व्यंग्य “कबिरा खड़ा बाजार में “ March 14, 2021 / March 14, 2021 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment इधर अकादमी पुरस्कारों की घोषणा हुई उधर सिद्धवाणी का उद्घघोष शुरू हो गया । वैसे सिद्धवाणी जो खुद को कबीरवाणी भी कहती रही है कि खासियत ये है कि इसकी तुलना आप क्रिकेटर -कम -नेता नवजोत सिंह सिद्धू के स्वागत भाषणों से भी कर सकते हैं जिसका कंटेंट वही रहता है तारीफ चालीसा का बस […] Read more »
राजनीति व्यंग्य रवीश कुमार को रामकिशोर की चिट्ठी March 1, 2021 / March 1, 2021 by डॉ.रामकिशोर उपाध्याय | Leave a Comment डिअर रवीश कुमार पांडे जी बेरोजगारों के पक्ष में प्रधान मंत्री जी को पत्र लिखने और समाप्त होती पत्रकारिता पर शोक व्यक्त करने के लिए आभार | जानकर प्रसन्नता हुई कि देश-विदेश के युवा बेरोजगार अपनी समस्याएँ लेकर आपके पास आते हैं | कन्हैया कुमार, उमर खालिद,सरजील इमाम से लेकर दिशा रवि तक सैकड़ों […] Read more » रवीश कुमार को रामकिशोर की चिट्ठी
व्यंग्य इजहार-ए-इश्क में लुटे-पीटे बांकेलाल February 12, 2021 / February 12, 2021 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment बसंत के मौसम में बांकेलाल के चेहरे की रौनक बौराई अमराई और गदराई सरसों की तरह दिख रहीं थी। आमतौर पर उनके चेहरे की रौनक बुझी सी दिखती थी। ‘वेलेंटाइन दिवस’ पर मसाज पार्लर से निकलते देख हमने उन्हें छेड़ ही दिया। क्या हाल हैं जनाब ! आजकल बदले-बदले से दिख रहे हैं। क्या इरादा […] Read more » Bankelal beaten in ezhar-e-ishq इजहार-ए-इश्क में लुटे-पीटे बांकेलाल
व्यंग्य हे भाय ! कम्बल है कि पद्मश्री सम्मान…? January 31, 2021 / January 31, 2021 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल भगवान ने ठंड और गरीबों की जोड़ी काफी शोध के बाद बनाई है। गरीबी को लेकर रोना आम है। लेकिन उनकी हस्ती है कि मिटती नहीं है। गरीबी मिटाने को अनगिनत लोग आए और नारे भी लाए। गरीबी तो नहीं मिटा पाए, समय […] Read more » कम्बल वितरण समारोह कम्बल है कि पद्मश्री सम्मान
राजनीति व्यंग्य चौथी कसम उर्फ दिल्ली पहुंचकर मारे गये गुलफाम January 28, 2021 / January 28, 2021 by नवेन्दु उन्मेष | Leave a Comment नवेन्दु उन्मेष तीसरी कसम फिल्म का हीरामन अपनी बैल गाड़ी हांकता हुआ किसान आंदोलन मेंशामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच गया। उसके दिल्ली पहुंचते ही अन्यकिसानों ने उसका जमकर स्वागत किया। हीरामन से कहा कि अच्छा हुआ हीरामनतुम दिल्ली आ गये। यहां तो सिर्फ बिहार के किसानों की कमी खल रही थी। कुछदलों की ओर […] Read more » दिल्ली पहुंचकर मारे गये गुलफाम हीरामन अपनी बैल गाड़ी हांकता हुआ किसान आंदोलन में
व्यंग्य गणतंत्र दिवस पर स्वर्णिम अध्याय लिखने की तैयारी में शांति-संयम का गठजोड़… January 24, 2021 / January 24, 2021 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार ‘नवीन’ ‘एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति!’ अर्थात् एक मैं ही हूं दूसरा सब मिथ्या है। न मेरे जैसा कभी कोई आया न आ सकेगा। आप भी सोच रहे होंगे कि इतनी बड़ी बात आज किस सन्दर्भ में लिखी जा रही है। नहीं समझे। अरे, भलेमानुषों। 26 जनवरी को स्वर्णिम इतिहास […] Read more » गणतंत्र दिवस
