विविधा उत्तराखंड में जल संकट :चुनोतियाँ व समाधान की दिशा में प्रयास April 21, 2017 by प्रदीप रावत | Leave a Comment वास्तव में पेयजल संकट आगामी भविष्य के लिए एक चुनोतिपूर्ण विषय है । इस जटिल समस्या के निवारण के लिए हमें केवल सरकारी नीतियों के भरोशे न बैठकर जनता को भी जागरूक करना होगा जिससे हम प्रकृति द्वारा प्रदत्त इस मूल्यवान संसाधन को अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए संजोकर रख पाएं। गाँवो से शहरो की तरफ होने वाले तीव्र पलायन के कारण शहरो पर अतरिक्त जनसंख्या दवाब बढ़ रहा है इस जनसंख्या दवाब के कारण शहरो में पेयजल की किल्लत साफ़ नज़र आती है । उत्तराखंड के अनेक इलाके ऐसे है जहाँ पानी भरने के लिए लोगो को घण्टों भर लाइन में रहना पड़ता है यह समस्या केवल शहरो में ही नही बल्कि उत्तराखंड के अनेक पहाड़ी गाँवो की भी है जहा आज भी महिलाए किलोमीटर दूर पैदल चलकर पानी लाकर अपनी आवश्यकताओ को पूरा करती है । Read more » Featured rain water conservation rain water harvesting water crisis in India उत्तराखंड उत्तराखंड में जल संकट जल संकट वर्षा जल संरक्षण
विविधा गांधीवाद की परिकल्पना-7 April 21, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment नैतिक मूल्यों के आधार बनाकर भी गांधीवाद का एक धूमिल चित्र भारत में गांधीवादियों ने खींचने का प्रयास किया है। गांधीजी भारतीय राजनीति को धर्महीन बना गये। वह उसे संप्रदाय निरपेक्ष नहीं बना सके, अपितु उसे इतना अपवित्र करन् दिया है कि वह सम्प्रदायों के हितों की संरक्षिका सी बन गयी जान पड़ती है। इससे भारतीय राजनीति पक्षपाती बन गयी। जहां पक्षपात हो वहां नैतिक मूल्य ढूंढऩा 'चील के घोंसले में मांस ढूढऩे के बराबर' होता है। नैतिक मूल्य, नीति पर आधारित होते हैं नीति दो अक्षरों से बनी है-नी+ति। जिसका अर्थ है एक निश्चित व्यवस्था। नीति निश्चित व्यवस्था की संवाहिका है, ध्वजवाहिका है और प्रचारिका है। Read more » Featured Gandhiwad gandhiwad ki parikalpana गाँधीजी गाँधीवाद गांधीवाद की परिकल्पना धर्मनिरपेक्षता
समाज साम्प्रदायिक सद्भाव एक मृग मरीचिका April 21, 2017 by विनोद कुमार सर्वोदय | 1 Comment on साम्प्रदायिक सद्भाव एक मृग मरीचिका राष्ट्रवाद को झुठलाने की एक और घटना जब सितम्बर 2008 में बटला हाउस (दिल्ली) में आजमगढ़ के आतंकियों को मारा गया तो उसमे दिल्ली पुलिस के शूरवीर इंस्पेक्टर के बलिदान को ही संदेहात्मक बना दिया और (छदम्) धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम आतंकियो के घर आजमगढ़ जाने की नेताओं में होड़ ही लग गयी थी। यहा तक समाचार आये थे कि उस समय सत्ता के शीर्ष को नियंत्रित करने वाली सोनिया गांधी ने भी आजमगढ़ के आतंकवादियों पर आंसू बहायें थे । Read more » communal harmony communal harmony in India Featured साम्प्रदायिक सद्भाव
राजनीति लालबत्ती के आतंक से मुक्ति की नई सुबह April 21, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने ऐसे अनेक साहसिक निर्णय लिये एवं कठोर कदम उठाये है और अब केंद्र सरकार ने आगे बढ़कर मोटर वीइकल्स ऐक्ट के नियम 108 (1) और 108 (2) में बदलाव करके लाल बत्ती वाली गाड़ियों को ट्रैफिक नियमों से छूट देने की व्यवस्था ही खत्म कर दी। लेकिन मोदी एवं योगी से आगे की बात सोचनी होगी। देश में सही फैसलों की अनुगूंज होना शुभ है, लेकिन इनकी क्रियान्विति भी ज्यादा जरूरी है। वीआईपी कल्चर खत्म करने के नफा-नुकसान का गणित उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना महत्वपूर्ण यह है कि इससे आम लोगों के मन से खास लोगों का खौफ कुछ कम जरूर होगा। Read more » Featured लाल बत्ती वीआइपी संस्कृति
