राजनीति प्रजातंत्र से प्रशस्त होता विकास का मार्ग June 20, 2014 by कन्हैया झा | Leave a Comment -कन्हैया झा- हमारी बातचीत का विषय प्रजातंत्र है. प्रजातंत्र आज की डेमोक्रेसी नहीं है; यह उससे अलग है. पांच वर्ष में एक बार वोट देकर हम शासकों को चुनते हैं, जो संविधान द्वारा प्रतिपादित एक तंत्र अथवा शासनतंत्र के तहत काम करते हैं. प्रजातंत्र शासनतंत्र से अलग है. देखा जाय तो आज प्रजा में कोई […] Read more » प्रजातंत्र लोकतंत्र विकास का मार्ग
मीडिया राजनीति फ़िक्सिंग का शिकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ? April 28, 2014 by तनवीर जाफरी | 6 Comments on फ़िक्सिंग का शिकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ? -तनवीर जाफ़री- भारतीय संविधान में हालांकि मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में कहीं कोई मान्यता नहीं दी गई है। उसके बावजूद मीडिया ने स्वयं को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में प्रचारित कर रखा है। और यह ‘भ्रांति’ समाज में धीरे-धीरे एक स्वीकार्य रूप भी धारण कर चुकी है। आज पूरा […] Read more » Democracy fixed media Fourth pillar fourth pillar of democracy media चौथा स्तंभ मीडिया लोकतंत्र लोकतंत्र का चौथा स्तंभ
पर्यावरण मीडिया की सर्वव्यापी उपस्थिति से जीवंत हो रहा है लोकतंत्र April 22, 2014 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment -संजय द्विवेदी- चुनाव जो मीडिया में ज्यादा और मैदान में कम लड़ा जा रहा बेहतर चुनाव कराने की चुनाव आयोग की लंबी कवायद, राजनीतिक दलों का अभूतपूर्व उत्साह,मीडिया सहभागिता और सोशल मीडिया की धमाकेदार उपस्थिति ने इस लोकसभा चुनाव को वास्तव में एक अभूतपूर्व चुनाव में बदल दिया है। चुनाव आयोग के कड़ाई भरे रवैये […] Read more » Democracy media मीडिया लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र, अधिकार और “आप” की सरकार December 25, 2013 / December 25, 2013 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | Leave a Comment – सिद्धार्थ मिश्र – इतिहास सदैव अपने आपको दोहराता है। इस दोहराव की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं जनआंदोलन। ये आंदोलन ही कहीं न कहीं नये चेहरों की ताजपोशी की सियासी पृष्ठभूमि भी तैयार करते हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की अप्रत्याशित सफलता आज इस बात का सबसे जीवंत प्रमाण है। तमाम उहापोह के बीच […] Read more » Democracy right and AAP government अधिकार और “आप” की सरकार लोकतंत्र
टॉप स्टोरी राजनीति लाल क्रांतिवाद बनाम लोकतंत्र। May 27, 2013 / May 28, 2013 by सुधा राजे | Leave a Comment भारत को आजाद कराने और उसे प्रजातंत्र बनाने में हम सबके पुऱखों ने कुरबानी दी । देश की आजादी की ललक में । सपना लोकतंत्र था लाल तानाशाही कभी नहीं ।ये लोग तब भी लाल विश्व का सपना देख रहे थे । लाल विश्व जिसमें किसी का कुछभी अपना नहीं होगा । एक समूह तानाशाही […] Read more » लाल क्रांतिवाद लाल क्रांतिवाद बनाम लोकतंत्र लोकतंत्र
मीडिया प्रजातंत्र की प्राणशक्ति के बचाव के लिए / मा. गो. वैद्य September 12, 2012 by मा. गो. वैद्य | Leave a Comment राम बहादुर राय एक निर्भीक एवं निर्भय पत्रकार है. जयपुर से प्रकाशित होने वाले ‘पाथेय कण’ पाक्षिक के १ अगस्त के अंक में उनका एक लेख प्रकाशित हुआ है. शीर्षक पर दिए आंकड़े से ध्यान में आता हे कि, इस विषय पर उनका यह तीसरा लेख है; मतलब उनके प्रदीर्घ लेख का तीसरा भाग है. […] Read more » प्रेस आयोग मीडिया राम बहादुर राय लोकतंत्र
