समाज योग से खत्म होती है मनुष्य के अन्दर की नकारात्मकता June 21, 2018 / June 24, 2018 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment दीपक राजपूत हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है। इस साल पूरे विश्व में चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। भारत देश में योगदिवस का एक अपना ही अलग महत्त्व है। योग भारतीय प्राचीन संस्कृति की परम्पराओं को समाहित करता है। भारत देश में योग का प्राचीन समय से हीअहम स्थान है। पतंजली योग दर्शन में कहा गया है कि– योगश्चित्तवृत्त निरोधः अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तोह्रदय की प्रकृति का संरक्षण ही योग है। जो मनुष्य को समरसता की और ले जाता है। योग मनुष्य की समता और ममता को मजबूती प्रदान करता है। यहएक प्रकार का शारारिक व्यायाम ही नहीं है बल्कि जीवात्मा का परमात्मा से पूर्णतया मिलन है। योग शरीर को तो स्वस्थ्य रखता है ही इसके साथ–साथ मनऔर दिमाग को भी एकाग्र रखने में अपना योगदान देता है। योग मनुष्य में नये–नये सकारात्मक विचारों की उत्पत्ति करता है। जो कि मनुष्य को गलतप्रवृति में जाने से रोकते हैं। योग मन और दिमाग की अशुद्धता को बाहर निकालकर फेंक देता है। साथ-साथ योग से मनुष्य के अन्दर की नकारात्मकता खत्म होती है। योग व्यक्तिगत चेतना को मजबूती प्रदान करता है। योग मानसिक नियंत्रण का भी माध्यम है। हिन्दू धर्म, बौध्द धर्म औरजैन धर्म में योग को आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाता है। योग मन और दिमाग को तो एकाग्र रखता है ही साथ ही साथ योग हमारी आत्मा को भी शुध्दकरता है। योग मनुष्य को अनेक बीमारियों से बचाता है और योग से हम कई बीमारियों का इलाज भी कर सकते हैं। असल में कहा जाते तो योग जीवनजीने का माध्यम है। श्रीमद्भागवत गीता में कई प्रकार के योगों का उल्लेख किया गया है। भगवद गीता का पूरा छठा अध्याय योग को समर्पित है। इस मे योग के तीन प्रमुखप्रकारों के बारे में बताया गया है। इसमें प्रमुख रूप से कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग का उल्लेख किया गया है। कर्म योग– कार्य करने का योग है।इसमें व्यक्ति अपने स्थिति के उचित और कर्तव्यों के अनुसार कर्मों का श्रद्धापूर्वक निर्वाह करता है। भक्ति योग– भक्ति का योग। भगवान् के प्रति भक्ति। इसे भावनात्मक आचरण वाले लोगों को सुझाया जाता है। और ज्ञान योग– ज्ञान का योग अर्थात ज्ञान अर्जित करने का योग। भगवत गीता के छठेअध्याय में बताये गए सभी योग जीवन का आधार हैं। इनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। भगवद्गीता में योग के बारे में बताया गया है कि– सिद्दध्यसिद्दध्यो समोभूत्वा समत्वंयोग उच्चते। अर्थात् दुःख–सुख, लाभ–अलाभ, शत्रु–मित्र, शीत और उष्ण आदि द्वन्दों में सर्वत्र समभाव रखना योगहै। दुसरे शब्दों में कहा जाए तो योग मनुष्य को सुख–दुःख, लाभ–अलाभ, शत्रु–मित्र, शीत और उष्ण आदि परिस्थितिओं में सामान आचरण की शक्ति प्रदानकरता है। भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता में एक स्थल पर कहा है ‘योगः कर्मसु कौशलम’ अर्थात योग से कर्मो में कुशलता आती हैं। वास्तव में जो मनुष्य योगकरता है उसका शरीर, मन और दिमाग तरोताजा रहता है। और मनुष्य प्रत्येक काम मन लगाकर करता है। 27 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले संबोधन में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की जोरदार पैरवी की थी। इसप्रस्ताव में उन्होंने 21 जून को ‘‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’’ के रूप में मान्यता दिए जाने की बात कही थी। मोदी की इस पहल का 177 देशों ने समर्थनकिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में इस आशय के प्रस्ताव को लगभग सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। और 11 दिसम्बर 2014 को को संयुक्तराष्ट्र में 193 सदस्यों द्वारा 21 जून को ‘‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन केअंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है। पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून2015 को मनाया गया और पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया गया। इस दिन करोड़ों लोगों ने विश्व में योग किया जो कि एक रिकॉर्ड था। योग दिवस में ‘सूर्य नमस्कार’ व ‘ओम’ उच्चारण का कुछ मुस्लिम संगठन विरोध करते रहे हैं। असल में कहा जाए तो ‘ओम’ शब्द योग के साथ जुड़ाहुआ है। इसे विवाद में तब्दील करना दुर्भागयपूर्ण है। लेकिन इसे हर किसी पर थोपा भी नहीं जा सकता। इसलिए योग करते समय लोगों को ‘ओम’ उच्चारण को अपनी धार्मिक मान्यता की आजादी के अनुसार प्रयोग करना चाहिए। अगर किसी का धर्म ओम उच्चारण की आजादी नहीं देता तो उन्हें बिनाओम जाप के योग करना चाहिए। लेकिन योग को किसी एक धर्म से जोडकर विवाद पैदा नहीं करना चाहिए। आज के समय में योग को भारत के जन–जनतक योग को पहुँचाने में योग गुरु बाबा रामदेव, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर सहित अनेकों ऐसे महापुरुषों का अहम् योगदान है। इनके योग के क्षेत्र मेंयोगदान की वजह से ही आज भारत के घर–घर में प्रतिदिन योग होता है। भगवद्गीता के अनुसार – तस्माद्दयोगाययुज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम। अर्थात् कर्त्व्य कर्म बन्धक न हो, इसलिए निष्काम भावना से अनुप्रेरित होकरकर्त्तव्य करने का कौशल योग है। योग को सभी लोगों को सकारात्मक भाव से लेना चाहिए। कोई भी धर्म–सम्प्रदाय योग की मनाही नहीं करता। इसलिएलोगों को योग को विवाद में नहीं घसीटना चाहिए। योग बुध्दि कुशग्र बनाता है और संयम बरतने Read more » Featured आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर पतंजली योग बाबा रामदेव मनुष्य के अन्दर की नकारात्मकता मुस्लिम संगठन सूर्य नमस्कार
शख्सियत समाज राष्ट्र के जागरूक पुरोहित बाबा रामदेव May 6, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  वेद का आदेश है- वयं राष्ट्रे जागृयाम् पुरोहिता:।। ‘अर्थात हम अपने राष्ट्र में जागरूक रहते हुए अग्रणी बनें। राष्ट्र का नेतृत्व करें।’ जो जागरूकों में भी जागरूक होता है, वही राष्ट्रनायक होता है, वही पुरोहित होता है। यज्ञ पर पुरोहित वही बन सकता है जो जागरूकों में भी जागरूक है, […] Read more » Baba Ramdev Featured बाबा रामदेव योगगुरू बाबा रामदेव
व्यंग्य साहित्य ऋषि मुनियों के देश में , अब अऋषि रहे ना कोय May 5, 2017 by जगमोहन ठाकन | Leave a Comment जग मोहन ठाकन बाबा रामदेव जी महाराज को आप चाहे योग गुरु कहें या संयोग गुरु ; उनके “ गुरु” होने में कोई संदेह नहीं रह गया है .बल्कि महागुरू का ताज भी उनके मस्तक पर छोटा प्रतीत होता है . हाँ , इतना भी निश्चित मानिये कि वो समय की नजाकत और नब्ज […] Read more » Featured बाबा रामदेव
शख्सियत समाज वाद विवादों मे रहनेवाले : बाबा रामदेव December 19, 2016 by अनिल अनूप | 1 Comment on वाद विवादों मे रहनेवाले : बाबा रामदेव -अनिल अनूप योग गुरु रामदेव जो 4500 करोड़ रुपये के पतंजलि समूह का प्रमुख चेहरा है, उन्हें एक बार अमेरिका ने उनके कुंवारे होने और बैंक खाता नहीं होने की वजह से वीजा देने से मना कर दिया था. बाद में जब वह संयुक्त राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने उन्हें बुलावा भेजा […] Read more » Featured बाबा रामदेव
व्यंग्य दान वही जो दाता बनाए …! June 13, 2014 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment -तारकेश कुमार ओझा- भारतीय संस्कृति में दान का चाहे जितना ही महत्व हो, लेकिन यह विडंबना ही है कि दान समर्थ की ही शोभा पाती है। मैं जिस जिले में रहता हूं, वहां एक शिक्षक महोदय एेसे थे, जिन्होंने अपने सेवा काल में एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली, औऱ रिटायर होने पर जीवनभर […] Read more » दान वही जो दाता बनाए बाबा रामदेव भारतीय संस्कृति व्यंग्य शिल्पा शेट्टी
