राजनीति मजबूत होते भारत-कुवैत द्विपक्षीय संबंध

मजबूत होते भारत-कुवैत द्विपक्षीय संबंध

सुनील कुमार महला हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक कुवैत यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूती मिली है।चार…

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राजनीति उपभोक्ता के बढ़ते शोषण पर अंकुश जरूरी

उपभोक्ता के बढ़ते शोषण पर अंकुश जरूरी

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस- 24 दिसम्बर, 2024-ः ललित गर्ग:-भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक है और यह आजादी की शताब्दी वर्ष 2047…

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राजनीति देश के अप्रतिम नेता अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत का जश्न

देश के अप्रतिम नेता अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत का जश्न

—डॉ. सत्यवान सौरभ भारत में हर साल 25 दिसम्बर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में सुशासन दिवस मनाया…

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मनोरंजन श्याम बेनेगल का जाना नये सिनेमा का अंत

श्याम बेनेगल का जाना नये सिनेमा का अंत

-ः ललित गर्ग:-बालीवुड में समानांतर सिनेमा के जनक, ‘मंथन’ से लेकर ‘वेलडन अब्बा’ तक जिनके फिल्मी सफर को एक युग कहा जा सकता है, बेहद…

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लेख उपभोक्ताओं को मिले त्वरित न्याय

उपभोक्ताओं को मिले त्वरित न्याय

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (24 दिसम्बर) – योगेश कुमार गोयलदेश में प्रतिवर्ष 24 दिसम्बर को उपभोक्ताओं के विभिन्न हितों और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए…

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राजनीति महान राष्ट्र-सपूतों में अग्रणी थे अटल बिहारी वाजपेयी

महान राष्ट्र-सपूतों में अग्रणी थे अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जन्म जयन्ती-25 दिसम्बर, 2024-ललित गर्ग- भारतीय राजनीति का महानायक, भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता, भारत रत्न, प्रखर कवि, वक्ता…

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राजनीति ‘आरएसएस-शिवसेना’ के हिन्दू दर्शन की ‘अकाल मौत’ के मायने

‘आरएसएस-शिवसेना’ के हिन्दू दर्शन की ‘अकाल मौत’ के मायने

 कमलेश पांडेय आखिर जब पूरी दुनिया में मुस्लिम कट्टरपंथी ताकतें हावी होती जा रही हैं और लोकतंत्र को चुनौती देते हुए एक के बाद दूसरी…

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लेख बड़ा दिन, बड़े लोग, बड़ी बातें

बड़ा दिन, बड़े लोग, बड़ी बातें

डॉ घनश्याम बादल 25 दिसंबर यानी बड़ा दिन. दुनिया भर में ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार क्रिसमस मनाया जाता है आज. अब जब दुनिया…

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मीडिया पत्रकारिता  के अपराधीकरण का  दौर

पत्रकारिता  के अपराधीकरण का  दौर

कुमार कृष्णन  राजनीति का अपराधीकरण और अपराध का राजनीतिकरण इस देश में विमर्श का बड़ा मुद्दा रहा है लेकिन पत्रकारिता के अपराधीकरण पर कभी कोई…

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कला-संस्कृति साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस के अवसर पर विशेष-         – सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” महाभारत काल में हस्तिनापुर राज्य हस्तिनापुर के राज दरबार…

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लेख पति अनिश्चित काल तक पत्नी को गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य नहीं

पति अनिश्चित काल तक पत्नी को गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य नहीं

                    रामस्वरूप रावतसरे सुप्रीम कोर्ट ने 19 दिसंबर 2024 को भरण-पोषण और गुजारा भत्ता को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि कुछ कानून महिला…

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राजनीति डॉ.आंबेडकर को सही परिप्रेक्ष्य में समझने की आवश्यकता !

डॉ.आंबेडकर को सही परिप्रेक्ष्य में समझने की आवश्यकता !

डॉ सुधाकर कुमार मिश्रा                                             डॉ आंबेडकरजी भारतीय राजनीति के महान नेता थे। भारत के स्वतंत्रता के समय आंबेडकर जी  सामाजिक परिवर्तन चाहते थे, सामाजिक परिवर्तन के पुरोधा समाज की दुरावस्था एवं सामाजिक कुरीतियों को देखकर आत्मा से दु:खी थे और उनको बदलने के लिए  प्रयत्नशील थे । उनके सामाजिक कार्यक्रमों में तत्कालीन कांग्रेस ने रोड़ा लगाया था। कांग्रेस के सन् 1886 के दुसरे अधिवेशन में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष श्री दादाभाई नौरोजी ,जो भारत के व्यवृद्ध व्यक्ति थे और उदारवादी नेता थे  ने कहा था कि कांग्रेस संगठन को अपना  ध्यान राजनीतिक विषयों पर देना चाहिए। सन्  1887 के मद्रास अधिवेशन के समय भी कांग्रेस अध्यक्ष श्री बदरुद्दीन तैय्यब जी ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने आपको  सामाजिक समस्याओं से अलग रखें। डॉ आंबेडकर जी ने अपना ध्यान बाल – विवाह , अछूतोद्धार,स्त्री वर्ग की प्रगति, अस्पृश्यता तथा अन्य रूढ़ियों के समाप्त करने का कार्य किया। यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि जिन लोगों ने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सत्ता प्राप्त किए , वे  समाज सुधार से कोसों दूर चले गए। आंबेडकर जी का कहना था कि “मैं सामाजिक सुधार को राजनीतिक सुधार की अपेक्षा अधिक मौलिक मानता हूं।”…

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