कविता बीती अपने आप पर November 22, 2020 / November 22, 2020 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment बैठ न सौरभ हार के, रखना इतना ध्यान !चलने से राहें खुले, हो मंजिल का भान !! सुख में क्या है ढूंढ़ता, तू अपनी पहचान !संघर्षों में जो पले, बनते वही महान !! संबंध स्वार्थ से जुड़े, कब देते बलिदान !वक्त पड़े पर टूटते, शोक न कर नादान !! आंधी या बरसात हो, सहते एक […] Read more » Past on its own
कविता नरमेध आकांक्षी मगधराज जरासंध November 22, 2020 / November 22, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमगध साम्राज्य के संस्थापकजरासंध के पिता बृहद्रथ नेअपने पिता वसु के वसुमतिनाम की नगरी को गिरिव्रजमां गिरि के नाम किया था! आगे चलकर यह बार्हद्रथपुर,मागधपुर,कुशाग्रपुर,श्रषभपुर,बिम्बिसारपुरी बना नयानगर,राजगृह था जरासंध का घरअब राजगीर पर्यटन स्थल! जरासंध था मगध का राजामिश्रित आर्य असुर कुल का,उनकी दो बेटियां ब्याही गईआर्य अन्धक यादव कंश सेजो मामा था […] Read more » Maramedh Aspire Magadharaj Jarasandh मगधराज जरासंध
कविता सबका ईश्वर एक है November 22, 2020 / November 22, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment सबका ईश्वर एक है,ईश्वर ने सबको एक बनाया हैईश्वर की नही कोई जातिकिसने ईश्वर की जाति बनाई? सबका ईश्वर नेक है,ईश्वर ने सबको नेक बनाया हैईश्वर में नहीं कोई बदीकिसने ईश्वर में बदी घुसाई? सबका ईश्वर विवेक है,ईश्वर ने सबको विवेक दिया है,ईश्वर नहीं है अविवेकीकिसने ईश्वर में भरी बुराई? सबका ईश्वर प्रेम हैईश्वर ने […] Read more » सबका ईश्वर एक है
कविता दूसरा अभिमन्यु: चन्द्रशेखर ‘आजाद’ नाम पिता ‘स्वाधीन’ November 22, 2020 / November 22, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमां जगरानी और पंडित सीताराम का लाला,बड़ा ही जिगरा, हिम्मतवाला, वीर मतवाला, वो रोबीला, मूंछोंवाला, छैल छबीला चंदूबाबा,आजादी का दीवाना, सरदार भगत का साथी, चन्द्रशेखर ‘आजाद’ नाम पिता का ‘स्वाधीन’पता मत पूछो उनका, पूछ लो सिर्फ मंजिल, राजगुरु, बटुकेश्वर दत्त, राम प्रसाद ‘बिस्मिल’सबके सब आजादी के दीवाने, लोहे के दिल! भारत के बेटे […] Read more » चन्द्रशेखर ‘आजाद’ दूसरा अभिमन्यु
कविता मैंने जिस मिट्टी में जन्म लिया वो चंदन है November 19, 2020 / November 19, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमैंने जिस मिट्टी में जन्म लिया वो चंदन है,मैं जिस गोद में खेला हूं उसका अभिनंदन है! जिसने ये तन दिया उस मां को मेरा नमन है,जिस पिता का मैं पुण्य फला उनका वन्दन है! इस मिट्टी को मेरे नाम किया जिस ईश्वर नेउनकी शान में समर्पित मेरा संपूर्ण जीवन है! मूक-बधिर,अंधा-लंगडा बना […] Read more » The soil I was born in is sandalwood मैंने जिस मिट्टी में जन्म लिया वो चंदन है
