टॉप स्टोरी मीडिया मीडिया का मदारीपन September 5, 2013 / September 5, 2013 by अरविंद जयतिलक | Leave a Comment अरविंद जयतिलक नि:संदेह रुप से संत आसाराम दोषी हैं तो उन्हें सजा मिलनी ही चाहिए। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दी है। एक सच्चे लोकतंत्र में कोर्इ भी व्यकित वह चाहे जितना भी ताकतवर हो, वह कानून से बड़ा नहीं हो सकता। उसे हर हाल में कानून का पालन करना ही होगा। लेकिन […] Read more » मीडिया का मदारीपन
मीडिया युवाओं को रिझाता फेसबुक और सोशल मीडिया September 2, 2013 / September 4, 2013 by वंदना शर्मा (हिस) | Leave a Comment वन्दना शर्मा सोशल मीडिया आज के समय में युवाओं में सबसे अधिक लोकप्रिय है कोई भी इससे अछूता नहीं रह गया है। यह समाज के बीच ऐसा मीडियम बनकर पहुंच चुका है जहां वे एक-दूसरे से जुड़ते हैं, जानकारियां शेयर करते हैं। आज का युवा वर्ग अपने हाथ में स्मार्ट फोन लिए सारी दुनिया से […] Read more » युवाओं को रिझाता फेसबुक और सोशल मीडिया
मीडिया न्यू मीडिया का अंधकारमय भविष्य September 2, 2013 by विकास कुमार गुप्ता | Leave a Comment वैसे तो मीडिया के तारीफों को लेकर बहुत से सिद्धान्त है और मीडिया की वीरता के बहुत से बखान है। वाशिंगटन पोस्ट से लेकर जापानी मीडिया तक के। लेकिन न्यू मीडिया की कहानी भी कुछ कम नहीं। भारत जैसे विकासशील देश में लगभग 7 करोण 44 लाख उपयोगकर्ताओं में व्याप्त न्यू मीडिया न सिर्फ सरकारी […] Read more » न्यू मीडिया का अंधकारमय भविष्य
मीडिया क्या है न्यू मीडिया विंग का सरकारी मकसद August 23, 2013 / August 23, 2013 by पियूष द्विवेदी 'भारत' | 1 Comment on क्या है न्यू मीडिया विंग का सरकारी मकसद आखिर सरकार द्वारा सोशल मीडिया में हस्तक्षेप करते हुए सरकारी दखल या यूँ कहें कि सरकारी निगरानी के लिए ‘न्यू मीडिया विंग’ को मंजूरी दे दी गई ! वैसे ये कोई नई बात नहीं है कि सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर नियंत्रण के लिए कोशिश की जा रही हो ! सोशल मीडिया तो जनाभिव्यक्ति का […] Read more » न्यू मीडिया विंग का सरकारी मकसद
मीडिया इस वर्ष मीडिया चौपाल 14-15 सितम्बर को August 22, 2013 by अनिल सौमित्र | Leave a Comment मीडिया चौपाल – 2013 जन-जन के लिए विज्ञान, जन-जन के लिए संचार 14-15, सितम्बर, 2013 संचार क्रांति के इस वर्तमान समय में सूचनाओं की विविधता और बाहुल्यता है. जनसंचार माध्यमों (मीडिया) का क्षेत्र निरंतर परिवर्तित हो रहा है. सूचना और माध्यम, एक तरफ व्यक्ति को क्षमतावान और सशक्त बना रहे हैं, समाधान दे रहे हैं, […] Read more » मीडिया चौपाल
मीडिया गणतंत्र का कमजोर होता संस्थागत ढांचा August 14, 2013 / August 14, 2013 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on गणतंत्र का कमजोर होता संस्थागत ढांचा प्रमोद भार्गव इस गणतंत्र दिवस के ठीक पहले लोकसभा द्वारा विधायिका को कमजोर करने के एक साथ दो प्रकरण सामने आए हैं। एक राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार से बाहर रखने सबंधी विधेयक ससंद में पेश किया जाना और दूसरा, दागी सांसद व विधायकों को निर्वाचन प्रक्रिया […] Read more » गणतंत्र का कमजोर होता संस्थागत ढांचा