जन-जागरण विविधा ध्वनि प्रदूषण न हिन्दू न मुस्लिम,केवल हानिकारक April 20, 2017 by निर्मल रानी | Leave a Comment धर्मस्थलों पर नियमित रूप से निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार होने वाले इस शोर-शराबे से लगभग पूरा देश दु:खी है। ध्वनि प्रदूषण बच्चों की पढ़ाई खासतौर पर परीक्षा के दिनों में उनकी परीक्षा की तैयारी में अत्यंत बाधक साबित होता है। मरीज़ों तथा वृद्ध लोगों के लिए ध्वनि प्रदूषण किसी मुसीबत से कम नहीं। आए दिन होने वाले जगराते,कव्वालियां या दूसरे शोर-शराबे से परिपूर्ण धार्मिक आयोजन यह सब हमारे समाज के स्वास्थय पर बुरा असर डालते हैं। Read more » Featured noise pollution on Azaan Sonu Nigam
राजनीति आसान नहीं है विजय माल्या का प्रत्यपर्ण April 20, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव 13 महीने पहले भारत छोड़कर भागे शराब कारोबारी विजय माल्या को लंदन में गिरफ्तार किया गया। करीब 9000 करोड़ रुपए की देनदारी का सामना कर रहे माल्या की यह गिरफ्तारी मामूली सफलता है। इस तथ्य की तस्दीक इस बात से होती है कि उसे केवल तीन घंटे के भीतर जमानत मिल गई। इससे […] Read more » Antithesis of Vijay Malya Featured Vijay Malya प्रत्यपर्ण विजय माल्या विजय माल्या का प्रत्यपर्ण
राजनीति पुनर्मूषको भव : April 20, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment अखिलेश हों या मायावती या फिर केजरीवाल। सबको खोट अपनी नीतियों में नहीं, वोट मशीनों में लग रहा है। कांग्रेस के सुपर लीडर तो अभी चुप हैं; पर उनके कुछ साथी इसका विरोध कर रहे हैं। राहुल बाबा ने चुनाव में काफी काम किया है। इसके परिणाम उनके लिए तो नहीं, पर देश के लिए अच्छे रहे। सुना है अभी वे थकान उतार रहे हैं। जब वे काम के मूड में आएंगे, तब देखेंगे कि क्या कहते हैं ? Read more » Featured पुनर्मूषको भव
विविधा गांधीवाद की परिकल्पना- 5 April 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment गांधीजी को लोकतंत्र का प्रबल समर्थक भी कहा जाता है। उनके चहेते शिष्य जवाहरलाल ने इस बात का बहुत बढ़-चढक़र प्रचार किया। जबकि उस समय की परिस्थिति गत साक्ष्य यह सिद्घ कर रहे हैं कि गांधीजी का लोकतंत्र में नही अपितु अधिनायकवाद में दृढ़ विश्वास था। अब संक्षिप्त चर्चा इस पर करते हैं। भारतीय समाज में ऐसे व्यक्ति को बुद्घिमान माना जाता है जो देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार उचित निर्णय लेने में सक्षम और समर्थ होता है तथा अपने कार्य को निकालने में सफल होता है। गांधीजी भारतीय समाज व संस्कृति के इस तात्विक सिद्घांत को पलट देना चाहते थे। Read more » Featured असहयोग आंदोलन गाँधीजी गाँधीवाद लोकतंत्र सदगुरू रामसिंह ने प्रारंभ किया असहयोग आंदोलन
