आर्थिकी ‘यात्रा व पर्यटन से देवपूजा व संगतिकरण का लाभ, November 12, 2014 / November 15, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, जब हम किसी उद्देश्य से एक स्थान से अन्य दूरस्थ स्थान पर जाते हैं तो घर से निकल कर घर वापिस लौटने तक भ्रमण किये गये स्थानों पर जाने को हम यात्रा का नाम देते हैं। यात्रा के अनेक उद्देश्य हुआ करते हैं। जैसे बच्चे सुदूर स्थानों पर रहने वाले अपने […] Read more » benefits of heritage tours in any state पर्यटन से देश की एकता व अखण्डता को बढा़वा पर्यटन से प्रदेशों का आर्थिक विकास यात्रा व पर्यटन से देवपूजा व संगतिकरण का लाभ
आर्थिकी जीएसटी पर केंद्र की सफलता November 9, 2014 / November 15, 2014 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की राह में उत्पन्न सभी समस्याएं नई सरकार के आते ही दूर हो गई हैं। वस्तुत: जीएसटी का विचार केंद्र की तरफ से 2006 में आया था। इसे एक अप्रैल, 2010 से लागू होना था। तत्कालीन संप्रग सरकार ने वर्ष 2011 में जीएसटी विधेयक भी पेश किया, लेकिन केंद्र और […] Read more » The success of the Centre on GST जीएसटी जीएसटी पर केंद्र की सफलता वस्तु एवं सेवा कर
आर्थिकी मुफलिसी की सरमाएदारी में अतुल्य भारत October 29, 2014 by प्रणय विक्रम सिंह | Leave a Comment प्रणय विक्रम सिंह सौ में सत्तर आदमी फिलहाल जब नाशाद है, दिल पर हाथ रखकर कहिये देश क्या आजाद है? जनकवि अदम गोंडवी की ये पंक्तियां मौजूदा परिदृश्य में चरितार्थ होती दिख रही है। आज भारत में वैभव का आभास, अनवरत नवीन प्रतिमानों के प्रस्तर खण्ड उत्कीर्ण कर रहा है। चहुंओर गगनचुम्बी भवन, चमचमाती लग्जरी […] Read more » अतुल्य भारत
आर्थिकी काले धन की कोहरे में सरकार October 29, 2014 by विकास कुमार गुप्ता | Leave a Comment काले धन के कोहरे फिर से लोकतांत्रिक वातावरण को अपने आगोश में लेने लगी हैं। भारत जैसे देश में जहां अदने से मामलें में न्यायालयों में दशकों उठक पटक लगती हो वहां लाखों करोड़ के कालेधन छुपाने वाले देश के ताकतवर और सत्ता के बेल से लिपटे लोगों पर त्वरित कार्रवाई होना इतना आसान प्रतीत […] Read more »
आर्थिकी काले धन के मायने October 29, 2014 / October 29, 2014 by अभिषेक कांत पांडेय | Leave a Comment अभिषेक कांत पांडेय काले धन के मायने क्या है? काला धन कर चोरी या आवैध तरीके से कमाया गया पैसा है जो उस देश के लोगों के साथ छल करके विदेशी बैंकों में जमा किया गया है, वहीं ऐसे पैसे भारत मे भी है, जिस पर आयकर विभाग छापा की कार्यवाई कर जब्त करता है। […] Read more » काले धन के मायने
आर्थिकी अंत्योदय बनाम सहकारिता October 7, 2014 by अशोक बजाज | Leave a Comment अशोक बजाज भारतीय संस्कृति का उद्देश्य मानव जीवन को सुखी व समृद्ध बनाना है। हमारी संस्कृति कहती है कि हम परस्पर सहयोग व समन्वय से अपना जीवन यापन करें। मनुष्य के ऊपर अपने परिवार व समाज को पोषित करने की महती जिम्मेदारी होती है। इसके लिए वह नाना प्रकार के आर्थिक उपक्रम करता है। दूसरों […] Read more » सहकारिता
