विविधा जिसने मुंह खोला, वही बेईमान October 28, 2011 / December 5, 2011 by डॉ0 आशीष वशिष्ठ | 2 Comments on जिसने मुंह खोला, वही बेईमान डॉ0 आशीष वशिष्ठ भ्रष्टाचार के विरूद्ध अन्ना और रामदेव की मुहिम धीरे-धीरे ही सही अपना रंग दिखा रही है। लेकिन केंद्र सरकार जिस तरह से भ्रष्टाचार के विरूद्ध अलख जगाने वालों के खिलाफ प्रतिशोध और बदले की भावना से काम कर रही है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ने खुद को दोषी मान […] Read more » वही बेईमान
विविधा संस्कार और बाज़ार October 28, 2011 / December 5, 2011 by राजीव गुप्ता | Leave a Comment राजीव गुप्ता अवधपुरी अति रुचिर बनाई ! देवन्ह सुमन बृष्टि झरी लाई !! प्रभु बिलोकि मुनि मन अनुरागा ! तुरत दिब्य सिंघासन माँगा !! (उत्तरकाण्ड, रामचरितमानस) बाय वन गेट टू फ्री….वॉव….देख-देख-उधर-देख….चल यार उधर ही चलते है….आज शॉपिंग करने में मज़ा आ जाएगा….कहते हुए गीतू ने अपनी तीन सहेलियों मीतू,नीतू और रीतू को इमोशनल ब्लैकमेल करते […] Read more » market बाजार संस्कार
विविधा “बाबर की औलाद” का राष्ट्रपति भवन में मंचन शर्मनाक : विहिप October 28, 2011 / December 5, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on “बाबर की औलाद” का राष्ट्रपति भवन में मंचन शर्मनाक : विहिप विहिप ने भेजा राष्ट्रपति व प्रधान मंत्री को पत्र, कहा-मंचन हुआ तो होगा प्रदर्शन केन्द्रीय कानून मंत्री श्री सलमान खुर्शीद द्वारा लिखित नाटक “बाबर की औलाद” के राष्ट्रपति भवन में आज मंचन किये जाने का विश्व हिन्दू परिषद ने कडा विरोध किया है। विहिप दिल्ली के महा मंत्री श्री सत्येन्द्र मोहन ने आज इस नाटक […] Read more » son of babar बाबर की औलाद
विविधा गैर-राजनीतिक अंदोलन का राजनीतिक होना October 28, 2011 / December 5, 2011 by प्रमोद भार्गव | 3 Comments on गैर-राजनीतिक अंदोलन का राजनीतिक होना प्रमोद भार्गव चुन-चुन कर अन्ना दल के सदस्यों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं को एक गैर राजनीतिक सामाजिक आंदोलन के राजनीतिक होने की दिशा में बढ़ते जाने के परिप्रेक्ष्य में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे तंत्र और समाज के बीच जो लड़ाई चल रही हैं, उसमें तंत्र समाज की रचनात्मक शक्तियों को कैसे […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे
विविधा आज किरण को माफ़ करें, कल कनिमोझी को! October 27, 2011 / December 5, 2011 by जगमोहन फुटेला | 16 Comments on आज किरण को माफ़ करें, कल कनिमोझी को! जगमोहन फुटेला किरण बेदी कह रहीं हैं कि खुद को कष्ट देकर जो पैसे उन्होंने हवाई टिकटों से बचाए हैं, अब (पर्दाफ़ाश होने के बाद) वे वापिस कर देंगी. भाई लोग कह रहे हैं कि वे इंसान हैं और गलती चूंकि इंसान से हो ही सकती है और पैसे भी जब वे वापिस दे ही […] Read more » Kiran Bedi किरण बेदी
विविधा गरीब को पहचानने की कोशिश में विदूषक नजर आते सभी पात्र October 22, 2011 / December 5, 2011 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री भारत का योजना आयोग इस देश में गरीब को पहचानने की कोशिश में लगा हुआ है। इस आयोग ने इस काम के लिए देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों को भी लगाया है। वैसे तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह स्वयं भी अपने आपको अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के अर्थशास्त्री कहते हैं। उनके मित्र मोंटेक सिंह अहलुवालिया […] Read more » poor people गरीब