मीडिया मीडिया का बाजारवाद August 10, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on मीडिया का बाजारवाद मनोज कुमार मीडिया का बाजारवाद कहें अथवा बाजार का मीडिया, दोनों ही अर्थों में मीडिया और बाजार एक-दूसरे के पर्याय हैं। मीडिया का बाजार के बिना और बाजार का मीडिया के बिना गुजारा नहीं है। दरअसल, दोनों ही एक सायकल के दो पहिये के समान हैं जहां एक पहिया बाहर हुआ तो सायकल विकलांग होने […] Read more » मीडिया का बाजारवाद
मीडिया विधि-कानून विविधा आरटीआर्इ के दायरे में राजनीतिक दल June 10, 2013 / June 10, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव राजनीतिक दलों में पारदर्शिता लाने के नजरिये से इन्हें आरटीआर्इ के दायरे में लाना एक ऐतिहासिक घटना है। केंद्रीय सूचना आयोग ने राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार कानून के दायरे में लाकर उल्लेखनीय पहल की है। अब प्रमुख दल मांगे गए सवाल का जवाब देने के लिए बाध्यकारी होंगे। अब चिंता यही […] Read more » आरटीआर्इ आरटीआर्इ के दायरे में राजनीतिक दल राजनीतिक दल
मीडिया राजनीति समाज जब अन्याय और अत्याचार चर्म पर पहुँचता है तो नक्सलवाद जन्मता है! June 3, 2013 / June 3, 2013 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 1 Comment on जब अन्याय और अत्याचार चर्म पर पहुँचता है तो नक्सलवाद जन्मता है! छत्तीसगढ में नक्सलियों के हमले में अनेक निर्दोष लोगों सहित वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के मारे जाने के बाद देशभर में एक बार फिर से नक्सलवाद को लेकर गरमागर्म चर्चा जारी है। यह अलग बात है कि नक्सलवादियों द्वारा पिछले कई वर्षों से लगातार निर्दोष लोगों की हत्याएँ की जाती रही हैं, लेकिन इस बारे में […] Read more » जब अन्याय और अत्याचार चर्म पर पहुँचता है तो नक्सलवाद जन्मता है!
मीडिया कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे May 30, 2013 / May 31, 2013 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | 1 Comment on कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे सिद्धार्थ मिश्र”स्वतंत्र” एक बहुत पुराना गीत है “कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे” । आज सुबह इस गीत को सुन रहा था कि अचानक कुछ विचार मन में कौंध उठे । बेहद अर्थपूर्ण ये गीत आज वाकई हिंदी पत्रकारिता की दुर्दशा को स्वर देता प्रतीत हुआ । भारतीय पत्रकारिता का उद्भव गुलामी के विषम काल […] Read more » पत्रकारिता
मीडिया डमी मीडिया का समाजवाद May 24, 2013 / May 24, 2013 by विकास कुमार गुप्ता | 2 Comments on डमी मीडिया का समाजवाद पत्रकार-सर हम ब्यूरो चीफ है। स्त्रैण आवाज में बोलते हुए ”सर हम आपकी पत्रिका से जुड़ना चाहते है।“ मैगजीन देखने के बाद और फिर आवाज को थोड़ा मजबूत करते हुए, ”आपकी मैगजीन में तो विज्ञापन दिख ही नहीं रहा। आप इस पत्रिका और अखबार को देखियें। यह अखबार तो चलता भी नहीं। इशारा करते हुए […] Read more » डमी मीडिया का समाजवाद
मीडिया व्यवसायिक हितों के लिए आम आदमी को दाव पर लगा रहा है मीडिया May 7, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on व्यवसायिक हितों के लिए आम आदमी को दाव पर लगा रहा है मीडिया पिछले दिनों पाक जेल में हुई भारतीय कैदी सरबजीत की मौत से पूरा देश गुस्से से लाल दिखा। हर तरफ पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगे। लोग भारत सरकार से ये मांग कर रहे थे कि वो पकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाये। लेकिन क्या वास्तव में सरबजीत की मौत के लिए पूरी तरीके से पाक सरकार जिम्मेदार है? […] Read more » extent of media influence of media