कविता यह खूनी सड़क January 16, 2020 / January 16, 2020 | Leave a Comment मेरे शहर की यह शांतचित्त सड़क कभी बहुत खिलखिलाया करती थी बचपन में इसके तन पर हम खेला करते थे गिल्लीडंडा तब कभी कभार दिन में दो-चार बसें और इक्का-दुक्का वाहन भोंपू बजाकर सड़क से गुजर जाते थे। पूरे शहर के हर मोहल्ले के बच्चे इस सड़क पर इकटठा होते और कोई गिल्लीडंडा खेलता तो […] Read more » गिल्लीडंडा
कविता सीख देती चीटियाॅ January 16, 2020 / January 16, 2020 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव कभी चीटियों को देखों मुॅह मिलाकर प्रेम करती है अंजान चीटी से पहचानकर नेह का यह मिलाप असीम अपनत्व का इजहार है वे मुॅह मिलाकर एक दूसरे को आभार व्यक्त करने के साथ नमस्कार करती है। कभी चीटी जैसे किसी जीव का ओढ़ना-बिछाना, चैका-चूल्हा थाली बघौनी देखी है किस रंग के होते […] Read more » सीख देती चीटियाॅ
लेख राम से मित्रता के बाद सुग्रीव को भय ओर संदेहों से मिली मुक्ति January 15, 2020 / January 15, 2020 | Leave a Comment (2) सुग्रीव के जीवन मे झाँका जाये तो वह एक विषयी जीव रहा है जिसका आत्मविश्वास कभी भी खुद पर नही रहा ओर संदेहो से भरा होने पर वह इतना आतुर रहा जिसमे किसी भी कार्य के परिणाम जाने बिना स्वंम निर्णय लेकर समस्याओ ओर परिस्थियों से वह भाग खड़ा होता था । […] Read more » सुग्रीव सुग्रीव को भय ओर संदेहों से मिली मुक्ति
कविता खानावदोश झुग्गिया January 14, 2020 / January 15, 2020 | Leave a Comment भारत के हर शहर में होती है अछूत झुग्गियाॅ बसाहट से दूर किसी भी सड़क के किनारे खास मौके पर चार खूटियों और तिरपाल से तन जाती है दर्जनों झुग्गियाॅ। ये वे अछूत झुग्गियाॅ है जिनमें रहने वाले गरीब दो वक्त की रोटी कमाने हर शहर की गली-कूंचे में घरों-महलों की सजावट का सामान बेचते […] Read more » खानावदोश झुग्गिया
कविता बुढ़ापे पर सवार अजगर January 14, 2020 / January 15, 2020 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव बड़ी मासूमियत से बुजुर्ग पिता ने कहा- बेटा] बुढ़ापा अजगर सा आकर मेरे बुढ़ापे पर सवार हो गया है जिसने जकड़ रखे है मेरे हाथ पैर न चलने देता है न उठने-बैठने देता है। बेटा, मेरे बाद तेरी माँ को अपने ही पास रखना। पिता के चेहरे पर पॅसरी हुई थी उदासी […] Read more » बुढ़ापे पर सवार अजगर
कविता सोफे का दर्द January 14, 2020 / January 20, 2020 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव मैं अपने सोफे पर बैठा मोबाईल में डूबा हुआ था और ढूंढ रहा था पसंद की रिंगटोन चिड़ियों की चहकने-फुदकने कोयल-बुलबुल की बोलियाॅ गिलहरियों सहित अनेक कर्णप्रिय आवाजें मुझे जंगल के खग-मृग का मधुर कलरव सा आनंद दे रही थी। अचानक मेरी तंद्रा टूटी जैसे लगा कि मेरा सोफा मुझसे कुछ बातें […] Read more » सोफे का दर्द
कविता कहाँ गये भवानीप्रसाद मिश्र के ऊँघते अनमने जंगल January 14, 2020 / January 14, 2020 | Leave a Comment भवानीप्रसाद मिश्र ने देखे थे सतपुड़ा के घने जंगल नींद में डूबे हुये मिले थे वे उॅघते अनमने जंगल। झाड़ ऊॅचे और नीचे जो खड़े थे अपनी आंखे मींचे जंगल का निराला जीवन मिश्रजी ने शब्दो में उलींचें। मिश्र की अमर कविता बनी सतपुड़ा के घने जंगल आज ढूंढे नहीं मिलते सतपुड़ा की गोद में […] Read more » ऊँघते अनमने जंगल
लेख साहित्य जब महावीर हनुमान ने सीता,लक्ष्मण,भरत के प्राणों की रक्षा की January 14, 2020 / January 14, 2020 | Leave a Comment गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरित्र मानस रामायण में महावीर हनुमान के अनेक स्वरूप के दर्शन होते हैं। जहॉ मारूति, आंजनेय,बजरंगवली, महावीर,हनुमान जैसे अनेक नामों से वे विख्यात हुये वही शिवजी के 11 वे रूद्र का अवतार होने से वे सबसे बलवान और बुद्धिमान भी है और उनके पराक्रम एवं चार्तुय से ही सुग्रीव, माता सीता, […] Read more » महावीर हनुमान
कविता साहित्य काश हर घर आँगन हो January 10, 2020 / January 10, 2020 | Leave a Comment कितना अच्छा था जब हम बच्चे थे तब घर के आँगन में इकट्ठा हो जाता था पूरा परिवार। कैलाश,शंकर, विनिया चन्दा आँगन में खूब मस्ती करते थे तब आँगन किसी खेल के मैदान से कमतर नहीं था जिसमें समा जाता था सारा मोहल्ला घर-द्वार। मकान से जुड़ा हुआ आँगन आँगन से बाहर तक घर का […] Read more »
कविता जीवन का अधूरापन January 10, 2020 / January 10, 2020 | Leave a Comment मुझे याद है प्रिय शादी के बाद तुम दूर-बहुत दूर थी मैं तुम्हारे वियोग में दो साल तक अकेला रहा हॅू। बड़ी शिद्दत के बाद तुम आयी थी तुम्हारे साथ रहते तब दिशायें मुझे काॅटती थी और तुम अपनी धुन में मुझसे विलग थी। तुम्हारा पास होना अक्सर मुझे बताता जैसे जमीन-आसमान गले मिलने को […] Read more »
लेख साहित्य पण्डित-पंडताई के बीच झगड़ा January 7, 2020 / January 7, 2020 | 1 Comment on पण्डित-पंडताई के बीच झगड़ा लेखक आत्माराम यादव पीव (आकाश मार्ग से नारद जी हाथों में वीणा लिये भारत के एक गाँव की ओर प्रस्थान कर रहे है और जॅपते जा रहे है- श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि …. श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि . वे गाँव की सीमा में प्रवेश करते है तभी उन्हें एक भक्त मिलता है) भक्त- […] Read more » पण्डित-पंडताई के बीच झगड़ा
कविता ईश्वर को नौकर रख सकता है इंसान January 3, 2020 / January 3, 2020 | Leave a Comment जिस दिन ईश्वर ने अपना वसीयतनामा इंसान के नाम लिख दिया इंसान ने खोद डाली सारी खदानें सोना,चान्दी, हीरे-मौती निकाल कर अपनी तिजौरी भर ली। धरती की सारी सुरंगे स्वार्थी इंसान ने खोज ली और सारी तिजौरियों को बहुमूल्य रत्न भण्डारों से भर ली। उसने पहले नदियों के पानी को बेचा नदियों के किनारों की […] Read more » ईश्वर को नौकर रख सकता है इंसान