कविता खाली हाथ February 20, 2020 / February 21, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment सारी रात नींद आँखों से कोसों दूर है ख्यालों का पुलिंदा मधुर पल की चाह में एक पल के लिये जीने को उत्सुक है। नितांत अकेला, कुर्सी पर बैठा आदमी विचारों में ड़ूबा तलाश रहा है उस पल को और वह मधुर पल उसके हाथों से खिसक कर बहुत दूर असीम में सरकता हुआ चला […] Read more » खाली हाथ
कविता जो करना है अभी करें, आज के दिन February 20, 2020 / February 21, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment दिल में नये अरमान बसायें,आज के दिन। दिल को गूंचे की तरह खिलायें, आज के दिन॥ फूलों की तरह हँसे-हँसायें, आज के दिन। बादल की तरह झूमे-छा जायें, आज के दिन॥ मुस्कान की बरखा में नहायें,आज के दिन। कलियों की तरह खिल जायें, आज के दिन॥ भँवरों की तरह भनभनायें, आज के दिन। झरनों सा […] Read more » Do what you want to do nowadays जो करना है अभी करें
कविता ओ भारत की संतानों जागो February 20, 2020 / February 21, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment ओ सोये हुये नादानों जागो, ओ भारत की संतानों जागो परिवर्तन का सूर्य उगा है,नीदं भगाओ लम्बी न तानों। ओ माझी तूफान से लड़ने वालों देश सारा ड़ूब रहा है उसे बचालो । तोड़. सभी रूढ़ियों की कच्ची रस्सी इन रस्सियों को, आज जरा आजमालो । परिवर्तन का तूफान उठा है, पतवार उठाओं बाधमान तानों। […] Read more » Awake children of India ओ भारत की संतानों जागो
कविता मेरी बिटिया रानी February 20, 2020 / February 20, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment मेरे घर जन्मी मेरी बिटिया, जैसे कोई नन्ही सी परी हो। छोटी सी प्यारी मेरी बिटिया जैसे गुड़िया कोई फूल सी हो। दिल की सच्ची मेरी बिटिया सबसे बातें करती न्यारी न्यारी। तुतलाती कोमल हाथों वाली, दिल चुराती बिटिया मेरी प्यारी। गिरती सँभलती, नन्हें पैरों वाली ऊगली मम्मी की थामे मेरी बिटिया। दादा दादी ओर […] Read more » मेरी बिटिया रानी
लेख पानी रे पानी तेरा रंग कैसा . . . . February 20, 2020 / February 20, 2020 by लिमटी खरे | Leave a Comment लिमटी खरे पानी को लेकर विश्वयुद्ध तक होने की बात कही जा रही है। पानी को सुरक्षित रखना आज सबसे बड़ी चुनौति है। देश की दो तिहाई से ज्यादा आबादी को साफ पानी मुहैया नहीं है। शहरों में कांक्रीट जंगलों के कारण भूमिगत जल स्तर में कमी किसी से छिपी नहीं है। बारिश का पानी […] Read more » water पानी
कविता वो लोग अब नही मिलते । February 19, 2020 / February 19, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment शाम को साथ बैठने वाले, अपने अनुभव बांटने वाले रात को देर में सोने वाले, सुबह जल्दी जागने वाले बिना पनही चलने वाले, भोर में घूमने वाले बिना जूते अब नही चलते,वो लोग अब नही मिलते । आंगन की तुलसी को पूजने वाले, पूजा के लिए डांटने वाले पौधों को नि:स्वार्थ पानी देने वाले, पूजा […] Read more » वो लोग अब नही मिलते
कविता कुछ किया जाये। February 19, 2020 / February 19, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment ये जो संस्कृति हमारी खत्म होती जा रही है गांव से वो घूंघट सिर पे लाने को चलो अब कुछ किया जाये। मकां हैं ईंट के पक्के और तपती सी दीवारें वो छप्पर फिर से लाने को चलो अब कुछ किया जाये। मचलते थे बहुत बच्चे भले काला सा फल था वो वो फल जामुन […] Read more » कुछ किया जाये।
