पर्यावरण मानव जीवन के अस्तित्व का आधार है प्रकृति June 8, 2020 / June 8, 2020 by डॉ शंकर सुवन सिंह | Leave a Comment मानव प्रकृति का हिस्सा है|प्रकृति व मानव एक दूसरे के पूरक हैं |प्रकृति के बिना मानव की परिकल्पना नहीं की जा सकती|प्रकृति दो शब्दों से मिलकर बनी है – प्र और कृति|प्र अर्थात प्रकृष्टि (श्रेष्ठ/उत्तम) और कृति का अर्थ है रचना |ईश्वर की श्रेष्ठ रचना अर्थात सृष्टि|प्रकृति से सृष्टि का बोध होता है |प्रकृति अर्थात […] Read more » Nature is the basis of existence of human life प्रकृति मानव जीवन के अस्तित्व का आधार
पर्यावरण जरूरत है प्रकृति को समझने की April 27, 2020 / April 27, 2020 by लिमटी खरे | Leave a Comment लिमटी खरेभारत में विज्ञान पर निर्भरता काफी हद तक कम होती दिख रही है। एक समय था जब प्राथमिक स्तर पर पाठ्यक्रम में विज्ञान को महत्व दिया जाता था। विज्ञान आओ करके सीखें नामक एक किताब अस्तित्व में हुआ करती थी। विज्ञान से संबंधित न जाने कितनी पत्र पत्रिकाएं अस्तित्व में हुआ करती थीं। शनैः […] Read more » understand the nature प्रकृति
साहित्य प्रकृति से प्यार व लगाव नहीं रखने से वह निभाएगी ही दुश्मनी April 15, 2020 / April 15, 2020 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध” जंगलो, पहाड़ों, नदी- नालों, सडकें, आकाश, समुद्र और समस्त संसार को अपना समझने वाला दुनिया का सर्वाधिक ताकतवर जीव मनुष्य आज एक छोटे से दिखाई नहीं पड़ने वाले सूक्ष्म जीव से डरकर घरों में कैद होने को विवश है । इतना सूक्ष्म कि सूक्ष्मदर्शी से भी दिखाई नहीं पड़ने वाले एक छोटे से […] Read more » love the nature nurture the nature प्रकृति
कविता साहित्य प्रकृति March 28, 2020 / March 28, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment विध्वंसक धुंध से आच्छादित दिख रहा सृष्टि सर्वत्र किंतु होता नहीं मानव सचेत कभी प्रहार से पूर्वत्र सदियों तक रहकर मौन प्रकृति सहती अत्याचार करके क्षमा अपकर्मों को मानुष से करती प्यार आती जब भी पराकाष्ठा पर मनुज का अभिमान दंडित करती प्रकृति तब अपराध होता दंडमान पशु व पादप को धरा पर देना ही […] Read more » Nature प्रकृति
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द ने सभी मिथ्या आध्यात्मिक मान्यताओं एवं सभी सामाजिक बुराईयों का निवारण किया” November 8, 2018 / November 8, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द सर्वांगीण व्यक्तित्व के धनी थे। आध्यात्मिक दृष्टि से उन्हें देखें तो वह आध्यात्म व योग के ऋषि कोटि के विद्वान थे। उनके सामाजिक योगदान पर दृष्टि डालते हैं तो वह पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने एक या दो सामाजिक दोषों पर ध्यान नहीं दिया अपितु सभी सामाजिक बुराईयों का उन्मूलन […] Read more » अध्यात्म आर्याभिविनय ईश्वर ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ऋषि दयानन्द जीवात्मा ज्ञान पंचमहायज्ञविधि प्रकृति योग सत्यार्थप्रकाश
कविता प्रकृति का समीकरण September 8, 2018 / September 13, 2018 by डॉ छन्दा बैनर्जी | Leave a Comment डॉ. छन्दा बैनर्जी प्रकृति ने हमें मौके दिए हैं हर बार लेकिन , हम बुद्धिजीवी कहलाने वालों ने उसी प्रकृति पर प्रहार किये है बार-बार , चारों तरफ दो-दो गज ज़मीन पर चढ़ा कर कई-कई मंज़िलें सब कुछ सहने वाली धरती मां पर हम जुल्म पर जुल्म क्यों कर चले ? हम क्या सोच रहे […] Read more » धरती प्रकृति बरसने बुद्धिजीवियों