आर्थिकी जन-जागरण नमक-भात और प्याज की शक्ति पर शोध October 4, 2014 / October 4, 2014 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment मिकिन कौशिक राजधानी दिल्ली का स्वरूप पहले ऐसा नहीं था जैसा आज है। महाभारत काल की सुंदर इंद्रप्रस्थ नगरी को सदियों पहले आकार दिया गया था। इसे बसाने वाले राजा महाराजाओं की चर्चा इतिहास में मिल जाती हे, लेकिन उसका नाम इतिहास में नहीं मिलता जिसके पसीने से सींची गई र्इंटें आज भी इस्पात की […] Read more » नमक-भात और प्याज की शक्ति पर शोध
आर्थिकी टेक्नोलॉजी न नौकरी, न नवाचार क्या करें ऐसी तकनीकी पढाई का ? September 28, 2014 by अरुण तिवारी | 1 Comment on न नौकरी, न नवाचार क्या करें ऐसी तकनीकी पढाई का ? स्थान था, देश की राजधानी दिल्ली। मौका था, राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम की तारीफ बताने के लिए आयोजित सम्मेलन का और केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा बताने लगे कमजोरी। कहने लगे कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद बिहार-उङीसा के युवा दिल्ली-नोएडा जैसी जगहों पर 6,000 रुपये मात्र ही कमा पाते हैं। यह कोई […] Read more » तकनीकी पढाई
आर्थिकी ड्रेगन जैसा न हो भारत का विकास September 28, 2014 by अरुण तिवारी | 1 Comment on ड्रेगन जैसा न हो भारत का विकास अरुण तिवारी राहुल गांधी जी ने चुनाव के वक्त कहा था कि यदि हम पूरी शक्ति से काम में लग जायें, तो अगले कुछ सालों में चीन को पीछे छोङ देंगे। नरेन्द्र मोदी जी ने भी चीन की बराबरी करने की इच्छा जाहिर की है। ड्रेगन की बराबरी करने के लिए उन्होने ’मेक इन इंडिया’ के […] Read more » ड्रेगन ड्रेगन जैसा न हो भारत का विकास
आर्थिकी जनधन योजना के छलावे ? September 9, 2014 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on जनधन योजना के छलावे ? प्रमोद भार्गव देश में हरेक व्यक्ति का खाता हो,यह अच्छी बात है। लेकिन महज बैंक खाता खुल जाने से व्यक्ति की तकदीर बदल जाएगी,वित्तिय अछूतता या भेदभाव दूर हो जाएगा,यह भ्रम है। बल्कि जन-धन योजना के तहत बैंक खाते खोले जाने का जो सिलसिला शुरू हुआ है,उसकी परछाईं में कई आशंकाएं तो उत्पन्न हुई ही […] Read more » जनधन योजना के छलावे
आर्थिकी खैरात में बांटी कोयला खदानें September 4, 2014 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव जैसे-जैसे परत-दर-परत कोयला खदान आबंटन की जांच आगे बढ़ रही है,वैसे-वैसे घोटाले की तस्दीक पुख्ता हो रही है। इस पड़ताल का जो ताजा खुलासा सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने किया है,उसमें राजग,संप्रग और संयुक्त मोर्चा संस्कारों को भी जबरदस्त झटका लगा है। क्योंकि अदालत ने 1993 से लेकर 2010 के बीच जितने भी […] Read more » खैरात में बांटी कोयला खदानें
आर्थिकी आर्थिक छुआछूत’ के विरुद्ध शंखनाद September 1, 2014 / September 1, 2014 by प्रणय विक्रम सिंह | 2 Comments on आर्थिक छुआछूत’ के विरुद्ध शंखनाद प्रणय विक्रम सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जन-धन योजना’ के माध्यम से ‘आर्थिक छुआछूत’ के विरुद्ध शंखनाद कर दिया है। ‘मेरा खाता भाग्यविधाता’ के नारे के साथ प्रारंभ की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना के पहले ही दिन डेढ़ करोड़ खाते खोले गए और पूरी दुनिया की बैंकिग व्यवस्था में एक नया कीर्तिमान जुड़ गया। प्रधानमंत्री […] Read more » आर्थिक छुआछूत’ के विरुद्ध शंखनाद