समाज राष्ट्र की अवचेतना का संरक्षक कौन ? November 30, 2018 / November 30, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य एक लोकतांत्रिक देश में न्यायपालिका , कार्यपालिका और विधायिका इन तीनों को राष्ट्र की अवचेतना का संरक्षक माना जाता है। इसके साथ – साथ जब इनमें से कोई भी अपने दायित्व और कर्तव्य के निर्वहन में कहीं चूक करता है तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका भी सामने आती […] Read more » अतार्किक अवैज्ञानिक कार्यपालिका जाति धर्म न्यायपालिका राष्ट्र की अवचेतना का संरक्षक कौन ? लिंग विधायिका
राजनीति सत्ता बदलो, संविधान बचाओ के मायने- June 25, 2018 / June 25, 2018 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment वीरेन्द्र परिहार अभी 15 जून को प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की ’’सत्ता बदलो, संविधान बचाओ’’ यात्रा का समापन हुआ। सच्चाई यह है जब से वर्ष 2014 से देश में मोदी सरकार आई है तभी से इस देश में बहुत लोगों का यह मानना रहा है कि देश में असहिष्णुता बढ़ गई है, संविधान को खतरा […] Read more » Featured कांग्रेस पार्टी न्यायपालिका पण्डित जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रपति राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ लोकतांत्रिक सत्ता बदलो संविधान बचाओ के मायनेः-
समाज साख पर आंच! January 25, 2018 by शिव शरण त्रिपाठी | Leave a Comment अपनी कौस्तुभ जयंती मनाने की ओर अग्रसर भारतीय गणतंत्र की पीड़ा तो उसकी आत्मा ही समझ सकती हैं। हां उसकी पीड़ा वे भी शिद्दत से महसूस करते होंगे जिन्हे उस पर हमेशा से नाज रहा है। उसकी पीड़ा अनायास नहीं है। हालांकि उसे अपनी पीड़ा तब तक सह रही जब तक यदा-कदा देश के आमजन […] Read more » Judiciary legislature shahbano case triple talaq अघोषित आपातकाल से जूझता देश गणतंत्र दिवस न्यायपालिका विधायिका
विधि-कानून विविधा न्यायपालिका और सरकार में टकराव उचित नहीं November 30, 2016 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on न्यायपालिका और सरकार में टकराव उचित नहीं प्रमोद भार्गव केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच एक बार फिर जजों की नियुक्तियों को लेकर टकराव सतह पर आया है। इस बार सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीष टीएस ठाकुर ने न्यायालयीन ट्रिब्यूनलों की खस्ताहाल स्थिति को भी उजागार किया है। अखिल भारतीय केंद्रीय प्रशासनिक पंचाट के इसी कार्यक्रम में उपस्थित विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद […] Read more » .S Thakur Featured t कार्यपालिका और न्यायपालिका में सुधार न्यायपालिका न्यायपालिका और सरकार में टकराव मंत्री रविशंकर प्रसाद सरकार
विधि-कानून विविधा क्या न्यायपालिका सर्वशक्तिमान है? October 31, 2016 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह कि पारदर्शिता के इस दौर में और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पारदर्शिता की पक्षधर न्यायपालिका अपने लिए पारदर्शिता की पक्षधर नहीं है। वह रंच-मात्र भी जवाबदेह नहीं होना चाहती। वह सबके मामले में हस्तक्षेप कर सकती है, यहां तक कि कानून भी बना सकती है जो संसद का काम है, पर अपने मामले में वह कोई नियंत्रण स्वीकार करने को तैयार नहीं है। Read more » appointment of judges Featured इलाहाबाद हाईकोर्ट काॅलेजियम न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट
विधि-कानून विविधा न्यायपालिका के खुद के लिए पैमाने September 9, 2016 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment वीरेन्द्र सिंह परिहार सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस टी.एस. ठाकुर को इस बात को लेकर गंभीर शिकायत है कि प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से न्यायपालिका के संबंध में कुछ नहीं कहा। इसके पहले भी प्रधानमंत्री की मौजूदगी में एक समारोह में बोलते हुए वह निहायत ही भावुक अंदाज में जजों […] Read more » colegium system Featured न्यायपालिका
राजनीति विधि-कानून लोक की सुरक्षा March 14, 2016 / March 14, 2016 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment शैलेन्द्र चौहान मनोवैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्ति में नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रकार की प्रवृत्तियां मौजूद रहती हैं। समाज में शांति और व्यवस्था के लिए आवश्यक है नकारात्मक प्रवृत्तियों का शमन तथा सकारात्मक वृत्तियों की रक्षा एवं प्रोत्साहन। धर्मानुग्राही न्याय-प्रणाली का सहारा लेकर इस देश का अभिजन वर्ग सहस्राब्दियों तक समाज के शीर्ष पर विराजमान रहा […] Read more » Featured आपराधिक न्याय संस्थान औपनिवेशिक न्याय पद्दति जनविरोधी उपनिवेशवादी कानून न्यायपालिका भ्रष्टाचार राष्ट्रद्रोह-कानून लोक की सुरक्षा
विधि-कानून विविधा समाज हद्द है – अब न्यायपालिका के खिलाफ भी जिहाद ? February 13, 2016 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment उपानंद ब्रह्मचारी शरीयत का प्रचार करने वाली मुस्लिम मौलवियों की सबसे शक्तिशाली संस्था जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जो कुछ कहा वह सीधे भारत की संप्रभुता को चुनौती है | हैरत की बात यह है कि यह किसी मुल्ला या मौलवी का पिन्नक में दिया गया बयान नहीं है, यह सीधे सर्वोच्च न्यायालय में एक आवेदन प्रस्तुत […] Read more » Featured न्यायपालिका हद्द है - अब न्यायपालिका के खिलाफ भी जिहाद ?