विविधा सस्ती एवं जेनेरिक दवाओं के लिए कानून April 19, 2017 / April 28, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव महंगी दवाओं के चलते इलाज न करा पाने वाले लाखों गरीब मरीजों के लिए यह खुश खबरी है, कि नरेन्द्र मोदी सरकार एक ऐसे कानून को बनाने जा रही हैं, जिसके बाद चिकित्सक पर्चे पर जेनेरिक दवाएं लिखने को मजबूर हो जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने यह घोषणा एक निजी अस्पताल के उद्घाटन समारोह […] Read more » Featured एनपीपीए जेनेरिक दवाएं राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण
विविधा गरीबों के हित में दवा नीति का बनना April 19, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment नामी-गिरामी कंपनियों की दवाओं की कीमत काफी अधिक होती हैं। जबकि उन्हीं रासायनिक सम्मिश्रणों वाली दवाएं अगर जेनरिक श्रेणी की हों तो वे काफी कम कीमत में मिल सकती हैं। ये दवाएं वैसा ही असर करती हैं जैसा ब्रांडेड दवाएं। समान कंपोजीशन यानी समान रासायनिक सम्मिश्रण होने के बावजूद इनके निर्माण पर बहुत कम खर्च आता है। इनके प्रचार-प्रसार पर बेहिसाब धन भी नहीं खर्च किया जाता, इसलिए भी इनकी कीमतें काफी कम होती हैं। लेकिन दवा बाजार पर निजी कंपनियों के कब्जे का जो पूरा संजाल है, उसमें जेनरिक दवाओं की उपलब्धता इतनी कम है कि उसका लाभ बहुत-से जरूरतमंद लोग नहीं उठा पाते। Read more » Featured जेनरिक दवा कारोबार स्वास्थ्य देखभाल नीति
राजनीति गाँव, गरीब और किसानों के लिए संकल्पबद्ध योगी सरकार April 19, 2017 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment प्रदेश सरकार बनने के बाद सबसे बड़ा बदलाव यह दिखलायी पड़ रहा है कि अब प्रदेश के अफसरों को सुबह साढ़े नौ बजे तक कार्यालय में आ ही जाना होगा। मंत्रियों के अचानक निरीक्षणों के दौरान प्रदेश के कई सरकारी कार्यालयों में अनपुस्थित व देर से आने वाले अफसरों व कर्मचारियों के वेतन काटे जाने व नोटिस जारी करने का अभियान चल रहा हैं जिसकी गूंज दूर तक सूनायी पड़ रही है। सरकार ने एक बड़ा बदलाव करते हुूए बायोमैट्रिक हाजिरी व्यस्था भी लागू कर दी है। सरकार ने सबसे बड़ा कदम यह उठाया है कि किसी भी योजना का नाम समाजवादी नहीं रहेगा। Read more » Featured एंटी रोमिया अभियान तीन तलाक मंत्रियों के लिए आचरण संहिता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. समान नागरिक संहिता
महिला-जगत समाज हमारा समाज पुरूष प्रधान नही वरन महिला प्रधान April 19, 2017 / April 19, 2017 by हरीश शर्मा | 1 Comment on हमारा समाज पुरूष प्रधान नही वरन महिला प्रधान भारतीय परिदृष्य में यदि बात की जाए तो यह कहा जाता है कि हमारा समाज पूरूष प्रधान है , परंतु यह कहना अर्धसत्य जैसा ही होगा क्योकि वह समाज पूरूष प्रधान केसे हो सकता है जहाॅ पुरूषों की उत्पत्ति का आधार ही महिलाए है। बल्कि यदि यह कहा जाए तो गलत नही होगा कि हमारा समाज पुरूष प्रधान नही वरन महिला प्रधान है वर्तमान परिवेष में जब महिलाओं का समान अधिकार देने व उन्हे आगे बढाने की बाते जोर पकड रही है तो यह ध्यान रखना होगा कि इस प्रकार की बाते सिर्फ मंचो से लोगों की तालिया बटोरने भर के लिए नहीं कही जाए वरन दोहरे व्यक्तित्व को छोडकर राजनैतिक पूरोधाओं को भी नारी शक्ति के अस्तित्व को न सिर्फ मंचो से बल्कि वास्तविक जीवन मे भी सत्यता से स्वीकार व अंगीकार करना होगा। Read more » Featured महिला प्रधान समाज महिलाओं का सम्मान हमारा समाज पुरूष प्रधान हमारा समाज महिला प्रधान