कविता बच्चों का पन्ना मै हूं एक मिट्टी का घड़ा April 15, 2021 / April 15, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै हूं एक मिट्टी का घड़ा,सड़क के किनारे मै पड़ा।बुझाता हूं मै सबकी प्यास,कुम्हार मुझे लिए है खड़ा।। खुदाने से खोदकर मिट्टी लाता है,तब कहीं कुम्हार मुझे बनाता है।बड़ी मेहनत से सुखा तपा कर,तब कहीं वह मुझे बाजार लाता है।। बुझाता हूं प्यासे की प्यास मै ही,कुम्हार के बच्चो का पेट पालता हूं।कहता नहीं मै […] Read more » मै हूं एक मिट्टी का घड़ा
कविता तुम राम हो और रावण भी April 15, 2021 / April 15, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | 2 Comments on तुम राम हो और रावण भी —विनय कुमार विनायकमैं कहता हूंतुम राम हो और रावण भी,कि गलतियां करने के पहलेडर जाते हो पिता को यादकरखबरदार की तरह सामने देखकरकि तुम हो राम होने की ओर अग्रसर! कोई झूठ बोलने के पहले होंठोंऔर गाल पर टिक जाती तर्जनी अंगुलीअपनी प्यारी सी भोली मां की तरहऔर याद आ जाती मां की हर सीखकि […] Read more » तुम राम हो और रावण भी
कविता अजब की शक्ति है तुलसी की राम भक्ति में April 14, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहरि कीर्तन करने,भजन गाने,रब का सिमरन करनेया नमाज पढ़ने जैसा नहीं है कविताओं का लेखन!क्योंकि बंधी-बंधाई कोई विचार होती नहीं कविता! एक प्रेमिका के होने/नहीं होने सेया एक रात पत्नी का साथ, रहने/नही रहने से,जब बदल जाती अनायास मानवीय विचारधारा,तब तत्क्षण जन्म होता है रामाश्रयी शाखा का;एक मर्यादावादी भक्त महाकवि तुलसीदास का,पन्द्रह सौ […] Read more » तुलसी की राम भक्ति
पर्यावरण लेख कैच द रेन: वर्षा जल सहेजने के लिए संजीदगी जरूरी April 13, 2021 / April 13, 2021 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment राष्ट्रीय जल दिवस (14 अप्रैल) पर विशेष– योगेश कुमार गोयलप्रतिवर्ष भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की जयंती को ‘राष्ट्रीय जल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसकी घोषणा तत्कालीन केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती द्वारा डा. अम्बेडकर की 61वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 6 दिसम्बर […] Read more » 22 मार्च विश्व जल दिवस Catch the Rain World Water Day 22 March राष्ट्रीय जल दिवस राष्ट्रीय जल दिवस 14 अप्रैल
लेख शख्सियत लखनऊ की कथा के लिए मशहूर इतिहासकार योगेश प्रवीन नहीं रहे…. April 13, 2021 / April 13, 2021 by अनिल अनूप | Leave a Comment अनिल अनूप लखनऊ हम पर फ़िदा है हम फ़िदा-ए-लखनऊ आसमां की क्या हकीकत जो छुड़ाए लखनऊ। आप को लखनऊ के गली-कूचों के बारे में जानना हो या लखनऊ की शायरी या लखनऊ के नवाबों या बेगमातों का हाल जानना हो, ऐतिहासिक इमारतों, लडा़इयों या कि कुछ और भी जानना हो योगेश प्रवीन आप को तुरंत […] Read more » मशहूर इतिहासकार योगेश प्रवीन मशहूर इतिहासकार योगेश प्रवीन नहीं रहे
कविता आओ अपना नववर्ष मनाएं April 12, 2021 / April 12, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आओ हम सब मिलकर अपना नववर्ष मनाएं।घर घर हम सब मिलकर नई बंदनवार लगाए। करे संचारित नई उमंग घर घर सब हम,फहराए धर्म पताका अपने घर घर हम।करे बहिष्कार पाश्चातय सभ्यता का हम,अपनी सभ्यता को आज से अपनाए हम।आओ सब मिलकर नववर्ष का दीप जलाएआओ हम सब मिलकर अपना नववर्ष मनाए,घर घर हम सब मिलकर […] Read more » आओ अपना नववर्ष मनाएं