विविधा ढोंगी बाबा रामदेव का कलुषित चरित्र उजागर! April 27, 2014 / April 27, 2014 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 11 Comments on ढोंगी बाबा रामदेव का कलुषित चरित्र उजागर! -डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’- रामदेव नाम का ढोंगी बाबा असल में कितने घिनौने चरित्र का और कितनी घटिया रुग्ण मानसिकता का शिकार है। जो दूसरों का उपचार करने की बात करता है, उसका स्वयं का मस्तिष्क कितना विकृत हो चुका है। जिसे दलित समाज की बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार करने में शर्म नहीं आती, […] Read more » Baba Ramdev Yog Guru बाबा रामदेव योग गुरु
राजनीति अन्ना हजारे से तो बेहतर निकले बाबा रामदेव July 18, 2012 / July 18, 2012 by तेजवानी गिरधर | Leave a Comment तेजवानी गिरधर योग गुरु बाबा रामदेव ने इशारा किया कि वे 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। अर्थात उनका संगठन भारत स्वाभिमान चुनाव मैदान में उतर सकता है। वे पूर्व में भी इस आशय का इशारा कर चुके हैं। बाबा रामदेव अगर ऐसा करते हैं तो यह उन अन्ना हजारे व उनकी से बेहतर […] Read more » Anna Hazare ram dev baba अन्ना हजारे बाबा रामदेव
राजनीति रामदेव व अन्ना के आंदोलन के बाद कांग्रेस October 10, 2011 / December 5, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on रामदेव व अन्ना के आंदोलन के बाद कांग्रेस डॉ. सूर्यप्रकाश अग्रवाल बाबा रामदेव व अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने के आंदोलनों के बाद कांग्रेस अब रामदेव व अन्ना हजारे व उनके समर्थक प्रमुख लोगों को ही आंतकवादी समझते हुए किसी न किसी बहाने पकड कर जेल में डलवाने को आतुर हो रही है। कांग्रेस अब मुस्लिम आंतकवाद को आंतकवाद नहीं समझ […] Read more » Anna Hazare Baba Ramdev अन्ना हजारे कांग्रेस बाबा रामदेव
लेख बाबा रामदेव की हुंकार में समझदारी September 28, 2011 / December 6, 2011 by प्रमोद भार्गव | 6 Comments on बाबा रामदेव की हुंकार में समझदारी प्रमोद भार्गव महारानी लक्ष्मीबाई की कर्मस्थली रही झांसी से बाबा रामदेव ने कालाधन वापिस लाने की जो हुंकार भरी है, वह अब समझदारी का पर्याय भी दिखाई दे रही है। स्वाभिमान यात्रा के नाम से आगाज हुआ यह अभियान परिपक्वता का पर्याय भी बन रहा है। दूध का जला छाछ भी फूंकफूंक कर पीता है, […] Read more » Baba Ramdev बाबा रामदेव
विविधा प्रश्न नीति का नहीं, नीयत का भी है August 19, 2011 / August 19, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार किसी भी काम या अभियान की सफलता में नीति और नीयत दोनों का महत्वपूर्ण योगदान है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना हजारे द्वारा चलाये जा रहे जन आंदोलन पर सरकार की प्रतिक्रिया को इन दोनों कसौटियों पर कसने का प्रयास होना चाहिए। नीति का अर्थ है नियम। राष्ट्रीय स्तर पर देखें, तो संविधान के […] Read more » अन्ना हजारे बाबा रामदेव भष्टाचार
लेख बाबा रामदेव न संत बन पाये न लीडर August 18, 2011 / December 7, 2011 by शादाब जाफर 'शादाब' | 32 Comments on बाबा रामदेव न संत बन पाये न लीडर शादाब जफर ”शादाब” एक बहुत पुराना और बहुत ही मशहूर है शेर ”ना खुदा ही मिला ना विसाल-ए-सनम,ना इधर के रहे न उधर के रहे। आज ये शेर बाबा रामदेव के जीवन पर कितना सटीक बैठ रहा है। स्वदेशी के मुद्दे को लेकर चले बाबा रामदेव ने गंगा, काले धन और फिर भ्रष्टाचार पर जिस […] Read more » Baba Ramdev बाबा रामदेव
विविधा आज़ादी की एक और लड़ाई August 17, 2011 / December 7, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on आज़ादी की एक और लड़ाई नरेश भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने का दिन आया था. एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित किया. माननीय मनमोहन सिंह जी ने क्या कुछ कहा उस दिन इसका यदि कोई महत्व था भी तो वह उन उभरती आवाजों में डूब कर रह गया जो आज देश […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे बाबा रामदेव