व्यंग्य सियासत के ब्रांडिंग चेहरों का मौसम January 11, 2021 / January 11, 2021 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल पादुका यानी जूता संस्कृति हमारे संस्कार में बेहद गहरी पैठ बना चुका है। यह अतिशयोक्ति नहीँ होगी कि मानव के अभ्युदय के साथ ही सम्भवतः पादुकाओं का आविर्भाव हुआ होगा। आजकल पादुकाऐं भी ब्रांडेड आने लगी हैं। कुछ दशक पूर्व सिर्फ एक […] Read more » पादुका यानी जूता संस्कृति ब्रांडिंग की महत्वता
व्यंग्य स्वाद अपरंपार December 24, 2020 / December 24, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment हास्य और गाम्भीर्यता की अनूठी रार, गजब… ‘पोली’ और ‘पोली का यार’ सुशील कुमार ‘नवीन ‘ किसी रिपोर्टर ने हरियाणा के रामल से पूछा कि आप लोग बार-बार कहते सुनाई देते हो कि भई, स्वाद आग्या। ये स्वाद क्या बला है और ये आता कहां से है। रामल ने कहा-चल मेरे साथ।आगे-आगे रामल और पीछे-पीछे […] Read more » पोली पोली का यार स्वाद अपरंपार
मनोरंजन व्यंग्य ज़ुकाम December 21, 2020 / December 21, 2020 by बीनू भटनागर | Leave a Comment 2020 में सबसे ज़्यादा भाव ज़ुकाम के बढ़े हैं जिसका शुमार कभी बीमारियों में भी नहीं था। कहा जाता था दवा खाए तो भी और दवा न खाए तो भी ज़ुकाम पाँच दिन में ठीक हो ही जाता है।ऐसा नहीं है कि ज़ुकाम कष्टदायक नहीं होता… बहुत कष्ट देता है नाक से पानी के झरने […] Read more » Cold ज़ुकाम
व्यंग्य कृषि कानूनों की वामपंथी व्याख्या December 20, 2020 / December 20, 2020 by डॉ.रामकिशोर उपाध्याय | Leave a Comment प्रातःकाल लाल झंडा उठाए द्रुत गति से दौड़ते हुए, वामपंथी यूनियन के नेता जी को देख एक युवक ने पूछा, नेताजी कहाँ दौड़े जा रहे हो ? नेताजी ने कहा, धरना देने, चलो आप भी चलो | युवक ने पूछा क्यों ? वे बोले, अपने खेत नहीं बचाने क्या | युवक बोला, जरा ठहरो विस्तार […] Read more » Leftist interpretation of agricultural laws
राजनीति व्यंग्य दीदी के अंगने में भाजपा का क्या काम है December 11, 2020 / December 11, 2020 by नवेन्दु उन्मेष | Leave a Comment नवेन्दु उन्मेष कोलकाता की सड़कों पर भाजपा के लोग अकसर एक फिल्मी गीत गाते हुए मिलतेहैं-एक बंगला बने न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा, सोने का बंगला, चंदन काजंगला, अति सुंदर प्यारा-प्यारा। वहीं दीदी के कार्यकर्ता गाते हैं किमेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है। अब मुसीबत यह है कि एक दल के लोगवहां एक बंगला […] Read more » bjp in bengal दीदी के अंगने में भाजपा
व्यंग्य आंदोलन में ‘उत्सव’ जैसा रसास्वादन, पिज्जा-बर्गर, चाय-कॉफी सब हाजिर December 10, 2020 / December 10, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार’नवीन’ खाने को पिज्जा, लच्छा परांठा, तंदूरी नान,तवा नान, चिल्ला, डोसा वो सब हैं, जो मसालेदार खाने वालों को चाहिए। देसी चटखारे के लिए मक्के की रोटी, सरसों का साग, दाल तड़का, कढ़ी,चावल, राजमा जितना चाहो उतना छक लो। मीठे में देसी घी का हलवा, गर्म जलेबी, लड्डू, बूंदी तो हैं ही। हरियाणवीं तड़का […] Read more » food in kisan andolan kisan andolan tea-coffee all present सहयोग का लंगर