राजनीति संसद की प्रतिष्ठा के वास्तविक हत्यारे कौन? June 14, 2012 / June 14, 2012 by मा. गो. वैद्य | 2 Comments on संसद की प्रतिष्ठा के वास्तविक हत्यारे कौन? मा. गो. वैद्य गत १३ मई को, संसद के दोनों सभागृहों की दिन भर संयुक्त बैठक हुई. प्रसंग था पहली संसद की पहली बैठक को साठ वर्ष पूर्ण होने का. मतलब संसद की पहली बैठक १३ मई १९५२ को हुई. हमारा संविधान २६ जनवरी १९५० को कार्यांवित हुआ और उसके मार्गदर्शन में १९५२ को आम […] Read more » लोकतंत्र संसद
राजनीति लोकतन्त्र में संकीर्णता के लिए कोई जगह नहीं / अम्बा चरण वशिष्ठ June 6, 2012 / June 28, 2012 by अम्बा चरण वशिष्ठ | 1 Comment on लोकतन्त्र में संकीर्णता के लिए कोई जगह नहीं / अम्बा चरण वशिष्ठ अम्बा चरण वशिष्ठ ‘भारत नीति प्रतिष्ठान’ के एक कार्यक्रम में एक साम्यवादी लेखक व नेता को मंच पर बिठाने व उस के सम्बोधन से उठे विवाद ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि हम भारतीय अवश्य हैं पर हमारे जनतन्त्र की आत्मा भारतीय नहीं है। बहुत हद तक इसकी मानसिक छाप विदेशी ही […] Read more » भारत नीति प्रतिष्ठान लोकतंत्र वैचारिक अश्पृश्यता संवाद
महत्वपूर्ण लेख समाज कहाँ जा रहा है लोकतंत्र: सुप्रीम कोर्ट के भरोसे चल रहा है देश March 28, 2012 / July 22, 2012 by भार्गव चन्दोला | 2 Comments on कहाँ जा रहा है लोकतंत्र: सुप्रीम कोर्ट के भरोसे चल रहा है देश भार्गव चन्दोला क्या हो गया है लोकतंत्र को जब राजनीतिक पार्टियों का अपने नेताओं अपने कार्यकर्ताओं पर ही विश्वाश नहीं हैं तो वो जनता के विश्वाश पर कैसे खडे उत्तरेंगे ? बी.जे.पी. ने अपने उत्तराखंड के सभी विधायक उज्जैन में एकत्रित कर रखे थे और सभी विधायकों के मोबाइल भी ले रखे थे ताकि वो […] Read more » democracy and Supreme Court लोकतंत्र सुप्रीम कोर्ट
लेख समाज राइट टू रिकाल February 1, 2012 / February 1, 2012 by अब्दुल रशीद | 2 Comments on राइट टू रिकाल अब्दुल रशीद लोकतंत्र में कहा जाता है सत्ता जनता से जनता के लिए जनता के द्वारा चलता है। लेकिन क्या ऐसा होता है? आज जनता के वोट द्वारा सत्ता भले ही चुनी जाती है लेकिन न तो सत्ता जनता के हित में काम करती है और न ही जनता के भागीदारी को समझती है कारण […] Read more » Democracy Right to Recall राइट टू रिकाल लोकतंत्र
विविधा लोकतंत्र का सबसे भयावह और शर्मनाक दौर है यह August 15, 2011 / December 7, 2011 by गिरीश पंकज | 1 Comment on लोकतंत्र का सबसे भयावह और शर्मनाक दौर है यह गिरीश पंकज अपने देश का लोकतंत्र अब धीरे-धीरे छाया-लोकतंत्र में तब्दील होता जा रहा है. मतलब यह कि लोकतंत्र-सा दिख तो रहा है, मगर छाया होने के कारण पकड़ में नहीं आ रहा. लोकतंत्र तो है, आज़ादी भी है, मगर कैसी? भ्रष्टाचार करने के लिये हम स्वतंत्र है, सडकों पर ‘स्लट मार्च’ के लिये स्वतंत्र है, […] Read more » Democracy लोकतंत्र
जन-जागरण ये कैसा लोकतंत्र है ? August 10, 2011 / December 7, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on ये कैसा लोकतंत्र है ? वीरेन्द्र सिंह राठौर कैबिनेट से सरकारी ड्राफ्ट को मंजूरी मिलते ही अन्ना हजारे ने इसे देश के साथ धोखा बताते हुए….. 16 अगस्त से फिर से आमरण अनशन की घोषणा कर दी और इसके बाद एक बार फिर सरकार हरकत में आ गई ,….और उसने वो ही किया जो एक डरी हुई ढीठ सरकार कर […] Read more » Democracy लोकतंत्र