धर्म-अध्यात्म ईश्वर, वेद, धर्म, जीवात्मा, सृष्टि आदि विषयक ऋषि के सारगर्भित विचार October 10, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश में 51 विषय को परिभाषित किया है। इन्हें वह स्वयं भी मानते थे। ऋषि के मन्तव्यों में सु कुछ विषयों पर हम ऋषि के शब्दों को ही प्रस्तुत कर रहे हैं। ईश्वर— जिस के ब्रह्म परमात्मादि नाम हैं, जो सच्चिदानन्दादि लक्षणयुक्त है, जिस के गुण, कर्म, […] Read more » ईश्वर जीवात्मा धर्म वेद सृष्टि
राजनीति धर्म के मायालोक में अंधी आस्था के दुष्परिणाम August 26, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव धर्म के मायालोक में अंधी आस्था के दुष्परिणाम क्या होते हैं, यह हमने पिछले साल मथुरा में बाबा रामपाल के डेरे में देखा और अब डेरा सच्चे सौदा के स्वयंभु इश्वर बने बाबा गुरमीत राम-रहीम के भक्तों की पांच राज्यों में सामने आई हिंसा के कुरूप चेहरों के रूप में देख रहे हैं। […] Read more » Asaram Featured Nirmal baba ramlal Ramrahim अंधी आस्था के दुष्परिणाम आसाराम गुरमीत राम रहीम धर्म मायालोक संत रामलाल
विविधा धर्म की दीमकें July 13, 2017 by अलकनंदा सिंह | Leave a Comment इस विषय पर मैं पहले भी काफी लिखती रही हूं और आज फिर लिख रही हूं क्योंकि यह विषय मुझे हमेशा से न सिर्फ उद्वेलित करता रहा है बल्कि नए-नए सवाल भी खड़े करता रहा है। व्यापारिक तौर पर बड़े टर्नओवर के नए वाहक बने सभी धर्मों के अनेक ऐसे धर्मगुरु और धार्मिक संस्थान अपने […] Read more » Featured गुरू पूर्णिमा धर्म
विविधा गांधीवाद की परिकल्पना-8 April 24, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment हमारी सरकारों ने गांधीवाद का चोला पहनकर सूचना पाने वाले को उस व्यक्ति का मौलिक अधिकार माना है। यह कैसी घोर विडंबना है कि सूचना पाने का अधिकार देकर भी उसे सही सूचना (इतिहास की सही जानकारी) से वंचित रखा जा रहा है। इस भयंकर और अक्षम्य षडय़ंत्र पर से पर्दा उठना चाहिए कि वे कौन लोग हैं जो हमारे सूचना पाने के मौलिक और संवैधानिक अधिकार में बाधक हैं? ऐसा नाटक अब बंद होना चाहिए, जिससे पर्दे के पीछे से सत्य, अहिंसा और बंधुत्व के कोरे आदर्शों की भी हत्या की जा रही है। किंतु फिर भी देश पर गांधीवाद के आदर्शों को लपेटा जा रहा हो और उसे बलात् थोपा जा रहा हो। Read more » Featured Gandhiwad अधिकार गांधी गाँधीवाद गांधीवाद की परिकल्पना धर्म राजनीति
समाज धर्म मजहब और धर्म निरपेक्षता March 16, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment आज तक हिंदुओं ने किसी को हज पर जाने से नहीं रोका। लेकिन हमारी अमरनाथ यात्रा हर साल बाधित होती है। फिर भी हम ही असहिष्णु हैं। हमें दोषी ठहराके ये अपने एवार्ड वापस करने का नाटक करते हैं। यह तो कमाल की धर्मनिरपेक्षता है। समय रहते भारत के हिन्दुओं समझ जाओ, संभल जाओ । Read more » धर्म धर्म निरपेक्षता धर्म मजहब
समाज धर्म बनाम राष्ट्रधर्म October 19, 2016 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment दुर्भाग्य का विषय यह कि स्वतंत्र भारत में मुस्लिम लाॅ में व्यक्ति की गरिमा और मानव अधिकारों के हित में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। शहबानों प्रकरण में देश की शीर्ष अदालत यह कह चुकी है कि मुस्लिम समुदाय में निजी कानूनों में सुधार होना चाहिए। Read more » Featured uniform civil code तीन तलाक धर्म राष्ट्रधर्म
