कविता एकतरफ़ा मोहब्बत February 3, 2021 / February 3, 2021 by आलोक कौशिक | Leave a Comment वैसे लोग जोएकतरफ़ा प्यार में होते हैंये ना समझसब-के-सब बीमार होते हैं कुछ लोग इश्क़ऐसा भी कर जाते हैंमोहब्बत की ख़ातिरखुशी से मर जाते हैं प्रेम को कहते परमेश्वरइनके भगवान नहीं होतेदिलबर की गुस्ताख़ियों सेकभी परेशान नहीं होते तक़लीफ़ देती है ज़िंदगीलेकिन फिर भी मुस्कुराते हैंहोती है मोहब्बत एकतरफ़ावो एकतरफ़ा ही निभाते हैं Read more » One sided love एकतरफ़ा मोहब्बत
कविता इसके भी जिम्मेवार तुम्हीं हो February 3, 2021 / February 3, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकनैतिकता को ताख पर रखकर बोलते रहो झूठपार्टीबद्ध होकर करते रहो लूटघोंपते रहो सच्चाई की पीठ में छुरीजब सौ में निन्यानबे हो गए झूठ के पोषकफिर एक की आवाज कौन सुनेगा? ऐसे में नक्कार खाने मेंतूती की आवाज कौन सुनता?जिसकी लाठी उसकी भैंस, यही तो रोना हैऐसे में लट्ठधर तुम्हें होना हीं होना […] Read more » इसके भी जिम्मेवार तुम्हीं हो
कविता खुशी और ग़म February 2, 2021 / February 2, 2021 by आलोक कौशिक | 1 Comment on खुशी और ग़म नहीं लगा पाओगेइसका अनुमानकौन है जहान मेंकितना परेशान किसी के जीवन मेंहै कितनी खुशीअंदाज़ा ना लगानादेख उसकी हँसी चाहत नहीं होतीफिर भी चाहना पड़ता हैग़मों को छिपाकरमुस्कुराना पड़ता है बहते हैं उनके अश्रु भीजो सुख में जीवन जीते हैंदिखें ना आँसू जिनकेवो हर पल बहुत रोते हैं Read more » खुशी और ग़म
कविता शाक्यवीर शाक्यमुनि गौतम की पुकार February 2, 2021 / February 2, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहे मार! मुझे मत मार!मैं महामाया-शुद्धोधन का उनतीस वर्षीय बेटा शाक्यवीरसिद्धार्थ,एक क्षत्रिय राजकुमार, याचना नहीं समर करने वाला,सहस्त्रार्जुन, राम, कृष्ण का वंशज, सदियों चला असि की धार!बहुत दिया गीता का युद्ध प्रवचन, बहुत किया धनुष टंकार,सदियों का अनुभव हमारा, युद्ध करना है बेकार! हे मार! मुझे मत मार!इक्कीस-इक्कीस बार हुआ युद्धप्रिय जातियों का […] Read more » Call of Shakyavir Shakyamuni Gautam शाक्यमुनि गौतम
कविता वो जश्न कोई मना न सके February 2, 2021 / February 2, 2021 by प्रभात पाण्डेय | Leave a Comment वो जश्न कोई मना न सकेदोस्ती वो निभा न सकेआग दिल की बुझा न सकेमेरे जज्बातों से खेलकर भीवो जश्न कोई मना न सके ||कभी खामोश रहता हूँकभी मैं खुल कर मिलता हूँजमाना जो भी अब समझेज़माने की परवाहअब मैं न करता हूँवो पल कैसे भूल सकता हूँबुझाई थी नयनों की प्यास जब तुमनेवो हर […] Read more » वो जश्न कोई मना न सके
कविता उसकी मोहब्बत में February 1, 2021 / February 1, 2021 by आलोक कौशिक | 1 Comment on उसकी मोहब्बत में उसका ना हो पाया तोअपना उसे बना लूँगाबिना लिए सात फेरेमोहब्बत निभा लूँगा संभव नहीं होगा मिलनमुश्किल होगा अगर दर्शकरके अपनी आँखें बंदमैं कर लूँगा उसे स्पर्श छिन जायेगी आवाज़ मेरीखामोशियाँ उसे सुना दूँगामैं उसकी मोहब्बत मेंखुद को भी भुला दूँगा रुक जाएँगी जब साँसेदुनिया मुझे जलाएगीचिता से उठती आग भीउसकी आकृति बनाएगी ✍️ आलोक […] Read more » उसकी मोहब्बत में
