कहानी कहाँ लौटती हैं स्त्रियाँ? July 21, 2025 / July 25, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment कामकाजी स्त्रियाँ सिर्फ ऑफिस से नहीं लौटतीं, बल्कि हर रोज़ एक भूमिका से दूसरी में प्रवेश करती हैं—कर्मचारी से माँ, पत्नी, बहू, बेटी तक। यह कहानी अनुपमा की है, जो बाहर की तेज़ दुनिया और घर की नर्म ज़िम्मेदारियों के बीच अपनी पहचान तलाशती है। उसकी मुस्कान में थकान है, पर शिकायत नहीं। वह सबके […] Read more » Where do the women return to? कहाँ लौटती हैं स्त्रियाँ
कहानी शिक्षक या सेल्समैन? July 7, 2025 / July 7, 2025 by आलोक कौशिक | Leave a Comment यह कहानी है अविनाश सर की—एक ईमानदार, आदर्शवादी और प्रतिभाशाली शिक्षक की, जो शिक्षा को अपने जीवन का धर्म समझते हैं और विद्यालय को मंदिर। लेकिन जब उनका सामना एक ऐसे विद्यालय से होता है, जिसका संचालन एक पूर्व अपराधी-राजनेता द्वारा किया जा रहा होता है, तो उन्हें अपने आदर्शों और व्यवहारिक यथार्थ के बीच […] Read more » Teacher or salesman?
कहानी मेहमान April 28, 2025 / April 28, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment पाँच की मैगी साठ में खरीदी,सौदा भी कोई सौदा था?खच्चर की पीठ पे दो हज़ार फेंके,इंसानियत भी कोई इरादा था? बीस के पराठे पर दो सौ हँस कर,पचास टिप फोटो वाले को,हाउस बोट के पानी में बहा दिएहज़ारों अपने भूखे प्याले को। नकली केसर की खुशबू मेंअपनी सच्चाई गँवा बैठे,सिन्थेटिक शाल के झूठे रेशों मेंअपने […] Read more » मेहमान
कहानी साहित्य छूत January 7, 2025 / January 7, 2025 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | Leave a Comment डाक्टर के चले जाने के बाद आइशा ने एक लम्बा निःश्वास छोड़ा। वह उठी और इसी के साथ उसके टखने भी किट-किट बज उठे । उदास नज़रों से बाकी रोगियों को ताकती वह डिस्पेन्सरी से धीरे-धीरे निकलने को हुई । डाक्टर की यह बात, “बेटी, तुझे हिम्मत रखनी चाहिए, क्षयरोग में प्रायः हर रोगी ऐसी ही खुदकुशी […] Read more » छूत
कहानी गिरहकट December 9, 2024 / December 9, 2024 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment पन्ना, मैक, लंबू,हीरा, छोटू इनके असली नाम नहीं थे लेकिन दुनिया अब इसे ही इनका असली नाम मानती थी। मंगल प्रसाद गुप्ता ही पन्ना था, मथुरादास पांडे मैक बन चुका था। लंबू का असली नाम खलील अहमद था। अब का हीरा कभी हरजिंदर हुआ करता था और आफताब को सब छोटू के नाम से जानते […] Read more »
कहानी नानक दुखिया सब संसार August 7, 2024 / August 7, 2024 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment शहर की झोपड़पट्टी माने वाले इलाके का नाम इंद्र पुरी था । अपने नाम के उलट मुर्गी के दड़बों की तरह बेतरतीब बसी हुई इंद्रपुरी झोपड़पट्टी की एक झोपड़ी से निब्बर रोजगार पर जाने के लिये बाहर निकला। दरवाजे के पास एक लोहे के मजबूत पाए से बंधे जंजीर का ताला खोलकर उसने रिक्शा निकाला […] Read more »
कहानी उपहार August 28, 2023 / August 28, 2023 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल प्रज्ञान न जाने किस उधेड़बुन में खोया-खोया सा था।उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था।दो-तीन दिन से उसने खाना भी ठीक से नहीं खाया था।बस मौन… खुद से बातें करता और बार-बार आसमान को निहारता। प्रज्ञान के भीतर चल रहे इस संघर्ष को पत्नी […] Read more » उपहार
कहानी लेख ताँगे वाला July 26, 2023 / July 26, 2023 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment प्रभुदयाल श्रीवास्तव मन बड़ा चंचल और चलायमान होता है इस पर बड़े- बड़े देवता, ऋषि मुनि और साधु संत तक नियंत्रण नहीं कर सके तो इंसान […] Read more » story on tonga wala
कहानी कुल्हाड़ी June 5, 2023 / June 5, 2023 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment लघुकथा : पर्यावरण दिवस 05 जून पर विशेष प्रभुनाथ शुक्ल देखिए ! हमने इस पेड़ को खरीद लिया है। इसे काटने का अधिकार मेरा बनता है। क्योंकि, यह आम का पेड़ मोंगाराम का है उन्होंने इस पेड़ को मुझे बेंच दिया है। आप […] Read more » पर्यावरण दिवस 05 जून
कहानी घाव March 10, 2023 / March 10, 2023 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | Leave a Comment अमर मालमोही (रूपान्तर: डा० शिबन कृष्ण रैणा) “और वह घाव के साथ मुंह सटाकर मेरे खून को चूसने लगी ।” “खून को चूसने लगी ?” “हां, मेरे खून को चूसने लगी, गर्म-गर्म खून को, लाल-लाल खून को !” “मगर क्यों ? “ इससे पहले कि दयकाक आगे कुछ कह पाता, वह आंखें बंद कर न […] Read more »
कहानी कश्मीर को किसकी नजर लग गई? January 12, 2023 / January 12, 2023 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | Leave a Comment बात तब की है जब कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं अपने चरम पर थीं। 1989-90 का वर्ष खासतौर पर इसलिए याद किया जाएगा क्योंकि इस साल रोज-रोज के बम धमाकों, अत्याचारों, आतंकी घटनाओं,हत्याओं आदि से तंग आकर बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित घाटी से विस्थापित होकर देश के दूसरे हिस्सों में चले आए।चले क्या आये,जिहादियों द्वारा […] Read more »
कहानी झुरमुठ January 2, 2023 / January 2, 2023 by रुचि श्रीवास्तव | Leave a Comment आज रविवार है। मिसेस मुखर्जी के घर, रविवार का पता लगाना बहुत ही आसान है। सुबह मॉर्निंग वॉक से मिस्टर मुखर्जी का हाथ में थैला लेकर लौटना। गेट खुलने की आवाज से मिसेस मुखर्जी का हड़बड़ा कर उठना ,बालों को समेटते हुए, पैरों में नीली हवाई चप्पल डालना। कुर्सी पर रखे दुपट्टे को कंधे पर […] Read more » झुरमुठ