राजनीति गांधी की विरासत कहाँ तक होगी मददगार April 27, 2017 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment गाँधी जी और उनके सहयोगियों तथा वहाँ के किसानों की सक्रियता के कारण तत्कालीन बिहार सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जिसके मनोनीत सदस्य गाँधी जी भी थे। इस कमेटी की रिपोर्ट को सभी पक्षों द्वारा स्वीकार किया गया और तीन कठ्ठा प्रथा समाप्त कर दी गई। इसके अलावा किसानों के हित में अनेक सुविधायें दी गईं। इस प्रकार निहलों के विरुद्ध ये आन्दोलन सफलता पूवर्क समाप्त हुआ। इससे चंपारण के किसानों में आत्मविश्वास जगा और अन्याय के प्रति लङने के लिये उनमें एक नई शक्ति का संचार हुआ। चंपारण सत्याग्रह भारत का प्रथम अहिंसात्मक सफल आन्दोलन था। गाँधी जी द्वारा भारत में पहले सत्याग्रह आन्दोलन का शंखनाद चंपारण से शुरु हुआ। यहाँ किसानों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए ग्रामीण विद्यालय खोले गये। लोगों को साफ-सफाई से रहने का तरीका सिखाया गया। सारी गतिविधियाँ गांधीजी के आचरण से मेल खाती थीं। स्वयंसेवकों ले मैला ढोने, धुलाई, झाडू-बुहारी तक का काम किया। इसके साथ ही गांधीजी का राजनीतिक कद और बढ़ा। Read more » Featured गांधी महात्मा गांधी चंपारण
विविधा जीवित मनुष्य से बढ़कर हैं नदियाँ April 27, 2017 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment नदियों के संरक्षण के प्रति समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री दुनिया के सबसे बड़े नदी संरक्षण अभियान 'नमामि देवी नर्मदे : सेवा यात्रा' का संचालन कर रहे हैं। जनसहभागिता से प्रत्येक दिन नर्मदा के किनारे नदी और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समाज को जागरूक करने के लिए बड़े-बड़े आयोजन किए जा रहे हैं। नर्मदा सेवा यात्रा के अंतर्गत इन आयोजनों में देश-दुनिया के अलग-अलग विधा के प्रख्यात लोग आ चुके हैं। इसी सिलसिले में मण्डला में आयोजित जन-संवाद कार्यक्रम में शामिल होने गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी पहुँचे। Read more » Featured narmada river human entity save narmada नदियों के संरक्षण नर्मदा भी अब जीवित इंसानों जैसी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
विविधा अभिभावकों की जेब पर स्कूलों की डकैती April 27, 2017 / April 27, 2017 by अश्वनी कुमार, पटना | Leave a Comment देश में प्राइवेट स्कूलों की संगठित लूट अभिभावकों की आर्थिक आजादी को सीमित कर रही है| किताब, कॉपी, ड्रेस, ब्रांडेड जूते से लेकर अंडरवियर तक की दुकानें स्कूलों में खुलने लगी है| एमआरपी और खुदरा मूल्य या बाजार के नियमों में हेरफेर करके कैसे मुनाफा कमाया जा सकता है ये अब आईएमएफ वालों को हमारे […] Read more » Featured increasing fees in private schools
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म एक अनूठा त्यौहार है अक्षय तृतीया April 26, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment अक्षय तृतीया का पावन पवित्र त्यौहार निश्चित रूप से धर्माराधना, त्याग, तपस्या आदि से पोषित ऐसे अक्षय बीजों को बोने का दिन है जिनसे समयान्तर पर प्राप्त होने वाली फसल न सिर्फ सामाजिक उत्साह को शतगुणित करने वाली होगी वरन अध्यात्म की ऐसी अविरल धारा को गतिमान करने वाली भी होगी जिससे सम्पूर्ण मानवता सिर्फ कुछ वर्षों तक नहीं पीढ़ियों तक स्नात होती रहेगी। अक्षय तृतीया के पवित्र दिन पर हम सब संकल्पित बनें कि जो कुछ प्राप्त है उसे अक्षुण्ण रखते हुए इस अक्षय भंडार को शतगुणित करते रहें। यह त्यौहार हमारे लिए एक सीख बने, प्रेरणा बने और हम अपने आपको सर्वोतमुखी समृद्धि की दिशा में निरंतर गतिमान कर सकें। अच्छे संस्कारों का ग्रहण और गहरापन हमारे संस्कृति बने Read more » Featured अक्षय तृतीया अक्षय तृतीया 2017
