ‘समन्दर’ पिछले बरस, अपने पैरों पर खड़ी एक नामी अभिनेत्री ने वृन्दावन के आश्रय सदनों में वृद्ध माताओं की भीड़ पर कहा था कि ‘ये घर छोड़कर यहाँ आती ही क्यूँ हैं ?’ उनके इस बयान पर काफी हो-हल्ला मचा । विपक्षी पार्टियों से लेकर आधुनिक समाजसेवी तबके तक से उनके विरोध में […] Read more » Featured old age homes our old relatives in old age homes relatives in old age home अनाथआश्रम और वृद्धाश्रम एक साथ बनायें वृद्धाश्रमों में हमारे बुजुर्ग
विविधा प्रदूषित आबोहवा से गौरेया के अस्तित्व पर संकट March 19, 2016 / March 19, 2016 by शाहिद नकवी | Leave a Comment सूरज का उजास फैलने की खबर देने और शाम को अंधियारे के दस्तक देने तक इंसानों के साथ रहने वाली गौरेया लगता है रूठ गयी है।आज कहां चली जा रही हैं ये गौरैया? हमारे आंगन, घरेलू बगीचे, रोशनदान, खपरैलों के कोनों को अचानक छोड़ क्यों रही हैं गौरैया? ऐसा क्या हो गया है हमारे चारों […] Read more » Featured गौरेया
विविधा गौरैया की चहक और फुदक की हिफाजत जरूरी March 19, 2016 / March 19, 2016 by एम. अफसर खां सागर | Leave a Comment एम. अफसर खां सागर अभी कुछ साल पहले ही अम्मी जब सुबह के वक्त सूप में चावल को पछोरती और बनाती थीं तब छोटी-छोटी चिडि़या झुण्ड में चावल के छोटे टुकड़ों जिसे गांव में खुद्दी के नाम से जाना जाता है उसे खाने के लिए नुमाया हो जाती थीं। फुदक-फुदक कर हल्के कोलाहल के साथ […] Read more » conservation of sparrows are must Featured गौरैया गौरैया की चहक गौरैया की फुदक गौरैया की हिफाजत जरूरी
मीडिया प्रसारण और प्रतिबन्ध (2) स्क्रीनिंग March 19, 2016 by बी एन गोयल | 2 Comments on प्रसारण और प्रतिबन्ध (2) स्क्रीनिंग बी एन गोयल बात करेंगे फ़िल्मी संगीत की स्क्रीनिंग की – बहुत कम लोग यह जानते हैं की फिल्मों के हर गीत की प्रसारण से पूर्व स्क्रीनिंग अर्थात जांच होती है – की गीत जनता के मनोरंजन के अनुकूल है की नहीं अथवा अश्लील तो नहीं है. यद्यपिप्रसारण का कोड तो1967 में बना लेकिनगीतों […] Read more » Featured screening of songs before telecast प्रसारण और प्रतिबन्ध प्रसारण और प्रतिबन्ध (2) स्क्रीनिंग
राजनीति व्यंग्य साहित्य एक पाती शत्रुघ्न सिन्हा के नाम March 18, 2016 by विपिन किशोर सिन्हा | 3 Comments on एक पाती शत्रुघ्न सिन्हा के नाम प्रिय शत्रु बचवा तक चच्चा के प्यार-दुलार पहुंचे। आगे यह बताना है कि भगवान के किरिपा से हम इहां राजी-खुशी हैं, और तोहरी राजी खुशी के वास्ते भगवान से आरजू-मिन्नत करते रहते हैं। बचवा, कई बार हम तोसे भेंट करे वास्ते पटना गए, तो मालूम भया कि तुम दिल्ली गए हो – संसद के काम-काज […] Read more » Featured letter in the name of shatrughan sinha शत्रुघ्न सिन्हा
कला-संस्कृति पर्व - त्यौहार सामुदायिक बहुलता का पर्व है होली March 18, 2016 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव होली शायद दुनिया का एकमात्र ऐसा त्यौहार है,जो सामुदायिक बहुलता की समरसता से जुड़ा है। इस पर्व में मेल-मिलाप का जो आत्मीय भाव अंतर्मन से उमड़ता है,वह सांप्रदायिक अतिवाद और जातीय जड़ता को भी ध्वस्त करता है। फलस्वरूप किसी भी जाति का व्यक्ति उच्च जाति के व्यक्ति के चेहरे पर पर गुलाल मल […] Read more » Featured सामुदायिक बहुलता का पर्व होली
शख्सियत बहुआयामी प्रतिभा के धनी सूर्यकृष्ण जी March 18, 2016 by विजय कुमार | 1 Comment on बहुआयामी प्रतिभा के धनी सूर्यकृष्ण जी प्रायः लोग किसी एक काम के विशेषज्ञ होते हैं; पर सूर्यकृष्ण जी ने कई कामों में अपनी विशेषज्ञता सिद्ध कर दिखायी। उनका जन्म 23 मई, 1934 को मिंटगुमरी (पाकिस्तान) में सिंचाई विभाग में ओवरसियर श्री इंद्रनारायण जी एवं श्रीमती विद्यावती जी के घर में हुआ था। उन्होंने ओकारा (पाकिस्तान) से माध्यमिक शिक्षा, नीलोखेड़ी (हरियाणा) से […] Read more » Featured suryakrishna ji from rss सूर्यकृष्ण जी
समाज हमारा मूल विदेशों में नही, भारत में है March 18, 2016 by राकेश कुमार आर्य | 7 Comments on हमारा मूल विदेशों में नही, भारत में है भारत में जातियों का वर्गीकरण और उनकी सामाजिक स्थिति को विकृत करने का काम अंग्रेजों ने किया। भारत की प्राचीन वर्णव्यवस्था कर्म के आधार पर थी। कर्म से ही व्यक्ति का वर्ण निश्चित किया जाता था, कर्म परिवर्तन से वर्ण परिवर्तन भी सम्भव था। इसलिए एक शूद्र के ब्राह्मण बनने की पूर्ण सम्भावना थी। कालान्तर […] Read more » Featured भारत की प्राचीन वर्णव्यवस्था भारत में जातियों का वर्गीकरण मूल भारत में है
राजनीति ग़ुलाम नबी की ग़ुलाम वाणी की पटकथा कौन लिख रहा है ? March 18, 2016 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment -डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री ग़ुलाम नबी जम्मू कश्मीर के रहने वाले हैं । मूलत कश्मीर घाटी से हैं लेकिन उनके पुरखे कभी पीर पंजाल को पार कर जम्मू क्षेत्र में आ बसे थे । कुछ देर के लिए वे जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे । काफ़ी लम्बे अरसे से सोनिया कांग्रेस में सक्रिय हैं […] Read more » Featured Gulam Nabi of Kashmir अब्दुल नासिक मदनी आजम खान इस्लामी आतंकवाद ग़ुलाम नबी जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