राजनीति लेख मोदी : समन्वय की विराट चेष्टा April 25, 2019 / April 25, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment योगेश मिश्र, शोधार्थी, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र आखिर क्यों हम नरेंद्र मोदी को दुबारा प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं? आइये आज हम मोदी सरकार के उन विचारों, उन प्रयासों, उन निर्णयों से अवगत कराते हैं, जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि 2019 में भी नरेंद्र मोदी से बेहतर […] Read more » new india with narendra modi नरेंद्र मोदी
लेख नये हिंदुस्थान की संकल्पना April 25, 2019 / April 25, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment आदिम कवि ने बड़ी बखानी भूमि यही सुजला सुफला, हालत उस की आज देखकर व्यथित चित्त बनता शोला। देख सपने वही सुजलता, वही सुफलता लाने के, भागीरथी को प्रसन्न कर ले कष्टकुसुम अर्पित कर के, स्फुर्तिदीप फिर घर घर में मन मन में आज जलाये हम। हमारे आदिकवी ने हमारे हिंदुस्थान की भूमि को वर्णन […] Read more » Narendra Modi New India new india with narendra modi नये हिंदुस्थान की संकल्पना
लेख खोले जो द्वार घर के आज | April 23, 2019 / April 23, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment खोले जो द्वार घर के आज |मुझे नेता नजर आये आज ||कुछ पांच साल के बाद नजर आये |कुछ दस साल के बाद नजर आये ||पर उन्हें वोटर नजर नहीं आये | चलता रहा सिलसिला झूठे वादों का |कभी बिजली को फ्री कहने को आये ||कभी पानी को फ्री कहने को आये |पर ये कभी […] Read more »
कविता एक कुर्सी के भूखे हम | April 23, 2019 / April 23, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment एक कुर्सी के भूखे हम |तेरे खून के प्यासे हम || अब इकठ्ठे हो गये हम |अब तेरी टांग खीचेगे हम ||चाहे कितना जोर लगा ले |चाहे कितना शोर मचा ले ||अब सुनेगे ना तेरी हम |एक कुर्सी के भूखे हम |तेरे खून के प्यासे हम || चाहे तू कितना कमल खिला ले |चाहे भू […] Read more »
लेख कौटिल्य का अर्थशास्त्र और शिवाजी April 23, 2019 / April 23, 2019 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी ( भाग 4 )हमारे देश में अंग्रेजी को इसलिए पढ़ाया जाना आवश्यक और उचित माना जाता है कि अंग्रेजी को पढ़ने से ईसाई लोग अपनी पुस्तक बाईबिल और उस की शिक्षाओं का सरलता से पढ़ सकते हैं और उन पर अमल कर सकते हैं। इसी प्रकार उर्दू […] Read more » shivaji the economics of kautilya अर्थशास्त्र और शिवाजी कौटिल्य का अर्थशास
लेख संकट में है गौरैया April 23, 2019 / April 23, 2019 by श्याम नारायण रंगा | Leave a Comment बचपन से देखता आ रहा हूं मेरी मां गौरेया को आटे की नन्हीं नन्हीं गोलियां बनाकर देती है और एक एक कर गौरैया का झुंड मेरे घर की दालान में इकट्ठा हो जाता था और इन आटे को अपना भोजन बनाता था। मेरी भुआ ने हम भाई बहनों को गौरैया का झूठा पानी ये सोच […] Read more » sparrows in danger गौरैया
कविता हो -हो हैया जी April 17, 2019 / April 17, 2019 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment Read more »
कविता बिना कसूर के April 17, 2019 / April 17, 2019 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment मेरे घर पर लोग आये हैं, बहुत दूर से ,दूर से। चाचा आये चपड़ गंज से, मामा चिकमंगलूर से। चाचा चमचम लाये,मामा, लड्डू मोती चूर के। मैंने लड्डू चमचम देखे, बस थोडा सा घूर के। मुझको माँ की डाँट पड़ गई, यूं ही बिना कसूर के। Read more » बिना कसूर के
कविता आज नारी कितनी आजाद है,यह नारी स्वयं ही बतायेगी | April 17, 2019 / April 17, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आज नारी कितनी आजाद है,यह नारी स्वयं ही बतायेगी |नारी भी समाज का अंग है,यह सत्यता स्वयं ही बतायेगी || मिले है नारी को समान अधिकार ,क्या उपयोग कर पाती है ?नारी ने नर का जन्म दिया है,फिर भी समाज में छटपटाती है || आजाद भारत की नारी क्या आजाद है, प्रश्न उभर कर आ […] Read more » freedom to women आज नारी कितनी आजाद है यह नारी स्वयं ही बतायेगी
कविता धरना है।। April 16, 2019 / April 16, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment धरना है भाई धरना है, धरने में भी धरना है धरना धरने की खातिर है, धरना, धरना धरना है। चाहे भवन विधान घेराव करें, या भरी दुपहरी बदन जरे मंत्री और मुखिया मौज करें, बस भाषण देकर पेट भरे। बेरोजगार की एक चाह, रोजगार कोई अब करना है धरना है भाई धरना है, धरने में […] Read more »
कविता जलियाँ वाला बाग बोल रहा हूँ, April 16, 2019 / April 16, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जलियाँ वाला बाग बोल रहा हूँ,जालिम ड़ायर की कहानी सुनाता हूँ | निह्त्थो पर गोली चलवाई जिसने मरने वालो की चीख सुनाता हूँ || चश्मदीद गवाह था मै,यह सब कुछ देखा रहा था शैतान की करतूतों को | मेरे भी आँखों में आँसू थे,पर बोल रहा नहीं था देख शैतान की करतूतों को || 13 […] Read more » जलियाँ वाला बाग बोल रहा हूँ
कविता साहित्य नया भारत बनायेंगे।। April 15, 2019 / April 15, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment देश के लिए जिन्होने सुख सुविधाएं छोड़, त्याग जो किया दुनिया को बतलायेंगे। बाबा के बतायें हुए रास्ते पे चलकर, आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।। जाति धर्म सम्प्रदाय वाली बातें भूल प्यारे, आज इक दूसरे को गले से लगायेंगे। बाबा साहब सपनों में देखे जिस भारत को, आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।। मानव […] Read more »