विविधा ‘अपने ही लोगों ‘ के सामने घुटने टेकने को मजबूर है सरकार April 26, 2017 / April 27, 2017 by आलोक कुमार | 1 Comment on ‘अपने ही लोगों ‘ के सामने घुटने टेकने को मजबूर है सरकार केंद्र सरकार को चाहिए कि वो नक्सलवाद के उन्मूलन की दिशा में गंभीरता से सोचे, सिर्फ बैठकें कर लेने और मीडिया के सामने बयानबाजी कर देने से इस समस्या का समाधान नहीं होने वाला है । ठोस कार्रवाई वक्त की मांग है। देश के मंत्रीगण – राजनेता और आला – अधिकारी किसी बड़े नक्सली हमले के बाद शहीदों के शवों पर श्रद्धाञ्जलि के नाम पर फूलों का बोझ ही तो बढ़ाने जाते हैं ? और नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए लम्बी – चौड़ी मगर खोखली बातें करते हैं । लेकिन जब नक्सलवाद के खिलाफ ठोस रणनीति या कार्रवाई करने का समय आता है तो हमारे नेता ” गांधीवादी राग ” अलापने लगते हैं। Read more » #नक्सल_उगाही #नक्सली_हिंसा Featured naxal attack on Sukma छत्तीसगढ़ नक्सलवाद सुकमा
विविधा कठोर निर्णायक संकल्पों की प्रतीक्षा में है देश April 26, 2017 by डाॅ. कृष्णगोपाल मिश्र | Leave a Comment चिन्ता का विषय है कि अलगाववादियों-नक्सलवादियों के विरूद्ध की जा रही सैन्य कार्यवाहियों पर उँगली उठाने वाले तथाकथित सामाजिक कार्यकत्र्ता मानवाधिकारों की दुहाई देकर अपराधियों का संरक्षण कर रहे हैं। अपनी राजनीतिक महत्वाकाक्षाओं की पूर्ति के लिए वामपंथी दलों के नेता इन राष्ट्र विरोधी शक्तियों का खुला समर्थन करके इनका हौसला बढ़ा रहे हैं। नित नई दुर्घटनायें घट रही हैं। शासन-प्रशासन पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं, किन्तु इन दुर्दान्त हिंसक-शक्तियों के विरूद्ध प्रभावी कदम उठाने में समर्थ व्यवस्था में बैठे लोग सैनिकों के बलिदानों पर आँसू बहाकर, मुआबजा बाँटकर, ‘शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा’ जैसे जुमले उछालकर अपने दायित्व की पूर्ति मान लेते हैं। टी.वी. चैनलों पर उत्तेजक बहसें आयोजित हो जाती हैं और फिर नई दुर्घटना घट जाती है। सारा घटनाचक्र एक निश्चित रस्मअदायगी सा घटित होता है। प्रश्न यह है कि ऐसी बिडम्बनापूर्ण दुखद स्थितियों के विषदंश देश को कब तक झेलने होंगे ? आखिर कब तक हमारे देश में राष्ट्र विरोधी शक्तियाँ यूँ ही हिंसा का तांडव करती रहेंगी ? इन ज्वलन्त समस्याओं का समाधान क्या है और इन्हें सुलझाने की जबावदारी किनकी है? Read more » Featured naxal attack on crpf jawans sukma attack
राजनीति दिल्ली में सरपट दौड़ा भाजपा का विजयरथ April 26, 2017 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment दिल्ली महानगर पालिका के चुनाव परिणाम के बाद जैसी आशंका व्यक्त की जा रही थी, वही दिखाई दे रहा है। चुनाव में उपयोग किए जा रहे विद्युतीय मतदान यंत्रों पर फिर से सवाल खड़े होने लगे हैं। सवाल खड़े करने वाले राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता अपनी हार को हार नहीं मान रहे हैं, बल्कि वह यह बताना चाह रहे हैं कि हमारी हार ईवीएम मशीनों के कारण हुई है। जबकि सत्यता यही है कि जनता ने उन्हें हरा दिया है। इसके अलावा गंभीरता पूर्वक चिन्तन किया जाए तो एक बात और इस हार को प्रमाणित करती हुई दिखाई देती है। अगर हम चुनाव के बाद किए गए सर्वेक्षणों पर दृष्टि डालें तो यह विदित हो जाता है कि सभी सर्वे संस्थाओं ने भारतीय जनता पार्टी को विजय की तरफ जाते हुए बताया था। यह सर्वे संस्थाएं वास्तव जनता की आवाज के आधार पर ही अपना मत व्यक्त करते हैं। इसलिए विद्युतीय मतदान यंत्रों पर सवाल खड़े करना कहीं न कहीं लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर आघात ही कहा जा सकता है। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन सर्वे संस्थाओं ने ईवीएम से पूछकर अपना सर्वे नहीं दिया था। यानी जनता ने जो मत व्यक्त किया, वही ईवीएम ने दिखाया। Read more » Delhi MCD Delhi MCD wins BJP Featured भाजपा भाजपा का विजयरथ विजयरथ
