आर्थिकी युक्तियुक्तकरण या उदारीकरण ? April 3, 2015 / April 4, 2015 by संजय पराते | 1 Comment on युक्तियुक्तकरण या उदारीकरण ? ‘उदारीकरण’ के लिए संघी शब्दावली है–‘युक्तियुक्तकरण’. भाजपा की ‘उदार युक्ति’ यही है कि आम जनता के पास जो थोड़ी-बहुत सुविधाएं बची है, उसे भी छीना जाएं, ताकि ‘खास जनता’ की तिजोरियों को भरा जा सकें. आखिर इसी ‘खास जनता’ ने तो उसे सत्ता में पहुंचाया है, वर्ना वह तो ‘खाकी पार्टी’ ही बनकर रह गई […] Read more » Featured उदारीकरण युक्तियुक्तकरण युक्तियुक्तकरण' या 'उदारीकरण' संजय पराते
आर्थिकी राजनीति वचन मोदी: अब गैस सब्सिडी छोड़ दो April 2, 2015 / April 4, 2015 by निर्मल रानी | 2 Comments on वचन मोदी: अब गैस सब्सिडी छोड़ दो दो-तीन दशक पूर्व तक हमारे देश की अधिकांश आबादी अपनी रसोई के ईंधन के रूप में लकड़ी,लकड़ी के बुरादे,कोयला,मिटटी का तेल,स्टोव आदि का इस्तेमाल किया करती थी। उस समय निश्चित रूप से सुबह व शाम के समय आसमान पर काले धुंए की एक मोटी परत वातावरण में चारों ओर बिछी नज़र आती थी। चूल्हे के […] Read more » Featured अब गैस सब्सिडी छोड़ दो एलपीजी गैस सब्सिडी निर्मल रानी वचन मोदी
आर्थिकी राजनीति गैस सब्सिडी: सोच बदलने की ज़रूरत March 30, 2015 / April 4, 2015 by अमित शर्मा | 4 Comments on गैस सब्सिडी: सोच बदलने की ज़रूरत हमारे देश में तमाम राजनीतिक दल ऐसे हैं जो सत्ता हासिल करने के लिए जनता को तमाम चीजें मुफ्त में देने की घोषणा करते रहते हैं. देखा गया है कि अनेक अवसरों पर राजनीती दलों की ये चाल कामयाब भी रहती है. परन्तु ऐसे समय में भी अगर देश का प्रधानमन्त्री लोगों से मुफ्त की […] Read more » Featured gas subsidy अमित शर्मा अर्थव्यवस्था मुफ्त में देने की घोषणा मुफ्तखोरी की सोच
आर्थिकी राजनीति रेलमंत्री जी! सुविधा नहीं, सुरक्षा जरूरी March 26, 2015 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment रेलवे परिचालन में यात्रियों की सुरक्षा सदा से इस देश के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यक मुद्दा रहा है। यात्रियों की निर्विघ्न सुरक्षित यात्रा हो, इसके लिए प्रयास करना रेल विभाग का मूल दायित्व है। रेल सेवा की सार्थकता इस श्रेष्ठ उपलब्धि में ही निहित है कि हमारे देश वासियों की निर्वाध यात्रा पूर्ण सुरक्षा के […] Read more »
आर्थिकी खेत-खलिहान राजनीति अन्नदाताओं से नीरस संवाद March 24, 2015 / March 24, 2015 by प्रमोद भार्गव | 2 Comments on अन्नदाताओं से नीरस संवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के बहाने रेडियो के माध्यम से देश के अन्नदाताओं से जो इकतरफा व एकपक्षीय संवाद किया, उसने साफ है कि केंद्र सरकार के लिए किसान एवं कृषि हित से कहीं ज्यादा औद्योगिक हित महत्वपूर्ण हैं। जबकि मोदी ने तूफानी चुनावी दौरों में किसानों को भरोसा जताया था […] Read more » mann ki bat अन्नदताओं से नीरस संवाद किसान अत्महात्या कृषि मजदूर प्रमोद भार्गव प्राकृतिक आपदा भूमि अधिग्रहण
आर्थिकी खेत-खलिहान राजनीति कभी दिल की भी सुन लिया करो साहब March 24, 2015 by आदर्श तिवारी | 1 Comment on कभी दिल की भी सुन लिया करो साहब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेअपने ६वें ‘मन की बात’ कार्यक्रम किसानों से किया लेकिन, बात किसानों की मन की नहीं बल्कि अगर हम ये कहें कि मोदी अपने सरकार पर लग रहे भूमि अधिग्रहण बिल के आरोपो का स्पष्टीकरण देकर किसानों का भरोसा जीतने की कवायद की तो ये तनिक भी अतिशयोक्ति नहीं होगी. बेमौसम हुए […] Read more » आदर्श तिवारी कभी दिल की भी सुन लिया करो साहब बेमौसम बरसात भूमि अधिग्रहण बिल मन की बात
