कविता साहित्य
अनजान रिश्ते
 
 /  by साकेत तिवारी    
ना मैं पागल हूं, ना कोई दीवाना, फिर भी क्यों, प्यार करता हूं, ना कोई तम्मना, ना बुरा इरादा, फिर भी क्यों, इतंजार करता हूं, ना प्रश्न कोई, ना उत्तर उसका, फिर भी क्यों, बेचैन रहता हूं, ना तुम बोलो, ना मैं कुछ कहूं, फिर भी क्यों, आवाज़ होती है, ना मैं जानूं, ना तुम […] 
Read more »