कविता आत्मा पुनर्जन्म ऐसे पा लेती है February 1, 2021 / February 1, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —-विनय कुमार विनायकएको ब्रह्म दूजा नास्तिअस्तु परमात्मा एक है! अशरीरी अखण्ड परमात्मापारद सा खण्डित होतागोल बूंद सा मंडित होता! वायवीय आवरण से घिरकरआवरणों के छंट जाने सेदूरियों के घट जाने सेबूंद-बूंद अनेक बूंद होकरएक जलराशि सा हो जाता! अस्तु परमात्मा एक है!आत्मा-आत्मा भी बूंद-बूंद साएक-एक इकाई हो जाता! परमात्मा बूंद-बूंद सा बंटकरशरीर में एक नहीं […] Read more » This is how the soul reincarnates पुनर्जन्म
कविता बादल हटेगा, अँधेरा छँटेगा हम सूरज बन फिर दमकेंगें February 1, 2021 / February 1, 2021 by प्रणय कुमार | Leave a Comment आप जितना रोकेंगेंहम उतना बढेंगेंसनद रहे, हम उतना बढेंगें षड्यंत्रों से कभी संकल्प डिगे हैंबाधाओं से कभी इरादे झुके हैंसत्य के आगे कभी प्रपंच टिके हैंअवरोधों का सीना चीरहम फिर फूटेंगें, बढेंगें, लहलहाएँगेआप जितना रोकेंगेंहम उतना बढेंगेंसनद रहे, हम उतना बढेंगें कल हमसे मनुष्यता अर्थ पाएगीऊँचाई मानक तय करेगीपीड़ित-पददलित जन न्याय पाएँगेंहर बाहरी अँधेरे कोहम […] Read more » बादल हटेगा अँधेरा छँटेगा हम सूरज बन फिर दमकेंगें
कविता मानव का क्लोन बनाने में क्यों नहीं मिल पा रही सफलता? February 1, 2021 / February 1, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —–विनय कुमार विनायकजरा बताओ तो विज्ञानवेत्ता!मानव का क्लोन बनाने में क्यों नहीं मिल पा रही सफलता?क्यों फेल हो जाती जीन-जेनेटिक्स/एक्स-वाई क्रोमोजोम केसद्-असद् गुण सूत्रों को सटा-हटाकरएक सा मनोवांछित मानव बनाने की मंशा? भेड़-बकरी/चूहे-चूजों का क्लोन बनानेवाले जरा बताओ तो विज्ञानवेत्ता!मानव का क्लोन क्यों नहीं बन पाता? कौन सी समस्या है सृष्टिजेता? विज्ञान की भाषा में […] Read more » मानव का क्लोन
कविता दुनिया भर के बच्चे, मां और भाषाएं January 31, 2021 / January 31, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —–विनय कुमार विनायकएक जैसे होते दुनिया भर के बच्चे!एक ही बाल-सुलभ हंसी-रुदन-कौतुकबच्चे चाहे हों अमेरिकी/अफगानी/तालिबानी/ब्रितानी/ईरानी/पाकिस्तानीभारतीय सप्तद्वीप-नौखण्ड में कहीं केएक जैसे होते दुनिया भर के बच्चे! दुनिया भर के बच्चों के,मां की कोख सेनिकलते ही के हूं—के हूं–कहां—कहां? केपहले सबाल में ही छिपी होतीविश्वभर की तमाम मानवीय भाषाएं! जिसे समझ लेती विश्वभर की मांएंदूध उतर आए […] Read more » Children mothers and languages around the world दुनिया भर के बच्चे मां और भाषाएं
कविता हारा-थका किसान ! January 31, 2021 / January 31, 2021 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment बजते घुँघरू बैल के, मानो गाये गीत ! चप्पा चप्पा खिल उठे, पा हलधर की प्रीत !! देता पानी खेत को, जागे सारी रात ! चुनकर कांटे बांटता, फूलों की सौगात !! आंधी खेल बिगाड़ती, मौसम दे अभिशाप ! मेहनत से न भागता, सर्दी हो या ताप!! बदल गया मौसम अहो, हारा-थका किसान ! सूखे […] Read more » हारा-थका किसान
कविता बापू की पुण्यतिथि पर January 31, 2021 / January 31, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बापु तुम्हारी पुण्यतिथि पर तुमको क्या मै बताऊं,आज तिरंगा रो रहा है किस किस को मै समझाऊं । नाम किसानों का लेकर ये झंडा खालिस्तानी फहराते,शोरगुल व तोड़ फोड़ कर अपनी बाते मनवाते। अब तो तुम्हारे तीनों बंदर भी गूंगे बहरे अंधे हो गए है,सत्य अहिंसा का मार्ग छोड़कर,ये मस्त कलंदर हो गए हैं। शायद […] Read more » बापू की पुण्यतिथि