समाज ताकि जीवन का हर क्षण निर्माण का सन्देश बन जाये November 18, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment एक नये समाज एवं राष्ट्र का निर्माण करने के लिये नये मनुष्यों की जरूरत है। ऐसे मनुष्यों का जीवन वह दुर्लभ क्षण है, जिसमें हम जो चाहें पा सकते हैं। जो चाहें कर सकते हैं। यह वह अवस्था है, जहां से हम अपने जीवन को सही समझ दे सकते हैं। इसके लिये जरूरी है हम श्रेष्ठताओं से जुड़े, अपने उद्देश्य के प्रति जागरूक रहे। अपनी विकास यात्रा में कभी किसी गलती को प्रश्रय न दें। Read more » Featured जीवन का हर क्षण निर्माण का सन्देश
बच्चों का पन्ना समाज एक चुनौती:-बच्चों को ‘ना’ कैसे कहें November 13, 2016 / November 13, 2016 by विकास मित्तल | Leave a Comment बच्चा आपके बराबर नहीं है। इसलिए यह ज़रूरी नहीं कि माँ बाप ने जिस बात के लिए ‘ना’ कहा है, उस बारे में बच्चे से बहस करें, मानो उनको यह साबित करना है कि उनका ‘ना’ कहना सही है। यह सही है कि जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसे “अपनी सोचने-समझने की शक्ति का प्रयोग करके सही-गलत में फर्क करना आना चाहिए।माँ बाप बच्चे के साथ तर्क तो करे मगर उससे लंबी-चौड़ी बहस मत कीजिए कि आपने उसको ‘ना’ क्यों कहा। Read more » Featured बच्चों को ‘ना’ कैसे कहें
जन-जागरण बच्चों का पन्ना समाज बिना बाल शिक्षा के देश के उज्जवल भविष्य की कल्पना करना निरर्थक November 13, 2016 / November 14, 2016 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment वर्तमान में भारत देश में कई जगहों पर आर्थिक तंगी के कारण माँ-बाप ही थोड़े पैसों के लिए अपने बच्चों को ऐसे ठेकेदारों के हाथ बेच देते हैं, जो अपनी सुविधानुसारउनको होटलों, कोठियों तथा अन्य कारखानों आदि में काम पर लगा देते हैं। और उन्हीं होटलों, कोठियों और कारखानों के मालिक बच्चों को थोड़ा बहुत खाना देकरमनमाना काम कराते हैं। और घंटों बच्चों की क्षमता के विपरीत या उससे भी अधिक काम कराना, भर पेट भोजन न देना और मन के अनुसार कार्य न होने पर पिटाईयही बाल मजदूरों का जीवन बन जाता है। Read more » Children day Featured बाल दिवस
समाज स्वस्थ मां ही स्वस्थ परिवार का आधार है। November 7, 2016 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment मारियों नरोन्हा पति जब शराब के नशे में देर रात घर लौटता है तो ऐसी स्थिति मे वो जबरन अपनी पत्नि पर शारीरिक संबध बनाने का दबाव डालता है ।इस परिस्थिति का सामना अधिकतर महिलाओं को करना पड़ता है चाहे वो शहरी क्षेत्र मे रहने वाली शिक्षित महिला हो या ग्रामीण क्षेत्र की अशिक्षित […] Read more » स्वस्थ परिवार का आधार स्वस्थ मां
समाज क्या वैदिक वर्णव्यवस्था वर्तमान युग में व्यावहारिक है? November 6, 2016 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on क्या वैदिक वर्णव्यवस्था वर्तमान युग में व्यावहारिक है? मनमोहन कुमार आर्य वैदिक वर्ण व्यवस्था क्या है? वैदिक वर्ण व्यवस्था वह सामाजिक व्यवस्था है जिसमे समाज के सभी मनुष्यों को उनके गुण, कर्म व स्वभाव के अनुसार चार वर्णों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र में वर्गीकृत किया गया है। यह व्यवस्था वर्तमान की जन्मना जाति व्यवस्था अर्थात् मनुष्य के जन्म पर आधारित व्यवस्था से […] Read more » Featured वर्णव्यवस्था वर्तमान युग में व्यावहारिक वैदिक वर्णव्यवस्था
समाज जिन्दगी के गुम हो गये अर्थों की तलाश November 6, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment जिन परिस्थितियों में व्यक्ति जी रहा है, उनसे निकल पाना किसी के लिए भी आज बड़ा कठिन-सा है। अपने व्यापार, अपने कैरियर, अपनी इच्छाओं को एक झटके में त्याग कर एकांतवास में कोई रह सके, यह आज संभव नहीं है और व्यावहारिक भी नहीं है। तथापि अपनी मानसिक शांति और स्वास्थ्य के प्रति आदमी पहले से अधिक जागरुक हो रहा है क्योंकि भौतिकवादी जीवनशैली के दुष्परिणाम वह देख और भुगत चुका है, इसलिए वह अपने व्यस्त जीवन से कुछ समय निकालकर प्रकृति की गोद में या ऐसे किसी स्थान पर बिताना चाहता है, जहां उसे शांति मिल सके। Read more » Featured अर्थों की तलाश ज़िन्दगी