लेख विश्ववार्ता नैतिक समस्याओं का मर्म और साहित्य से उपजा संभ्रम February 19, 2020 / February 19, 2020 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment मनोज ज्वाला आज देश के सामने जितनी भी समस्याएं और चुनैतियां हैं, उनका मूल कारण वस्तुतः बौद्धिक संभ्रम है। यह अज्ञानतावश या अंग्रेजी मैकाले शिक्षा व साहित्य से निर्मित औपनिवेशिक सोच का परिणाम है अथवा वैश्विक महाशक्तियों के भारत विरोधी साम्राज्यवादी षड्यंत्र का दुष्परिणाम। राष्ट्रीय एकता-अखण्डता पर प्रहार करता रहने वाला आतंकवाद, अलगाववाद, क्षेत्रीयतावाद, सम्प्रदायवाद, […] Read more » अंग्रेजी मैकाले शिक्षा व साहित्य से निर्मित औपनिवेशिक सोच अलगाववाद आर्थिक विषमता की खाई चौड़ी करने वाली समस्या क्षेत्रीयतावाद धर्मनिरपेक्षतावाद राष्ट्रीय एकता-अखण्डता पर प्रहार करता रहने वाला आतंकवाद सम्प्रदायवाद
लेख एक तरफ भूखे लोग, दूसरी तरफ हो रही अन्न की बर्बादी! February 18, 2020 / February 18, 2020 by लिमटी खरे | Leave a Comment लिमटी खरे परिवर्तन प्रकृति का नियम है, साल दर साल, दशक दर दशक रहन सहन, खान पान आदि में परिवर्तन आना आम बात है। यह परिवर्तन अगर समाज या व्यक्ति के हित में है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए, पर दिखावे, चोचलों के लिए अगर परिवर्तन का लबादा ओढ़ा जा रहा है तो इसकी […] Read more » food wastage on the other side! Hungry people on one side अन्न की बर्बादी एक तरफ भूखे लोग दूसरी तरफ हो रही अन्न की बर्बादी
लेख आखिर सुख निरंतर क्यों नहीं होता? February 18, 2020 / February 18, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग- जीवन में सुख और दुःख का चक्र चलता रहता है। दिन के बाद रात और रात के बाद दिन-यही क्रम सुख और दुःख का भी है। हमने खेतों में अरहट चलते हुए देखा है। नीचे से पानी भर कर आता है और ऊपर आकर खाली हो जाता है। यह क्रम चलता है। […] Read more » why is happiness not continuous सुख निरंतर क्यों नहीं होता
लेख हिंद स्वराज वायुसेना में बढ़ती जंगी बेड़ों की क्षमता February 16, 2020 / February 16, 2020 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव देश की तीनों सेनाओं का आधुनिकतम शस्त्रों और युद्धक हवाई-जहाजों व हेलिकाॅप्टरों से सुसज्जित होना आवश्यक है। इस दृष्टि से बीते कुछ सालों में भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़ों की क्षमता करीब 20 प्रतिशत बढ़ गई। इनमें आधुनिक तकनीक से लैस राफेल, अपाचे, सुखोई और शिनूक जंगी बेड़े शामिल हुए हैं। वायुसेना ने […] Read more » वायुसेना वायुसेना में बढ़ती जंगी बेड़ों
लेख विश्ववार्ता हमारे शब्दों की विस्तार क्षमता February 16, 2020 / February 16, 2020 by डॉ. मधुसूदन | 5 Comments on हमारे शब्दों की विस्तार क्षमता डॉ. मधुसूदन (एक) प्रवेश:जब हम हिदी-संस्कृत या स्वदेशी प्राकृतों का शब्द चलन में स्वीकारते हैं, तो मात्र एक शब्द ही नहीं पर पूरा उस शब्द से जुडा जाल साथ साथ हमारी भाषा में घुलने में सहायता होती है। ऐसे विस्तार से, वास्तव में हम कई गुना लाभ प्राप्त करते हैं। समझने के लिए, […] Read more »