खेत-खलिहान विविधा दाल: जमाखोरों पर नकेल के सार्थक परिणाम October 26, 2015 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on दाल: जमाखोरों पर नकेल के सार्थक परिणाम प्रमोद भार्गव दाल के जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ छापा डालकर नकेल कसने की कार्यवाही से जो सार्थक परिणाम निकले हैं, उससे साफ है कि बाजार में महंगी होती दालों का कारण उपज की कमी से नहीं थी। क्योंकि पांच हजार टन दालें आयात कर लिये जाने के बावजूद कीमतें घट नहीं रहीं […] Read more » Featured जमाखोरों पर नकेल के सार्थक परिणाम दाल
कला-संस्कृति विविधा गोरक्षा-आन्दोलन और गोपालन का महत्व October 26, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्य विद्वान और नेता लौह पुरूष पं. नरेन्द्र जी, हैदराबाद की आत्मकथा ‘जीवन की धूप-छांव’ से गोरक्षा आन्दोलन विषयक उनका एक संस्मरण प्रस्तुत कर रहे हैं। वह लिखते हैं कि ‘सन् 1966 ईस्वी में पुरी के जगद्गुरु शंकराचार्य के नेतृत्व में गोरक्षा आन्दोलन चलाया गया था। पांच लाख हिन्दुओं का एक ऐतिहासिक जुलूस लोकसभा तक […] Read more » Featured गोपालन का महत्व गोरक्षा-आन्दोलन
विविधा संस्कृति है चक्रीय हिण्डोला और भाषा उसकी धुरी: October 26, 2015 by डॉ. मधुसूदन | 15 Comments on संस्कृति है चक्रीय हिण्डोला और भाषा उसकी धुरी: डॉ. मधुसूदन प्रवेश: (अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर विचार) ॐ —संस्कृति, एक मण्डलाकार (मेरी गो राउण्ड) हिण्डोला, भाषा है उसकी धुरी। ॐ—सांस्कृति हिण्डोले की प्रेरणा कौनसी है ? ॐ—विविध परम्पराओंका योगदान: ॐ—पुरातन, अद्यतन, नित्य नूतन वही सनातन: ॐ—सत्य की उपलब्धि वैयक्तिक: ॐ— पराकोटि की प्रेरणा होती है : (एक) संस्कृतिः एक मण्डलाकार हिण्डोला, और […] Read more » Featured भाषा उसकी धुरी: संस्कृति है चक्रीय हिण्डोला
विविधा रेल नीरःबोतलबंद पानी का खेल October 24, 2015 by प्रमोद भार्गव | 3 Comments on रेल नीरःबोतलबंद पानी का खेल प्रमोद भार्गव देश की महत्वपूर्ण रेलों में ‘रेल नीर‘ आपूर्ति से जुटे भ्रष्टाचार के संबंध में सीबीआई द्वारा की गई छापेमारी के दौरान घोटाले में भी घोटाला सामने आया है। इस मामले में बरामद की गई 27 करोड़ की नगद धनराशि में 4 लाख रुपए के नोट जाली मिले हैं। इस मामले में सीबीआई ने […] Read more » Featured बोतलबंद पानी का खेल रेल नीर
विविधा प्रतिस्पर्धा उग्रता दर्शाने की? October 24, 2015 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी हमारे देश के संविधान निर्माताओं द्वारा यहां का संविधान तथा क़ानून हालांकि ऐसा बनाया गया है जिसमें सभी धर्मों,जातियों,वर्गों तथा सभी क्षेत्रों के लोगों को समान अधिकार दिए गए हैं। इस संविधान में किसी एक वर्ग विशेष व धर्म विशेष या क्षेत्र विशेष के लोगों को किसी भी विषय पर उग्रता दिखाने की […] Read more » Featured प्रतिस्पर्धा उग्रता दर्शाने की?
जन-जागरण विविधा बारुद के ढेर पर बैठा हुआ देश October 23, 2015 / October 23, 2015 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिक क्या स्वतंत्र भारत में कभी ऐसा हुआ है कि किसी राष्ट्रपति को दो हफ्तों में तीन बार अपील करनी पड़े? राष्ट्रपति को बार−बार क्यों कहना पड़ रहा है कि लोग सद्भाव और सहनशीलता का वातावरण बनाए रखें? प्रधानमंत्री ने दबी जुबान से वही बात दोहराई, जो राष्ट्रपति ने कही। दोनों की अपीलों […] Read more » Featured बारुद के ढेर पर बैठा हुआ देश
विविधा क्या आप वाकई साहित्कार है? October 23, 2015 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 5 Comments on क्या आप वाकई साहित्कार है? डा. अरविन्द कुमार सिंह क्षमा कीजिएगा मैं कोई साहित्यकार नही हूॅ। पेशे से एक अध्यापक हूॅ। चरित्र से राष्ट्रवादी हूॅ। विचारों में अपना देश बसता है और अपने देश के लिये चरित्रवान नौजवानों को गढने का कार्य करता हूॅ। मेरे अल्फाजों से यदि किसी को चोट लगे तो क्षमा चाहूॅगा क्योकि सच झूठ की तरह […] Read more » Featured क्या आप वाकई साहित्कार है?
