
मीडिया में ‘साहित्य’ का बाजारीकरण
Updated: December 24, 2011
वर्षों से मीडिया में अपनी पैठ बना चुके साहित्य को भी पूंजीवादी संस्कृति ने नहीं बख्शा है। इसके झंझावाद में फंसे साहित्य की कसमसाहट भी…
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राजनीति और मीडिया-लेनदेन पर टिका संबंध
Updated: December 24, 2011
राजनीति और मीडिया के आपसी संबंधों पर लिखना बड़ा ही पेचीदा मसला है। आज जैसा की राजनीति तथा मीडिया के बारे में हम जानते हैं…
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सेक्स उद्योग और सैन्य मिशन
Updated: December 24, 2011
सारी दुनिया में सेक्स उद्योग में आई लंबी छलांग के दो सबसे प्रमुख कारण हैं पहला है युद्ध और दूसरा है उन्नत सूचना एवं संचार…
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महानरेगा की महाआरती
Updated: December 24, 2011
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने देश में बढती महंगाई का अजीबोगरीब कारण महानरेगा के कारण आई समृद्धि को ठहराया है। शीला दीक्षित का बयान…
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सांगोपांग समाज जीवन की शर्त है अन्त्योदय
Updated: December 24, 2011
19वीं सदी के अदभुत विचारक थे जॉन रस्किन। इनकी पुस्तक अन टू दी लास्ट पढ़ने के बाद महात्मा गांधी ने कहा कि अब मैं वह…
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मध्य प्रदेश में जारी है सामंती प्रथा
Updated: December 24, 2011
भारत देश को आजाद हुए छ: दशक से ज्यादा बीत चुके हैं, भारत में गणतंत्र की स्थापना भी साठ पूरे कर चुकी है, बावजूद इसके…
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कैसे लगे धनवंतरी के वंशजों पर अंकुश
Updated: December 24, 2011
पीडित मानवता की सेवा का संकल्प लेने वाले हिन्दुस्तान के चिकित्सकों की मानवता कभी की मर चुकी है। आज के युग में चिकित्सा का पेशा…
Read moreव्यंग्य/ दाल बंद, मुर्गा शुरु
Updated: December 24, 2011
मैं उनसे पहली दफा बाजार में मदिरालय की परछाई में मिला था तो उन्होंने राम-राम कहते मदिरालय की परछाई से किनारे होने को कहा था।…
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सेक्स का औद्योगिकीकरण
Updated: December 24, 2011
मौजूदा दौर की विशेषता है सेक्स का औद्योगिकीकरण। आज सेक्स उद्योग है। पोर्न उसका एक महत्वपूर्ण तत्व है। पोर्न एवं उन्नत सूचना तकनीकी के अन्तस्संबंध…
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बेपर्दा सन्त-महात्मा कितना सच!
Updated: December 24, 2011
भारत जैसे देश में जहाँ कृष्ण जैसे महान व्यक्तित्व ने सभी क्षेत्रों में सच्चाई को स्वीकार करके एक से एक नायाब उदाहरण प्रस्तुत किये हैं,…
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लोकतंत्र में निर्जन एकांत नहीं होता मकबूल फिदा हुसैन
Updated: December 24, 2011
एफ एम हुसैन साहब बहुत बड़े चित्रकार हैं,भारतीय चित्रकला परंपरा में उनका गौरवपूर्ण स्थान है। भारतीय कला के उन्होंने अनेक नए मानक बनाए और तोड़े…
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80 करोड ग्रामीणों का जीवन दाव पर!
Updated: December 24, 2011
वास्तव में इस देश का बण्टाधार करने वाले हैं, इस देश के बडे बाबू जो स्वयं को महामानव समझते हैं और इससे भी बडी और…
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