राजनीति प्रधानमंत्री नें जन-मन को अभिब्यक्त किया है April 9, 2015 / April 11, 2015 by वीरेंदर परिहार | 1 Comment on प्रधानमंत्री नें जन-मन को अभिब्यक्त किया है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोंदी नें गत दिनों न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के सम्मेंलन में न्यायपालिका के लिये स्पष्ट और बेबाक बातें बहुत ही सलीके से कहीं। प्रधानमंत्री नें कानूनीं प्रक्रिया में बड़े बदलावों के जरूरत पर बल दिया । पेचीदा कानूनों को हटानें पर जोर दिया । प्रधानमंत्री का कहना था कि जजों के ऊपर बहुत बड़ी […] Read more » Featured नरेन्द्र मोंदी न्यायपालिका प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नें जन-मन को अभिब्यक्त किया है वीरेन्द्र सिंह परिहार
जरूर पढ़ें न्यायपालिका में सिद्धांत से समझौता July 28, 2014 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment -प्रमोद भार्गव- संदर्भः पूर्व न्यायमूर्ति काटजू का बयान विधायिका और कार्यपालिका में सिद्धांत और नैतिकता से समझौते रोजमर्रा के विशय हो गए हैं। यही वजह है कि संसद और विधानसभाओं में दागियों की भरमार है और भ्रष्टाचार ने सभी हदें तोड़ दी हैं। ऐसे में एक न्यायपालिका ही आमजन के लिए ऐसा भरोसा है, जहां […] Read more » जस्टिस काटजू न्यायपालिका न्यायपालिका में सिद्धांत से समझौता
राजनीति विधि-कानून न्यायपालिका और लोकतंत्र – राजीव तिवारी March 13, 2010 / December 24, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment न्यायपालिका, विधायिका तथा कार्यपालिका का समन्वित स्वरूप ही लोकतंत्र होता है। लोकतंत्र में न्यायपालिका, विधायिका तथा कार्यपालिका एक दूसरे के पूरक भी होते हैं तथा नियंत्रक भी। इसका अर्थ यह हुआ कि इन तीनों में से कोई अंग कमजोर पड़ रहा हो तो शेष दो उसे शक्ति दें और यदि कोई अंग अधिक मजबूत हो […] Read more » Democracy न्यायपालिका लोकतंत्र
विधि-कानून सवाल न्यायपालिका की साख का – अमलेन्दु उपाधयाय October 22, 2009 / December 26, 2011 by अमलेन्दु उपाध्याय | 1 Comment on सवाल न्यायपालिका की साख का – अमलेन्दु उपाधयाय गाजियाबाद के पीएफ धोटाले के मूख्य अभियुक्त आशुतोष अस्थाना की मौत पर दो पंक्तियों में सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है – ‘अधेरों ने हमारे अंजुमन की आबरू रख ली/ न जाने कितने चेहरे रोशनी में आ गए होते।’ दीपावली वाले दिन अस्थाना की गाजियाबाद की जिला जेल में रहस्यमय मौत हो गई थी। […] Read more » Amlendu Upadhyay Integrity of Judiciary Judiciary अमलेन्दु उपाधयाय न्यायपालिका न्यायपालिका की साख