चिंतन जन-जागरण धर्म-अध्यात्म जो यज्ञ नहीं करता वह पाप करता है-स्वामी चित्तेश्वरानन्द March 16, 2015 / March 16, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य। आज 15 मार्च, 2015 को प्रातः वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में गायत्री यज्ञ पूर्ण श्रद्धा व भक्ति के वातावरण में सम्पन्न हुआ। यज्ञ के ब्रह्मा श्री उत्तम मुनि थे तथा मंच की शोभा के रूप में देहरादून की एक महान आध्यात्मिक हस्ती स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती विराजमान थी। यज्ञ के अनेक यजमानों […] Read more » aarya samaj importance og yagya जो यज्ञ नहीं करता वह पाप करता है-स्वामी चित्तेश्वरानन्द पाप यज्ञ स्वामी चित्तेश्वरानन्द
आलोचना चिंतन जरूर पढ़ें परिचर्चा महत्वपूर्ण लेख महिला-जगत विधि-कानून समाज स्त्री-पुरुष संबंध: पूर्व और पश्चिम March 14, 2015 by डॉ. मधुसूदन | 8 Comments on स्त्री-पुरुष संबंध: पूर्व और पश्चिम (एक) साहस भीड पर एक पत्थर मार कर कुछ कहना चाहता हूँ, कि रूको मेरी बात सुनो। आज, मैं तालियों के लिए नहीं लिख रहा । वैसे दुःख पर तालियाँ कैसी? एक दुःसाहस ही करता हूँ। यह मेरा अपना दृष्टिकोण है। आज ही सुन लो; कल देर हो जाएगी। एक सुशुप्त ज्वालामुखी देश में उबाल […] Read more » changing woman gender biased gender discourse gender equality live in relation relationship sexual views woman in the modern world womans world स्त्री-पुरुष संबंध: पूर्व और पश्चिम
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-२३ March 14, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment श्रीकृष्ण जैसे-जैसे बड़े हो रहे थे, यमुना के प्रति आकर्षण वैसे-वैसे ही बढ़ रहा था। यमुना का किनारा ही उनके खेल का मैदान था। गोकुल के सारे ग्वाल-बाल उनके सम्मोहन में बंधे थे। वय में उनसे बड़े ग्वाले भी बिना किसी तर्क के उनकी बातें मानते थे। एक दिन श्रीकृष्ण, बलराम एवं अन्य बालकों […] Read more » bachpan bal gopal balkrishna bihari ji gokul Krishna lord krishna Mathura natkhat shyam ras bihari vrindavan यशोदानंदन
चिंतन धर्म-अध्यात्म महत्वपूर्ण लेख नही हुआ था सीताजी का स्वयंवर March 14, 2015 by राकेश कुमार आर्य | 2 Comments on नही हुआ था सीताजी का स्वयंवर यह सामान्य धारणा है कि सीताजी का स्वयंवर हुआ था, और उन्होंने रामचंद्र जी को अपने लिए पति रूप में चुना। ऐसी ही धारणा द्रोपदी के लिए है कि उसने भी अपने स्वयंवर में अपने पति रूप में अर्जुन को अपने लिए चुना। इस आलेख में हम केवल सीताजी के कथित स्वयंवर तक ही सीमित […] Read more » a mith about sita's swayamvar ram vivah ramayan sita vivah swayamvar of sita ji नही हुआ था सीताजी का स्वयंवर सीताजी का स्वयंवर
आंकडे आर्थिकी आलोचना घोषणा-पत्र चिंतन चुनाव चुनाव विश्लेषण जन-जागरण जरूर पढ़ें टॉप स्टोरी परिचर्चा महत्वपूर्ण लेख लेख विविधा सार्थक पहल मेक इन इण्डिया व स्किल्ड इंडिया की परिकल्पना March 14, 2015 by रमेश पांडेय | Leave a Comment ‘मेक इन’ व ‘स्किल्ड इंडिया’ की परिकल्पना साकार करेगा छत्तीसगढ़ का बजट– छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने 13 मार्च 2015 को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए बजट पेश किया। बजट में पूंजीगत व्यय में 39 प्रतिशत वृद्धि की गई है। बजट में युवा, अधोसंरचना विकास एवं औद्योगिक विकास को प्राथमिकता दी […] Read more » Budget chattisgarh budget chhattisgarh dream budget make in india skilled india