आर्थिकी जन-जागरण नर्मदा बाँध -सांख्यिकी और भूमि अधिग्रहण March 24, 2015 by डॉ. मधुसूदन | 2 Comments on नर्मदा बाँध -सांख्यिकी और भूमि अधिग्रहण (एक) प्रवेश: जब भूमि-अधिग्रहण विषय पर अति मह्त्त्वपूर्ण और निर्णायक चर्चाएँ चल रही हैं; तो सरदार सरोवर प्रकल्प जो नर्मदा बाँध के निर्माण से संबंध रखता है, उसकी उपलब्ध (अनुमानित) सांख्यिकी की जानकारी प्रवक्ता के पाठकों को भूमि अधिग्रहण के विषय में अपना मत और मन बनाने में सहायक होगी। इस हेतु से प्रस्तुत है […] Read more » डॉ. मधुसूदन नर्मदा बाँध -सांख्यिकी और भूमि अधिग्रहण बाँध भूमि अधिग्रहण सरदार सरोवर
आर्थिकी जरूर पढ़ें पर्यावरण महत्वपूर्ण लेख राजनीति दूषित जल पिलाने की तैयारी March 23, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment औद्योगिक विकास और बढ़ते शहरीकरण ने आखिरकार अमेरिका समेत पूरी दुनिया में ऐसे हालात पैदा कर दिए है कि मल-मूत्र का शुद्धिकरण करके बोतलबंद पेयजल के निर्माण का धंधा षुरू हो गया है। दिग्गज कंप्युटर कंपनी माइक्रोसाप्ट के सह संस्थापक बिल गेट्स ने इस पानी को पीकर इसके शुद्ध होने की पुश्टि की है। इस […] Read more » dirty water water related disease दूषित जल दूषित जल पिलाने की तैयारी
आर्थिकी महत्वपूर्ण लेख राजनीति बुलेट ट्रेन के सपने से पहले बदहाल ‘सूरत’ बदलनी होगी March 23, 2015 by रमेश पांडेय | 2 Comments on बुलेट ट्रेन के सपने से पहले बदहाल ‘सूरत’ बदलनी होगी प्रधानमंत्री बनते ही नरेन्द्र मोदी ने देश के लोगों को बुलेट ट्रेन कासपना दिखाया। युवा पीढ़ी के लिए यह खुशी की बात रही। चुनाव प्रचार के दौराननरेन्द्र मोदी के मन में यह कसक दिखाई दे रही थी कि वह जैसे हीप्रधानमंत्री पद की कुर्सी पर आसीन होंगे, वैसे ही देश की सड़ी-गलीव्यवस्थाओं में आमूलचूल परिवर्तन […] Read more » दुर्घटना बुलेट ट्रेन बुलेट ट्रेन के सपने से पहले बदहाल ‘सूरत’ बदलनी होगी बुलेट ट्रेन से ज़रूरी हैं प्लेटफार्म रमेश पाण्डेय रेल मंत्रालय
आर्थिकी चिंतन धर्म-अध्यात्म विश्व जल दिवस का भारतीय संयोग March 21, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment कितना सुखद संयोग है! 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के बहाने हम सब की अपनी एक नन्ही घरेलु चिङिया की चिन्ता; देशी माह के हिसाब से चैत्री अमावस्या यानी गोदान का दिन। 21 मार्च को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी मौसमी परिवर्तन पर संयमित जीवन शैली का आग्रह करते नव दिन […] Read more » world water day विश्व जल दिवस विश्व जल दिवस का भारतीय संयोग
आर्थिकी औद्योगिक समवाय और भू-अधिग्रहण March 21, 2015 by डॉ. मधुसूदन | Leave a Comment (एक) जीवित पूंजी बडे औद्योगिक समवाय जब (कॉर्पोरेशन) स्थापित होते हैं। तो, अनेक छोटे निवेशक भी शेर खरिदकर उस संयुक्त पूंजी में, अपना आंशिक धन (शेर) लगाकर पूंजी की उत्पादन क्षमता बढा देते हैं। (दो) मृत पूंजी का प्रमाण दूसरी ओर, आप (हम) सोना-चांदी-हीरे इत्यादि खरिद कर रख लेने से पूंजी उत्पादन से जुडती नहीं […] Read more » औद्योगिक समवाय और भू-अधिग्रहण डॉ. मधुसूदन भू-अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण
आर्थिकी खेत-खलिहान लोकतंत्र में महत्वपूर्ण कौन: क्रिकेट या किसान? March 21, 2015 / March 21, 2015 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment यहकतई आश्चर्य की बात नहीं है कि आजकल अखबार व दृश्य श्रव्य मीडिया का पहलासमाचार क्रिकेट है, फिर राजनीतिक उठापटक और अपराध या फ़िल्मी सितारों की चमकदमक वगैरह। जंतर मंतर पर लाखों किसान देश के दूर दराज इलाकों से आकर अपनीसमस्याएं बताना चाहते हैं लेकिन मीडिया लोकसभा और राज्यसभा में किसानों केचिंतकों की बात तो […] Read more » क्रिकेट या किसान लोकतंत्र में महत्वपूर्ण कौन क्रिकेट या किसान ? शैलेन्द्रचौहान