आंकडे आर्थिकी आलोचना घोषणा-पत्र चिंतन चुनाव चुनाव विश्लेषण जन-जागरण जरूर पढ़ें टॉप स्टोरी परिचर्चा महत्वपूर्ण लेख लेख विविधा सार्थक पहल मेक इन इण्डिया व स्किल्ड इंडिया की परिकल्पना March 14, 2015 by रमेश पांडेय | Leave a Comment ‘मेक इन’ व ‘स्किल्ड इंडिया’ की परिकल्पना साकार करेगा छत्तीसगढ़ का बजट– छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने 13 मार्च 2015 को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए बजट पेश किया। बजट में पूंजीगत व्यय में 39 प्रतिशत वृद्धि की गई है। बजट में युवा, अधोसंरचना विकास एवं औद्योगिक विकास को प्राथमिकता दी […] Read more » Budget chattisgarh budget chhattisgarh dream budget make in india skilled india
लेख साहित्य हिन्दी को न्याय और भारत को स्वत्व की पहचान मिले August 2, 2014 / October 8, 2014 by नरेश भारतीय | Leave a Comment -नरेश भारतीय- हाल में भारत के गृह मंत्रालय ने सरकार और समाज के बीच दूरी को पाटने की क्षमता रखने वाले सामाजिक माध्यम या कथित ‘सोशल मीडिया’ के उपयोग और भारत की राजभाषा हिन्दी के महत्व को रेखांकित करते हुए शासकीय कामकाज में हिन्दी का उपयोग करने के निर्देश जारी किए थे. मेरे जैसे विदेशस्थ […] Read more » भारत की स्वत्व पहचान हिन्दी हिन्दी का न्याय
लेख देवनागरी और रोमन लिपि विवाद -2 July 25, 2014 by डॉ. मधुसूदन | 13 Comments on देवनागरी और रोमन लिपि विवाद -2 -डॉ. मधुसूदन- -भाग दो- (आठ) हिंदी की अक्षरांकित देवनागरी ध्वनिलिपि ध्वनि की लघुतम इकाई के चिह्न, अक्षर ही हैं। इन अक्षरों के समूह को जब अर्थ भी होता है, तो शब्द माने जाते हैं। यह हिन्दी की परम्परागत लिपि होने के कारण, आप इससे परिचित ही है। पर इस लिपिका गुणगान एक संस्कृतज्ञ के अनुवादित […] Read more » देवनागरी भाषा विवाद रोमन लिपि विवाद हिन्दी
लेख देवनागरी और रोमन लिपि विवाद July 25, 2014 by डॉ. मधुसूदन | 9 Comments on देवनागरी और रोमन लिपि विवाद -डॉ. मधुसूदन – -भाग एक- (एक) विचार की शीघ्रता। जिस शीघ्रता से, धारा प्रवाह विचार आप हिंदी या जन भाषा में कर सकते हैं, उतनी शीघ्रता से अंग्रेज़ी में करना सर्वथा कठिन ही नहीं, पर प्रायः असंभव ही होगा। शीघ्र विचार का माध्यम प्रायः हमारी अपनी भाषाएं ही होती हैं। क्योंकि विचार शब्दों द्वारा किया […] Read more » देवनागरी भाषा विवाद रोमन लिपि
लेख हिंदी साहित्य में बाजारवाद: चुनौतियां और समाधान June 7, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on हिंदी साहित्य में बाजारवाद: चुनौतियां और समाधान -डॉ. भगवान गव्हाडे- हिंदी साहित्येतिहास के हर काल में बाजार का वर्णन किसी न किसी रूप में होता रहा है । कबीर, सूर, तुलसी, मीरा आदि अनेक संत कवियों के काव्य में भी बाजार की उपस्थिति दर्ज की गई है । बाजार हमारी आवश्यकताओं की परिपूर्ति करता था क्योंकि बाजार और मेलों के साथ आनंद […] Read more » हिंदी साहित्य हिन्दी हिन्दी चुनौती
लेख राष्ट्र पर्व बनाम प्रेम पर्व February 15, 2014 by राघवेन्द्र कुमार 'राघव' | Leave a Comment -राघवेन्द्र कुमार ‘राघव’- फरवरी महीने का दूसरा सप्ताह प्रेमियों के लिए होली, दीपावली और ईद से भी कहीं बढ़कर होता है। तरह-तरह के पक्षियों का दाने की तलाश में उड़ान भरते नजर आना मामूली बात है। कोयलिया भी बिना मौसम छत पर बैठकर तान छेड़ती नजर आती है और साथ ही शिकारी भी शिकार […] Read more » valentine day special राष्ट्र पर्व बनाम प्रेम पर्व
