लेख संकट में है गौरैया April 23, 2019 / April 23, 2019 by श्याम नारायण रंगा | Leave a Comment बचपन से देखता आ रहा हूं मेरी मां गौरेया को आटे की नन्हीं नन्हीं गोलियां बनाकर देती है और एक एक कर गौरैया का झुंड मेरे घर की दालान में इकट्ठा हो जाता था और इन आटे को अपना भोजन बनाता था। मेरी भुआ ने हम भाई बहनों को गौरैया का झूठा पानी ये सोच […] Read more » sparrows in danger गौरैया
कविता हो -हो हैया जी April 17, 2019 / April 17, 2019 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment Read more »
कविता बिना कसूर के April 17, 2019 / April 17, 2019 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment मेरे घर पर लोग आये हैं, बहुत दूर से ,दूर से। चाचा आये चपड़ गंज से, मामा चिकमंगलूर से। चाचा चमचम लाये,मामा, लड्डू मोती चूर के। मैंने लड्डू चमचम देखे, बस थोडा सा घूर के। मुझको माँ की डाँट पड़ गई, यूं ही बिना कसूर के। Read more » बिना कसूर के
कविता आज नारी कितनी आजाद है,यह नारी स्वयं ही बतायेगी | April 17, 2019 / April 17, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आज नारी कितनी आजाद है,यह नारी स्वयं ही बतायेगी |नारी भी समाज का अंग है,यह सत्यता स्वयं ही बतायेगी || मिले है नारी को समान अधिकार ,क्या उपयोग कर पाती है ?नारी ने नर का जन्म दिया है,फिर भी समाज में छटपटाती है || आजाद भारत की नारी क्या आजाद है, प्रश्न उभर कर आ […] Read more » freedom to women आज नारी कितनी आजाद है यह नारी स्वयं ही बतायेगी
कविता धरना है।। April 16, 2019 / April 16, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment धरना है भाई धरना है, धरने में भी धरना है धरना धरने की खातिर है, धरना, धरना धरना है। चाहे भवन विधान घेराव करें, या भरी दुपहरी बदन जरे मंत्री और मुखिया मौज करें, बस भाषण देकर पेट भरे। बेरोजगार की एक चाह, रोजगार कोई अब करना है धरना है भाई धरना है, धरने में […] Read more »
कविता जलियाँ वाला बाग बोल रहा हूँ, April 16, 2019 / April 16, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जलियाँ वाला बाग बोल रहा हूँ,जालिम ड़ायर की कहानी सुनाता हूँ | निह्त्थो पर गोली चलवाई जिसने मरने वालो की चीख सुनाता हूँ || चश्मदीद गवाह था मै,यह सब कुछ देखा रहा था शैतान की करतूतों को | मेरे भी आँखों में आँसू थे,पर बोल रहा नहीं था देख शैतान की करतूतों को || 13 […] Read more » जलियाँ वाला बाग बोल रहा हूँ
कविता साहित्य नया भारत बनायेंगे।। April 15, 2019 / April 15, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment देश के लिए जिन्होने सुख सुविधाएं छोड़, त्याग जो किया दुनिया को बतलायेंगे। बाबा के बतायें हुए रास्ते पे चलकर, आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।। जाति धर्म सम्प्रदाय वाली बातें भूल प्यारे, आज इक दूसरे को गले से लगायेंगे। बाबा साहब सपनों में देखे जिस भारत को, आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।। मानव […] Read more »
कविता साहित्य फिर नरेंदर ! April 15, 2019 / April 15, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सर्वेश सिंह तूं ही कविता, तूं ही मंतर सुखकारी बाहर आभ्यंतर स्वर्गिक धूनी अंदर नवल धवल मन्वंतर फिर नरेंदर ! रोग-ग्रस्त भूगोल दिखे है अड़गड़ जोग मचे है मुंह बिराते पंजर फिर नरेंदर ! देख दीखावा सब है धूल की ढेरी ढलता सूरज ढलता चँदा देश विरोधी नेता डोलें बन कर मस्त कलंदर फिर नरेंदर […] Read more » phir narendra vote for narendra फिर नरेंदर !
कविता ऐसा लगता लाल किला मर्दानी भाषा बोल गया।। April 15, 2019 / April 15, 2019 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on ऐसा लगता लाल किला मर्दानी भाषा बोल गया।। वर्षों बन्द कुबेर खजाने का दरवाजा खोल गया। गोरा बादल शत्रु कंठ को तलवारों से तोल गया। सात दशक का पाप जाप की अग्नि शिखा से डोल गया। ऐसा लगता लाल किला मर्दानी भाषा बोल गया।। अद्भुत चतुर खिलाड़ी आया दाग गोल पर गोल गया। ऐसा लगता लाल किला मर्दानी भाषा बोल गया।। सैनिक की […] Read more » ऐसा लगता लाल किला मर्दानी भाषा बोल गया।।
पुस्तक समीक्षा केंद्र सरकार की योजनाओं का दस्तावेज है ‘विकास के पथ पर भारत’ April 12, 2019 / April 12, 2019 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | 1 Comment on केंद्र सरकार की योजनाओं का दस्तावेज है ‘विकास के पथ पर भारत’ – लोकेन्द्र सिंह लेखक और मीडिया शिक्षक डॉ. सौरभ मालवीय की पुस्तक ‘विकास के पथ पर भारत’ केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं का दस्तावेज है। यह पुस्तक सामान्य जन से लेकर उन सबके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी जो देश में चल रहीं लोक कल्याणकारी योजनाओं को समझना चाहते हैं। यह उन अध्येताओं, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए भी […] Read more »
कविता मानव आज कितना सिमट गया है | April 12, 2019 / April 12, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मानव आज कितना सिमट गया है | केवल वह मोबाइल से चिपट गया है || उसे फुर्सत नहीं है किसी से मिलने की | उसे फुर्सत नहीं है किसी को सुनने की || वह तो अपने आप में कही खो गया है | मानव आज कितना सिमट गया है || न रही फुर्सत उसे अपने […] Read more » मानव आज कितना सिमट गया है |
कविता मतदान व मतदाता April 12, 2019 / April 12, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मत का दान जो करे,वह मतदाता कहलाय | मत का दान जो ले,वह सीधा नेता बन जाय || मन भेद न कीजिये,भले ही मत भेद हो जाय | सही सच्चा रास्ता,कभी भी दुःख न हो पाय || मतदान से पहले नेता,मतदाता के चक्कर लगाय | मतदान के बाद , मददाता नेता के चक्कर लगाय || […] Read more » Vote voters मतदाता मतदान मतदान व मतदाता