लेख साहित्य क्या आप अकबर के नवरत्नों को जानते हैं :? December 20, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment क्या आप अकबर के नवरत्नों को जानते हैं, आइये, मैं बताता हूं डा.राधेश्याम द्विवेदी सिर्फ किस्सागोई नहीं:-इतिहास किसी ग्रंथ में उल्लखित विवरणों की पुष्टि मात्र नहीं होता है, अपितु तत्कालिक परम्परा, मान्यता, कला, संस्कृति तथा समाज मे फैली धारणाओं का संवाहक भी होता है। आगरा मुगलकाल की सर्वाधिक समय तक राजधानी रही है। बहुत ही […] Read more » Navratnas of Akbar अकबर के नवरत्न
लेख साहित्य भारत के नये पर्व December 13, 2016 / December 13, 2016 by विजय कुमार | 1 Comment on भारत के नये पर्व चुनाव की आहट आते ही ये भी शुरू हो जाते हैं। राजनीतिक दल और उनके नेता घोषणाएं करने लगते हैं कि सत्ता में आकर हम ये करेंगे और वो करेंगे। कुछ लोग तो आकाश से तारे तोड़ लाने की बात करने लगते हैं, भले ही उनकी झोली में घर के वोट भी न हों। इसे ‘घोषणा पर्व’ कहते हैं। इससे मिलता हुआ ‘उद्घाटन पर्व’ है। सत्ताधारी नेता आधी हो या अधूरी, पर हर सप्ताह किसी न किसी योजना का उद्घाटन कर देते हैं। Read more » Featured भारत के नये पर्व
लेख साहित्य कीमत और मूल्य December 9, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment सामान्य रूप से ये दोनों एक से लगते हैं; पर थोड़ा गहरे में जाएं, तो ध्यान आता है कि जब कोई व्यक्ति, गांव, समाज या देश लम्बे समय तक कोई कीमत चुकाता है, तो दुनिया में कुछ मूल्य स्थापित होते हैं। फिर उन्हीं का अनुसरण कर लोग आगे बढ़ते हैं। ऐसे उदाहरण हर युग में […] Read more » कीमत कीमत और मूल्य मूल्य
लेख शख्सियत फिदेल कास्त्रो : एक किवदंती December 5, 2016 by उपासना बेहार | Leave a Comment फिदेल कास्त्रो का नाम सामने आते ही लोह पुरुष की छबी उभर आती है. इन्हें क्यूबा में कम्युनिस्ट क्रांति का जनक माना जाता है. क्यूबा के इस महान क्रांतिकारी और पूर्व राष्ट्रपति का 90 साल की आयु में 26 नवम्बर 2016 को हवाना में निधन हो गया. फिदेल कास्त्रो ने 49 साल तक क्यूबा में शासन किया जिसमें वे फरवरी 1959 से दिसंबर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और फरवरी 2008 तक राष्ट्रपति रहे. 2008 में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. Read more » Featured Fidel Castro फिदेल कास्त्रो
कला-संस्कृति लेख साहित्य द्रोपदी के पांच नही, एक मात्र पति युधिष्ठिर November 29, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 1 Comment on द्रोपदी के पांच नही, एक मात्र पति युधिष्ठिर डा. राधेश्याम द्विवेदी महाभारत ग्रंथ की मूल कथा में अनेक परिवर्तन हुए हैं. इन परिवर्तनों से आर्य-संस्कृति का रूप काफी दयनीय स्थिति को प्राप्त हुआ है. द्रौपदी के पांच पति वाली कथा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है. महाभारत के आदि-पर्व में द्रौपदी के पांच पतियों का उल्लेख पाया जाता है. महाभारत की द्रौपदी तथा परवर्ती किसी […] Read more » द्रोपदी
लेख सिनेमा फिल्म समीक्षा –फिल्म “डियर जिंदगी” November 27, 2016 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment बैनर : होप प्रोडक्शन्स, धर्मा प्रोडक्शन्स, रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट निर्माता : गौरी खान, करण जौहर, गौरी शिंदे सितारे : शाहरुख खान, आलिया भट्ट, कुणाल कपूर, अली जफर, अंगद बेदी, ईरा दुबे, यशस्विनि दायमा निर्देशक-लेखक-पटकथा : गौरी शिंदे संगीत : अमित त्रिवेदी गीत: कौसर मुनीर सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 29 मिनट 53 सेकंड […] Read more » डियर जिंदगी फिल्म समीक्षा --फिल्म "डियर जिंदगी"
लेख साहित्य खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी : रानी लक्ष्मीबाई November 16, 2016 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment (रानी लक्ष्मीबाई के 181वें जन्मदिवस 19 नवंबर 2016 पर विशेष) 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त् रता संग्राम में अहम् भूमिका नि भाने वाली झाँसी की रानी लक्ष् मीबाई का जन्म मोरोपन्त तांबे औ र भागीरथीबाई के घर वाराणसी जि ले के भदैनी में 19 नवम्बर 1935 को हुआ था। रानी लक्ष्मीबा ई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था । परन्तु प्यार से लोग उसे मनु कहकर पुकारते थे। रानी लक्ष्मी बाई जब 4 साल की थी तब उनकी माँ भागीरथीबाई का देहांत हो गया। इसलिए मणिकर्णिका का बचपन अपने पिता मोरोपन्त तांबे की देखरेख में बीता। मनु ने बचपन में शा स्त्रों की शिक्षा ग्रहण की। मणि कर्णिका बचपन में ही तलबार, धनुष सहित अन्य शस्त्र चलाने में नि पुण हो गयीं थी। और छोटी सी उम्र में ही घुड़सवारी करने लगी थीं । मोरोपन्त मराठी मूल के थे और मराठा बाजीराव द्वितीय की सेवा में रहते थे। माँ की मृत्यु के बाद घर में मणिकर्णिका की देखभाल के लिये कोई नहीं था। इसलिए पिता मोरोपन्त मणिकर्णिका को अपने