मीडिया मीडिया में ‘साहित्य’ का बाजारीकरण

मीडिया में ‘साहित्य’ का बाजारीकरण

वर्षों से मीडिया में अपनी पैठ बना चुके साहित्य को भी पूंजीवादी संस्कृति ने नहीं बख्शा है। इसके झंझावाद में फंसे साहित्य की कसमसाहट भी…

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मीडिया राजनीति और मीडिया-लेनदेन पर टिका संबंध

राजनीति और मीडिया-लेनदेन पर टिका संबंध

राजनीति और मीडिया के आपसी संबंधों पर लिखना बड़ा ही पेचीदा मसला है। आज जैसा की राजनीति तथा मीडिया के बारे में हम जानते हैं…

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विश्ववार्ता सेक्स उद्योग और सैन्य मिशन

सेक्स उद्योग और सैन्य मिशन

सारी दुनिया में सेक्स उद्योग में आई लंबी छलांग के दो सबसे प्रमुख कारण हैं पहला है युद्ध और दूसरा है उन्नत सूचना एवं संचार…

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राजनीति महानरेगा की महाआरती

महानरेगा की महाआरती

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने देश में बढती महंगाई का अजीबोगरीब कारण महानरेगा के कारण आई समृद्धि को ठहराया है। शीला दीक्षित का बयान…

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आर्थिकी सांगोपांग समाज जीवन की शर्त है अन्त्योदय

सांगोपांग समाज जीवन की शर्त है अन्त्योदय

19वीं सदी के अदभुत विचारक थे जॉन रस्किन। इनकी पुस्तक अन टू दी लास्ट पढ़ने के बाद महात्मा गांधी ने कहा कि अब मैं वह…

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समाज मध्य प्रदेश में जारी है सामंती प्रथा

मध्य प्रदेश में जारी है सामंती प्रथा

भारत देश को आजाद हुए छ: दशक से ज्यादा बीत चुके हैं, भारत में गणतंत्र की स्थापना भी साठ पूरे कर चुकी है, बावजूद इसके…

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स्‍वास्‍थ्‍य-योग कैसे लगे धनवंतरी के वंशजों पर अंकुश

कैसे लगे धनवंतरी के वंशजों पर अंकुश

पीडित मानवता की सेवा का संकल्प लेने वाले हिन्दुस्तान के चिकित्सकों की मानवता कभी की मर चुकी है। आज के युग में चिकित्सा का पेशा…

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व्यंग्य Default Post Thumbnail

व्यंग्य/ दाल बंद, मुर्गा शुरु

मैं उनसे पहली दफा बाजार में मदिरालय की परछाई में मिला था तो उन्होंने राम-राम कहते मदिरालय की परछाई से किनारे होने को कहा था।…

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समाज सेक्स का औद्योगिकीकरण

सेक्स का औद्योगिकीकरण

मौजूदा दौर की विशेषता है सेक्स का औद्योगिकीकरण। आज सेक्स उद्योग है। पोर्न उसका एक महत्वपूर्ण तत्व है। पोर्न एवं उन्नत सूचना तकनीकी के अन्तस्संबंध…

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धर्म-अध्यात्म बेपर्दा सन्त-महात्मा कितना सच!

बेपर्दा सन्त-महात्मा कितना सच!

भारत जैसे देश में जहाँ कृष्ण जैसे महान व्यक्तित्व ने सभी क्षेत्रों में सच्चाई को स्वीकार करके एक से एक नायाब उदाहरण प्रस्तुत किये हैं,…

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कला-संस्कृति लोकतंत्र में निर्जन एकांत नहीं होता मकबूल फिदा हुसैन

लोकतंत्र में निर्जन एकांत नहीं होता मकबूल फिदा हुसैन

एफ एम हुसैन साहब बहुत बड़े चित्रकार हैं,भारतीय चित्रकला परंपरा में उनका गौरवपूर्ण स्थान है। भारतीय कला के उन्होंने अनेक नए मानक बनाए और तोड़े…

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स्‍वास्‍थ्‍य-योग 80 करोड ग्रामीणों का जीवन दाव पर!

80 करोड ग्रामीणों का जीवन दाव पर!

वास्तव में इस देश का बण्टाधार करने वाले हैं, इस देश के बडे बाबू जो स्वयं को महामानव समझते हैं और इससे भी बडी और…

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