खेत-खलिहान विविधा दाल की महंगाई में फंसी केंद्र सरकार October 23, 2015 by पियूष द्विवेदी 'भारत' | Leave a Comment पीयूष द्विवेदी कहावत है कि घर की मुर्गी दाल बराबर; लेकिन इन दिनों दाल की कीमतें जिस तरह से आसमान छू रही हैं, उसने इस कहावत को मजाक बना दिया है। आलम यह है कि अब दाल मुर्गे यानी नॉन वेज से ज्यादा महँगी हो गयी है। मुर्गा जहाँ १५० से १८० रूपये किग्रा के […] Read more » Featured केंद्र सरकार दाल की महंगाई दाल की महंगाई में फंसी केंद्र सरकार
जन-जागरण विविधा साहित्यकारों का पुरस्कार लौटाना ठीक नहीं October 21, 2015 by सुरेश हिन्दुस्थानी | 1 Comment on साहित्यकारों का पुरस्कार लौटाना ठीक नहीं सुरेश हिन्दुस्थानी हमारी भारतभूमि ने अनेक प्रेरणादायी साहित्यकारों को जन्म दिया है। विश्व के अनेक देश साहित्य की गहराई में उतरने के लिए भारत की तरफ मुखातिब होते हैं। वास्तव में भारत साहित्य की जननी है। लेकिन वर्तमान में साहित्य को विकृत रूप देने वाले साहित्यकार अपनी स्वयं की प्रतिभा पर ही बहुत बड़ा सवाल […] Read more » Featured साहित्यकारों का पुरस्कार लौटाना ठीक नहीं
विविधा यादव सिंह की चहेती फर्मों का नया ठिकाना एलडीए ! October 21, 2015 by प्रणय विक्रम सिंह | 2 Comments on यादव सिंह की चहेती फर्मों का नया ठिकाना एलडीए ! प्रणय विक्रम सिंह अदब का शहर लखनऊ अब भ्रष्टाचार के राष्ट्रीय हस्ताक्षर बन चुके यादव सिंह की चहेती कंपनियों का ठिकाना बनने जा रहा है। बात यहां तक होती तो शायद इतना बड़ा सवाल न खड़ा होता किंतु चर्चा तो यह है कि सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अति महत्वाकांक्षी योजना चक गजरिया आईटी […] Read more » Featured एलडीए
विविधा तमिल छात्र, आज, हिन्दी चाहता है। October 21, 2015 by डॉ. मधुसूदन | 9 Comments on तमिल छात्र, आज, हिन्दी चाहता है। डॉ. मधुसूदन सारांश: *****तमिलनाडु के विश्वविद्यालयीन छात्र हिन्दी के पक्ष में। *****आज का तमिल छात्र हिंदी सीखने में उदासीन नहीं हैं। *****जानिए, आज तमिल छात्र क्या सोचता है? ****९५ % प्रतिशत छात्र हिन्दी के पक्ष में। ****किसी प्रादेशिक भाषा की अपेक्षा हिन्दी सर्वाधिक बोली जानेवाली भाषा है। **** पर सुझाव है, कि, तमिलों पर, पर […] Read more » Featured tamilians wat to learn hindi तमिल छात्र तमिल छात्र हिन्दी चाहता है
विविधा सिनेमा कहाँ से पहुंचे कहाँ तक, हिन्दी फिल्में और दिल्ली October 21, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment नलिन चौहान देश में आरंभ से ही हिंदी फिल्मों का दूसरा मतलब बंबई और अब मुंबई रहा है और इसका सबसे बड़ा प्रमाण हाॅलीवुड की नकल पर बालीवुड का नाम रहा है। ऐतिहासिक कारणों से हिंदी फिल्मों के निर्माण से लेकर कथानक तक में बंबई का वर्चस्व रहा। सन् 1947 में देश को आजादी मिलने […] Read more » कहाँ से पहुंचे कहाँ तक हिन्दी फिल्में हिन्दी फिल्में और दिल्ली