धर्म-अध्यात्म धर्म की आवश्यकता क्यों? September 15, 2016 / September 15, 2016 by शिवदेव आर्य | 1 Comment on धर्म की आवश्यकता क्यों? – शिवदेव आर्य जीवन की सफलता सत्यता में है। सत्यता का नाम धर्म है। जीवन की सफलता के लिए अत्यन्त सावधान होकर प्रत्येक कर्म करना पड़ता है, यथा – मैं क्या देखूॅं, क्या न देखूॅं, क्या सुनॅूं, क्या न सुनूॅं, क्या जानॅंू, क्या न जानूॅं, क्या करुॅं अथवा क्या न करूॅं। क्योंकि मनुष्य एक चिन्तनशील […] Read more » धर्म धर्म की आवश्यकता
प्रवक्ता न्यूज़ औचित्य राजनीति पर धर्म के नियंत्रण का ? September 5, 2016 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment तनवीर जाफ़री सदियों से यह एक चर्चा का विषय रहा है कि राजनीति का धर्म के साथ आखिर क्या रिश्ता होना चाहिए?अनेक धर्मगुरुओं का मत है कि धर्म का राजनीति पर अंकुश अथवा नियंत्रण होना चाहिए। कुछ धर्मोपदेशक तथा ऐसे राजनेता जो धर्म को राजनीति से जोडऩे के बाद स्वयं लाभान्वित होते हैं तथा उन्हें इस […] Read more » politics and religion धर्म राजनीति राजनीति पर धर्म के नियंत्रण का
चिंतन धर्म-अध्यात्म वैदिक मान्यतायें ही धर्म व इतर विचारधारायें मत-पन्थ-सम्प्रदाय April 7, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य धर्म शब्द की उत्पत्ति व इसका शब्द का आरम्भ वेद एवं वैदिक साहित्य से हुआ व अन्यत्र फैला है। संसार का सबसे प्राचीन ग्रन्थ वेद है। वेद ईश्वर प्रदत्त वह ज्ञान है जो सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है। यह ज्ञान सृष्टि के आरम्भ में इस संसार के रचयिता परमेश्वर वा सृष्टिकर्त्ता […] Read more » इतर विचारधारा धर्म मत-पन्थ-सम्प्रदाय वैदिक मान्यता
महत्वपूर्ण लेख पिंजरे में कैद सोने की चिड़िया : बौद्धिक आतंकवाद April 2, 2016 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment आजादी के 69 साल बाद भी हमारे देश का नागरिक आजाद नहीं है।देश आजाद हो गया लेकिन देशवासी अभी भी बेड़ियों के बन्धन में बन्धे हैं,ये बेड़ियाँ हैं अज्ञानता की,जातिवाद की,धर्म की,आरक्षण की,गरीबी की,सहनशीलता की,मिथ्या अवधारणाओं की आदि आदि। किसी भी देश की आजादी तब तक अधूरी होती है जब तक वहाँ के नागरिक […] Read more » Featured अज्ञानता आरक्षण गरीबी जातिवाद धर्म धर्म परिवर्तन पिंजरे में कैद सोने की चिड़िया बौद्धिक आतंकवाद सहनशीलता
कला-संस्कृति पर्व - त्यौहार समाज सिंहस्थ : धर्म, विज्ञान एवं दर्शन का अनुष्ठान February 23, 2016 / February 23, 2016 by मनोज कुमार | Leave a Comment मनोज कुमार सनातन काल से स्वयमेव आयोजित होने वाला सिंहस्थ एक बार फिर पूरी दुनिया को आमंत्रित कर रहा है। सिंहस्थ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है अपितु यह दर्शन, विज्ञान एवं संस्कृति का वह अनुष्ठान है जिसमें समय काल के गुजरने के साथ-साथ नए तत्व एवं संदर्भों की तलाश की जाती है। विज्ञान ने समय […] Read more » Featured धर्म विज्ञान एवं दर्शन का अनुष्ठान सिंहस्थ सिंहस्थ महाकुंभ महापर्व
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म समाज धर्म और हिन्दू संस्कृति के विभिन्न रूप February 9, 2016 / February 10, 2016 by डा. संतोष राय | 1 Comment on धर्म और हिन्दू संस्कृति के विभिन्न रूप संतोष राय धर्म का अनुवाद जब से Religion हुआ है तब से यही प्रचलित हो गया है की धर्म का अर्थ एक पूजा पद्धति से है अथवा किसी सम्प्रदाय से है जिसका मैं पूर्ण रूप से खंडन करता हूँ । धर्म एक संस्कृत शब्द है और धर्म का अर्थ तो बहुत व्यापक है और […] Read more » Featured धर्म हिन्दू संस्कृति के विभिन्न रूप