विविधा सुकमा की शहादत का मुंहतोड़ जबाव हो April 26, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment कब तक हम इन घटनाओं को होते हुए देखते रहेंगे। कब तक केन्द्र सरकार राज्य सरकार पर और राज्य सरकार केन्द्र सरकार पर बात टालती रहेगी। कब तक सुस्ती और नक्सली हिंसा से निपटने के मामले में कामचलाऊ रवैये अपनाया जाता रहेगा। न जाने कब से यह कहा जा रहा है कि सीआरपीएफ के जवान छापामार लड़ाई लड़ने का अनुभव नहीं रखते, फिर ऐसे जवानों को क्यों नहीं तैनात किया जाता जो इस तरह की छापामार लड़ाई में सक्षम हो, जो नक्सलियों को उनकी ही भाषा में सबक सिखा सके? इसके साथ ही नक्सलियों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर भी सशक्त जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। उनकी कमजोरियों को स्थानीय जनता के बीच लाया जाना चाहिए। नक्सली संगठनों की महिला कार्यकर्ताओं के साथ पुरुषों द्वारा किये जाने वाले शारीरिक एवं मानसिक शोषण को उजागर किया जाना चाहिए। Read more » crpf forces Featured Sukma शहादत सुकमा सुकमा की शहादत
राजनीति ताजमहल पर भगवा वस्त्र के बारे में भ्रम और निवारण April 26, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी नरेन्द्र भाई मोदी जी और आदित्य नाथ योगी जी की सरकार में भगवा दुपट्टे और गमछों का चलन बढ़ा है, लेकिन ताजमहल में भगवा रंग के दुपट्टों को पहनकर पहुंची विदेशी मॉडल्स को सुरक्षा जांच के दौरान रोक दिया गया। 19 अप्रैल 2017 दोपहर को दिल्ली से आईं 34 देशों की मॉडलों(सुंदरियों […] Read more » Featured ताजमहल ताजमहल पर भगवा वस्त्र
विविधा निजी अनुभवों की सांझ-1 April 26, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment चिकित्सक के पास आप जाएं। जिस दुकान से दवाइयां आएंगी वहां चिकित्सक महोदय का कमीशन तय है। इसलिए दवाइयां आपको महंगी लिखी जाएंगी। यह जानते हुए भी कि महंगी दवाइयां शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। फिर भी भारी और महंगी दवाई क्रय करने के लिए आपको बाध्य किया जाएगा। जिससे आप उन्हें क्रय करें और चिकित्सक का कमीशन ठीक बन सके। रक्त परीक्षण, मधुमेह परीक्षण, सीटी स्कैन आदि के लिए आपको एक चिकित्सक महोदय दूसरे चिकित्सक के लिए संस्तुति प्रदान कर देंगे। इस मानवीय दृष्टिकोण के पीछे भी 'कमीशन' का भूत छिपा होता है। Read more » Featured औषधि चिकित्सक निजी अनुभवों की सांझ सरकारी अस्पताल
विविधा सड़कों पर मौत का सन्नाटा नहीं, जीवन का उजाला हो April 25, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग – सड़क हादसों और उनमें मरने वालों की बढ़ती संख्या के आंकड़ों ने लोगों की चिंता तो बढ़ाई ही है लेकिन एक ज्वलंत प्रश्न भी खड़ा किया है कि नेशनल हाइवे से लेकर राज्यमार्ग और आम सड़कों पर सर्वाधिक खर्च होने एवं व्यापक परिवहन नीति बनने के बावजूद ऐसा क्यों हो रहा है? […] Read more » Featured road accidents मौत का सन्नाटा
राजनीति शख्सियत ह्दयनारायण दीक्षितः राजपथ पर एक बौध्दिक योद्धा April 25, 2017 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment –संजय द्विवेदी वे हिंदी पत्रकारिता में राष्ट्रवाद का सबसे प्रखर स्वर हैं। देश के अनेक प्रमुख अखबारों में उनकी पहचान एक प्रख्यात स्तंभलेखक की है। राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर चल रही उनकी कलम के मुरीद आज हर जगह मिल जाएंगें। उप्र के उन्नाव जिले में जन्में श्री ह्दयनारायण दीक्षित मूलतः एक राजनीतिक कार्यकर्ता […] Read more » Featured ह्दयनारायण दीक्षित