राजनीति राम ही सच्ची स्वतंत्रता है January 17, 2025 / January 17, 2025 by डॉ .सुधाकर कुमार मिश्रा | Leave a Comment डॉ.सुधाकर कुमार मिश्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ( आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान राजनीतिक गलियारे , खासकर विपक्षी खेमें को रास नहीं आ रहा है। विपक्षी खेमें को राजनीतिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक स्वतंत्रता का मूलभूत बौद्धिक विमर्श समझ में नहीं आ रहा हैं । राजनीतिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक स्वतंत्रता […] Read more » राम
राजनीति राम तथाकथित दलित बहुजन समाज विरोधी नहीं थे September 27, 2021 / September 27, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | 1 Comment on राम तथाकथित दलित बहुजन समाज विरोधी नहीं थे —विनय कुमार विनायकइन दिनों दलितों की राजनीति करनेवाले राजनेता दलित वोटों की तलाश में राम का चरित्र हनन और रावण का महिमा मंडन की ओछी राजनीति कर रहे हैं। जिसके लिए उन्हें पेरियार के सच्चा रामायण से प्रेरणामिल रही है। हालांकि इसके लिए उन्होंने राम कथा सेसम्बन्धित विभिन्न साहित्यिक सामग्री को पढ़ना मुनासिब नहीं समझा। […] Read more » Ram so called Dalit Bahujan was not anti-social राम
धर्म-अध्यात्म राम का वनगमन से पूर्व अपने पिता दशरथ व माता से प्रशंसनीय संवाद March 11, 2021 / March 11, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यराम को हमारे पौराणिक बन्धु ईश्वर मानकर उनकी मूर्तियों की पूजा करते वा उनको सिर नवाने के साथ यत्र तत्र समय-समय पर राम चरित मानस का पाठ भी आयोजित किया जाता है। वाल्मीकि रामायण ही राम के जीवन पर आद्य महाकाव्य एवं इतिहास होने के कारण प्रामाणिक ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में परवर्ती […] Read more » Ram's commendable dialogues with his father Dasharatha and mother before exile राम
राजनीति राजा ‘राम’ के विराजमान होने का अर्थ- सनातन-चिरंतन राष्ट्र है भारतवर्ष ! August 12, 2020 / August 12, 2020 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment मनोज ज्वाला भारत के राष्ट्रीय महानायक अर्थात सृष्टि रचने वाले ब्रह्मा की ३९वींपीढी के रघुवंशी राजा अर्थात ‘राष्ट्र-पुरुष’ राम आज भी अयोध्या मेंविराजमान हैं । इस तथ्य के सत्य को दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र कीसर्वोच्च अदालत […] Read more » Bharatavarsha is a eternal nation! राम सनातन-चिरंतन राष्ट्र है भारतवर्ष
लेख घट-घट में है राम August 5, 2020 / August 5, 2020 by डॉ. राकेश राणा | Leave a Comment डॉ0 सतीश शास्त्री एवं डॉ0 राकेश राणा राम का अतीत इतना व्यापक और विस्तारित है कि उस पर समझ और संज्ञान की सीमाएं है। उन्हें चिन्हित करना भी बहुत दुरुह कार्य है। भारतीय समाज में राम उस वटवृक्ष की तरह है जिसकी छत्रछाया में भक्त, आलोचक, आम, खास, आरोधक, विरोधक सबके सब साथ-साथ न […] Read more » Ram is in disarray घट-घट में है राम राम
राजनीति सियासी जनादेश का हिस्सा है नाम बदलना November 12, 2018 / November 12, 2018 by अनिल अनूप | 1 Comment on सियासी जनादेश का हिस्सा है नाम बदलना अनिल अनूप शहरों, सड़कों, चौराहों, स्टेडियम और संस्थानों के नाम बदलना कोई राजनीतिक अपराध नहीं है। विभिन्न सरकारें केंद्र और राज्यों में अपनी राजनीतिक सुविधा के मुताबिक नाम बदलती रही हैं। उनकी एक लंबी फेहरिस्त है, जिसके मद्देनजर कांग्रेस पर सबसे ज्यादा सवाल हैं, क्योंकि 60 साल से अधिक उसी ने देश पर शासन किया […] Read more » अग्रवन’ अर्जुन अलीगढ़ को ‘हरिगढ़’ आजमगढ़ को ‘आर्यमगढ़’ और देवबंद को ‘देववृंद’ ईसाई कर्ण जैन बौद्ध मुजफ्फरनगर को ‘लक्ष्मीनगर’ मुस्लिम राम लक्ष्मण लखनऊ को ‘लक्ष्मणपुर’ शिवाजी संभाजी सिख सियासी जनादेश का हिस्सा है नाम बदलना हिंदू
कविता रावण के मन की बात October 18, 2018 / October 18, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment तुम मुझे यू ना जला पाओगे तुम मुझे यू ना भुला पाओगे तुम मुझे हर साल जलाओगे मार कर भी तुम न मार पाओगे जली लंका मेरी,जला मैं भी तुम भी एक दिन जला दिए जाओगे मैंने सीता हरी,हरि के लिये राक्षस कुल की बेहतरी के लिये मैंने प्रभु को रुलाया बन बन में तुम […] Read more » राक्षसों राम रावण के मन की बात सीता हरी हरि
