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विविधा

स्वामी रामदेव जी और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली

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बाबा रामदेव जी जैसे लोगों द्वारा भारतीय धर्म और संस्कृति की मचाई गयी धूम के परिणामस्वरूप अब जाकर विश्व की आंखें खुल रही हैं, और उसे धीरे-धीरे पता चल रहा है कि भारत की मान्यताएं ही महान हैं, सत्य हैं और अकाट्य हैं। विश्व ने एलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से अपनी जेब कटवाकर देख लिया और यह समझ लिया कि यह चिकित्सा प्रणाली तो हमें सिवाय मारने के और कुछ कर नहीं रही है और यदि हमने इसका पीछा नहीं छोड़ा तो यह हमारा सर्वनाश कर देगी। यही कारण है कि लोग जीवित और स्वस्थ रहने के लिए अपने सारे जातीय पूर्वाग्रहों और साम्प्रदायिक मान्यताओं को तिलांजलि देकर भारत के आयुर्वेद की शरण में आ रहे हैं।

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समाज

मध्यम-वर्ग: नई भोर की आहट

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मध्यमवर्ग भले ही आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न न भी हो, वह शिक्षित भी है, जागरूक भी है और #विकासोन्मुखी भी है लेकिन वह अपनी परम्पराओं और रूढियों से खुद को मुक्त नहीं कर सका। संस्कार और संस्कृति उसकी जेहन में रहते हैं। यही कारण है कि मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा पीड़ित है। मध्यम वर्ग की विडम्बना देखिये कि उसे अपना दर्द व्यक्त करने का मंच भी सुलभ नहीं है। यत्र-तत्र चर्चाओं में भाग लेकर अपना आक्रोश तो प्रकट करता है परन्तु समय, धन व जनबल के आभाव के कारण सत्ता में बैठे लोगों को अपने हित चिंतन के लिए विवश नहीं कर पाता।

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राजनीति

सुशासन के कीर्तिमान गढ़ने का समय

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अब समय आ गया है जब भाजपा को प्रत्येक निर्वाचित जनप्रतिनिधि के लिए विशिष्ट आचार संहिता का प्रावधान करना चाहिए , जिसमें नैतिकता , सदाचार , इमानदारी, संवेदनशीलता और सहृदयता जैसे उच्च मानक हो जिनके पालन को सुनिश्चित कराया जाए । क्योंकि भले ही जनता ने मोदी जी और पार्टी की विचारधारा पर विश्वास करके भाजपा को वोट दिया हो परंतु रोजमर्रा की समस्याओं के लिए कार्यकर्ताओं जनता का साबका पार्षद , विधायको और सांसदों से ही पड़ता है ।अगर इन लोगों का आचरण विपरीत किस्म का होगा तो जनता का विश्वास टूटेगा और उसे दूसरे विकल्प की तरफ देखना पड़ेगा ।

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