कविता बैठक है वीरान !! November 19, 2020 / November 19, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment चूस रहे मजलूम को, मिलकर पुलिस-वकील !हाकिम भी सुनते नहीं, सच की सही अपील !! जर्जर कश्ती हो गई, अंधे खेवनहार !खतरे में सौरभ दिखे, जाना सागर पार !! थोड़ा-सा जो कद बढ़ा, भूल गए वो जात !झुग्गी कहती महल से, तेरी क्या औकात !! बूढ़े घर में कैद हैं, पूछ रहे न हाल !बचा-खुचा […] Read more » बैठक है वीरान
कविता प्रकृति व् पर्यावरण November 19, 2020 / November 19, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जब पल पल पेड़ कटते जायेंगे ,तब सब जंगल मैदान बन जायेंगे |मानव तब बार बार पछतायेगा ,जब सारे वे मरुस्थल बन जायेगे || जब पौधे सिमट गए हो गमलो में ,प्रकृति सिमट गयी हो बंगलो में |जब उजाड़ जायेगे घौसले पेड़ो से,तब बन्द हो जायगे पक्षी पिंजरों में || जब गांव बस रहे हो […] Read more » Nature and environment प्रकृति व् पर्यावरण
कविता आओ शहीदों को दीप जलाए November 16, 2020 / November 16, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आओ शहीदों को दीप जलाएजो अपने घर लौट कर न आए।केवल तिरंगे को ओढ कर आए,उन सबका हम सम्मान बढ़ाए ।। जो सीमा की कर रहे थे रखवालीमना नहीं पाए घर पर दीपावली ।आओ हम सबको शीश झुकाए,श्रद्धा से उनको हम दीप जलाए।। जिनके घर पर शोक है पसरा,मन में उनके दुख है बस रहा।उन […] Read more »
कविता हमें ज्ञात नही उस पार का संसार November 13, 2020 / November 13, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकप्रकृति का नियम पुरानाआनेवाले को आना होताजानेवाले को जाना होताफिर क्यों शोक मनाना! आनेवाला बहुत ही रोता हैजानेवाला चुप होके जातारोनेवाले को जग हंसाता हैचुप हुए को क्यों रुलाना? हमें ज्ञात नहीं हो पाता हैआनेवाला क्योंकर रोता हैजानेवाला क्यों चुप रहतायह रहस्य है अनजाना! शायद जिनको छोड़ आताउन अपनों के पास जाताफिर हमसे […] Read more » We do not know the world beyond हमें ज्ञात नही उस पार का संसार
कविता अबकी बार दीए ऐसे जलाना November 12, 2020 / November 12, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment अबकी बार दीए ऐसे जलाना,जिससे देश में खुशहाली हो। मिट्टी के दीए तुम जलना सबइससे गरीब परिवार पलते है।कीट पतंग मच्छर आदि सभी,तेल के दीए से ही जलते हैं।मत लाना तुम चाइना के दीए,इससे देश का धन बाहर जाता है।वोकल से तुम लोकल बनना,इससे ही देश में आनंद आता है।यह देश तुम्हारा बगीचा हैं,तुम इस […] Read more » अबकी बार दीए ऐसे जलाना
कविता आज कितनी कल्पनाएँ! November 12, 2020 / November 12, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment आज कितनी कल्पनाएँ, और अगणित ज्योत्सनाएँ; मुझे मग दिखला रहीं हैं, गगन भास्वर कर रहीं हैं! कल्प की मीमांसाएँ, अल्प की उर अल्पनाएँ; अभीप्साएँ शाँत की हैं, प्रदीप्तित प्राणों को की हैं! प्रश्रयों में बिन पले वे, अश्रुओं को सुर दिईं हैं; आत्म की हर ओज धारा, धवलता ले कर बढ़ी है! ध्यान की हर […] Read more » आज कितनी कल्पनाएँ!
कविता दीपावली : अभिनन्दन गीत November 12, 2020 / November 12, 2020 by शकुन्तला बहादुर | Leave a Comment Read more » Deepawali: Greetings Lyrics दीपावली