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द की मानवतावादी वेदानुकूल मान्यताओं को न अपनाकर उनसे न्याय नहीं किया गया” July 30, 2018 / July 30, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, देश का पतन महाभारत काल युद्ध के बाद से हुआ है। इस पतन को हम धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक पतन सहित राजनीतिक पतन भी कह सकते हैं। महाभारत काल तक पूरे विश्व में केवल एक वैदिक धर्म था। सभी लोग वैदिक धर्म का ही पालन करते हैं। वैदिक धर्म से तात्पर्य है कि […] Read more » Featured आर्यसमाज ऋषि दयानन्द कृष्ण पंडित लेखराम मानवतावादी वेदानुकूल मान्यताओं राम वसुधैव कुटुम्बकम् स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म “मनुष्य जन्म का उद्देश्य व लक्ष्य विद्या प्राप्ति एवं ईश्वर-साक्षात्कार” July 27, 2018 / July 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, संसार में ईश्वर, जीव व प्रकृति इन तीन अभौतिक व भौतिक पदार्थों का अस्तित्व है। ईश्वर व जीव चेतन हैं तथा प्रकृति जड़ जड़ सत्ता है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरुप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, न्यायकारी तथा जीवों के कर्मों के अनुसार उनके जन्म व मृत्यु की व्यवस्था करने वाला है। हमें अपने मनुष्य […] Read more » “मनुष्य जन्म का उद्देश्य व लक्ष्य विद्या प्राप्ति एवं ईश्वर-साक्षात्कार” Featured कृष्ण गुरुदत्त विद्यार्थी चाणक्य दयानन्द निराकार न्यायकारी राम लेखराम श्रद्धानन्द सच्चिदानन्दस्वरुप सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वान्तर्यामी हंसराज
समाज ‘संतान के लिए सुरक्षा-कवच है पिता’ June 15, 2018 / June 15, 2018 by डाॅ. कृष्णगोपाल मिश्र | Leave a Comment डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र ‘पिता’ शब्द् संतान के लिए सुरक्षा-कवच है। पिता एक छत है, जिसके आश्रय में संतान विपत्ति के झंझावातों से स्वयं को सुरक्षित पाती है। पिता संतान के जन्म का कारण तो है ही, साथ ही उसके पालन-पोषण और संरक्षण का भी पर्याय है। पिता आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति की गारंटी है। पिता शिशु […] Read more » ‘नचिकेता’ ‘भीष्म’ ‘श्रवणकुमार’ ‘संतान के लिए सुरक्षा-कवच है पिता’ Featured बागवान’ राम वृद्धाश्रमों संतान सहृदय-संवेदनशील
धर्म-अध्यात्म ‘अधर्म वा पाप करने से सुख का मूल हमेशा के लिए कट जाता हैः आचार्य वेदप्रकाश श्रोत्रिय’ June 7, 2018 / June 8, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, श्रीमद्दयानन्द आर्ष ज्यातिर्मठ गुरुकुल, पौंधा-देहरादून के वार्षिकोत्सव में आयोजित ‘सद्धर्म सम्मेलन’ में दिनांक 1-6-2018 को प्रसिद्ध वैदिक विद्वान आचार्य वेदप्रकाश श्रोत्रिय जी का सम्बोधन हुआ। उनके व्याख्यान को यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। ऋषिभक्त विद्वान आचार्य वेदप्रकाश श्रोत्रिय ने कहा कि यदि संसार के सभी लोग कोशिश करें कि वह सब मिलकर […] Read more » Featured ईश्वर ऋषि दयानन्द जी कर्म कृष्ण धर्म संसार पाप व पुण्य राम श्रीमद्दयानन्द आर्ष
कला-संस्कृति विविधा अयोध्या राम की जन्मस्थली मात्र नहीं आदर्शों की विरासत है ! April 3, 2017 by कीर्ति दीक्षित | Leave a Comment विरासतें इतिहास के संरक्षण के लिए होती हैं, कल जब आपकी अगली पीढ़ी पूछेगी ये राम कौन थे? कहाँ रहते थे? तब आपके पास किताबों के उत्तर सम्भवतः हों लेकिन दर्शन हेतु कुछ नहीं होगा, हालांकि ये किताबी ज्ञान भी धीरे धीरे विलुप्त हो जायेगा, फिर कैसा ज्ञान और कैसे राम! हम कितने ही विलुप्त इतिहास के गवाह हैं जो अब किसी पन्ने तक में दर्ज नहीं । आज जो आख्यान हम किताबों में पढ़ते हैं और जब उन्हें देखने की जिज्ञाशा होती है किसी म्यूजियम में उनके होने का एहसास करने का प्रयास करते हैं लेकिन राम को हम कहाँ पायेंगे? किस अयोध्या को रामराज का साक्षी बतायेंगे ? Read more » अयोध्या अयोध्या राम की जन्मस्थली आदर्शों की विरासत है अयोध्या राम