साथ बाजीराव के दरबार में ले जा ने लगे। दरबार में सुन्दर मनु की चंचलता ने सबका मन मोह लिया। मणिकर्णिका बाजीराव द्वितीय की भी प्यारी हो गयीं। बाजीराव मनु को अपनी पुत्री की तरह मानते थे। और मनु को प्यार से छबीली कहकर बुलाते थे। सन् 1842 में मणिकर्णिका का विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव निम्बालकर के साथ हुआ और मनु छोटी सी उम्र में झाँसी की रानी बन गयीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया पर चार महीने की आयु में गम्भीर रूप से बीमार होने की वजह से उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दरबारियों ने दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी। दरबारि यों की सलाह मानते हुए रानी ने पुत्र गोद लिया दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया। पुत्र गोद लेने के कुछ दिनों बाद बीमारी के कारण 21 नवम्बर 1853 को रा जा गंगाधर राव का देहांत हो गया । अब रानी लक्ष्मीबाई अकेली पड़ गयीं और दरवारियों की सलाह पर झाँ सी की गद्दी पर बैठकर झाँसी का कामकाज देखने लगी। उस समय भारत के बड़े क्षेत्र पर अंग्रेजों का शासन था। और ईस्ट इंडिया कंपनी का राज चलता था। अंग्रेज झाँसी को भी ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन करना चाहते थे। राजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद अंग्रेजों को यह एक उपयुक्त अवसर लगा। उन्हें लगा रानी लक्मीबाई स्त्री है और उनका का प्रतिरोध नहीं करेगी। राजा गंगाधर राव का कोई पुत्र न होने का कह कर अंग्रेजों ने रानी के दत्तक- पुत्र दामोदर राव को राज्य का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर […] Read more » रानी लक्ष्मीबाई
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख साहित्य स्वास्तिक शास्वत और विश्वव्यापी सनातन प्रतीक November 14, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment अत्यन्त प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वस्तिक चिह्न अंकित करके उसका पूजन किया जाता है। स्वस्तिक शब्द सु+अस+क से बना है। 'सु' का अर्थ अच्छा, 'अस' का अर्थ 'सत्ता' या 'अस्तित्व' और 'क' का अर्थ 'कर्त्ता' या करने वाले से है। इस प्रकार 'स्वस्तिक' शब्द का अर्थ हुआ 'अच्छा' या 'मंगल' करने वाला। 'अमरकोश' में भी 'स्वस्तिक' का अर्थ आशीर्वाद, मंगल या पुण्यकार्य करना लिखा है। अमरकोश के शब्द हैं - 'स्वस्तिक, सर्वतोऋद्ध' अर्थात् 'सभी दिशाओं में सबका कल्याण हो।' Read more » Featured अन्य देशों के लिए स्वास्तिक के चिन्ह का महत्व भारतीय संस्कृति में स्वस्तिक का पौराणिक महत्त्व विश्वव्यापी सनातन प्रतीक स्वस्तिक चिह्न :- स्वास्तिक के चिन्ह का महत्व स्वास्तिक शास्वत
लेख साहित्य अकबर की 411वीं पुण्यतिथि 27 अक्टूबर October 27, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment रियासतों के रूप में टुकड़ों टुकड़ों में टूटे हुए भारत को एक बनाने की बात हो, या हिन्दू मुस्लिम झगडे मिटाने को दीन ए इलाही चलाने की बात, सब मजहब की दीवारें तोड़कर हिन्दू लड़कियों को अपने साथ शादी करने का सम्मान देने की बात हो, या हिन्दुओं के पवित्र स्थानों पर जाकर सजदा करने की, हिन्दुओं पर से जजिया कर हटाने की बात हो या फिर हिन्दुओं को अपने दरबार में जगह देने की, Read more » अकबर
लेख ऋषि दयानन्द के भक्तों की प्रशंसा और पौराणिक छात्र को फटकार और पुराणों की आलोचना October 25, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्यजगत के विख्यात विद्वान और राष्ट्रपति से सम्मानित संस्कृत के विद्वान पं. युधिष्ठिर मीमांसक जी जिज्ञासु जी के साथ तिवारी जी से पढ़ने जाते थे। यह संस्मरण उन्होंने अपनी आत्म-कथा में दिया है। ऐसे अनेक प्रेरणाप्रद संस्मरण उनकी आत्म कथा में और भी हैं। Read more » ऋषि दयानन्द
कला-संस्कृति प्रवक्ता न्यूज़ लेख साहित्य पंचामृत October 24, 2016 / October 24, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment आयुर्वेद की दृष्टि से चरणामृत स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार तांबे में अनेक रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है। यह पौरूष शक्ति को बढ़ाने में भी गुणकारी माना जाता है। तुलसी के रस से कई रोग दूर हो जाते हैं और इसका जल मस्तिष्क को शांति और निश्चिंतता प्रदान करता हैं। Read more » Featured पंचामृत
कला-संस्कृति लेख साहित्य अमृत कलश में भरे सोम रस का रहस्य October 23, 2016 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव श्रावकों, कलश में भरे इस अमृत को अगर आप अलौकिक पेय द्रव्य न मानकर चलें, तो आपको इस पदार्थ को समझने में ज्यादा आसानी होगी। हम सभी सुनते-पढ़ते चले आ रहे हैं कि वैदिक देवता सोमरस पीते थे। प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में इसे सोमलता नामक वनस्पति से बनाने का उल्लेख है। इसलिए सोमलता […] Read more » Featured अमृत कलश सोम रस सोम रस का रहस्य