विविधा खाद्यान्न महंगाई और विषम होती परिस्तिथियाँ

खाद्यान्न महंगाई और विषम होती परिस्तिथियाँ

-पंकज चतुर्वेदी सन २००८ में आयी आर्थिक मंदी के बाद से विश्व भर में तमाम देशों की आर्थिक सेहत खराब बनी हुई है, कभी ऐसा…

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राजनीति भोपाल गैस कांड में अर्जुन सिंह आखिर साबित क्या करना चाहते हैं?

भोपाल गैस कांड में अर्जुन सिंह आखिर साबित क्या करना चाहते हैं?

-लिमटी खरे बीसवीं सदी के अंतिम तीन दशकों में कांग्रेस की राजनीति के चाणक्या का अघोषित तमगा मिल चुका है पूर्व केंद्रीय मंत्री कुंवर अर्जुन…

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परिचर्चा एलेक्‍सा एक लाख क्लब में ‘प्रवक्‍ता’ शामिल

एलेक्‍सा एक लाख क्लब में ‘प्रवक्‍ता’ शामिल

‘प्रवक्‍ता डॉट कॉम’ के सुधी पाठकों और लेखकों के लिए एक शुभ समाचार है। ‘प्रवक्‍ता’ एलेक्‍सा सुपरहिट एक लाख क्‍लब में कल शामिल हो गया।…

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राजनीति मंहगाई पर साध लेते हैं चुप्पी पर वेतन भत्तों पर अड़े रहते हैं माननीय

मंहगाई पर साध लेते हैं चुप्पी पर वेतन भत्तों पर अड़े रहते हैं माननीय

-लिमटी खरे 14 और 15 अगस्त की दरम्यानी रात को जब डेढ़ सौ साल की ब्रितानी हुकूमत से देश को आजादी मिल रही थी तब…

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व्यंग्य Default Post Thumbnail

छोटे नोटों की व्यथा-कथा

-विजय कुमार परसों मैं किसी काम से बैंक गया था। वापसी पर कोषागार के पास से निकला, तो लगा मानो वहां कुछ लोग बैठे बात…

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विविधा सदानंद काकड़े : कर्मठ कार्यकर्ता

सदानंद काकड़े : कर्मठ कार्यकर्ता

– विजय कुमार संगठन द्वारा निर्धारित कार्य में पूरी शक्ति झोंक देने वाले श्री सदाशिव नीलकंठ (सदानंद) काकड़े का जन्म 14 जून, 1921 को बेलगांव…

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विविधा स्वाधीनता आन्दोलन का यथार्थ

स्वाधीनता आन्दोलन का यथार्थ

-हृदयनारायण दीक्षित भारत स्वाधीनता दिवस के उत्सवों में लहालोट है। स्वराज्य और स्वतंत्रता 5-6 सौ बरस पहले के यूरोपीय पुनर्जागरण काल की देन नहीं है।…

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धर्म-अध्यात्म वर्तमान समय में श्रीराम की जीवन गाथा बेहद प्रेरक

वर्तमान समय में श्रीराम की जीवन गाथा बेहद प्रेरक

– मृत्युंजय दीक्षित श्री रामनवमी का पर्व हिंदुओं के आराध्य मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव है। इस पर्व का हिंदू समाज में विशेष महत्व…

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राजनीति लाचार प्रधानमंत्री का उबाऊ उद्बोधन!

लाचार प्रधानमंत्री का उबाऊ उद्बोधन!

-लिमटी खरे भारत गणराज्य में आजादी के उपरांत यह परंपरा चल पड़ी है कि स्वाधीनता दिवस के रोज वजीरे आजम द्वारा स्वायत्त सत्ता के प्रतीक…

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समाज जनगणना और हम

जनगणना और हम

-विजय कुमार हर दस साल बाद होने वाली जनगणना का कुछ अंश पूरा हो चुका है, जबकि मुख्य काम (संदर्भ बिन्दु) नौ से 28 फरवरी,…

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राजनीति मनमोहनी बातें हैं, बातों का क्या

मनमोहनी बातें हैं, बातों का क्या

बार-बार ऐसी अच्छी, मीठी बातें हमारे शासक करते रहे हैं। कुछ अच्छी योजनाएं बनती भी हैं तो नेता, अफसर और ठेकेदारों की तिकड़ी उनके धन…

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राजनीति राष्ट्रीय मीडिया में “देशद्रोही” भरे पड़े हैं… सन्दर्भ – कश्मीर स्वायत्तता प्रस्ताव

राष्ट्रीय मीडिया में “देशद्रोही” भरे पड़े हैं… सन्दर्भ – कश्मीर स्वायत्तता प्रस्ताव

कैसी स्वायत्तता चाहिये उन्हें? क्या स्वायत्तता का मतलब यही है कि भारत उन लोगों को अपने आर्थिक संसाधनों से पाले-पोसे, वहाँ बिजली परियोजनाएं लगाये, बाँध…

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