विविधा सफलता की नई शर्त-गोरेपन का अहसास October 22, 2011 / December 5, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment हरिकृष्ण निगम ऐसा अनेक बार देखा गया है कि जब भी कोई देश की एक कड़वी सच्चाई भरी हमारी इस कमजोरी को सामने रखता है कि हम स्वभाव से गोरी चमड़ी को महत्व देते हैं और उस अर्थ में रंगभेद की भेदभाव भरी नस्लवादी मानसिकता से ग्रस्त रहते हैं, इस आरोप का हम तुरंत प्रतिरोध […] Read more » fairness गोरापन
महत्वपूर्ण लेख विविधा शक्ति-पूजा का विस्मरण – शंकर शरण October 20, 2011 / December 5, 2011 by शंकर शरण | 26 Comments on शक्ति-पूजा का विस्मरण – शंकर शरण कश्मीर के विस्थापित डॉक्टर कवि कुन्दनलाल चौधरी ने अपने कविता संग्रह ‘ऑफ गॉड, मेन एंड मिलिटेंट्स’ की भूमिका में प्रश्न रखा थाः “क्या हमारे देवताओं ने हमें निराश किया या हम ने अपने देवताओं को?” इसे उन्होंने कश्मीरी पंडितों में चल रहे मंथन के रूप में रखा था। सच पूछें, तो यह प्रश्न संपूर्ण भारत […] Read more » Ritual power शक्ति-पूजा
विविधा वो मेरे साथी नहीं, गुरु थे October 20, 2011 / December 5, 2011 by जगमोहन फुटेला | 1 Comment on वो मेरे साथी नहीं, गुरु थे जगमोहन फुटेला सरताज सन 69 के आसपास तब नैनीताल जिले के किच्छा कसबे के एक हाई स्कूल में पढ़ता था मैं. और नौंवीं दसवीं में मेरा एक सहपाठी था, सरताज जैदी. उसकी हथेलियाँ राजनाथ सिंह से भी बड़ी थीं. बहुत खूबसूरत गाता था वो. मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ उसपे किसी भी अनवर या सोनू निगम […] Read more » guru गुरु
विविधा शिक्षा क्रांति से दूर लद्दाखी छात्र October 20, 2011 / December 5, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment स्टांजिंग आंग्मो हाल ही में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क लांच किया। इसका मकसद स्कूल और कॉलेज स्तर से ही छात्रों को व्यावसायिक पाठयक्रम की शिक्षा मुहैया करवाकर उन्हें रोजगार प्रदान करना है। इससे एक तरफ जहां देश में बढ़ती बेरोजगारी पर काबू पाने में मदद मिलेगी वहीं […] Read more » education revolution लद्दाख शिक्षा
विविधा इस बिहार का विकास क्यूं नहीं October 20, 2011 / December 5, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सरिता कुमारी पिछले कुछ दशकों में देश के जिन राज्यों ने विकास की नई परिभाषा गढ़ी है उनमें बिहार का नाम सबसे उपर लिखा जा सकता है। कभी कुव्यवस्था और पिछड़ेपन का दंश झेलने वाला बिहार अब विकास की नई उचांईंयां छू रहा है। देश के कई नामी-गिरामी औद्योगिक घरानों ने राज्य में भारी निवेश […] Read more » bihar बिहार
विविधा बढ़ती जनसंख्या अभिशाप नहीं! October 20, 2011 / December 5, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 7 Comments on बढ़ती जनसंख्या अभिशाप नहीं! डॉ गज़ाला ऊर्फी आम तौर पर यह धारणा बनी हुई है कि जनसंख्या वृद्धि हानिकारक है। इससे किसी भी देश की अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है। आर्थिक दृष्टिकोण के सभी पैमाने भी इसी की पुष्टि करते हैं। अर्थशास्त्रियों की परिभाषा का निष्कर्ष यही है कि जनसंख्या वृद्धि के कारण ही खाद्यान्न की कमी होती है क्योंकि […] Read more » population growth जनसंख्या