आर्थिकी बेजबरुआ समिति की सिफारिशों पर केंद्र की पहल सराहनीय January 6, 2015 by मयंक चतुर्वेदी | 3 Comments on बेजबरुआ समिति की सिफारिशों पर केंद्र की पहल सराहनीय डॉ. मयंक चतुर्वेदी देश में केंद्र या राज्यों में सरकारें बदलती हैं तो प्रशासन और आम जनता की उसे देखने की दृष्टि भी बदल ही जाती है। किसी भी नई सरकार में जनप्रतिनिधि का व्यवहार इसे जितना प्रभावित करता है, उससे कहीं अधिक लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में उस जनप्रतिनिधि की राजनैतिक पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र […] Read more » बेजबरुआ समिति बेजबरुआ समिति की सिफारिश
आर्थिकी जन-जागरण नीति आयोग पर बेवजह प्रलाप क्यों? January 4, 2015 / January 4, 2015 by सुरेश हिन्दुस्थानी | 3 Comments on नीति आयोग पर बेवजह प्रलाप क्यों? सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान मोदी सरकार ने भारत को विकास की राह पर ले जाने के लिए अभूतपूर्व काम करना प्रारंभ कर दिए हैं। मोदी सरकार का जोर है कि देश के विकास के लिए सारे काम सांघिक भाव से किए जाएं तो सफलता निश्चित ही प्राप्त होगी। इसी सामूहिक भाव को निहितार्थ करता हुआ नवगठित […] Read more » नीति आयोग
आर्थिकी जन-जागरण अर्थ की चमक में खोते मूल्यपरक व्यवसाय December 22, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | Leave a Comment डा. अरविन्द कुमार सिंह अध्यापन और सेना की नौकरी को आज भी मूल्यपरक व्यवसाय के रूप में देखा जाता है। क्या आज के दौर में युवा वर्ग अपने आप को नैतिक मूल्यो के निर्वहन में असर्मथ पा रहा है? या अर्थ के आर्कषण ने उसे नैतिक मूल्यो के व्यवसाय के प्रति विमुख कर रख्खा […] Read more » व्यवसाय
आर्थिकी आरबीआई गवर्नर की चिंताएं वाजिब December 15, 2014 by मयंक चतुर्वेदी | 1 Comment on आरबीआई गवर्नर की चिंताएं वाजिब केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ जाने के बाद से देश का संपूर्ण परिदृश्य बदला हुआ है। पूरा देश केंद्र में आज स्थायी सरकार होने का लाभ उठा रहा है। देश के आम नागरिक को भी लगता है कि अब जरूर अच्छे दिन आ गए हैं। विदेश नीति, आंतरिक मोर्चे तथा अन्य मुद्दों […] Read more » raghuram rajan concirn RBI Governor legitimate concerns आरबीआई गवर्नर की चिंताएं रघुराम राजन
आर्थिकी विकास परियोजनाओं में बैंकों की सीधी भागीदारी का वक्त December 13, 2014 / December 13, 2014 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी केंद्र में नई सरकार बने छह माह बीत चुके हैं, इन गुजरे महिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम ने देश के विकास के लिए ऐसा बहुत कुछ नया किया है जिसे बताया जाए तो संभवत: शब्द भी कम होंगे, किंतु इसके बाद भी विपक्ष द्वारा सरकार को कई मुद्दों पर […] Read more » direct involvement of banks in development projects बैंकों की सीधी भागीदारी विकास परियोजनाओं में बैंकों की सीधी भागीदारी
आर्थिकी कालाधन December 10, 2014 / December 10, 2014 by फखरे आलम | 1 Comment on कालाधन कालेधन पर बहुत बात हो चुकी है। हमारे देश और समाज में गजब की असमानता और संतुलन का अभाव है। किसी के पास इतने धन है कि वह अपने, अपनों और सरकार से छुपाये छुपाये विदेशी बैंकों के शरण में पहुँच गया है। देश में कई कर्मचारी धन्ना सेठ निकल रहे हैं। कहीं अनाज […] Read more » कालाधन
आर्थिकी आम आदमी के हक में रिजर्व बैंक की नीतियां December 5, 2014 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारत में वित्तीय समावेश को लेकर केंद्र सरकार जो कार्य कर रही है, आज उसकी जितनी तारीफ की जाए, वह कम ही कहलाऐगी। वस्तुत: ऐसा कहने के पीछे कई वाजिब तर्क हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में बैठने के बाद से लगातार देश में वैसे तो कई क्षेत्रों में अच्छा काम […] Read more » policies of reserve bank poloicies of reserve bank in the interest of common man रिजर्व बैंक की नीतियां
आर्थिकी जन-जागरण दुनिया से भूख मिटाने की पहल करता भारत December 5, 2014 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी विश्व बैंक ने दुनिया से अत्याधिक गरीबी और भूख को वर्ष 2030 तक मिटाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। किंतु जलवायु परिवर्तन गरीबी को मिटाने के लिए किए जा रहे वैश्विक प्रयासों को कमजोर कर रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के असर पर हाल में प्रकाशित रिपोर्ट में विश्व बैंक के चेतावनी […] Read more » दुनिया से भूख मिटाने की पहल
आर्थिकी देश के आर्थिक मोर्चे पर केंद्र सरकार की सफलता December 3, 2014 / December 3, 2014 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी देश की जनता ने कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को लगातार दो बार केंद्र में सरकार बनाने का अवसर दिया था। उम्मीद की थी कि भारत दस सालों में जरूर आंतरिक और विदेशी मोर्चे पर अपनी फर्राटेदार उड़ान भर लेगा, लेकिन हुआ इसके विपरीत। सभी ने देखा कि देश की साख घरेलु और […] Read more » the government's success on the economic front केंद्र सरकार की सफलता
आर्थिकी माल कम मूल्य अधिक : यह कैसा बाज़ार ? November 28, 2014 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी कुछ समय पहले की बात है जब हम दूध की डेयरी पर दूध लेने जाते थे तो यदि हम एक लीटर दूध डेयरी वाले से मांगते थे तो वह एक लीटर दूध नापने के बाद सौ या पचास ग्राम दूध अलग से डाल दिया करता था। किसी सब्ज़ी कीे दुकान पर सब्ज़ी बेचने […] Read more » माल कम मूल्य अधिक
आर्थिकी भारतीय व्यापार को चीन की चुनौती November 25, 2014 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारतीय जनता ने देश में भले ही स्थायी सरकार दे दी हो, लेकिन सरकार के बनने के बीत रहे छह माह के बाद भी कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे ऐसे हैं जिन पर भारत को ठोस समाधान की दरकार बनी हुई है। भारत अपनी नीतियों के कारण अभी भी व्यापार विस्तार को […] Read more » China's challenge to the indian economy भारतीय व्यापार
आर्थिकी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए घातक मीट निर्यात November 22, 2014 / November 22, 2014 by सुधीर तालियान | Leave a Comment सुधीर तालियान मीट निर्यात भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कुत्ते की हड्डी बन चुका है। खून कुत्ते के मसूड़ों से आता है लेकिन वो समझता है कि ये हड्डी का कमाल है। स्वार्थ और राजनीति के चलते भारत की अर्थव्यवस्था भी इस बीमारी से ग्रस्त हो चुकी है। हमारे नीति नियंताओं का कहना है कि इससे […] Read more » meat export deadly for Indian economy meat exports मीट निर्यात