लेख मजहब ही तो सिखाता है आपस में बैर रखना : औरंगजेब आज भी हिंदुओं की नजरों में है खलनायक April 12, 2021 / April 12, 2021 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment हिन्दुओं की दृष्टि में औरंगजेब आज भी खलनायक है यही कारण है कि वह इस्लाम के मानने वालों की दृष्टि में आज भी एक बहुत ही उत्कृष्ट कोटि का शासक है, जबकि उसके अत्याचारों को सहन करने वाले हिन्दुओं की दृष्टि में वह आज भी एक कट्टर असहिष्णु और अत्याचारी शासक है। भारत में एक […] Read more » Aurangzeb is still a villain in the eyes of Hindus Religion teaches hatred among themselves औरंगजेब आज भी हिंदुओं की नजरों में है खलनायक
कविता पागल लड़की April 12, 2021 / April 12, 2021 by मंजुल सिंह | Leave a Comment तुम चीजों कोढूंढ़ने के लिए रोशनी काइस्तेमाल करती होऔर वो गाँव की पागल लड़कीचिट्ठी कावो लिपती हैनीले आसमान कोऔर बिछा लेती हैधूप को जमीन पर वो अक्सर चाँद को सजा देती हैरात भर जागने कीवो बनावटी मुस्कान लिए,नाचती हैजब धानुक बजा रहे होते है मृदंग वो निकालती है कुतिया का दूधइतनी शांति से की बुद्ध […] Read more » पागल लड़की
कविता वो उतना ही पढ़ना जानती थी? April 12, 2021 / April 12, 2021 by मंजुल सिंह | Leave a Comment वो उतना ही पढ़ना जानती थी?जितना अपना नाम लिख सकेस्कूल उसको मजदूरो के कामकरने की जगह लगती थी!जहां वे माचिस की डिब्बियोंकी तरह बनाते थे कमरे,तीलियों से उतनी ही बड़ी खिड़कियांजितनी जहां से कोईजरुरत से ज्यादा साँस न ले सके!पता नहीं क्यों?एक खाली जगह और छोड़ी गयी थी!जिसका कोई उद्देश्य नहीं,इसलिए उसका उपयोगहम अंदर बहार […] Read more » वो उतना ही पढ़ना जानती थी?
व्यंग्य “खेला होबे “ April 11, 2021 / April 11, 2021 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment पूर्वी भारत से हमारे राम जय बाबू पधारे । मैंने उनको रोसगुल्ला देकर कहा- “राम राम राम जय बाबू “।जय राम बाबू चिहुंक उठे ,पसीना -पसीना हो उठे और बोले -“शत्रु से मैं खुद निबटना जनता हूँमित्र से पर ,देव!तुम रक्षा करो ” कविवर दिनकर ने ये लाइनें तुम्हारे जैसे मित्र-शत्रु के लिये ही कहीं होंगी। सही बात […] Read more » khela hobe
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख वर्ष प्रतिपदा ही भारत का नव वर्ष April 11, 2021 / April 11, 2021 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिन्दुस्थानीवर्तमान भारत में जिस प्रकार से सांस्कृतिक मूल्यों का क्षरण हुआ है, उसके चलते हमारी परंपराओं पर भी गहरा आघात हुआ है। यह सब भारतीय संस्कृति के प्रति कुटिल मानसिकता के चलते ही किया गया। आज भारत के कई लोग इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि भारतीय संस्कृति क्या है, हमारे संस्कार क्या […] Read more » varsh pratipada भारतीय संस्कृति वर्ष प्रतिपदा वर्ष प्रतिपदा ही भारत का नव वर्ष
कविता कलाइयों पर ज़ोर देकर ? April 11, 2021 / April 11, 2021 by मंजुल सिंह | Leave a Comment लोगइतने सारे लोगजैसे लगा होलोगो का बाजारजहां ख़रीदे और बेचेजाते है लोगकुछ बेबस,कुछ लाचारलेकिन सब हैहिंसक, जो चीखना चाहते हैज़ोर से, लेकिनभींच लेते है अपनीमुट्ठियां कलाइयों पर ज़ोर देकरताकि कोईदेख न सकेबस मेहसूस कर सकेहिंसा कोजो चल रही हैलोगो कीलोगो के बीच, मेंलोगो से? एक हिंसा तय हैलोगो के बीचजो खत्म कर रही हैकिसी तंत्र […] Read more » कलाइयों पर ज़ोर देकर ?