कविता मैं भगतसिंह बोल रहा हूं, मैं नास्तिक क्यों हूं? December 31, 2020 / December 31, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमैं भगतसिंह बोल रहा हूंमैं नास्तिक क्यों हूं?मुझे नास्तिक कहनेवालेतुम आस्तिक कितने हो?किसी खास किस्म की लिबास पहने,किसी खास दिशा के ईश में आस्था,यदि आस्तिकता की परिभाषा हैतब तो मेरा नास्तिक है बसंती चोला!मेरा ईश्वर मेरे अंदर, सबके अंदरमेरा ईश्वर सभी दिशा में, सभी वेश में,मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद, गिरजाघर में,धरती के जर्रा-जर्रा, हर […] Read more » I am speaking Bhagat Singh why bhagat singh an atheist मैं भगतसिंह बोल रहा हूं
लेख नव वर्ष 2021 को भारतीय परम्पराओं के अनुरूप मनाना उचित December 30, 2020 / December 30, 2020 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on नव वर्ष 2021 को भारतीय परम्पराओं के अनुरूप मनाना उचित -मनमोहन कुमार आर्यआगामी 1 जनवरी, 2021 को हम नये आंग्ल वर्ष सन् 2021 में प्रवेश कर रहे हैं। इस अवसर पर लोग अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने के लिये इसका उत्सव के रूप में स्वागत करते और एक दूसरे से मिलकर, फेसबुक, व्हटशप, इमेल आदि पर शुभकामनायें सन्देश अपने प्रिय जनों को प्रेषित करते हैं। कार्यालयों […] Read more » 2021 को भारतीय परम्पराओं के अनुरूप मनाना It is appropriate to celebrate New Year 2021 in line with Indian traditions
कविता बुरे समय की आंधियां ! December 30, 2020 / December 30, 2020 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment तेज प्रभाकर का ढले, जब आती है शाम !रहा सिकन्दर का कहाँ, सदा एक सा नाम !! उगते सूरज को करे, दुनिया सदा सलाम !नया कलेंडर साल का, लगता जैसे राम !! तिनका-तिनका उड़ चले, छप्पर का अभिमान !बुरे समय की आंधियां, तोड़े सभी गुमान !! तिथियां बदले पल बदले, बदलेंगे सब ढंग !खो जायेगा […] Read more » बुरे समय की आंधियां
कविता नारी नहीं बंटेगी December 30, 2020 / December 30, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकसृष्टिकर्ता ब्रह्मा या खुदाबिना पचड़े में पड़े नारीगीता-बाइबल-कुरान मेंपढ़ती रही एक ही बात संतान की सुरक्षा, करुणा,दया, ममता प्रेम, अहिंसाऔर सृष्टि की हिफाजत! जल प्रलय से पहलेऔर जल प्रलय के बादनारी रही सिर्फ नारी! एक सी कथा-व्यथाएक सा उभार-धसांन-सिकनएक ही नारी जाति! किन्तु बदलता रहा नरसर्वदा मुखौटा लगा करकभी वक्ष पर रखकर पत्थरबना […] Read more »
कविता आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं December 29, 2020 / December 29, 2020 by प्रभात पाण्डेय | Leave a Comment आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएंसुखद हो जीवन हम सबकाक्लेश पीड़ा दूर हो जाएस्वप्न हों साकार सभी केहर्ष से भरपूर हो जाएंमिलन के सुरों से बजे बांसुरीये धरती हरी भरी हो जाएहों प्रेम से रंजीत सभीऐसा कुछ करके दिखलायेंआओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं ||हम उठें व उठावें जगत कोसृजन का सुर ताल होहम सजग […] Read more » Let us all celebrate new year आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं सेलिब्रेट न्यू इयर
मनोरंजन लेख अगवानी करें नये वर्ष, नये जीवन एवं नई दिशाओं कीं December 29, 2020 / December 29, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग- जाते हुए वर्ष को विदा करना एवं नये वर्ष की अगवानी करना-एक ऐसी संधिबेला है जहां जीवन एक नई करवट लेता है। कोरोना महामारी, प्राकृतिक संकट, आर्थिक अस्तव्यस्तता एवं राजनीतिक उथल-पुथल, अन्तर्राष्ट्रीय बदलाव, किसान आन्दोलन एवं काश्मीर की शांति एवं लोकतंत्र की स्थापना जैसे विविध परिदृश्यों के बीच नए वर्ष का स्वागत […] Read more » new life and new directions Receive new year अगवानी करें नये वर्ष
