कविता प्राणों का हम अर्द्ध चढ़ायें

प्राणों का हम अर्द्ध चढ़ायें

भोर भये रेवा तीरे, पावस पवन श्रृंगार किये। धन्य हुई है मेरी नगरी, जन-मानस सत्कार किये।। हर दिन यहां पर प्रफुल्लित आये, पर्वो की सौगात…

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लेख रावण मरा नहीं, अभी जिंदा है…

रावण मरा नहीं, अभी जिंदा है…

सतेन्द्र सिंह दशहरा का पर्व काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी सरीखे दस पापों का परित्याग है। इस त्यौहार से…

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सिनेमा सिनेमा का दर्शक फिर से सिनेमाघरों की ओर लौट रहा है

सिनेमा का दर्शक फिर से सिनेमाघरों की ओर लौट रहा है

अनंत विजय हम आपके लिए सितारे लेकर आते हैं और आप उनमें चमक भरते हैं। कुछ दिनों पहले सिनेमा हाल के कारोबार की कंपनी पीवीआऱ…

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राजनीति धर्म रक्षा ही राष्ट्र रक्षा है_

धर्म रक्षा ही राष्ट्र रक्षा है_

 वर्तमान विपरीत परिस्थितियों में हम सभी श्रद्धालु हिन्दुओं को अपना यह परम कर्तव्य समझना चाहिए कि यदि हमारा धर्म सुरक्षित है तभी हमारा राष्ट्र “भारत”…

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पर्यावरण बिना सख़्त नियमों के ग्रीन हाइड्रोजन का विकास बढ़ा सकता है कार्बन उत्‍सर्जन  

बिना सख़्त नियमों के ग्रीन हाइड्रोजन का विकास बढ़ा सकता है कार्बन उत्‍सर्जन  

ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को रफ्तार देते हुए हाल ही में भारत सरकार ने 400 करोड़ रुपये की लागत वाला एक आर एण्ड डी (अनुसंधान एवं…

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राजनीति भारत में भी तैयार है गाजापट्टी जैसा उन्माद फटने को

भारत में भी तैयार है गाजापट्टी जैसा उन्माद फटने को

– ललित गर्ग – समूची दुनिया मजहबी कट्टरता, अमानवीय अत्याचार एवं उन्मादी आतंकवाद के चलते विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ी है। हमास के आतंकवादियों ने…

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राजनीति कनाडा का मसला और पाँच आँखें

कनाडा का मसला और पाँच आँखें

 डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री पिछले कुछ दशकों से कनाडा दुनिया भर के आतंकवादियों का स्वर्ग बन चुका है । उनमें से कुछ आतंकवादी गिरोह ऐसे…

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लेख ग्रामीण किशोरियां आज भी माहवारी में कपड़े इस्तेमाल करती हैं

ग्रामीण किशोरियां आज भी माहवारी में कपड़े इस्तेमाल करती हैं

निशा साहनीमुजफ्फरपुर, बिहार संकुचित सोच के कारण आज भी समाज में माहवारी को अभिशाप माना जाता है. हालांकि यह अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है. आज भी…

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राजनीति बन्दूक-संस्कृति से दागदार होती अमेरिकी छवि

बन्दूक-संस्कृति से दागदार होती अमेरिकी छवि

-ः ललित गर्ग – दुनिया में स्वयं को सभ्य एवं स्वयंभू मानने वाले अमरीका में बढ़ रही ‘बंदूक संस्कृति’ के साथ-साथ लोगों में बढ़ रही…

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लेख मानवता को जीवित जलाना मजहबियों के लिए कोई नवीन कृत्य नहीं

मानवता को जीवित जलाना मजहबियों के लिए कोई नवीन कृत्य नहीं

-दिव्य अग्रवाल मानवतावादी समाज इतिहास के पन्नो को विस्मृत कर देता है जिसके कारण वर्तमान में घटित होने वाली घटनाए अचंभित और आश्चर्यचकित लगती हैं…

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पुस्तक समीक्षा दिल की बात कहने में सफल रही ‘सुन रही हो न तुम…’

दिल की बात कहने में सफल रही ‘सुन रही हो न तुम…’

– लोकेन्द्र सिंह  कविता के संबंध में कहा जाता है कि यह कवि के हृदय से सहज ही बहकर निकलती है और जहाँ इसे पहुँचना चाहिए, वहाँ…

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कला-संस्कृति कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। नौ दिनों तक नवदुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना होती है। कहते हैं कि जिस घर…

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