जन-जागरण पृथ्वी मुस्कुराने नहीं सिसकने पर मजबूर April 20, 2015 / April 20, 2015 by निर्भय कर्ण | Leave a Comment -निर्भय कर्ण- जब बारिश की बूंदें धरती/पृथ्वी पर पड़ती हैं तो हमारा रोम-रोम पुलकित हो जाता है, पृथ्वी खुशी से मुस्कराने लगती है और ईश्वर का धन्यवाद करती है लेकिन वर्तमान हालात ने पृथ्वी को मुस्कुराने पर नहीं बल्कि सिसकने पर मजबूर कर दिया है। वजह साफ है सजीवों को जीवन प्रदान व पोषित करनेवाली […] Read more » Featured पृथ्वी पृथ्वी पर खतरा पृथ्वी मुस्कुराने नहीं सिसकने पर मजबूर
जन-जागरण सफल जीवन की एक नई राह बनाएं April 19, 2015 / April 19, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- व्यक्ति अपने जीवन को सफल और सार्थक बनाने के लिये समाज से जुड़कर जीता है, इसलिए समाज की आंखों से वह अपने आप को देखता है। साथ ही उसमें यह विवेक बोध भी जागृत रहता है ‘मैं जो भी हूं, जैसा भी हूं’ इसका मैं स्वयं जिम्मेदार हूं। उसके अच्छे बुरे चरित्र का […] Read more » Featured जीवन सफल जीवन सफल जीवन की एक नई राह बनाएं
जन-जागरण विविधा बापू – चाचा और नेताजी April 16, 2015 by एल. आर गान्धी | 1 Comment on बापू – चाचा और नेताजी एल आर गांधी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को इतिहास के गुमनाम पन्नों में दफन करने के ‘काले-गोरे ‘ अंग्रेज़ों के षड्यंत्र पर से परत दर परत पर्दा उठने लगा है …। यह षड्यंत्र माउंटबेटन ,उनकी मैडम और चाचा नेहरू के बीच रचा गया था …. अँगरेज़ समझ गए थे कि हज़ारो शहीदों की शहादत के […] Read more » Featured चाचा और नेताजी बापू
जन-जागरण विविधा तात्या टोपे की तरह कुछ और लोग होते तो अंग्रेजों के हाथ से भारत छीना जा सकता था April 16, 2015 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment सन् सत्तावन के विद्रोह की शुरुआत 10 मई को मेरठ से हुई थी। जल्दी ही क्रांति की चिन्गारी समूचे उत्तर भारत में फैल गयी। विदेशी सत्ता का खूनी पंजा मोडने के लिए भारतीय जनता ने जबरदस्त संघर्ष किया। उसने अपने खून से त्याग और बलिदान की अमर गाथा लिखी। उस रक्तरंजित और गौरवशाली इतिहास के […] Read more » Featured great freedom fighter tantya tope tale of tantya tope tatya tope तात्या टोपे
जन-जागरण समाज समाज व्यवस्था और स्त्री April 6, 2015 / November 7, 2016 by शैलेन्द्र कुमार सिंह | Leave a Comment भारतीय समाज व्यवस्था में स्त्री के स्वतंत्र व्यक्तित्व की राह में बाधाएं’ इस पृथ्वी पर सबसे बुद्धिमान प्राणी मनुष्य ही हैl प्रकृति की संरचना में स्त्री-पुरुष का भेद नहीं हैl दोनों अपनी मूल संरचना में स्वतंत्र होते हुए एक-दूसरे के पूरक हैं और समान रूप से सहभागी भीl लेकिन मानव जैसे-जैसे विकास करते गया उसने […] Read more » Featured पुरुषवादी प्राकृतिक अधिकार शैलेन्द्र कुमार सिंह समाज व्यवस्था और स्त्री स्त्री के सम्मान स्वतंत्रता और समानता का अधिकार
जन-जागरण शख्सियत मेरा दाह संस्कार मेरे मित्र भगत सिंह की समाधि के पास किया जाए–बटुकेश्वर दत्त April 6, 2015 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी बटुकेश्वर दत्त का जन्म १८ नवम्बर, १९१० को बंगाली कायस्थ परिवार में ग्राम-औरी, जिला नानी बेदवान (बंगाल) में हुआ था; परंतु पिता ‘गोष्ठ बिहारी दत्त’ कानपुर में नौकरी करते थे। बटुकेश्वर ने १९२५ में मैट्रिक की परीक्षा पास की। उन्हीं दिनों उनके माता एवं पिता दोनों का देहांत हो गया। इसी समय वे […] Read more » क्रान्तिकारी संगठन बटुकेश्वर दत्त भगतसिंह और चंद्रशेखर आजाद शैलेन्द्र चौहान सुखदेव और राजगुरु हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन
जन-जागरण समाज बच्चियों के साथ दरिंदगी पर उदासीनता क्यों April 3, 2015 / April 4, 2015 by रमेश पांडेय | 1 Comment on बच्चियों के साथ दरिंदगी पर उदासीनता क्यों देश में लगातार बच्चियों के साथ दरिंदगी की घटनाएं बढ़ती जा रही है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा में हुई हाल की घटनाओं ने दरिंदगी की इंतहा पार कर दी है। बावजूद इसके भी सरकारों की तरफ से उदासीनता बरती जा रही है। अगर ऐसे ही रहा तो आने वाले दिनों में सामान्य […] Read more » child sex crime crime against children Featured ramesh pandey उदासीनता बच्चियों के साथ दरिंदगी बच्चियों के साथ दरिंदगी पर उदासीनता क्यों
जन-जागरण राजनीति भीम राव आम्बेडकर और उनके शिक्षा सम्बंधी विचार April 3, 2015 / April 4, 2015 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 1 Comment on भीम राव आम्बेडकर और उनके शिक्षा सम्बंधी विचार भीम राव आम्बेडकर ने देश के निर्धन और बंचित समाज को प्रगति करने का जो सुनहरी सूत्र दिया था , उसकी पहली इकाई शिक्षा ही थी । इससे अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि वे गतिशील समाज के लिये शिक्षा को कितना महत्व देते थे । उनका त्रि सूत्र था- शिक्षा,संगठन और संघर्ष । वे […] Read more » b r ambedakar dr. b r ambedakar Featured भीम राव आम्बेडकर भीम राव आम्बेडकर और उनके शिक्षा सम्बंधी विचार शिक्षा सम्बंधी विचार
जन-जागरण ऑटिज्म से हार बर्दाश्त नहीं April 2, 2015 / April 4, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment आपने अपने इर्द-गिर्द ऐसे बच्चे या व्यक्ति को देखा होगा, जो स्वयं में लीन रहते है। यदि नहीं तो आपने ‘तारे जमीं पर’, ‘कोई मिल गया’, माई नेम इज खान जैसे फिल्मों में इसके दृश्य अवश्य देखे होंगे। ऐसे बच्चों के आस-पास क्या हो रहा होता है, उससे उन्हें कोई सरोकार नहीं होता। इसका मतलब […] Read more » autism autism child Featured ऑटिज्म से हार बर्दाश्त नहीं
जन-जागरण टॉप स्टोरी राजनीति काली चमड़ी गोरी चमड़ी April 2, 2015 / April 4, 2015 by अमित शर्मा | Leave a Comment काली चमड़ी बनाम गोरी चमड़ी का विवाद कोई नया नहीं है. न ही ये सिर्फ भारत की बिमारी है. इसे विश्वव्यापी महामारी कहें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा क्यूंकि इसी काली चमड़ी गोरी चमड़ी के विवाद में अमेरिका आग की लपटों में झुलस गया था. ऑस्ट्रेलिया में तो काली चमड़ी के लोगों को इंसान मानना […] Read more » Featured giriraj singh racist remark on soniya gandhi Soniya Gandhi काली चमड़ी गोरी चमड़ी
जन-जागरण धर्म-अध्यात्म प्रवक्ता न्यूज़ वेदों का ज्ञान अपौरूषेय अर्थात् ईश्वर प्रदत्त हैः आचार्य धनंजय March 30, 2015 / April 4, 2015 by मनमोहन आर्य | 5 Comments on वेदों का ज्ञान अपौरूषेय अर्थात् ईश्वर प्रदत्त हैः आचार्य धनंजय आर्यसमाज सुभाषनगर के वार्षिकोत्सव का आज सोत्साह समापन हुआ। आयोजन में पं. धर्मसिंह ने अपनी भजन मण्डली सहित प्रभावशाली भजन प्रस्तुत किये जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया। प्रातःकाल डा. आचार्य धनंजय आर्य के ब्रह्मत्व में बृहद यज्ञ सम्पन्न हुआ जिसमें वेदपाठ और मंत्रोच्चार आर्यसमाज के पुरोहित श्री अमरनाथ एवं श्रीमद्दयानन्द आर्ष गुरूकुल, पौंधा, देहरादून के […] Read more » Featured मनमोहन कुमार आर्य वेदों का ज्ञान अपौरूषेय अर्थात् ईश्वर प्रदत्त है
जन-जागरण राजनीति एक कुआं, एक मंदिर, एक श्मसान के मायने March 30, 2015 / April 4, 2015 by वीरेंदर परिहार | 2 Comments on एक कुआं, एक मंदिर, एक श्मसान के मायने सच्चाई यह है कि संघ आरंभ से हिन्दू समाज की आत्महीनता को दूर करने तथा हिन्दुओं में व्याप्त भेदभाव एवं छुआछूत की भावना को दूर करने को प्रयासरत है। यहां तक कि संघ के प्रचारक अमूमन अपने नाम के आगे जाति नहीं लिखते और संघ में न तो जाति पूछी जाती है न वहां जाति […] Read more » Featured एक कुआं एक मंदिर एक श्मसान के मायने विरेन्द्र सिंह परिहार