कविता नारी तुम नारायणी नर है तुम्हारा अंश December 29, 2020 / December 29, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकनारी तुम्हारी सुंदरता है स्वर्ग से सुन्दर,नारी तुम्हारी आस्था है सृष्टि के ऊपर! नारी तुम्हारी इच्छा से ही उपजा अक्षर,कवि की लेखनी औ’ योद्धा की तलवार! नारी की प्रेरणा से सब करते चमत्कार,नारी तुम्हारे प्रेम से ही फैला ये संसार! नारी की उपेक्षा हीं है यमराज का द्वार,नारी की करुणा ही है बुद्ध […] Read more » नारी तुम नारायणी
टेलिविज़न मीडिया लेख ख़बरों के पीछे दौड़ती पत्रकारिता को थोड़ी रैड लाइट की जरूरत है। December 28, 2020 / December 28, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment आज के दौर में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के बीच मीडिया के लिए विश्वसनियता की अहमियत पहले से ज्यादा बढ़ गई है। आज देश भर के चैनलों और अख़बारों में खबर जहां जल्दी पहुंचाने पर जोर है, वहीं समाचार में वस्तुनिष्ठता, निष्पक्षता और सटीकता बनाए रखना भी बेहद जरूरी है। इंटरनेट और सूचना के […] Read more » पत्रकारिता को थोड़ी रैड लाइट की जरूरत
कविता साहित्य नारी पुत्री ही नही वो माता है पिता का भी December 28, 2020 / December 28, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकनारी तुम्हारी बांहों में सोता है शिशु नर,नारी तुम्हारी बांहों में बंधा आकाशी नर! नारी तुम्हारी बांहों में रोता है मुमुक्षु नर,नारी तुम्हारी बांहों में शांति से मरता नर! नारी के प्यार में नर आता पुनः देह धर,नारी तुम्हारी गहराई को क्या नापेगा नर? नारी तुम्हारी सीमा को क्या बांधेगा नर?नारी तुम्हारा पग […] Read more » Not only a female daughter she is also a mother of a father नारी पुत्री ही नही वो माता है पिता का भी
लेख शख्सियत साहित्य सुमित्रानंदन पंत एक युगांतकारी साहित्यकार December 28, 2020 / December 28, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment सुमित्रानंदन पंत स्मृति दिवस- 28 दिसम्बर 2020 पर विशेष -ः ललित गर्ग:-भारतीय संस्कृति, जीवनमूल्य एवं राष्ट्रीय जीवन को निर्मित करने में साहित्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हिन्दी साहित्य के आरंभ और विकास में कई महान कवियों और रचनाकारों ने अपना योगदान दिया है, जिनमें से एक हैं छायावादी युग के चार स्तंभों में […] Read more » Sumitranandan Pant Sumitranandan Pant is an epochal writer सुमित्रानंदन पंत
मीडिया लेख शख्सियत वाद-विवाद-संवाद और मामा माणिकचंद्र वाजपेयी December 28, 2020 / December 28, 2020 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी वाद का अपना एक विवाद हो सकता है। कई बार वाद को लेकर छिड़ी बहसों ने संसद और विधानसभाओं में विवाद को इतना बढ़ाया है कि माननीय अपने क्रोध की सीमाएं तक त्याग गए, किंतु इसके बाद कहना होगा कि वाद इस धरती पर उस सनातन व्यवस्था का हिस्सा है जब से […] Read more » Debate-dialogues and uncle Manikchandra Vajpayee मामा माणिकचंद्र वाजपेयी
दोहे आए कहाँ हैं आफ़ताब ! December 27, 2020 / December 27, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment आए कहाँ हैं आफ़ताब, रोशनी लिए;रूहों की कोशिका के दिये, झिलमिले किए! मेघों की मंजु माला, अभी गगन है गुथी;दायरे दौर कितने अभी, आँधियाँ मखी!मन मयूरों के नाच, लखे नियन्ता रहे;वे वसन्ती लिवास लिए, कहाँ हैं चहे! चाहे कहाँ हैं जीव अभी, अपनापन लिए;अपनी किताब औ ख़िताब सिर्फ़ वे लखे!आए हैं समझ अब भी कहाँ, […] Read more » आए कहाँ हैं आफ़ताब