कविता ये जिन्दगी का कैसा है खेल August 28, 2018 / August 30, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी ये जिन्दगी का कैसा है खेल कोई पास है तो कोई है फेल कोई रोज माल पूए खाता कोई भूखा ही सो जाता कोई ए सी कमरे में सोता कोई फुट पात पर सोता ये जीवन के कैसे है खेल कोई पास तो कोई है फेल कोई रिक्शे में बैठ कर है […] Read more » गरीबों पीने को पानी प्रकृति मोदी हवाई जहाज
राजनीति समाज नये भारत के सुखद संकेत July 28, 2018 / July 28, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग कोई भी राष्ट्र या समाज स्वयं नहीं बोलता, वह सदैव अपनी प्रबुद्ध प्रतिभाओं की क्षमता, साहस, योग्यता एवं विलक्षणता के माध्यम से बोलता है। बोलना, मात्र मुंह खोलना नहीं होता। बोलना यानि अपने राष्ट्र के मस्तक को ऊंचा करना है, सम्मानित करना है। जिस राष्ट्र, समाज, समूह या वर्ग का प्रबुद्ध तबका जागरूक […] Read more » ”मेरा भारत महान्“ Featured इतिहास नये भारत के सुखद संकेत नोबेल पुरस्कार प्रकृति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रचनात्मकता राष्ट्र या समाज वांगचुक और डॉ. वटवाणी श्रद्धा पुनर्वास फाउंडेशन संस्कृति और शिक्षा साहसिकता
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर ही सृष्टिकर्ता है, क्यों व कैसे?” July 25, 2018 / July 25, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम पृथिवी पर रहते हैं जिसका एक चन्द्रमा है और सुदूर एक सूर्य है जिससे हमें प्रकाश व गर्मी मिलती है। विज्ञान से सिद्ध हो चुका है कि सूर्य अपनी धूरी पर गति करता है और अन्य सभी ग्रह व उपग्रहों को भी गति देता है। पृथिवी अपनी धूरी पर घूमती […] Read more » ‘ईश्वर सच्चिदानन्द स्वरुप “ईश्वर ही सृष्टिकर्ता है Featured अजन्मा अजर अनादि अनुपम अभय अमर ऋषि दयानन्द क्यों व कैसे?” चन्द्र दयालु नित्य निराकार निर्विकार न्यायकारी पवित्र पृथिवी प्रकृति सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर सूर्य
समाज मानव और प्रकृति में संतुलन November 27, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment इन दिनों प्रायः देश के किसी ने किसी भाग से गांव में घुस आये बाघ, हाथी आदि जंगली जानवरों की चर्चा होती रहती है। बस्ती के आसपास मित्र की तरह रहने वाले कुत्ते और बंदरों का आतंक भी यदा-कदा सुनने को मिलता रहता है। कुछ राज्य सरकारें इनकी नसबंदी करा रही हैं। इससे लाभ होगा […] Read more » balance between human and nature Featured Nature प्रकृति
धर्म-अध्यात्म ईश्वर-जीवात्मा-प्रकृति विषयक अविद्या विश्व में अशान्ति का कारण July 31, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में लोग उचित व अनुचित कार्य करते हैं। अनुचित काम करने वालों को सामाजिक नियमों के अनुसार दण्ड दिया जाता है। न केवल सामान्य मनुष्य अपितु शिक्षित व उच्च पदस्थ राजकीय व अन्य मनुष्य भी अनेक बुरे कामों को करते हैं जिनसे देश व समाज कमजोर होता है और इसके परिणाम […] Read more » अविद्या ईश्वर जीवात्मा प्रकृति विश्व में अशान्ति का कारण
पर्यावरण विविधा प्रकृति को संवारने के लिए जागरुकता होना जरूरी May 25, 2016 / May 25, 2016 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment कहा जाता है कि प्रकृति अगर अपना रौद्र रूप धारण कर ले तो फिर मानव जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। हमारे भारत में प्रकृति को सहेजने वाली कई इकाइयों को पूजनीय माना है। पूजनीय इसलिए भी है, क्योंकि यह जीवन दायिनी हैं। फिर चाहे देश में कल-कल बहती नदियां हों, या […] Read more » Featured प्रकृति