कविता ये तिरंगा परचम लहरानेवाला भारत की महान संस्कृति का August 8, 2022 / August 8, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकअब तो सन दो हजार बाईस ईस्वी में मनाना है,अब तो आजादी का पचहत्तरवां दिवस को आना है,हां! पंद्रह अगस्त को घर-घर में तिरंगा फहराना है,आजादी का अमृत महोत्सव हम सबको मनाना है! हर घर में तिरंगा हो,जय हो,हर हाथ में तिरंगा हो,ना देश में दंगा हो, नहीं कोई भूखा प्यासा नंगा हो,ईमान […] Read more » This tricolor hoist is a symbol of great culture of India.
कविता भारत के वीर सेनानियों के प्रति भावांजलि August 4, 2022 / August 4, 2022 by शकुन्तला बहादुर | Leave a Comment देश के सपूतों, मातृभू के रक्षकों, क्रांतिवीर बन्धुओं, शूरवीर सैनिकों, साहसी सेनानियों !! माँ तुम्हें पुकारती, माँ तुम्हें पुकारती। * आज […] Read more » poem on Independence Day Tribute to the brave fighters of India
कविता हर दिन होगी तीज || August 1, 2022 / August 1, 2022 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment सावन में है तीज का, एक अलग उल्लास |प्रेम रंग में भीग कर, कहती जीवन खास | | जैसे सावन में सदा, होती खूब बहार |ऐसे ही हर घर सदा, मने तीज त्योहार | | हाथों में मेंहदी रची, महक रहा है प्यार |चूड़ी, पायल, करधनी, गोरी के श्रृंगार | | उत्सव, पर्व, समारोह है, […] Read more » Every day will be Teej हर दिन होगी तीज
कविता मूर्खो का समाज August 1, 2022 / August 1, 2022 by रोहित सुनार्थी | Leave a Comment आज उसके गालो पर लाली नहीं है पर आज उसके गाल लाल है दो तमाचे पड़े है अपने पति से और क्या? फिर भी आज खाना बनाया है पति के हिस्से का भी जिसे ठुकराकर वो चला गया है बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजा है हाँ माथा भी चूमा है उनका पत्नी नाराज़ है […] Read more » society of fools
कविता ब्रह्मा से कह दो आदमी की सृष्टि शर्तों के हिसाब से करे July 27, 2022 / July 27, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकआज आदमी को आदमी से तीव्र असहमति है,ब्रह्मा से कह दो आदमी की सृष्टि आदमी कीसहमति असहमति की शर्तों के हिसाब से करे! आज किसी को किसी की मूंछ से आपत्ति है,किसी को किसी की दाढ़ी से घृणा विरक्ति है,किसी को किसी के केश बढ़ाने से विपत्ति है! ब्रह्मा से कह दो बच्चों […] Read more » Tell Brahma to create man according to the conditions
कविता अक्सर बैंक डाकघर में कलम मांगते लोग दिख जाते July 20, 2022 / July 20, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment (लेखनी पुस्तक भार्या परो हस्तो गतो गता:)—विनय कुमार विनायकअक्सर बैंक डाकघर स्टेशन परिसर मेंकलम मांगते कुछ लोग दिख जातेऐसे लोग बड़े मतलबी गैरजिम्मेदार होते! उन्हें पता है बैंक डाकघर टिकट काउंटर परबिना लेखनी काम नही चलताउन्हें यह भी ज्ञात है जिनकी जेब में कलम हैवे उनकी अपनी जरूरत के लिए होती! मगर बड़ी बेहयाई सेऐसे […] Read more »
कविता एक अदद ईमानदार आदमी July 14, 2022 / July 14, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकगांव से शहर,मंदिर से दफ्तरचिराग लिए भटक रहा हूंएक अदद ईमानदार आदमी कीतलाश में खामोश-उद्भ्रांतहकबकाए-बिनबताए किसी कोकि बेपता हो गयाएक अदद ईमानदार आदमीभरोसा करुं तो किसपर?पता पूछूं तो किससे?क्या पता?भेद बताने वाला हो जाए लापताजब से पनाहगाह हुईअंधेरगर्दों की दुनियाभूमिगत हो गया हैएक अदद ईमानदार आदमीसहस्त्रों नागों के पहरे मेंसंज्ञाहीन हो गहरी खाई […] Read more » a very honest man today एक अदद ईमानदार आदमी
कविता सहमा-सहमा आज July 14, 2022 / July 14, 2022 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment कौन पूछता योग्यता, तिकड़म है आधार ।कौवे मोती चुन रहे, हंस हुये बेकार ।। परिवर्तन के दौर की, ये कैसी रफ़्तार ।गैरों को सिर पर रखें, अपने लगते भार ।। अंधे साक्षी हैं बनें, गूंगे करें बयान ।बहरे थामे न्याय की, ‘सौरभ’ आज कमान ।। कौवे में पूर्वज दिखे, पत्थर में भगवान ।इंसानो में क्यों […] Read more » सहमा-सहमा आज
कविता उनकी यादें July 14, 2022 / July 14, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment विचलित कर देती है,उनकी यादें कभी मुझको।नींद उड़ा ले जाती है,सोने नहीं देती है मुझको।। पता नहीं लग पाता है,कहां ले जाती है मुझको।करवटें बदलती हूं बस सलवटे दिखती मुझको।। शाम से ही आने लगती है उनकी यादें मुझको।खोलने द्वार जाती हूं,जब आहट होती मुझको।। कब यादों का मिलन होगा पता नहीं मुझको।अगर मिलन नहीं […] Read more » उनकी यादें
कविता फिर कोई बुद्ध जिन ना हुए वस्त्र त्यागकर July 13, 2022 / July 13, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकईश्वर ने एक जैसा बनाया नहीं मानव को,सबके सब अलग हैं अद्वितीय हैं बेजोड़ हैं,एक सा रंगरूप मन बुद्धि ना मिले सबको,फिर क्यों तुम एक जैसे बनाने पर तुले हो? लाख चाहने पर फिर से कोई राम ना बना,कोई कृष्ण ना हुआ कोई बुद्ध ना हो पाया,कोई दूसरा महावीर ईसा पैगम्बर नहीं आया,पिता […] Read more » Then a Buddha who renounced his clothes फिर कोई बुद्ध जिन ना हुए वस्त्र त्यागकर
कविता कैसे बताऊं मेरे कौन हो तुम July 12, 2022 / July 12, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कैसे बताऊं,मेरे कौन हो तुम,मेरी जिंदगी में समाए हो तुम। मेरे चांद हो तुम मेरे सूरज हो तुम,मै तुम्हारी धरा मेरे गगन हो तुम।तुम बिन होत नही कही उजियारामेरे जीवन के प्रकाश भी हो तुम।। मेरे गीत हो तुम मेरे संगीत हो तुममेरे मीत हो तुम मेरी प्रीत हो तुम।तुम्हारे बिन सूना है सारा संसारमेरी […] Read more » कैसे बताऊं मेरे कौन हो तुम
कविता मौत का क्या भरोसा July 12, 2022 / July 12, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मौत का क्या भरोसा,कब तुझको आ जाए।भज ले प्रभु का नाम तूफिर समय न मिल पाए।। मौत है एक सच्चाई,ये सबको एक दिन आती।कब कहां किसको आयेगी,ये नहीं किसी को बताती।। मौत कब किसको आ जाएये पता नहीं किसी को चलता।क्या बहाना लेकर ये आयेये आभास न किसी को होता।। बड़े बड़े योद्धाओं को भीये […] Read more » मौत का क्या भरोसा