लेख माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की बदलती शैली

माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की बदलती शैली

डॉ वीरेन्द्र भाटी मंगल मानव समाज का आधार परिवार है और परिवार की आत्मा है संवाद। संवाद ही वह सेतु है जिसके माध्यम से माता-पिता…

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कला-संस्कृति हमारे धर्मग्रंथ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में

हमारे धर्मग्रंथ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में

 शिवानन्द मिश्रा हमारे सारे धर्मग्रंथ राक्षसों के वध से भरे पड़े हैं। राक्षस भी कठिन और जटिल वरदानों से सुरक्षित थे। किसी को वरदान प्राप्त था कि न दिन में मरेगा-न रात में, न आदमी से मरेगा-न जानवर से, न घर में मरेगा-न बाहर, न आकाश में मरेगा- न धरती पर। किसी को वरदान था कि वे भगवान भोलेनाथ और विष्णु के संयोग से उत्पन्न पुत्र से ही मरेगा तो किसी को वरदान था कि उसके खून की जितनी बूंदे जमीन पर गिरेगी,उसकी उतनी प्रतिलिपि पैदा हो जाएगी। कोई अपने नाभि में अमृत कलश छुपाए बैठा था लेकिन सभी राक्षसों का वध हुआ। सभी राक्षसों का वध अलग अलग देवताओं ने अलग अलग कालखंड एवं अलग अलग प्रदेशों में किया लेकिन सभी वध में एक चीज कॉमन रही कि किसी भी राक्षस का वध उसका स्पेशल स्टेटस हटाकर अर्थात उसके वरदान को रिजेक्ट कर के नहीं किया गया। तुम इतना उत्पात मचा रहे हो इसीलिए, हम तुम्हारा वरदान कैंसिल कर रहे हैं। देवताओं को उन राक्षसों को निपटाने के लिए उसी वरदान में से रास्ता निकालना पड़ा कि इस वरदान के मौजूद रहते हम इसे कैसे निपटा सकते हैं। अंततः कोशिश करने पर वो रास्ता निकला भी तथा सभी राक्षस निपटाए भी गए। अर्थात् परिस्थिति कभी भी अनुकूल होती नहीं है बल्कि  पुरुषार्थ  से अनुकूल बनाई जाती है। किसी भी एक राक्षस के बारे में सिर्फ कल्पना कर के देखें कि अगर उसके संदर्भ में अनुकूल परिस्थिति का इंतजार किया जाता तो क्या वो अनुकूल परिस्थिति कभी आती ?? उदाहरण के लिए रावण को ही लीजिए. रावण के बारे में भी ये तर्क दिया जा सकता था कि कैसे मारेंगे भला ? उसे तो अनेकों तीर मारे और उसके सर को काट भी दिए लेकिन उसका सर फिर जुड़ जाता है तो इसमें हम क्या करें ? इसके बाद इस नाकामयाबी का सारा ठीकरा रावण को ऐसा वरदान देने वाले ब्रह्मा पर फोड़ दिया जाता कि उन्होंने ही रावण को ऐसा वरदान दे रखा है कि अब उसे मारना असंभव हो चुका है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भगवान राम ने उन वरदानों के मौजूद रहते ही रावण का वध किया। यही “सिस्टम” है। पुरातन काल में हम जिसे वरदान कहते हैं ,आधुनिक काल में हम उसे संविधान द्वारा प्रदत्त स्पेशल स्टेटस कह सकते हैं। आज भी हमें राक्षसों को इन वरदानों ( स्पेशल स्टेटस) के मौजूद रहते ही निपटाना होगा। इसके लिए हमें इन्हीं स्पेशल स्टेटस में से लूपहोल खोजकर रास्ता निकालना होगा। ये नहीं लगता कि इनके स्पेशल स्टेटस को हटाया जाएगा। हर युग में एक चीज अवश्य हुआ है राक्षसों का विनाश एवं धर्म की स्थापना। अभी उसी की तैयारी हो रही है। निषादराज, वानर राज सुग्रीव, वीर हनुमान , जामवंत आदि को गले लगाया जा रहा है, माता शबरी को उचित सम्मान दिया जा रहा है। सोचने वाली बात है कि जो रावण पंचवटी में लक्ष्मण के तीर से खींची हुई एक रेखा तक को पार नहीं कर पाया था,भला उसे पंचवटी से ही एक तीर मारकर निपटा देना क्या मुश्किल था। जिस महाभारत को श्रीकृष्ण सुदर्शन चक्र के प्रयोग से महज 5 मिनट में निपटा सकते थे, भला उसके लिए 18 दिन तक युद्ध लड़ने की क्या जरूरत थी लेकिन रणनीति में हर चीज का एक महत्व होता है और जिसके काफी दूरगामी परिणाम होते हैं। इसीलिए कभी भी उतावला नहीं होना चाहिए।  भ्रष्ट, विदेशों में धन अर्जित करने वाला, अनैतिक धन अर्जित करने वाला, विदेशी भूमि पर अपने राष्ट्र की बदनामी, देश में उपद्रव, , तुष्टिकरण करने वाला आदि का विनाश तो निश्चित है तथा यही उनकी नियति है!! धर्मग्रंथ सिर्फ पुण्य कमाने के उद्देश्य से पढ़ने के लिए नहीं होते  बल्कि, हमें ये बताने के लिए लिपिबद्ध है कि आगामी वंशज ये जान सकें कि अगर भविष्य में फिर कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी तो उससे कैसे निपटा जाएगा।  शिवानन्द मिश्रा