लेख बेरोजगारी की मार से बेहाल युवा वर्ग January 28, 2014 / January 28, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -ओपी सोनिक- कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय युवा नीति-2014 को मंजूरी दी गई। इसका मुख्य उद्देश्य युवा वर्ग को क्षमता एवं दक्षता हासिल करने के लिए सशक्त बनाना है, ताकि युवा शक्ति को देश के विकास में लगाया जा सके। नई युवा नीति में निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पांच […] Read more » Unemployment in India बेरोजगारी की मार से बेहाल युवा वर्ग
लेख जातिभेद किस अवस्था में ? January 25, 2014 / January 25, 2014 by डॉ. मधुसूदन | 5 Comments on जातिभेद किस अवस्था में ? -डॉ. मधुसूदन- आज एक संवेदनशील विषय पर लिखना चाहता हूं, पर बहुत बड़े कंधों पर खड़ा होकर, जिनके विषय में कोई पक्षपाती होने का विशेष संभव नहीं हो सकता। सर्व सामान्य अनुभव और निरीक्षण आपके सामनेभी है ही। उस पर आप भी सोचते चलिए। राष्ट्र हित की दृष्टि से मैं भी विचारना चाहता हूं। […] Read more » castism in our society जातिभेद किस अवस्था में ?
लेख सर्वोदय और मार्क्स January 10, 2014 / January 10, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -दिनेश कुमार- जातिविहीन, वर्ग विहीन व शोषण से मुक्त समाज का सपना महात्मा गांधी ने देखा था और उन्होंने सर्वोदय जैसा एक दर्शन उसके लिए विकसित किया। ऐसा ही एक प्रयास पश्चिम के समाज विज्ञानी कार्ल मार्क्स ने भी किया। मार्क्स ने समाज को शोषण से मुक्त करने के लिए एक क्रांति की प्रक्रिया […] Read more » Sarvoday and Marks सर्वोदय और मार्क्स
लेख माओवाद पर एक आधी-अधूरी पड़ताल December 28, 2013 / December 28, 2013 by संजय पराते | 1 Comment on माओवाद पर एक आधी-अधूरी पड़ताल -संजय पराते- छत्तीसगढ़ के मीडिया जगत में शुभ्रांशु चौधरी एक जाना-पहचाना नाम है। खासतौर से आदिवासी क्षेत्रों और दण्डकारण्य (बस्तर) से संबंधित रिपोर्टिंग के लिए। एक निर्भीक पत्रकार के रुप में उन्होंने यहां के अंदरूनी इलाकों के कई दौरे किये हैं, माओवादी नेताओं और ग्रामीण आदिवासियों से बातचीत की है और यह सब करते हुए […] Read more » incomplete investigation on Mao माओवाद पर एक आधी-अधूरी पड़ताल
लेख हिंद स्वराज हिन्दी कविता में जन्मभूमि-वंदना October 14, 2013 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य हमारे कवियों ने मां भारती के प्रति हर देशवासी को जागरूक बनाये रखने हेतु समय-समय पर देशभक्ति और जन्मभूमि के प्रति समर्पण का भाव भरने हेतु प्रशंसनीय कार्य किया है। उनके कार्यों की वंदना यह लेखनी यूं कर सकती है :- धन्य उनकी लेखनी और धन्य उनके कार्य, हमको सदा बताते रहे […] Read more » हिन्दी कविता में जन्मभूमि-वंदना
लेख जयप्रकाश बाबू होते तो इन समाजवादी नेताओं को देखकर फूट फूट कर रोते। October 12, 2013 / October 14, 2013 by जितेन्द्र ज्योति | Leave a Comment जितेन्द्र ज्योति ‘‘संपूर्ण क्रांति अब नारा है,भावी इतिहास हमारा है‘‘ कौन दिया था यह नारा ? 1974 में जेपी के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति की ज्योति बिहार में जल रही थी। इसी ज्योति में कई छात्र नेता नेतागिरी का ककहरा सीखने में लगे थे। ककहरा सीखने में लालू यादव सबसे आगे थे। पटना विश्वविद्यालय में […] Read more »