कला-संस्कृति चिंतन धर्म-अध्यात्म शख्सियत स्वामी विवेकानन्द जी के उद्बोधक प्रशंसनीय विचार March 14, 2015 / March 14, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on स्वामी विवेकानन्द जी के उद्बोधक प्रशंसनीय विचार मनमोहन कुमार आर्य स्वामी विवेकानन्द जी के हिन्दू जाति को जीवित जागृत करने वाले विचार इस लेख में प्रस्तुत किए जा रहे हैं। दिल्ली से प्रकाशित साप्ताहिक आर्यजगत पत्र के 19 अक्तूबर, 1980 विशेषांक में लगभग 35 वर्ष पूर्व इन विचारों को “मोहभंग का स्वर” शीर्षक दिया गया था। हमें यह विचार हृदय को […] Read more » swami vivekanand Vivekanand vivekanand in new age vivekanand thoughts
धर्म-अध्यात्म शख्सियत दक्षिण भारत के संत: माणिक्कवाचकर March 14, 2015 / March 14, 2015 by बी एन गोयल | 1 Comment on दक्षिण भारत के संत: माणिक्कवाचकर बी एन गोयल ईश्वर के करो – जिनको जानने का हर किसी को अधिकार है। शिव जिन्हें देवतागण भी नहीं जानते। पुरुष स्त्री अर्थात् अर्धनारीश्वर के रूप में उनके करो। प्रभु के दर्शन करो, जिनके मैंने स्वयं दर्शन किये हैं। उस अमृत को चखो जो विपुल कृपा प्रदायक है। ध्यान करो, मैंने दया की […] Read more » south saint Manikkvachkar दक्षिण भारत के संत: माणिक्कवाचकर माणिक्कवाचकर
जन-जागरण धर्म-अध्यात्म भूगोल में मनुष्य सृष्टि का आदि स्थान एवं अन्य कुछ प्रश्न March 13, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment संसार में मनुष्यों की जनसंख्या लगभग 7 अरब से कुछ अधिक होने का अनुमान है। संसार में देशों की कुल संख्या 195 से अधिक हैं। इन सभी देशों में सबसे पुराना देश भारतवर्ष है जिसका प्राचीन नाम आर्यावर्त है। आर्यावर्त से पूर्व इस देश का अन्य कोई नाम नहीं था। इस आर्यावर्त देश में ही […] Read more » \मनुष्य सृष्टि का आदि स्थान
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-२१ March 13, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment मातु यशोदा! अपनी स्मृतियों पर तनिक जोर डालें। श्रीकृष्ण के शिशु-काल की शरारतों को याद कीजिए। क्या कोई सामान्य बालक ऐसी लीला कर सकता था? जिसे आप सिर्फ अपना पुत्र समझती हैं, वह जगत्पिता है। याद कीजिए – श्रीकृष्ण को ओखल से बांधने में आपको किन-किन अवस्थाओं से गुजरना पड़ा था – मातु यशोदा के […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदनंदन-२० March 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment छः महीनों में ही श्रीकृष्ण घुटनों के बल मकोइया बन पूरे आंगन में विचरण करने लगे। चलते समय वे किलकारी मारना नहीं भूलते थे। भांति-भांति के मणियों से जड़ित समुज्ज्वल आंगन में अपने ही प्रतिबिंब को पकड़ने के लिए इधर से उधर दौड़ लगाते, कभी सिर झुका उसे चूमने का प्रयत्न करते, तो कभी […] Read more » यशोदनंदन-२०
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१९ March 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment श्रीकृष्ण ने अवतरण के प्रथम दिवस से ही अपनी अद्भुत बाललीला आरंभ कर दी थी। वे उन्हीं को अधिक सताते थे, जो उनका सर्वप्रिय था। मातु यशोदा जिसे एक शिशु का सामान्य व्यवहार समझती थीं, वह वास्तव में विशेष लीला थी। छकड़ा टूटने की घटना के पश्चात्, मातु कुछ अधिक ही सजग हो गई […] Read more » yashodanandan 19 यशोदानंदन-१९
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१८ March 9, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment “देख रहे हैं आर्य! आज मेरा लल्ला तीन मास और एक पक्ष का हो गया है। अत्यन्त स्वाभाविक रूप से उसका विकास हो रहा है। अब मेरा लड्डू गोपाल जांघ पलटकर करवट बदलने लगा है। मैं सौभाग्यवती हुई। चिरंजीवी हो मेरा लाडला! मैं इसके लिए बधाई उत्सव करूंगी।” यशोदा जी के मुख से उत्सव की […] Read more » यशोदानंदन