शख्सियत समाज सरदार पटेल जयंती-राष्ट्रीय एकता दिवस October 31, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment अंग्रेज भारत को आजाद तो कर गए, लेकिन उन्होंने देश का बंटवारा भी कर दिया । पाकिस्तान के बनाने का निर्णय अंग्रेजों द्वारा अधिकृत लार्ड माउंटबेटन कर गए, लेकिन वे हिंदुस्तान को अखंड बनाने वाली 536 छोटी-बड़ी रियासतों को लेकर चुप्पी साध गए। उस समय नेहरू के लिए भी रियासतों को एक करना सबसे बड़ी और गंभीर चुनौती थी, जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल को सौंपी । इस तरह एक दृढ़ इच्छाशक्ति के कुशल संगठक, शानदार प्रशासक, पटेल के लिए 500 से ज्यादा राजाओं को आजाद भारत में शामिल करना आसान नहीं था। वे उन्हें नई कांग्रेस सरकार के प्रतिनिधि के रूप में इस बात के लिए राजी करने का प्रयास करना चाह रहे थे कि वे भारत की कांग्रेस सरकार के अधीन आ जाए। जिस तरह से उन्होंने हैदराबाद, जूनागढ़ जैसी रियासतों को एक किया वह काबिले तारीफ था। Read more » Featured sardar ballabh bhai patel राष्ट्रीय एकता दिवस सरदार पटेल जयंती
विधि-कानून समाज जजों की नियुक्ति एक भ्रमजाल …!! October 31, 2016 by एडवोकेट मनीराम शर्मा | Leave a Comment मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति किरुबकरन ने एक अवमान मामले की सुनवाई में कहा है कि देश की जनता पहले ही न्यायपालिका से कुण्ठित है अत: पीड़ित लोग में से मात्र 10% अर्थात अतिपीडित ही न्यायालय तक पहुंचते हैं| सुप्रीम कोर्ट के जानमाने वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि भारत में न्याय मात्र 1% ही होता है| समय समय पर लोक अदालतें लगाकर समझौतों के माध्यम से मामले निपटाकर वाही वाही लूटी जाती है जबकि समझौते न्यायपालिका की सफलता न होकर विफलता है क्योंकि समझौते कमजोर पक्ष के हित की बलि देने पर ही संपन्न होते हैं Read more » appointment of judges Featured जजों की नियुक्ति
समाज एक आवश्यक सामाजिक बुराई जुआ October 31, 2016 by श्याम नारायण रंगा | Leave a Comment दीपावली पर जुआ खेलने वालों का यह तर्क है कि अगर आप दीपावली के दिन जुए में जीत गए तो आपका पूरा साल अच्छा रहेगा और किस्मत आपका साथ देगी। इस कारण अपना भाग्य आजमाने के लिए दीपावली केे दिन कौड़ियों से और पासों से साथ ही साथ विभिन्न प्रकार के परम्परागत तरीकों से जुआ गली गली मौहल्ले मौहल्ले खेला जाता है। Read more » Featured जुआ सामाजिक बुराई जुआ
शख्सियत समाज नवीन भारत के महान निर्माता-सरदार पटेल October 31, 2016 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment (31अक्टूबर-जन्मदिवस पर) वीरेन्द्र परिहार सरदार पटेल का जन्म भगवान कृष्ण की कर्मभूमि स्वामी दयानन्द सरस्वती और महात्मा गांधी की जन्मभूमि गुजरात मे 31 अक्टूबर 1875 को बोरसद के करमसद गांव मे हुआ था। उनके पिता झेंबरभाइ्र्र सच्चे ईश्वर-भक्त, साहसी, दूरदर्शी, संयमी और देशभक्त थे।सरदार पटेल के पिता झेंबरभाई ने1857 के स्वाधीनता सेनानियों की मदद करते […] Read more » Featured नवीन भारत के महान निर्माता-सरदार पटेल सरदार पटेल
पर्व - त्यौहार समाज भाई-बहन के आत्मीय रिश्तों का अनूठा त्यौहार : भैया दूज October 30, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment हिन्दू समाज में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक पर्व है भैया दूज। बहन के द्वारा भाई की रक्षा के लिये मनाये जाने वाले इस पर्व को हिन्दू समुदाय के सभी वर्ग के लोग हर्ष उल्लास से मनाते हैं। Read more » Featured भाई-बहन के आत्मीय रिश्तों का अनूठा त्यौहार भैया दूज
समाज तीन तलाक के बहाने महिलाओ के मौलिक अधिकारो का हनन October 28, 2016 / October 28, 2016 by डा रवि प्रभात | Leave a Comment इसका अभिप्राय यह है कि मानवीय दृष्टिकोण से व्यवस्था को दुरुस्त करना ना तो सांप्रदायिक है ना शरीयत के खिलाफ जैसा कि कुछ लोग हमेशा बखान करते मिलते हैं ।अगर ऐसा होता तो मुस्लिम देश इस तरह की सुधारवादी पहल ना करते। Read more » Featured तीन तलाक महिला मौलिक अधिकारो का हनन