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कला-संस्कृति श्राद्ध में कौओं का महत्व – पितरों तक भोजन पहुँचाना

श्राद्ध में कौओं का महत्व – पितरों तक भोजन पहुँचाना

चंद्र मोहन  प्यासा कौआ की कहानी हम बचपन से सुनते आ रहे हैँ. कई कहावतें भी कौओं से सम्बंधित काफी प्रसिद्ध और प्रचलित है. जैसे…

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राजनीति स्थानीय निकाय शासन प्रबंधन में बढ़ रही मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी भारतीय लोकतंत्र की सफलता का प्रतीक 

स्थानीय निकाय शासन प्रबंधन में बढ़ रही मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी भारतीय लोकतंत्र की सफलता का प्रतीक 

गौतम चौधरी स्थानीय निकाय शासकीय व्यवस्था भारत की अहम और पुरातन सांस्कृतिक सल्तनत की प्रभावशाली राजनीतिक इकाई रहा है। सच पूछिए तो भारत कभी पूर्ण…

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राजनीति शांति नहीं तो क्रांति से आता है लोकतंत्र

शांति नहीं तो क्रांति से आता है लोकतंत्र

डॉ घनश्याम बादल आज दुनिया में कई तरह की शासन प्रणालियां है जिनमें तानाशाही से लेकर राजवंश और व्यक्ति या विचारधारा केंद्रित शासन भी शामिल…

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राजनीति भारत की विदेश नीति से दुनिया हतप्रभ है

भारत की विदेश नीति से दुनिया हतप्रभ है

राजेश कुमार पासी अंतरराष्ट्रीय संबंधों और कूटनीति के मामले में भारत ने जो किया है और कर रहा है वो अद्भुत है, इसलिए पूरी दुनिया…

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लेख जनरेशन-जी से लेकर जनरेशन अल्फा तक : बदलती दुनिया, बदलते बच्चे

जनरेशन-जी से लेकर जनरेशन अल्फा तक : बदलती दुनिया, बदलते बच्चे

 “समय के साथ बदलती पीढ़ियाँ और उनका समाज पर असर” समय और समाज के बदलते माहौल के साथ हर पीढ़ी की सोच, जीवनशैली और चुनौतियाँ…

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राजनीति सी.पी. राधाकृष्णनः एक नये अध्याय की शुरुआत

सी.पी. राधाकृष्णनः एक नये अध्याय की शुरुआत

– ललित गर्ग –भारत के अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद के दोनों सदनों के सांसदों ने अपने वोट डालें। सत्तारूढ़ एनडीए के उम्मीदवार…

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लेख अनिश्चित भविष्य एवं आभासी दुनिया से दुःखी युवापीढ़ी

अनिश्चित भविष्य एवं आभासी दुनिया से दुःखी युवापीढ़ी

– ललित गर्ग – पूरी दुनिया की सरकारें युवा के मुद्दों, उनमें बढ़ रहे तनाव एवं दुःखों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करे। न…

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राजनीति वंशवाद में सिमटती देश की राजनीति

वंशवाद में सिमटती देश की राजनीति

संजय सक्सेना भारतीय राजनीति में वंशवाद का मुद्दा कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल ही में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन…

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लेख राष्ट्र की पहचान से विश्व की साझी भाषा तक हिन्दी की शक्ति

राष्ट्र की पहचान से विश्व की साझी भाषा तक हिन्दी की शक्ति

हिन्दी दिवस (14 सितम्बर) पर विशेष– योगेश कुमार गोयलहर वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाने वाला हिन्दी दिवस उस गौरव की स्मृति के रूप में…

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खान-पान जी.एस.टी. दरों में अप्रत्याशित कटौती से कृषि बाजार होगा गुलजार 

जी.एस.टी. दरों में अप्रत्याशित कटौती से कृषि बाजार होगा गुलजार 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दूर दृष्टि सोच के तहत जी.एस.टी. दरों में भारी भरकम कटौती की है…

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